Anupam Kher | फिल्मों में आने की अनुपम खेर की पूरी कहानी | Biography

Anupam Kher. इस नाम से शायद ही हमारे देश में कोई अनजान होगा। ये फिल्मों में हीरो कभी नहीं बने। विलेन की हैसियत से भी कुछ ही फिल्मों में दिखे। लेकिन फिर भी बॉलीवुड में इन्होंने अपना बड़ा ज़बरदस्त मुकाम बनाया। 

अनुपम ने कभी भी खुद को किसी एक इमेज में नहीं बंधने दिया। इन्होंने सेंसिटिव किरदार निभाए। ये विलेन बने। और कॉमेडी भी इन्होंने खूब की।

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Anupam Kher Biography - Photo: Social Media

लेकिन जो भी किरदार इन्होंने निभाए, उनके साथ पूरा न्याय इन्होंने किया। अनुपम खेर कितने वर्सेटाइल एक्टर हैं इसका अंदाज़ा इस तरह लगाया जा सकता है कि केवल बॉलीवुड में ही इन्होेंने 500 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया है।

अपने हुनर का डंका इन्होंने हॉलीवुड तक बजाया। और केवल फिल्मों में ही नहीं, टेलिविजन और रंगमंच पर भी इन्होंने शानदार काम किया है।

Meerut Manthan पर आज पेश है भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता Anupam Kher की ज़िंदगी की कहानी। Anupam Kher के जीवन से जुड़ी कई रोचक कहानियां आज हम और आप जानेंगे।

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Anupam Kher की शुरूआती ज़िंदगी

07 मार्च 1955 को अनुपम खेर का जन्म हुआ था शिमला में। इनके पिता पुष्कर नाथ खेर एक कश्मीरी ब्राह्मण थे और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में क्लर्क थे। 

जबकी इनकी माता का नाम दुलारी खेर है और वो एक हाउस वाइफ हैं। इनके एक भाई भी हैं जिनका नाम है राजू खेर। उन्होंने भी कुछ टीवी शोज़ और फिल्मों में एक्टिंग की है।

Anupam Kher की शिक्षा

इनकी शुरूआती पढ़ाई-लिखाई शिमला के डीएवी स्कूल से हुई। ग्रेजुएशन के लिए इन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था। 

लेकिन ग्रेजुशन बीच में ही छोड़कर इन्होंने चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में इंडियन थिएटर स्टडी में दाखिला ले लिया। यहां इन्होंने थिएटर करना शुरू कर दिया। 

पंजाब यूनिवर्सिटी में थिएटर में इन्होंने इतना ज़बरदस्त काम किया कि इन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। इसके बाद दिल्ली स्थित एनएसडी यानि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से इन्होंने एक्टिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। 

फिर लगभग डेढ़ साल तक अनुपम खेर ने लखनऊ के भारतेंदू नाट्य अकादमी में बतौर एक्टिंग टीचर काम किया। 

उसके बाद सन 1981 में अनुपम खेर ने रुख किया मुंबई का, जहां एक बेहद कड़ा संघर्ष उनका इंतज़ार कर रहा था। मुंबई में कई दफा इन्हें भूखे पेट फुटपाथ पर भी सोना पड़ा था। .

ये थी Anupam Kher की पहली फिल्म

लगभग एक साल तक चले संघर्ष के बाद साल 1982 में मुज़फ्फर अली की फिल्म आगमन में इन्हें पहली दफा काम करने का मौका मिला। हालांकि इन्हें मशहूर किया साल 1984 में आई फिल्म सारांश ने। 

इस फिल्म में अनुपम खेर एक ऐसे पिता बने थे जिसके जवान बेटे की मौत हो जाती है। अनुपम ने बड़ी आत्मीयता के साथ ये किरदार निभाया। 

इनका यही किरदार इनके करियर में मील का पत्थर साबित हुआ। कमाल की बात तो ये है कि फिल्म में साठ साल के बूढ़े का किरदार निभाने वाले अनुपम खेर की उम्र उस वक्त महज़ 28 साल थी।

सारांश से जुड़ा है ये दिलचस्प किस्सा

फिल्म सारांश से ही एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा जुड़ा है। दरअसल, महेश भट्ट ने तो अनुपम को सारांश में मुख्य भूमिका के लिए फाइनल कर दिया था। 

लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर्स चाहते थे कि ये रोल संजीव कुमार निभाएं। प्रोड्यूसर्स नहीं चाहते थे कि इतनी बड़ी फिल्म में किसी नए एक्टर पर रिस्क लिया जाए। 

प्रोड्यूसर्स की ज़िद के सामने झुकते हुए महेश भट्ट ने अनुपम खेर से कहा,"अनुपम। तुम फिल्म में कोई और रोल कर लो। ये वाला रोल संजीव कुमार साहब करेंगे। फिल्म के प्रोड्यूसर्स यही चाहते हैं।"

Anupam Kher से ये बोले महेश भट्ट

महेश भट्ट के मुंह से ये बात सुनकर अनुपम को बहुत बुरा लगा। वो बड़े दुखी हो गए। इतना कि वो रोने लगे और चिल्लाने लगे कि महेश भट्ट एक झूठा और धोखेबाज़ इंसान है। 

अनुपम को रोता देख महेश भट्ट को काफी बुरा लगा। महेश फिल्म के प्रोड्यूसर्स के पास गए और बोले कि ये फिल्म तभी बन सकती है जब अनुपम को इस में लीड कैरेक्टर में लिया जाएगा।

प्रोड्यूसर्स ने आखिरकार महेश भट्ट की बात मान ली और सारांश में मुख्य किरदार अनुपम खेर ने ही निभाया। उसके बाद आगे जो हुआ वो एक इतिहास है। हर किसी को मानना पड़ा कि अनुपम खेर बेजोड़ एक्टर है। 

एक वक्त पर छोटे-छोटे रोल्स पाने के लिए संघर्ष करने वाले अनपुम के पास सारांश के रिलीज़ होने के महज़ 10 दिनों के बाद तकरीबन 100 फिल्मों के ऑफर्स थे।

ये टीवी शोज़ किए होस्ट

छोटे पर्दे पर भी इन्होंने काफी काम किया है। बतौर होस्ट इन्होंने टीवी पर कई सारे शोज़ किए, जैसे कि से ना समथिंग टू अनुपम अंकल, सवाल दस करोड़ का और द अनुपम खेर शो। ईआर, स्पूक्स, सेंस 8, द इंडियन डिटेक्टिव, मिसेज विल्सन और न्यू एम्सटर्डम, ये कुछ वो हॉलीवुड टीवी सीरीज़ हैं जिनमें अनुपम खेर ने काम किया। 

अनुपम खेर ने ओम जय जगदीश नाम की फिल्म को डायरेक्ट भी किया था। हालांकि इस फिल्म के बाद अनुपम ने फिर कभी कोई फिल्म डायरेक्ट नहीं की। साल 1993 में रिलीज़ हुई ऋषि कपूर की फिल्म श्रीमान आशिक में इन्होंने एक गाना भी गाया था।

फिल्में प्रोड्यूस भी की

अनुपम ने कुछ फिल्में भी प्रोड्यूस की हैं। बड़ी वाली नाम से एक बंगाली फिल्म इन्होंने सबसे पहले प्रोड्यूस की थी जिसमें इनकी पत्नी किरण खेर ने काम किया था। 

ये फिल्म साल 2000 में रिलीज़ हुई थी। इसके बाद 2005 में रिलीज़ हुई मैंने गांधी को नहीं मारा भी इन्होंने ही प्रोड्यूस की थी। वहीं 2009 में रिलीज़ हुई तेरे संग नाम की फिल्म के प्रोड्यूसर भी यही थे।

ऐसी है इनकी निजी ज़िंदगी

अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर हैं। किरण से इन्होंने साल 1985 में शादी की थी। ये किरण की दूसरी शादी थी। दरअसल, अनुपम और किरण एक दूसरे को पंजाब यूनिवर्सिटी से जानते थे। 

किरण इनसे एक साल सीनियर थी। किरण खेर ने पहले किसी और से शादी की थी। लेकिन किरण की वो शादी नहीं चल पाई और किरण ने अपने पहले पति से तलाक ले लिया। 

इसके बाद किरण की दोस्ती अनुपम खेर से बढ़ने लगी और आखिरकार ये दोस्ती प्यार में बदली तो इन दोनों ने शादी कर ली। किरण खेर और अनुपम खेर का एक बेटा भी है जिसका नाम है सिकंदर खेर। 

हालांकि सिकंदर खेर अनपुम खेर की सगी औलाद नहीं हैं। वो किरण के पहले पति से पैदा हुई संतान हैं। लेकिन अनुपम ने सिकंदर को हमेशा अपनी औलाद की तरह ही पाला है।

अनुपम को मिले ढेरों अवॉर्ड्स

अनुपम को मिले अवॉर्ड्स की बात करें तो अपने फिल्मी करियर में इन्होंने ढेर सारे अवॉर्ड्स अपने नाम किए। सारांश फिल्म के लिए इन्हें सबसे पहली दफा फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड मिला था। 

इसके बाद विजय के लिए इन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, राम लखन के लिए बेस्ट कॉमेडियन, डैडी के लिए बेस्ट एक्टर क्रिटिक्स, लम्हे के लिए बेस्ट कॉमेडियन, खेल के लिए बेस्ट कॉमेडियन, डर के लिए बेस्ट कॉमेडियन और दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे के लिए, बेस्ट कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवॉर्ड इन्हें दिया गया। 

डैडी और मैंने गांधी को नहीं मारा फिल्मों के लिए इन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने 2004 में पद्मश्री और 2016 में पद्म भूषण सम्मानों से भी इन्हें नवाज़ा।

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