Actress Sushma Seth Hindi Biography | अभिनेत्री सुषमा सेठ के जीवन की पूरी कहानी
Sushma Seth. हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अभिनेत्री जिन्होंने 40 की उम्र के बाद अपना फिल्मी करियर शुरू किया। लेकिन फिर भी उन्होंने शोहरत की वो बुलंदियां हासिल की जिन्हें हर नया एक्टर हासिल करना चाहता है। फिल्मों में ज़्यादातर मां और दादी के किरदार में नज़र आने वाली सुषमा सेठ ने छह दशकों तक हिंदी फिल्मों में काम किया और अपने करोड़ों चाहने वाले बनाए।
Actress Sushma Seth Biography - Photo: Social Media
Meerut Manthan आज आपको हिंदी सिनेमा की अमीर मां Sushma Seth का किस्सा सुनाएगा। क्यों Sushma Seth 40 की उम्र में फिल्मों में आई? वो क्या परिस्थितियां रही कि सुषमा सेठ को फिल्मों में आना पड़ा? ये सारी कहानी आज हम और आप जानेंगे।
शुरूआती जीवन
सुषमा सेठ दिल्ली की रहने वाली हैं। 20 जून 1936 को सुषमा सेठ का जन्म हुआ था। इनके पिता अपने भाईयों के साथ एक ही घर में रहा करते थे। ये वो दौर था जब भारत में महिलाओं को पर्दे में रखने की पंरपरा थी। लेकिन इनका परिवार काफी आज़ाद ख्याल था।
सुषमा सेठ और उनके घर की दूसरी महिलाओं को घर से बाहर निकलने की आज़ादी थी। सुषमा सेठ के पिता रामेश्वर दयाल कला और साहित्य प्रेमी थे। सुषमा की बड़ी बहन चारू को इनके पिता ने कत्थक की ट्रेनिंग दिलाई और इन्हें हिंदुस्तानी क्लासिकल वोकल म्यूज़िक की शिक्षा दिलाई।
अमेरिका से की है पढ़ाई
चूंकि इनके माता-पिता आधूनिक विचारों वाले लोग थे तो सुषमा और इनकी बहन को किसी भी तरह के सामाजिक बंधनों में नहीं बांधा गया। सुषमा अपनी मां प्रकाश रानी को अपनी ताकत मानती हैं। वो कहती हैं कि उनकी मां ने उन्हें हमेशा इमोशनल सपोर्ट दिया। इनके पिता स्पोर्ट्स के भी बड़े शौकीन थे और इनके सभी भाई भी स्पोर्ट्स में हिस्सा लिया करते थे।
दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से इनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई हुई। इसके बाद दिल्ली के ही लेडी इरविन कॉलेज से इन्होंने होम साइंस में टीचर्स ट्रेनिंग डिप्लोमा भी किया। फिर सुषमा को अमेरिका के ब्रायरक्लिफ कॉलेज की स्कॉलरशिप मिली और पढ़ाई करने वो अमेरिका चली गई।
लोगों ने किया था अमेरिका जाने का विरोध
सुषमा जब अमेरिका जा रही थी तो इनके रिश्तेदार और आस-पड़ोस रहने वाले लोग इनके पिता से कहने लगे कि जवान लड़की को विदेश में क्यों भेज रहे हो। इसकी तो शादी कर देनी चाहिए। लेकिन इनके पिता ने किसी की बात नहीं मानी और इन्हें पढ़ने के लिए अमेरिका भेज दिया।
अमेरिका आने के बाद सुषमा ने ड्रामा को भी एज़ ए सब्जेक्ट स्टडी करना शुरू कर दिया। बस यहीं से किस्मत ने इन्हें एक्टिंग की दुनिया का नगीना बनाने के लिए तराशना शुरू कर दिया। इसके बाद अमेरिका के ही कार्निगी कॉलेज से इन्होंने ड्रामा में ग्रेजुएशन किया।
अमेरिका में रहने के दौरान इन्होंने नाटकों में खूब हिस्सा लिया। नाटक कैसे रचे जाते हैं, नाटकों का मंचन कैसा होता है, ये सब सुषमा सेठ ने अमेरिका में सीखा। और अमेरिका से अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद सुषमा सेठ भारत वापस आ गई।
यात्रिक की संस्थापक सदस्य थी सुषमा
भारत वापस आने के बाद सुषमा सेठ ने फैसला कर लिया कि वो अपने देश में थिएटर की बेहतरी के लिए काम करेंगी। सुषमा नाटकों में काम करने लगी। इन्होंने हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी नाटकों में काम किया। आखिरकार साल 1960 में उस दौर के दिल्ली के बड़े थिएटर आर्टिस्ट्स के साथ मिलकर सुषमा सेठ ने यात्रिक नाम के एक थिएटर ग्रुप की स्थापना की।
सुषमा ने थिएटर से जुड़े हर काम में खुद को निपुण बनाया। फिर चाहे वो स्क्रिप्ट राइटिंग हो, कॉस्ट्यूम, मेकअप, और डायरेक्शन हो। सुषमा थिएटर की हर विधा में पारंगत थी।
किरदार में खो जाती थी सुषमा
कहा जाता है कि सुषमा जब किसी नाटक में अभिनय करती थी तो अपने किरदार में कुछ इस कदर खो जाती थी कि लोगों को लगता था जैसे ये सुषमा सेठ नहीं बल्कि वास्तव में वो किरदार हैं जो ये निभा रही हैं। कई दफा तो ऐसा होता था कि इनके घरवाले जब इनके नाटक देखने आते थे वो तो भी इन्हें देखकर कनफ्यूज़ हो जाते थे।
भाई भी नहीं पहचान पाए थे
एक दफा सुषमा एक नाटक में काम कर रही थी जिसमें इन्हें एक अश्वेत महिला का रोल निभाना था। किरदार के मुताबिक सुषमा ने एक विग पहनी थी और चारकोल मेकअप लिया था। सुषमा के बड़े भाई इनका वो नाटक देखने थिएटर हाउस पहुंचे। सुषमा उनके सामने खड़ी थी और वो सुषमा को ज़रा भी नहीं पहचान पाए।
उन्होंने सुषमा से ही पूछा कि सुषमा कहां मिलेंगी। सुषमा थिएटर से ही जुड़ी थी जब ध्रुव सेठ नाम के एक बिजनेसमैन से इनकी शादी हो गई। शादी के बाद भी सुषमा ने थिएटर नहीं छोड़ा। साल 1975 में सुषमा ने चिल्ड्रन्स थिएटर की स्थापना की।
ऐसे शुरू हुई सुषमा का फिल्मी करियर
एक दफा मशहूर फिल्ममेकर श्याम बेनेगल ने सुषमा को एक नाटक में एक्टिंग करते देखा। श्याम बेनेगल को सुषमा की रिएलिस्टिक एक्टिंग बेहद पसंद आई। उन्होंने सुषमा को अपनी फिल्म जुनून में एक रोल निभाने का ऑफर दिया। और इस तरह सुषमा सेठ के फिल्मी करियर की शुरूआत हुई। पहली ही फिल्म में सुषमा ने साबित कर दिया कि वो कितनी ज़बरदस्त अदाकारा हैं।
और चल निकला सुषमा का करियर
जुनून रिलीज़ होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री के कई धुरंधर उन्हें अपनी फिल्म में लेने के लिए उतावले हो गए। राज कपूर ने सुषमा को प्रेम रोग का ऑफर दिया। यश चोपड़ा ने सिलसिला में काम करने के लिए सुषमा से कहा।
देवानंद ने स्वामी दादा में उन्हें कास्ट करने की ख्वाहिश जताई और श्याम बेनेगल ने एक बार फिर से उन्हें अपनी फिल्म में कास्ट किया जिसका नाम था कलयुग। सुषमा ने इन चारों फिल्मों में काम किया और ये चारों ही फिल्में ज़बरदस्त हिट रही। सुषमा सेठ फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गई।
उम्र में बराबर अभिनेताओं की बनती थी मां
फिल्म इंडस्ट्री में वो वक्त आ चुका था जब मां और दादी के रोल निभाने के लिए डायरेक्टर्स की पहली पसंद सुषमा सेठ होती थी। आलम ये था कि वो एक्टर्स जो कि उम्र में लगभग इनके ही बराबर थे, इन्होंने उन एक्टर्स की मां के रोल भी निभाए। फिल्म ऐलान-ए-जंग में ये धर्मेंद्र की मां बनी थी। जबकी धर्मेंद्र इन्हीं की उम्र के कलाकार हैं।
किसी ने जब इनसे पूछा कि आप अपनी उम्र के कलाकारों की मां के रोल क्यों निभाती हैं तो इन्होंने जवाब दिया कि बचपन में ये अपने चाचा के लिखे नाटकों में काम किया करती थी।
14-15 साल की उम्र में इन्होंने एक दफा एक 75 साल की उम्र के नवाब साहब का किरदार निभाया था। इसलिए इन्हें फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाले एक्टर की उम्र क्या है। ये बस अपने किरदार को अच्छे से निभाती हैं।
हर बड़े सितारे के साथ किया काम
सुषमा कितनी ज़बरदस्त एक्ट्रेस हैं इसकी एक मिसाल ऐसे दी जा सकती है कि राज कपूर जब तक ज़िंदा रहे और फिल्म बनाते रहे, अपनी हर फिल्म में मां के रोल के लिए उन्होंने सुषमा सेठ को कास्ट किया। खासतौर पर अपने बेटे ऋषि कपूर की फिल्म में तो वो सुषमा को ज़रूर लेते थे।
सुपरहिट पंजाबी फिल्म छन्न परदेसी में भी इनकी एक्टिंग की बड़ी सराहना हुई थी। उस फिल्म में ये अमरीश पुरी की पत्नी के रोल में दिखी थी। ढेर सारी हिंदी फिल्मों के अलावा इन्होंने एक-दो हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया। शाहरुख खान की फिल्मों में भी ये खूब दिखाई दी।
टीवी पर भी खूब छाई सुषमा सेठ
केवल फिल्मों में ही नहीं, सुषमा सेठ ने टीवी पर भी अपनी एक्टिंग के झंडे गाड़े। भारत के इतिहास के पहले सोप ओपेरा शो हम लोग में ये दादी के रोल में दिखी और इनके रोल को खूब पसंद भी किया गया। उस शो में दर्शक इनकी एक्टिंग के इतने मुरीद थे कि इनका किरदार शो के मेकर्स ने हम लोग के लास्ट एपिसोड तक खींचा।
जबकी कहानी के मुताबिक पहले दादी को शो के बीच में मर जाना था। हम लोग के बाद देख भाई देख में एक बार फिर ये छोटे पर्दे पर दादी बनी और इस दफा उन्होंने कॉमेडी का ऐसा ज़बरदस्त तड़का लगाया कि वो शो दूरदर्शन के इतिहास के सबसे लोकप्रिय शुरूआती शोज़ में से एक बन गया।
बेटी भी हैं अभिनेत्री
सुषमा सेठ की बेटी दिव्या सेठ भी उन्हीं की तरह एक एक्ट्रेस हैं और टेलिविज़न की दुनिया का बड़़ा नाम हैं। हम लोग और देख भाई देख में दिव्या सेठ ने भी अपनी मां सुषमा सेठ के साथ काम किया है।
उम्र के 85वें पड़ाव में कदम रख चुकी सुषमा सेठ अब बहुत कम एक्टिंग प्रोजेक्ट्स में नज़र आती हैं। इनकी आखिरी रिलीज़्ड फिल्म थी 2017 में आई नूर। 2018 में ये ज़ी5 की शॉर्ट फिल्म महरम में नज़र आई थी।
अब भी एक्टिव हैं सुषमा
सुषमा अपनी सेहत का बेहद ध्यान रखती हैं और खुद को फिट रखने के लिए वो योग करती हैं। इसके अलावा खाली समय में वो पेंटिंग भी करती हैं। भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला को समर्पित करते हुए सुषमा सेठ ने सितारों के पास कल्पना नाम से एक नाटक लिखा था जो कि बेहद चर्चित रहा था। चूंकि सुषमा बच्चों की एक संस्था से जुड़ी हैं इसलिए ये नाटक वो ज़्यादातर बच्चों से ही कराती हैं। उस संस्था का नाम है अपर्णा।
सुषमा जी को सलाम
85 साल की हो चुकी सुषमा अब भी हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करती रहती हैं। जाने कितने ही नए कलाकार हैं जो सुषमा सेठ को अपना आदर्श मानते हैं। यकीनन, फिल्म इंडस्ट्री में सुषमा सेठ जैसी अभिनेत्री शायद ही कोई आई होगी। फिल्म इंडस्ट्री में इनके योगदान के लिए Meerut Manthan Actress Sushma Seth को Salute करता है। जय हिंद।
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