Actor Jayant aka Zakaria Khan Biography | पुराने ज़माने के बेहद शानदार हीरो व चरित्र अभिनेता जयंत की कहानी

ये कहानी Zakaria Khan की है। वही ज़कारिया खान जिन्हें फिल्मी दुनिया में Jayant के नाम से जाना गया। 15 अक्टूबर 1915 को ज़कारिया ख़ान का जन्म पेशावर के एक गांव नवां किल्ली में रहने वाले एक पश्तून परिवार में हुआ था। 

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Actor Jayant aka Zakaria Khan Biography - Photo: Social Media

Jayant aka Zakaria Khan छोटे ही थे जब इनके पिता सरदार सईद अहमद खान को अलवर के महाराजा के यहां स्पोर्ट्स इंस्ट्रक्टर की नौकरी मिल गई थी। और वो परिवार सहित अलवर आ गए थे।

Jayant aka Zakaria Khan की पढ़ाई-लिखाई अलवर में ही हुई। बड़े हुए तो अलवर स्टेट की पुलिस में ज़कारिया खान को नौकरी मिल गई। लेकिन वो नौकरी उन्होंने बहुत ज़्यादा समय के लिए नहीं की। उनके मन में फिल्मों में काम करने की ख्वाहिश ने जन्म लिया और एक दिन वो नौकरी छोड़कर ज़कारिया खान बॉम्बे पहुंच गए।

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फिल्मों में मिली एंट्री

शुरुआती संघर्ष के बाद ज़कारिया ख़ान को साल 1933 में आई एक गुजराती फिल्म संसार लीला में एक छोटा सा रोल मिल गया। ये फिल्म विजय भट्ट ने बनाई थी। विजय भट्ट ने ही ज़कारिया ख़ान को जयंत नाम भी दिया। साल 1935 में इसी फिल्म को नई दुनिया नाम से हिंदी में भी बनाया गया। 

चूंकि जयंत की कदकाठी और इनकी शारीरिक बनावट बहुत मजबूत थी तो जल्द ही इन्हें फिल्मों में हीरो के रोल भी मिलने लगे। इन्होंने बॉम्बे मेल(1935), लाल चिट्ठी(1935), शमशीर-ए-अरब(1935), आज़ाद वीर(1936), स्नेहलता(1936), हिज़ हाइनैस(1937) और स्टेट एक्सप्रेस(1938) नामक फिल्मों में बतौर मुख्य हीरो काम किया। 

साल 1940 में आई फिल्म अपनी नगरिया जयंत में भी जयंत ने काम किया था। ये फिल्म बहुत बड़ी हिट साबित हुई। इस फिल्म की सफलता ने जयंत को बहुत फायदा पहुंचाया। जयंत को सात सौ रुपए महीना पगार मिलने लगी। जो कभी सिर्फ तीस रुपए ही थी।

सोहराब मोदी से बहस पड़ गई भारी

कहा जाता है कि सोहराब मोदी जब सिकंदर(1941) फिल्म बना रहे थे तब उन्होंने पहले जयंत को ही सिकंदर के रोल में साइन किया था। पर चूंकि जयंत सिगरेट पीते थे तो सोहराब मोदी को उनकी ये बात पसंद नही आई। 

सोहराब मोदी ने उन्हें सिगरेट पीने से मना किया। इस बात पर एक दिन जयंत और सोहराब मोदी की बहस हो गई। सोहराब मोदी ने जयंत को सिकंदर से निकाल दिया और उनकी जगह पृथ्वीराज कपूर को साइन कर लिया। 

सिकंदर पृथ्वीराज कपूर की पहली बड़ी सक्सेसफुल फिल्म साबित हुई। जबकी जयंत और भी कई फिल्मों में हीरो के तौर पर काम करते चले गए जैसे ज़ेवर(1942), पूंजी(1943), शिरीन फरहाद(1945) इत्यादि। 

1941 में आई माला फिल्म में जयंत हीरो थे। और जब यही फिल्म 1945 में अमर नाम से दोबारा बनी तो जयंत को ही इसमें फिर से हीरो लिया गया।

यूं हीरो से चरित्र अभिनेता बने जयंत

साल 1947 में आई डॉली वो पहली फिल्म थी जिसमें जयंत ने कोई चरित्र किरदार निभाया था। इस फिल्म में जयंत के अभिनय की खूब तारीफें हुई। हालांकि इसका एक नुकसान उन्हें ये हुआ कि अब उन्हें चरित्र किरदार ही ऑफर होने लगे। जयंत भी वो किरदार निभाते गए। 

देखते ही देखते जयंत उस वक्त की फिल्म इंडस्ट्री के नामी चरित्र अभिनेता के तौर पर स्थापित हो गए। इंसानियत(1955), मधुमति(1958), मैम-दीदी(1961), हक़ीकत(1964) और संघर्ष(1968)। ये कुछ वो फिल्में हैं जिनमें जयंत जी के निभाए चरित्र किरदार चर्चाओं में रहे थे। 

Jayant की निजी ज़िंदगी

जयंत की निजी ज़िंदगी की तरफ देखें तो इनके दो बेटे हुए थे। इम्तियाज़ खान और अमजद खान। जयंत के बड़े बेटे इम्तियाज़ खान ने कई फिल्मों में एक्टिंग की थी। उन्होंने कुछ फिल्मों का डायरेक्शन भी किया था। 

जबकी जयंत के छोटे बेटे अमजद खान तो शोले फिल्म में गब्बर सिंह का किरदार निभाकर हिंदी सिनेमा के इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करा चुके हैं। 

2 जून 1975 को गले के कैंसर की वजह से जयंत जी का निधन हो गया था। जिस वक्त जयंत का निधन हुआ था शोले उससे लगभग ढाई महीने बाद रिलीज़ हुई थी। अगर जयंत कुछ महीने और ज़िंदा रह जाते तो शायद वो भी अपने बेटे अमजद की सफलता देख लेते। 

Meerut Manthan का Jayant जी को नमन

आज जयंत जी के दोनों बेटे इम्तियाज़ खान और अमजद खान भी ये दुनिया छोड़कर जा चुके हैं। जयंत के पौत्र यानि अमजद खान के पुत्र शादाब खान ने भी कुछ फिल्मों में अभिनय किया था। 

लेकिन वो अपने खानदान की इस विरासत को आगे नहीं बढ़ा सके। Meerut Manthan Zakaria Khan aka Jayant को ससम्मान याद करते हुए उन्हें नमन करता है।

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