Anup Jalota | Bhajan Samrat से जुड़े आठ बड़े ही रोचक और Lesser Known Facts
नाम है इनका अनूप जलोटा और ये भारत के सबसे नामी भजन गायक हैं। गज़ल की दुनिया में भी इन्होंने खूब नाम कमाया है। और देश-विदेश के कई बड़े गज़ल गायकों संग जुगलबंदी की है।
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Lesser Known Facts Of Bhajan Samrat Anup Jalota - Photo: Social Media |
Meerut Manthan आज Bhajan Samrat Anup Jalota की कुछ अनसुनी कहानियां अपने दर्शकों को बताएगा। Anup Jalota और RSS का क्या कनैक्शन है? तीसरी पत्नी मेधा गुजराल से कैसे अनूप जलोटा की मुलाकात हुई थी? अनूप जलोटा की ऐसी ही कहानियों से आज आप रूबरू होंगे।
पहली कहानी
अनूप जलोटा का करियर ऑल इंडिया रेडियो से शुरू हुआ था। ये ऑल इंडिया रेडियो के लिए कोरस गायकी किया करते थे। फिर जब दूरदर्शन शुरू हुआ तो अनूप जलोटा टीवी पर भी गाने लगे।
टीवी पर ही एक दफा नामी संगीतकार सी रामचंद्र ने अनूप जलोटा का भजन सुना। उन्हें अनूप जलोटा की गायकी बहुत पसंद आई। उन्होंने अनूप जलोटा को मिलने के लिए बुलवाया।
अनूप जलोटा को लगा कि शायद सी रामचंद्र उनसे किसी फिल्म में गीत गवाना चाहते होंगे। अनूप खुशी-खुशी उनसे मिलने पहुंचे। उस वक्त अनूप जलोटा भी चाहते थे कि ये फिल्मों के लिए गायकी करें।
अनूप जब सी रामचंद्र से मिले तो उन्होंने इनसे कहा,"तुम कभी भी फिल्मों के लिए गाने की कोशिश मत करना। तुम इतना अच्छा गाते हो कि तुम्हारा नाम खुद ही किसी प्लेबैक सिंगर से ज़्यादा हो जाएगा।"
अनूप जलोटा ने भी सी रामचंद्र की बात को गंभीरता से लिया और अपनी गायकी पर और ज़्यादा मेहनत शुरू कर दी। और आखिरकार सी रामचंद्र की बात सच भी साबित हुई।
अपने लाइव शोज़ से ही अनूप जलोटा ने देश और दुनिया में अपना ऊंचा मुकाम बना लिया। वैसे फिल्मों में भी इन्होंने काफी गीत गाए हैं।
दूसरी कहानी
अनूप जलोटा का जन्म 29 जुलाई 1963 को नैनीताल में हुआ था। इनके जन्म की कहानी भी कुछ कम रोचक नहीं है।
अनूप अपनी माता के गर्भ में ही थे जब इनके पिता इनकी माता को साथ लेकर गर्मियों की छुट्टियों में नैनीताल घूमने गए थे
और फिर नैनीताल में ही अनूप जी का जन्म हो गया। इनके पिता पंडित पुरुषोत्तम दास जलोटा जी भी शास्त्रीय संगीत जगत का बहुत बड़ा नाम थे।
पंडित पुरुषोत्तम दास जलोटा जी भजन गायकी की बड़ी हस्ती माने जाते थे। अनूप जी के दो भाई विनोद जलोटा और अजय जलोटा व दो बहनें अंजली धीर और अनिता मेहरा हैं।
और कमाल की बात ये है कि अपने सभी भाई-बहनों में अनूप जी इकलौते ऐसे हैं जो संगीत की दुनिया में सक्रिय हुए व अपना इतना बड़ा नाम बनाया। बताया जाता है कि इनके भाई अजय जलोटा अमेरिका में रहते हैं।
अनूप जी का बचपन लखनऊ में गुज़रा है। लखनऊ में इनके पिता अपने परिवार के साथ RSS के कार्यालय में रहा करते थे।
और वहीं रहते हुए ही इनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से होती रहती थी। वाजपेयी जी अक्सर इन्हें अपने साथ संघ की शाखा में ले जाया करते थे।
और ये वहां रोज़ सुबह वंदे मातरम गाया करते थे। लखनऊ में रहने के दौरान ही आरएसएस के कई दूसरे बड़े नेताओं संग भी इनकी जान-पहचान हो गई थी।
तीसरी कहानी
अनूप जलोटा गायक ही नहीं, बल्कि एक अदाकार भी हैं। अनूप जलोटा ने पहली दफा साल 2021 में रिलीज़ हुई फिल्म सत्य सांई बाबा में अदाकारी की थी।
और आपको जानकर हैरानी होगी कि सत्य सांई बाबा ने खुद इस बात के संकेत दिए थे कि एक दिन अनूप जलोटा फिल्म में उनका किरदार निभाएंगे।
अनूप जलोटा ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा सत्य सांई बाबा के सानिध्य में गुज़ारा था। अनूप जी सत्य सांई बाबा के आश्रम में भजन गाया करते थे।
साथ ही वो सत्य सांई बाबा के शिष्यों को संगीत की दीक्षा भी दिया करते थे। सत्य सांई बाबा अनूप जी से बहुत प्रभावित थे। वो अक्सर इन्हें छोटे बाबा कहकर पुकारा करते थे।
अनूप जी सत्य सांई बाबा से पूछते थे कि आप मुझे छोटे बाबा क्यों कहते हैं। इस पर सत्य सांई बाबा जवाब देते थे कि वक्त आने पर तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा।
फिर जब साल 2021 में अनूप जलोटा ने सत्य सांई बाबा के जीवन पर बनी फिल्म में इनका किरदार जिया तो इन्हें अहसास हो गया कि बाबा जी इन्हें छोटे बाबा क्यों कहा करते थे।
चौथी कहानी
अनूप जलोटा किशोर कुमार के बहुत बड़े फैन रहे हैं। किशोर दा भी अनूप जलोटा के हुनर के मुरीद थे और इनकी बहुत इज्ज़त किया करते थे।
किशोर दा और अनूप जलोटा से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा कुछ यूं है कि एक दफा अनूप जलोटा ने किशोर दा को फोन किया और उनसे कहा कि मैं एक फिल्म का म्यूज़िक बना रहा हूं। आपको उस फिल्म में मेरे लिए एक गीत गाना होगा।
किशोर दा ने अनूप जी से कहा कि तुम घर आ जाओ। आराम से बैठकर बात करेंगे। अनूप जी अगले दिन किशोर दा के घर पहुंचे।
अनूप जी को देखकर किशोर दा अपने बेटे अमित कुमार से बोले,"इनके पैर छुओ। ये वही हैं जिनके भजन हम रोज़ सुबह सुनते हैं।" अमित कुमार ने तुरंत अनूप जी के पैर छुए।
फिर किशोर दा ने अनूप जी की बात पूरी सुनी। और अचानक किशोर दा ने अनूप जी से कहा,"यार मैं तुम्हारे लिए गाना नहीं गा सकता।" ये सुनकर अनूप जलोटा थोड़ा परेशान हुए।
उन्होंने किशोर दा से इसकी वजह पूछी तो किशोर दा ने कहा कि तुम क्लासिकल म्यूज़िक वाले हो। तुम मुझसे क्लासिकल स्टाइल में गवाओगे। और मैं फिलहाल क्लासिकल गाने के मूड में नहीं हूं।
तब अनूप जी ने कहा कि आप इसकी फिक्र मत कीजिए। मैं तो फिल्मी गीत बना रहा हूं। और जो गीत मैं आपसे गवाना चाहता हूं वो एकदम आपके स्टाइल का गीत है।
ये सुनकर किशोर दा ने आखिरकार अनूप जी के लिए गाने की हामी भर दी। वो फिल्म जिसके लिए अनूप जलोटा ने किशोर दा से गीत गवाया था वो थी साल 1986 में रिलीज़ हुई पत्तों की बाज़ी।
और किशोर दा ने जो गीत गाया था उस गीत का टाइटल था नहीं दूर मंज़िल। यूट्यूब पर ये गीत मौजूद है। आप चाहें तो इस गीत को सुन भी सकते हैं।
पांचवी कहानी
एक दफा अनूप जी को महान लता मंगेशकर जी से कुछ काम पड़ा। लता जी से अनूप जी की फोन पर बात हुई और एक तय वक्त पर उन्होंने अनूप जी को महबूब स्टूडियो में आने को कहा।
अनूप वक्त पर महबूब स्टूडियो पहुंचे और उनकी लता जी से मुलाकात भी हो गई। मुलाकात खत्म करके जब अनूप वापस जा रहे थे तो लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल दोनों ने अनूप जी को बुलाया और चाय पीकर जाने को कहा।
उनके कहने पर अनूप जी रुक गए। उस दिन लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल लता जी के साथ एक गीत की रिकॉर्डिंग कर रहे थे। गीत की रिकॉर्डिंग खत्म होने के बाद लता जी अपने घर चली गई।
उनके जाने के बाद लक्ष्मीकांत जी ने अनूप जी से उस गीत में एक लाइन गाने की गुज़ारिश की। अनूप जी ने उनकी गुज़ारिश पर वो एक लाइन गा भी दी।
लक्ष्मीकांत जी ने जब अनूप जी को वो एक लाइन गाने के एवज में कुछ पैसे देने चाहे तो अनूप जी ने पैसे लेने से मना कर दिया और कहा ये तो एक इत्तेफाक था जो मैं यहां आ गया और आपने मुझसे ये लाइन गवा दी।
इसके लिए पैसे मैं नहीं ले पाऊंगा। लेकिन अगर आप किसी दिन मुझे फोन करके स्पेशली कोई गीत रिकॉर्ड करने बुलाएंगे तब मैं पैसे ले लूंगा। इसके बाद अनूप जी अपने घर लौट आए।
फिल्म रिलीज़ हुई और वो गाना बेहद सुपरहिट हुआ। उस गाने के लिए अनूप जी को उनके जीवन का पहला गोल्डन डिस्क फिल्मी अवॉर्ड मिला।
और जानते हैं वो फिल्म कौन सी थी जिसमें अनूप जी ने वो गीत गाया था? वो फिल्म थी साल 1981 में रिलीज़ हुई रति अग्निहोत्री और कमल हासन स्टारर एक-दूजे के लिए।
और अनूप जी ने लता जी के गाए जिस शानदार गीत में एक लाइन गाई थी वो था 'ऐ प्यार तेरी पहली उमर को सलाम।'
छठी कहानी
अनूप जलोटा महज़ सात साल के ही थे जब इनकी संगीत की ट्रेनिंग शुरू हो गई थी। इनके पिता पंडित पुरुषोत्तम दास जलोटा ही इनके गुरू भी थे।
यूं तो अनूप जी के पिता अपने सभी बच्चों से बेहद प्रेम करते थे। लेकिन बात जब संगीत की आती थी तो वो बेहद सख्त हो जाते थे।
अनूप जी को अपने पिता की ये सख्ती इसलिए झेलनी पड़ी थी क्योंकि इनके बाकी भाई-बहनों को संगीत सीखने में बहुत अधिक दिलचस्पी नहीं थी।
सात साल की छोटी उम्र में ही अनूप जी ने अपनी पहली स्टेज परफॉर्मेंस दी थी। उस दिन जन्माष्टमी का दिन था और लखनऊ पुलिस लाइन में एक भजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
उसी कार्यक्रम में इनके पिता ने इन्हें स्टेज पर परफॉर्म करने भेज दिया। स्टेज पर इनके साथ दिग्गज तबला वादक उस्ताद मुन्ने खां साहब थे।
उस वक्त इनके पिता को लग रहा था कि चूंकि ये इनकी पहली परफॉर्मेंस है तो हो सकता है कि ये थोड़ा नर्वस हों।
लेकिन इसके विपरीत अनूप जी बिना किसी परेशानी या नर्वसनेस के स्टेज पर भजन गाते रहे। और भजन सुनने आए श्रद्धालुओं ने भी नन्हे अनूप जलोटा को जमकर सराहा।
उसी दिन इनके पिता को अहसास हो गया था कि अनूप जी लाइव शोज़ में बहुत बढ़िया नाम कमाने वाले हैं। इसके बाद इनकी ट्रेनिंग और बेहतर तरीके से शुरू कर दी गई।
सातवीं कहानी
अनूप जी का शुरुआती जीवन लखनऊ में बीता। अनूप जी ने लखनऊ के ही भातखंडे संगीत महाविद्यालय से शास्त्रीय संगीत में बीए किया था।
हालांकि इनका बीए कंप्लीट भी नहीं हुआ था जब इनके पिता पंडित पुरुषोत्तम दास मुंबई शिफ्ट हो गए थे और वो वहां भजन कार्यक्रम करने लगे थे। उनको सफलता मिली तो उन्होंने मुंबई के कोलाबा इलाके में एक घर भी खरीद लिया।
फिर उन्होंने अनूप जी से कहा कि जब तुम्हारी ग्रेजुएशन कंप्लीट हो जाए तब तुम भी मुंबई आ जाना। लेकिन ग्रेजुएशन कंप्लीट किए बिना मुंबई आने के बारे में सोचना भी मत।
अनूप जी ने ऐसा ही किया और भातखंडे से संगीत में बीए कंप्लीट करने के बाद सन 1973 में ये मुंबई आ गए।
मुंबई आने के बाद इन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में बतौर कोरस गायक नौकरी शुरू कर दी। ये तीस कोरस गायकों के एक ग्रुप का हिस्सा थे जो ऑल इंडिया रेडियो के लिए गायन करता था।
और इन्हें तीन सौ बीस रुपए महीना तनख्वाह मिला करती थी। अनूप जी ने वो नौकरी लगभग दो ढाई साल तक की। फिर जब मनोज कुमार ने अपनी फिल्म शिरडी के सांई बाबा की शुरू तो उन्होंने अनूप जी से उस फिल्म में चार गीत रिकॉर्ड कराए।
और यही अनूप जी के करियर के लिए टर्निंग पॉइन्ट साबित हुआ। शिरडी के सांई बाबा फिल्म में गाए अनूप जी के गीतों को बहुत पसंद किया गया। फिल्म जगत में इनको पहचान मिल गई और फिर इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अनूप जी हमेशा इस बात को कहते हैं कि इन्हें शिरडी के सांई बाबा का भरपूर आशीर्वाद मिला है। इसिलिए इन्हें इतनी जल्दी और इतनी बड़ी सफलता मिल गई। साथ ही मनोज कुमार जी को अनूप जलोटा अपना गॉडफादर भी मानने लगे।
आठवीं कहानी
अनूप जी की निजी ज़िंदगी पर नज़र डालें तो हमें पता चलता है कि इन्होंने तीन दफा शादी की है। इनकी पहली पत्नी थी सोनाली सेठ।
बताया जाता है कि सोनाली सेठ अनूप जी की शिष्या थी। और फिर जब अनूप जी ने परिवार के खिलाफ जाकर सोनाली सेठ से शादी कर ली तो वो इनके साथ स्टेज पर लाइव गाने लगी।
एक वक्त पर अनूप और सोनाली जलोटा उत्तर भारत में अपनी भजन गायकी के लिए बेहद मशहूर हुए थे। लेकिन आगे चलकर दोनों के बीच मतभेद हो गए और दोनों ने तलाक ले लिया।
सोनाली सेठ के बाद अनूप जलोटा ने बीना भाटिया से शादी की। ये शादी इनके माता-पिता की मर्ज़ी से हुई थी। हालांकि अनूप जी की ये शादी भी सफल नहीं रही और जल्द ही बीना भाटिया से इनका तलाक हो गया।
अनूप जी ने तीसरी दफा शादी की मेधा गुजराल से जो कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की भतीजी थी। मेधा जी से अनूप जी के मिलने की कहानी बेहद दिलचस्प है।
अनूप जी के पंडित जसराज से बहुत अच्छे संबंध थे। ये अक्सर उनसे मिलने उनके पास जाते रहते थे। मेधा उन दिनों पंडित जसराज से संगीत सीख रही थी।
वहां एक-दो दफा अनूप जी और मेधा जी की मुलाकात हुई। पंडित जसराज व बाकी सहपाठियों संग एक दफा मेधा जी अनूप जलोटा जी के घर भी आई थी।
इस वक्त तक अनूप जी के मन में मेधा जी को लेकर किसी तरह की भावनाएं पैदा नहीं हुई थी। इसलिए अनूप जी ने मेधा जी पर कोई ध्यान नहीं दिया।
लेकिन जब एक दिन अपनी एक दोस्त के ज़रिए अनूप जी को पता चला कि मेधा रोज़ सुबह जुहू बीच पर मॉर्निंग वॉक के लिए जाती हैं तो अनूप जी के मन में मेधा जी के लिए क्यूरोसिटी बढ़ी।
उसी दोस्त ने अनूप जी को बताया कि शेखर कपूर से तलाक के बाद मेधा जी अकेले ही रहती हैं। अनूप जी ने अपनी उस दोस्त से मेधा की का नंबर लिया और उन्हें फोन किया।
अनूप जी ने मेधा जी को अपने घर दावत पर बुलाया। और जब मेधा आई तो पहली ही मीटिंग में अनूप जी ने मेधा जी को प्रपोज़ कर दिया।
एक इंटरव्यू में इस घटना के बारे में बात करते हुए अनूप जी ने बताया था कि उस दिन उन्हें ऐसा लग रहा था कि मेधा जी ही है जो उनके लिए बनी है।
वो मेधा जी को अपनी ज़िंदगी में लाने के लिए बेचैन हो उठे। मेधा जी ने अनूप जी को तुरंत हां नहीं कही। उन्होंने लगभग दस दिनों बाद अनूप जी का प्रपोज़ल स्वीकार किया था।
इन दस दिनों तक मेधा जी ने अनूप जी के बारे में काफी छानबीन की। और वो भी सिर्फ इसलिए कि अनूप जी के साथ शादी करना उनके लिए किसी तरह से नुकसानदायक तो साबित नहीं होगा।
लेकिन जब वो कन्फर्म हो गई की अनूप जलोटा बढ़िया इंसान हैं तो वो अनूप जलोटा जी से शादी करने के लिए राज़ी हो गई। अनूप जलोटा और मेधा गुजराल की शादी पूरे 22 साल चली।
इन दोनों का एक बेटा भी है जिसका नाम आर्यमान है और फिलहाल वो अमेरिका में रहकर पढ़ाई कर रहा है। 25 नवंबर साल 2014 में अमेरिका के न्यूयॉर्क में मेधा गुजराल की रीनल फेलियर के चलते मृत्यू हो गई।
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