Shabana Azmi | 05 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाली शानदार Actress की जानदार कहानी | Biography

Shabana Azmi. भारतीय सिनेमा की वो अभिनेत्री, जिसने कॉमर्शियल फिल्मों से लेकर आर्ट फिल्मों तक अपनी एक्टिंग का लोहा हर किसी से मनवाया। 

अपने दौर के महान शायर कैफी आज़मी के घर जन्म लेने वाली शबाना आज़मी ने केवल सिल्वर स्क्रीन ही नहीं, बल्कि थिएटर और टेलिविज़न पर भी अपने हुनर का जलवा बिखेरा। 

पहली ही फिल्म के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड हासिल करने वाली शबाना आज़मी ने रिकॉर्ड 5 दफा ये कारनामा किया जब उन्हें नेशनल फिल्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

shabana-azmi-biography
Shabana Azmi Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan पर आज पेश है Indian Cinema की बेहद दमदार अभिनेत्री Shabana Azmi की कहानी। Shabana Azmi की ज़िंदगी के कई पहलुओं से आज हम आपको रूबरू कराएंगे।

ये भी पढ़ें: Jack Gaud | 90s का एक खूंखार Bollywood Villain जो बहुत जल्दी मौत का शिकार हो गया | Bioigraphy

Shabana Azmi की शुरूआती ज़िंदगी

शबाना आज़मी का जन्म हुआ था 18 सितंबर 1950 को हैदराबाद में। इनके पिता कैफी आज़मी एक जाने-माने उर्दू शायर थे। आज़ादी के बाद भारत में उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार में कैफी आज़मी के योगदान को काफी सराहा जाता है। 

वहीं शबाना आज़मी की मां शौकत कैफी आज़मी भी अपने दौर की दिग्गज अभिनेत्री थी। कहा जा सकता है कि कला और साहित्य का माहौल शबाना को बचपन में ही मिल गया था। लेकिन ये भी सच है कि कला के क्षेत्र के दो बड़े नाम होने के बावजूद भी शबाना आज़मी के माता-पिता कोई खास अमीर नहीं थे।

ग़रीब थे Shabana Azmi के माता-पिता

कैफी आज़मी कम्यूनिस्ट पार्टी के मेंबर थे और एक छोटे से कमरे में रहकर अपनी कमाई का ज़्यादातर हिस्सा वो पार्टी को दान कर दिया करते थे। अपने परिवार के साथ ये जिस बिल्डिंग में रहती थी वहां कई परिवार रहा करते थे। 

पूरी बिल्डिंग में केवल एक ही टॉयलेट था और एक बाथरूम था। शबाना आज़मी जब थोड़ी बड़ी हुई तो इनके पिता ने इन्हें मुंबई के गोवंडी स्थित एक सरकारी स्कूल में दाखिल करा दिया। लेकिन शबाना आज़मी को वो स्कूल ज़रा भी पसंद नहीं था। ये रोते हुए वहां जाया करती थी।

इस तरह Shabana Azmi को मिला दूसरे स्कूल में दाखिला

एग्जाम्स हुए तो इनके पिता को मालूम चला कि इन्हें हर विषय में ज़ीरो मार्क्स मिले हैं। इसके बाद इनके पिता ने फैसला कर लिया कि चाहे जितनी भी मेहनत क्यों ना करनी पड़े, वो इन्हें एक अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाएंगे। 

इनके पिता ने इनका दाखिला क्वींस मैरीज़ स्कूल में कराने का सोचा। लेकिन इसमें एक परेशानी थी। और वो ये कि उस स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों के माता-पिता को अंग्रेजी आनी ज़रूरी थी। 

जबकी शबाना के माता-पिता का अंग्रेजी से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। तब कैफी आज़मी के एक दोस्त अपनी पत्नी के साथ शबाना को अपनी बेटी बताकर उस स्कूल ले गए और इनका दाखिला उस स्कूल में कराया।

फारुख शेख संग Shabana Azmi ने की कॉलेज की पढ़ाई

एक्टिंग की शुरूआत शबाना ने अपने बचपन में ही कर दी थी। ये स्कूल में होने वाले नाटकों में हिस्सा लेने लगी थी। फिर कॉलेज में इन्होंने थिएटर में हिस्सा लेना भी शुरू कर दिया। जिस कॉलेज में शबाना आज़मी पढ़ती थी उसी में फारुख शेख भी पढ़ा करते थे। 

फारुख इनसे एक साल सीनियर थे। फारुख और इनके बीच में कॉलेज के दिनों में अच्छी दोस्ती हो गई थी। कॉलेज में ये साथ ही नाटकों में हिस्सा लिया करते थे। बाद में कुछ फिल्मों में भी इन्होंने साथ काम किया था।

Shabana Azmi की पहली फिल्म

शबाना ने मुंबई के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से साइकॉलोजी मे डिग्री ली और फिर ये फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट पुणे आ गई एक्टिंग का विधिवत प्रशिक्षण लेने के लिए। फिर पुणे से जब इन्होंने अपना एक्टिंग कोर्स पूरा किया तो इन्हें ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म फासला में काम करने का मौका मिल गया। 

इसी के साथ ही कांतिलाल राठौड़ की फिल्म परिणय के लिए भी इन्हें साइन कर लिया गया। लेकिन श्याम बेनेगल की फिल्म अंकुर इनके करियर की पहली रिलीज़्ड फिल्म बनी। इस तरह अंकुर इनकी पहली फिल्म मानी जाती है।

पहली ही फिल्म के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड

इस फिल्म में शबाना आज़मी ने बड़ा ही शानदार काम किया। इनके ज़बरदस्त काम के चलते इन्हें पहली ही फिल्म से नेशनल अवॉर्ड हासिल हो गया। इनकी प्रतिभा का कायल होकर सत्यजीत रे जैसे महान फिल्मकार ने भी कहा था कि शबाना आज़मी भारतीय सिनेमा का उज्जवल भविष्य हैं। 

अपने करियर में शबाना आज़मी ने कई बेहतरीन पैरलल फिल्मों में काम किया। लेकिन साथ ही साथ इन्होंने कमर्शियल फिल्मों में भी खुद को सक्रिय रखा। अपने दौर के हर बड़े स्टार के साथ ये नज़र आई।

शबाना आज़मी की निजी ज़िंदगी

शबाना आज़मी की निजी ज़िंदगी की तरफ रुख करें तो इन्होंने मशहूर शायर जावेद अख्तर से शादी की। हालांकि एक दौर ऐसा भी था जब मीडिया में उनके और शेखर कपूर के अफेयर की चर्चाएं होती थी। लेकिन बाद में वो महज़ एक कोरी अफवाह निकली। 

जावेद अख्तर और शबाना आज़मी की प्रेम कहानी काफी कंट्रोवर्सियल रही। जहां जावेद अख्तर पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे थे तो वहीं शबाना आज़मी कुंवारी थी और उनके पिता कैफी आज़मी नहीं चाहते थे कि शबाना आज़मी जावेद अख्तर के साथ शादी करें।

हनी ईरानी हुई जावेद अख्तर से अलग

शबाना और जावेद की नज़दीकियां उस वक्त बढ़ी जब शबाना के पिता कैफी आज़मी के पास जावेद लिखने की कला सीखने के लिए आते थे। जब हनी ईरानी को शबाना और जावेद के रिश्ते की खबर लगी तो उन्हें बेहद बुरा लगा। 

हनी और जावेद के बीच काफी खटपट होने लगी। लेकिन एक दिन रोज़-रोज़ के इन झगड़ों से हनी ईरानी आजिज़ आ गई और उन्होंने जावेद को शबाना के पास जाने की इजाज़त दे दी। इसके बाद जावेद ने हनी से तलाक ले लिया।

आखिरकार एक हो गए जावेद-शबाना

इस तलाक के बाद जावेद और शबाना की आधी मुश्किलें खत्म हुई थी। अभी भी शबाना आज़मी के पिता कैफी आज़मी इस रिश्ते से कतई नाखुश थे। उन्हें लगता था कि उनकी बेटी शबाना की वजह से जावेद और हनी का तलाक हुआ है। 

वो कतई नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी किसी शादीशुदा इंसान से शादी करे। लेकिन जब शबाना ने अपने पिता को भरोसा दिलाया कि उनकी वजह से जावेद और हनी का रिश्ता नहीं टूटा है तब जाकर कैफी आज़मी ने जावेद और शबाना की शादी को हरी झंडी दिखाई।

शबाना आज़मी की प्रमुख फिल्में

शबाना आज़मी के करियर की प्रमुख फिल्मों की बात करें तो ये नज़र आई अमर अकबर एंथोनी, चोर सिपाही, एक ही रास्ता, हीरा और पत्थर, किस्सा कुर्सी का, खेल खिलाड़ी का, स्वामी, विश्वासघात, देवता, जुनून, स्वर्ग-नरक, लहू के दो रंग, अमर दीप, बगुला भगत, हम पांच, 

थोड़ी सी बेवफाई, स्पर्श, ज्वालामुखी, एक ही भूल, अर्थ, रास्ते प्यार के, नमकीन, अवतार, मंडी, खंडहर, इतिहास, लिबास, रखवाला, मैं आज़ाद हूं, अम्बा, फायर, मृत्युदंड, गॉडमदर, मकड़ी, तहज़ीब, उमराव जान, जज़्बा, नीरजा, चाक एंड डस्टर और काली खुही जैसी लगभग 200 से भी ज़्यादा फिल्मों में। 

शबाना आज़मी ने केवल भारतीय ही नहीं, कुछ इंटरनेशनल फिल्मों में भी काम किया है और इनके काम को काफी सराहा भी गया है। इसके अलावा ये छोटे पर्दे के भी कुछ शोज़ में भी नज़र आ चुकी हैं।

मिले ये सभी अवॉर्ड्स

शबाना आज़मी को मिले अवॉर्ड्स की बात करें तो भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण जैसे सम्मानों से नवाज़ा है। इसके अलावा अंकुश, अर्थ, खंडहर, पार और गॉडमदर जैसी फिल्मों के लिए इन्हें नेशनल फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

वहीं फिल्मफेयर पुरस्कारों की बात करें तो सन 1978 में फिल्म स्वामी 1984 में अर्थ, 1985 में भावना के लिए इन्हें बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 

इसके अलावा 2006 में इन्हें फिल्मफेयर ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाज़ा। इतना ही नहीं, 2017 में इन्हें फिल्म नीरजा के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया था।

सलामत रहें शबाना

शबाना आज़मी की उम्र अब 70 साल हो चुकी है और इस उम्र में भी वो विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय रखती रहती हैं। कहा जा सकता है कि शबाना आज़मी भारतीय सिनेमा का एक चलता-फिरता स्कूल हैं। Meerut Manthan Shabana Azmi की अच्छी सेहत और लंबी उम्र की दुआएं करता है। जय हिंद।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Anup Jalota | Bhajan Samrat से जुड़े आठ बड़े ही रोचक और Lesser Known Facts

Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia | पूरब और पश्चिम फिल्म की मेकिंग से जुड़ी 15 अनसुनी व रोचक कहानियां

Shiva Rindani | 90s की Bollywood Movies में गुंडा बनने वाले इस Actor को कितना जानते हैं आप? | Biography