M.S.Shinde Sholay Editor | शोले जैसी कालजयी फिल्म को एडिट करने वाले का अंत बेहद दुखद रहा | Biography

शोले भारतीय सिनेमा की वो फिल्म है जिसे भारत के हर सिने प्रेमी ने एक से ज़्यादा बार देखा है। इस फिल्म ने सफलता के शिखर पर अपना नाम दर्ज किया। शोले से जुड़ी ढेरों कहानियां हैं जो बेहद रोचक है और अनसुनी हैं। 

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M.S.Shinde Sholay Editor Biography - Photo: Social Media

इस फिल्म से जुड़े हर शख्स को इंडस्ट्री और जनता की तरफ से बेशुमार प्यार मिला। लेकिन इसी फिल्म से जुड़ा एक शख्स ऐसा भी था जिसे बुढ़ापे में बेतहाशा ग़रीबी और मुसीबतों का सामना करना पड़ा। और उन्हीं मुसीबतों से लड़ते हुए ही वो शख्स ये दुनिया भी छोड़ गया।

Meerut Manthan पर आज कही जाएगी शोले फिल्म को इकलौता फिल्मफेयर अवॉर्ड दिलाने वाले फिल्म एडिटर एमएस शिंदे की कहानी। एमएस शिंदे की ये कहानी आप दर्शकों को बताना ज़रूरी है। क्योंकि आपको फिल्म इंडस्ट्री के इस स्याह पहलू की जानकारी भी होनी ही चाहिए। M.S.Shinde Sholay Editor.

शानदार रहा था करियर

एमएस शिंदे जी ने फिल्म एडिटिंग में अपना करियर साठ के दशक में शुरू किया था। वो नामी प्रोड्यूसर जीपी सिप्पी जी के साथ जुड़े थे और उनके साथ रहते हुए एमएस शिंदे जी ने उनकी कई फिल्मों को एडिट किया। ब्रह्मचारी, सीता और गीता, शान, शोले और कई दूसरी फिल्में थी जो सिप्पी फिल्म्स के लिए शिंदे जी ने एडिट की थी। 

उस ज़माने में सिप्पी फिल्म्स से इन्हें दो हज़ार रुपए महीना पगार मिला करती थी। सिप्पी फिल्म्स के अलावा भी एमएस शिंदे जी ने कई दूसरे नामी प्रोड्यूसर्स के साथ काम किया। 

कमाल अमरोही के लिए शिंदे जी ने रज़िया सुल्ताना फिल्म डायरेक्ट की थी। आई एस जौहर के लिए बेवकूफ एडिट की थी। सुल्तान अहमद के लिए गंगा की सौगंध एडिट की। व और भी जाने कितनी ही फिल्में एमएस शिंदे जी ने एडिट की थी।

शोले को भी किया था एडिट

फिल्म शोले की तीन लाख फीट की रील को एमएस शिंदे जी ने ही एडिट करके पूरी फिल्म 18 हज़ार फीट में बनाई थी। यूं तो शोले को कई कैटेगरीज़ के फिल्मफेयर अवॉर्ड का नॉमिनेशन मिला था। लेकिन शोले को मिला इकलौता फिल्मफेयर अवॉर्ड बेस्ट एडिटिंग का अवॉर्ड था जो कि एमएस शिंदे जी को ही मिला था। 

ये एमसएस शिंदे ही थे जिन्होंने एक ज़माने के दूरदर्शन के बेहद लोकप्रिय शो बुनियाद की एडिटिंग की थी। एमएस शिंदे जी ने अपने करियर में सोहनी महिवाल, शक्ति, सागर और चमत्कार जैसी फिल्मों को भी एडिट किया था। एमएस शिंदे के करियर की आखिरी फिल्म थी साल 1995 में आई शाहरुख और रवीना टंडन की ज़माना दीवाना। इसके बाद एमएस शिंदे फिल्म इंडस्ट्री से रिटायर हो गए।

और आ गया बुरा वक्त

एमएस शिंदे जी का जीवन एकदम सही चल रहा था। वो मुंबई के परेल इलाके की एक बिल्डिंग में मौजूद अपने फ्लैट में अपनी छोटी बेटी अचला के साथ रह रहे थे। अचला से बड़ी अपनी दोनों बेटियों की वो पहले ही शादी कर चुके थे। लेकिन एक दिन इनकी बिल्डिंग ढह गई। 

और बस यहीं से एमएस शिंदे जी का बुरा वक्त शुरू हो गया। बुढ़ापे के चलते बीमार तो वो पहले ही रहते थे। लेकिन घर तबाह होने के बाद उन्हें धारावी की झुग्गियों के एक कमरे में रहने जाना पड़ा। धारावी में आकर शिंदे और भी ज़्यादा बीमार हो गए। उनका ज़्यादातर वक्त अपने बिस्तर पर ही गुज़रता था। 

उनकी छोटी बेटी अचला ही उनकी देखभाल करती थी। अचला जो कि अपना खुद का एक छोटा सा केक बिजनेस चलाती हैं, उन्होंने अपने पिता की देखभाल करने के लिए शादी तक नहीं की। उनकी बड़ी बहनें जितना हो सकता था, उतना मदद करती रही। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से एमएस शिंदे जी को कोई मदद नहीं मिली।

क्या-क्या नहीं झेला

शिंदे जी ने एक दफा मदद के लिए फिल्म एडिटर्स असोसिएशन को चिट्ठी लिखी थी। उस वक्त वहां से इन्हें पांच हज़ार रुपए की मदद मिली थी। लेकिन उसके बाद फिर कभी दोबारा कोई मदद वहां से नहीं आई। 

एक दिन किसी ने शिंदे जी से सवाल किया कि वो किसी बड़े स्टार के पास मदद के लिए क्यों नहीं गए? इस सवाल के जवाब में शिंदे जी ने कहा कि एक्टर्स केवल पैसे के लिए काम करते हैं। फिर चाहे वो अमिताभ बच्चन हों, जया बच्चन हों या कोई और हों। 

वो किसी और की मदद के लिए क्यों काम करेंगे? और मैं भी उनसे मदद मांगने क्यों जाऊं? एक इंटरव्यू में एमएस शिंदे की जी बेटी अचला ने बताया था,"ऐसा कई दफा हुआ था जब कुछ प्रोड्यूसर्स ने मेर पिता से काम कराया लेकिन पैसे नहीं दिए। बुरे वक्त में भी उन लोगों ने मेरे पिता के पैसे नहीं दिए।" 

राज ठाकरे ने की मदद

शिंदे की के बुरे वक्त में उनकी मदद के लिए अगर कोई आगे आया था तो वो थी महाराष्ट्र नवनिर्माण चित्रपट कर्मचारी सेना जो कि जाने-माने पॉलिटिशियन राज ठाकरे जी की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का ही एक हिस्सा है। 

उनकी तरफ से ही शिंदे जी की आंखों के ऑपरेशन के लिए 51 हज़ार रुपए दिए गए थे। और उन्होंने ही शिंदे जी के इलाज के बाकी खर्च भी उठाए थे। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से कोई भी एमएस शिंदे जी की मदद के लिए आगे नहीं आया। 

जबकी पूरी फिल्म इंडस्ट्री जानती थी कि एम एस शिंदे जी काफी बुरे वक्त से गुज़र रहे हैं। 28 सितंबर 2012 को बुरे वक्त से जूझते हुए ही एमएस शिंदे जी ने ये दुनिया छोड़ दी। लेकिन अपने पीछे वो अपनी कहानी छोड़ गए। जो ये बताती है कि फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े और नामी कलाकार केवल फिल्मों तक ही हमदर्द और मसीहा होते हैं। 

असल ज़िंदगी में ये आम इंसानों से भी ज़्यादा छोटे दिल के होते हैं। भारतीय सिनेमा में शानदार योगदान के लिए Meerut Manthan M.S.Shinde जी को नमन करता है और उन्हें एक बड़ा सैल्यूट पेश करता है। जय हिंद।

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