Sochta Hoon Ki Wo Kitne Masoom Thay, Kya Se Kya Ho Gaye Dekhte Dekhte इस कव्लाली के कलाकारों को जानिए
Sochta Hoon Ki Wo Kitne Masoom Thay. Kya Se Kya Ho Gaye Dekhte Dekhte. महान कव्वाली गायक नुसरत फतेह अली खान साहब की ये कव्वाली सुनकर कुछ मिनटों के लिए अगर कोई मंत्रमुग्ध ना हो सके तो यही कहा जाएगा कि उसे संगीत की समझ नहीं है।
जिस अंदाज़ में नुसरत साहब और उनकी टीम ने उस कव्वाली को पेश किया है वो बेहद खूबसूरत है। कव्वाली गायकी का नुसरत साहब का वो अनोखा अंदाज़ आज भी लोगों के ज़ेहन में उन्हें ज़िंदा रखे हुए है। शायद इसिलिए यूट्यूब पर उस कव्वाली को लोगों ने लगभग साढ़े तीन करोड़ दफा सुना है।
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Sochta Hoon Ki Wo Kitne Masoom Thay - Photo: YouTube Screenshot |
नुसरत साहब केवल भारतीय उपमहाद्वीप में ही नहीं, दुनियाभर में लोकप्रिय थे। अच्छे संगीत का शौकीन हर शख्स नुसरत साहब के नाम से वाकिफ होगा। लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि नुसरत साहब की कव्वाली सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे में जो अन्य लोग नज़र आ रहे हैं।
जो नुसरत साहब के लिए हारमोनियम बजाने के अलावा उनके साथ ताल भी लगा रहे हैं, वो आखिर कौन थे? उनके नाम आखिर क्या थे? शायद नहीं। क्योंकि ये इंसानी मिजाज़ है कि ज़्यादा ज़हमत उठाना हम इंसान पसंद नहीं करते। लेकिन कोई बात नहीं। आपके लिए इस तरह की ज़हमतें उठाने का ज़िम्मा Meerut Manthan ने उठाया है।
तो Meerut Manthan आज आपको Legendary Pakistani Qawwali Singer Nusrat Fateh Ali Khan की Most Popular Qawwali Sochta Hoon Ki Wo Kitne Masoom Thay में उनके साथ परफॉर्म कर रहे कुछ कलाकारों से रूबरू कराएगा। इसलिए बिना देर किए इस खूबसूरत सफर की शुरुआत करते हैं।
सबसे पहले तो आपको ये बता दें कि नुसरत साहब ने ये कव्वाली साल 1984 में लंदन में परफॉर्म की थी। और जब आप इस कव्वाली का वीडियो यूट्यूब पर देखेंगे तो उस कव्वाली में नुसरत साहब के आस-पास कई दूसरे कलाकार भी बैठे हैं।
फाऱुख फतेह अली खान
तो सबसे पहले बात करेंगे नुसरत साहब के ठीक बराबर में बैठे कलाकार के बारे में जो कि हारमोनियम बजा रहे हैं और बीच-बीच में इस कव्वाली में सुर और ताल भी लगाते हैं। इन जनाब का नाम फारु़ख फतेह अली ख़ान है और ये नुसरत फतेह अली ख़ान साहब के छोटे भाई हैं।
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Farukh Fathe Ali Khan - Photo: Facebook |
25 दिसंबर 1952 को फैसलाबाद में जन्मे फारु़ख फतेह अली ख़ान को भी अपने भाई नुसरत फतेह अली ख़ान की तरह ही बचपन से ही संगीत की शिक्षा मिलनी शुरू हो गई थी। इन्होंने गायकी के साथ-साथ हारमोनियम बजाने की भी जमकर ट्रेनिंग ली और उसका नतीजा ये हुआ कि एक वक्त ऐसा भी आया जब इन्हें दुनिया का सबसे शानदार हारमोनयिम नवाज़ माना जाता था।
King of Harmonium
नुसरत साहब के साथ जब लंदन में इन्होंने इस कव्वाली कॉन्सर्ट में हिस्सा लिया तो संगीत की दुनिया में इनका भी खूब नाम हुआ। हारमोनियम बजाने का इनका अंदाज़ और इनके हुनर को देखकर लोगों ने इन्हें King of the Harmonium कहना शुरू कर दिया। संगीत के जानकार लोग मानते हैं कि फारुख साहब किसी भी मामले में नुसरत साहब से कमतर नहीं थे।
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Farukh Fateh Ali Khan - Photo: Facebook |
पर चूंकि ये नुसरत साहब के सगे छोटे भाई थे और उन्हीं के साथ ही ये शोज़ परफॉर्म करते थे तो नुसरत साहब की लोकप्रियता की चमक में इनके हुनर पर लोगों की उतनी नज़र नहीं पड़ी जितनी की पड़नी चाहिए थी। लेकिन फारु़ख साहब को इस बात का अफसोस कभी नहीं रहा कि अपने बड़े भाई जैसा मुकाम वो कभी हासिल ना कर सके।
2003 में दुनिया छोड़ गए फाऱुख साहब
साल 1997 में जब नुसरत फतेह अली ख़ान साहब की मौत के बाद फारु़ख साहब के बेटे राहत फतेह अली ख़ान ने अपनी खानदानी कव्वाली पार्टी की कमान संभाली तो इन्होंने भी रिटायरमेंट ले ली। हालांकि बेटे राहत फतेह अली ख़ान के कहने पर साल 2003 में इन्होंने बॉलीवुड फिल्म पाप में एक गीत गाया था। इत्तेफाक से इनके बेटे राहत फतेह अली ख़ान का बॉलीवुड डेब्यू भी इसी फिल्म से हुआ था। लेकिन इस फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही 7 सितंबर 2003 को फारु़ख फतेह अली ख़ान साहब की मौत हो गई।
उस्ताद हाजी रहमत अली ख़ान
फारु़ख फतेह अली ख़ान साहब के ठीक बराबर में बैठे फनकार का नाम है उस्ताद हाजी रहमत अली खान। नुसरत साहब की कव्वाल पार्टी में ये हारमोनियम वादक और वोकलिस्ट थे। जब आप यूट्यूब पर ये कव्वाली देखेंगे तो आपको उस्ताद हाजी रहमत अली ख़ान हारमोनियम के साथ-साथ सुर-ताल लगाते हुए भी नज़र आ जाएंगे।
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Ustad Haji Rehmat Ali Khan - Photo: Social Media |
उस्ताद हाजी रहमत अली ख़ान नुसरत फतेह अली ख़ान साहब की कव्वाल पार्टी के एक बेहद अहम मेंबर थे। रहमत अली खान साहब ने नुसरत साहब के साथ लगभग चालीस सालों तक कव्वाली परफॉर्म की।
साल 1997 में नुसरत साहब की मृत्यु के बाद उस्ताद हाजी रहमत अली ख़ान ने खुद को कव्वाली से थोड़ा दूर ज़रूर कर लिया था। हालांकि अपने बेटों और अपने पोतों को उन्होंने कव्वाली की दुनिया में ज़रूर सक्रिय रखा।
पोतों ने संभाली है विरासत
रहमत साहब का बेटा फैज़ अली फैज़ कव्वाली की दुनिया का एक बड़ा नाम बना। साल 2008 में उस्ताद हाजी रहमत अली ख़ान इस दुनिया से रुखसत हो गए थे।
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Zain and Zoheb |
आज उनके पोते ज़ैन और ज़ोहेब उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और पाकिस्तान में उन्हें कव्वाली की दुनिया के उभरते सितारों के तौर पर देखा जा रहा है।
उस्ताद गुलाम अब्बास
नुसरत साहब के साथ फ्रंट लाइन में बैठे नज़र आ रहे चौथे शख्स का नाम है ग़ुलाम अब्बास। आप नोटिस करेंगे कि ग़ुलाम अब्बास नुसरत साहब की कव्वाल पार्टी में फ्रंट लाइन में बैठे सभी लोगों में सबसे ज़्यादा नौजवान हैं। दरअसल, ग़ुलाम अब्बास उस्ताद नुसरत फतेह अली ख़ान साहब के शागिर्द रहे हैं।
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Ustad Ghulam Abbas - Photo: Facebook |
कम उम्र से ही ग़ुलाम अब्बास साहब ने नुसरत साहब की सरपरस्ती में संगीत और कव्वाली की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। नुसरत साहब के पिता और उनके खानदान के दूसरे कलाकारों से ग़ुलाम अब्बास साहब अच्छी तरह वाकिफ थे और इन्हें उन महान शख्सियतों के साथ वक्त गुज़ारने और उन्हें करीब से निहारने का मौका मिल चुका है।
अब कहां हैं उस्ताद गुलाम अब्बास, हमें नहीं पता
फिलहाल उस्ताद हाजी गुलाम अब्बास साहब पाकिस्तान में कहां रहते हैं और क्या करते हैं इसकी जानकारी हमें नहीं मिल पाई है। वैसे भी इनके बारे में बहुत ज़्यादा जानकारियां इंटरनेट पर मौजूद हैं भी नहीं।
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Ustad Ghulam Abbas - Photo: Facebook |
कोई कहता है कि गुलाम अब्बास अब लाहौर में रहते हैं और कव्वाली की दुनिया से उन्होंने खुद को रिटायर कर लिया है। जबकी कुछ लोगों का दावा है कि गुलाम अब्बास साहब कराची में रहते हैं और अब इनकी अगली पीढ़ी इनकी विरासत को बखूबी संभाल रही है।
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