Jack Gaud | 90s का एक खूंखार Bollywood Villain जो बहुत जल्दी मौत का शिकार हो गया | Bioigraphy

Jack Gaud. अस्सी दशक के आखिरी सालों और नब्बे के पूरे दशक में आपने इन्हें बॉलीवुड फिल्मों में विलेन के तौर पर खूब देखा होगा। लंबी-चौड़ी कदकाठी वाले जैक गॉड आए तो थे फिल्मों में हीरो बनने। लेकिन एक फिल्म को छोड़कर इन्हें किसी भी फिल्म में हीरो का रोल नहीं मिला। और ये केवल एक साइड विलेन बनकर ही रह गए।

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Jack Gaud Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan की इस पेशकश में आज Jack Gaud की कहानी कही जाएगी। जो Indian Navy की नौकरी छोड़कर फिल्मों में काम करने मुंबई आ गए थे। लेकिन Jack Gaud कभी भी अपनी वो ख्वाहिश पूरी नहीं कर पाए, जिसे लेकर वो Bollywood में आए थे।

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Jack Gaud का शुरूआती जीवन

जैक गॉड का जन्म सन 1958 में राजस्थान के झुंझनू ज़िले के खेत्री नगर कस्बे के शिमला गांव में हुआ था। बचपन से ही जैक को फिल्में देखने का बेहद शौक था। ये भी बड़े होकर हीरो बनना चाहते थे। लेकिन इनके घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल था और इनके घर से कई लोग भारतीय सेना में थे। 

सो बचपन की ख्वाहिश को दिल में दबाकर ये पढ़ाई करने लगे और आखिरकार साल 1977 इन्हें इंडियन नेवी में सेवा करने का मौका मिल गया। इन्होंने इंडियन नेवी जॉइन तो कर ली, लेकिन अब भी इनके बचपन का ख्वाब इनके दिल में कहीं दबा था।

ये थी Jack Gaud की पहली फिल्म

अस्सी के दशक के शुरूआती साल में इन्होंने अपना ख्वाब पूरा करने के लिए इंडियन नेवी की अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फिल्मों में हीरो बनने के लिए ये मुंबई आ गए। जैक गॉड लंबी चौड़ी कदकाठी के मालिक थे। सो जो भी फिल्ममेकर इन्हें देखता था वो इनसे इंप्रैस ज़रूर होता था। अपनी इसी पर्सनैलिटी के दम पर इन्हें साल 1984 में पहली दफा एक फिल्म में काम करने का मौका मिला। 

ये फिल्म थी इंसाफ कौन करेगा। इस फिल्म में धर्मेंद्र और रजनीकांत लीड रोल्स में थे। वहीं प्राण और अमरीश पुरी जैसे धाकड़ कलाकार भी इस फिल्म में थे। जैक गॉड इस फिल्म में जागीरा यानि प्राण के गैंग के गुंडे बने थे। अपनी पहली ही फिल्म से जैक गॉड सिने प्रेमियों की नज़रों में चढ़ गए।

भूतिया फिल्मों में भी नज़र आए Jack Gaud

जैक गॉड के करियर की दूसरी फिल्म थी साल 1985 में रिलीज़ हुई थ्रीडी सामरी। रामसे ब्रदर्स की ये फिल्म यूं तो अनिरुद्ध अग्रवाल को सेंटर में रखकर बनाई गई थी। लेकिन भीषण के धीर गंभीर और वफादार सिपहसालार के किरदार में जैक गॉड भी दर्शकों की वाहवाही हासिल करने में कामयाब रहे। 

इस फिल्म में जैक गॉड के लुक्स की काफी चर्चा हुई थी। एक नया-नवेला एक्टर इतनी शानदार एक्टिंग करेगा, ऐसा तो खुद रामसे ब्रदर्स ने भी नहीं सोचा था। लेकिन जैक गॉड ने अपनी एक्टिंग से हर किसी को हैरान कर दिया।

छोटे-मोटे गुंडे के किरदारों तक सीमित हुए जैक गॉड

इनकी अगली बड़ी फिल्म थी 1987 में रिलीज़ हुई वतन के रखवाले। धर्मेंद्र मिथुन और सुनील दत्त  जैसे बड़े सितारों की मौजूदगी में जैक गॉड को किसी ने नोटिस नहीं किया। करते भी कैसे। जैक गॉड का किरदार में इसमें केवल एक मामूली गुंडे का किरदार था, जो पूरी फिल्म में केवल दो चार दफा ही दिखा था। 

जैक गॉड को जानने वाले लोगों का कहना है कि यहीं से जैक गॉड के हीरो बनने का सपना टूटना शुरू हो गया। इसके बाद उन्हें फिल्मों में साइड विलेन और किसी छोटे-मोटे गुंडे के किरदार ही मिले। लेकिन एक फिल्म ऐसी भी थी, जिसने जैक गॉड का हीरो बनने का सपना पूरा किया था।

जैक गॉड के करियर की बड़ी फिल्में

अगले साल जैक गॉड नज़र आए उस साल की सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म गंगा जमुना सरस्वती में। लेकिन इस फिल्म में भी जैक गॉड को एक गुंडे का किरदार दिया गया था। इसी साल एक और फिल्म आई थी जिसका नाम था मालामाल। इस फिल्म में नसीरूद्दीन शाह लीड रोल में थे। 

इस फिल्म में एक क्रिकेट मैच का सीन था जिसमें जैक गॉड तेज़ गेंदबाज़ बने थे। बैटिंग कर रहे नसीरूद्दीन शाह जैक गॉड की गेंदों की खूब धुनाई करते हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आता है जब जैक गॉड नसीरुद्दीन को ऐसे-ऐसे बाउंसर मारते हैं कि उनके पास जैक की बाउंसर्स का कोई जवाब नहीं बचता।

इस फिल्म में हीरो बने थे जैक गॉड

साल 1992 तक जैक गॉड लगभग 22 फिल्मों में काम कर चुके थे और उनका हीरो बनने का सपना लगभग टूट चुका था। जैक गॉड ने भी हीरो के रोल के लिए कोशिशें करना बंद कर दिया था। 

लेकिन इसी साल यानि 1992 में डायरेक्टर सुनील कुमार को अपनी फिल्म जंगल का बेटा के लिए एक ऐसे हीरो की ज़रूरत पड़ी, जो कद काठी में लंबा चौड़ा हो और जिसकी फिज़ीक टार्जन के जैसी हो। 

इत्तेफाक से जैक गॉड में सुनील कुमार को अपनी फिल्म के हीरो की हर खूबी नज़र आई और इस तरह जैक गॉड अपने करियर की पहली और आखिरी फिल्म में बतौर हीरो नज़र आए।

किस्मत में था ही नहीं हीरो बनना

जंगल का बेटा 1 जनवरी 1992 को रिलीज़ हुई थी। वैसे तो ये फिल्म ज़ोर- शोर से रिलीज़ की गई थी लेकिन कमज़ोर कहानी और लचर डायरेक्शन के चलते ये फिल्म दर्शकों को खास पसंद नहीं आई। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही। और इस तरह जैक गॉड के हीरो बनने के ख्वाब पर पानी फिर गया। 

हालांकि एक्टिंग से जैक गॉड का लगाव खत्म नहीं हुआ। वो आगे भी फिल्मों में काम करते रहे। बहुत कम लोग ही ये बात जानते होंगे  कि सुनील कुमार ने जैक गॉड के साथ बतौर हीरो  एक और फिल्म में काम करने का ऐलान किया था। इस फिल्म का नाम काली था। हालांकि जंगल का बेटा के फ्लॉप होने के बाद इस फिल्म का कभी कोई ज़िक्र नहीं हुआ।

ये थी जैक गॉड की प्रमुख फिल्में

जैक गॉड साइड विलेन और विलेन के गुर्गे के तौर पर फिल्मों में काम करते जा रहे थे। अपने फिल्मी करियर में इन्होंने तेज़ाब, तूफान, शहज़ादे, क्रोध, बंद दरवाज़ा, धरम संकट, तहलका, प्रतिकार, अपराधी, फूल और अंगार, युगांधर, सुहाग, हम दोनों, वीरगति, साजन चले ससुराल, कोयला, मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी, चांडाल, लाल बादशाह, कारतूस, गंगा की कसम, जुड़वा, वास्तव, सुल्तान, और जस्टिस चौधरी जैसी बड़ी फिल्मों में काम किया। 

अपने करियर में इन्होंने लगभग 80 फिल्मों में काम किया। लेकिन इन सभी में ये गुंडे बदमाश के किरदारों में ही नज़र आए। इनके निभाए सबसे यादगार किरदारों में करण अर्जुन का शमशेर सिंह और वास्तव का फ्रैक्चर बांड्या का किरदार है। जैक गॉड को हमेशा इनके इन किरदारों के लिए याद किया जाएगा।

कमाए थे बढ़िया पैसे

अपने करियर में जैक गॉड ने अपने दौर के हर  बड़े सितारे के साथ काम किया। एक्टिंग जगत में जैक बिना ब्रेक के काम करते रहे। 1984 में अपनी पहली फिल्म से लेकर सन 2000 में अपनी आखिरी फिल्म तक जैक हर साल कम से कम एक या दो फिल्मों में तो नज़र आ ही जाते थे। 

फिल्मों से मिले पैसों से जैक गॉड ने मुंबई में अपना खुद का घर बनाया। और उसी घर में ये अपने परिवार के साथ रहा करते थे। कहा जाता है कि सन 2000 के आस-पास मुंबई शहर में  इन्होंने करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी बना ली थी।

और दुनिया से चले गए जैक

8 जून सन 2000 के दिन की बात है। दोपहर का समय था। जैक गॉड अपने घर में बैठे थे। इन्हें अचानक एक बेहद तेज़ दिल का दौरा पड़ा और इनकी मौत हो गई। जिस समय इनकी मौत हुई थी उस समय इनकी उम्र मात्र 41 साल ही थी। जैक गॉड के इस तरह अचानक दुनिया से चले जाने पर पूरा बॉलीवुड जगत हैरान था। देशभर के सिनेप्रेमी सकते में थे। और हर कोई दुखी था।

ऐसी थी इनकी निजी ज़िंदगी

जैक गॉड की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें  तो इनके परिवार में इनकी पत्नी के अलावा दो बेटे हैं। इनका बड़ा बेटा अमित जैक गॉड भी इनकी ही तरह एक एक्टर  है। जैक गॉड भले ही इस दुनिया से बेहद कम उम्र में चले गए हों। लेकिन उनकी फिल्मों ने उन्हें इस देश के सिने प्रेमियों के दिलों में हमेशा के लिए अमर कर दिया है। Meerut Manthan और उसके सभी पाठकों की तरफ से Jack Gaud को सैल्यूट है।

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