Ram Sethi | वो Bollywood Actor जिसे आप उसके असली नाम से नहीं, Pyarelal के नाम से जानते होंगे | Biography

Ram Sethi. यूं तो इनका असली नाम राम सेठी है। लेकिन लोग इन्हें प्यारे लाल के नाम से पहचानते हैं। बीते दौर में अमिताभ बच्चन के साथ इन्होंने कई सारी फिल्मों में काम किया। 

डायरेक्टर प्रकाश मेहरा के साथ कई सालों तक ये असिस्टेंट डायरेक्टर रहे। खुद भी एक फिल्म को डायरेक्ट किया। लेकिन हिंदी सिनेमा में इन्हें वो मुकाम कभी ना मिल सका, जिसके ये सही मायनों में असली हकदार थे।

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Image Courtesy: Social Media

Meerut Manthan आज आपको Pyarelal of Bollywood यानि Actor Ram Sethi की कहानी बताएगा। Delhi के रहने वाले Ram Sethi Mumbai कैसे आए? और Film Industry में इनकी Journey कैसी रही? आज ये सारी कहानी हम और आप जानेंगे।

कब हुआ था प्यारेलाल का जन्म?

कहा जाता है कि राम सेठी का जन्म 15 नवंबर 1938 में हुआ था।ये दिल्ली के रहने वाले थे। इनके शुरूआती जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। लेकिन इतना ज़रूर पता चला कि ये 9 भाई-बहन थे। 8 भाई और एक बहन। 

इस तरह पहली दफा दिल्ली से मुंबई आए थे Ram Sethi

साल 1962 में ये पहली दफा दिल्ली से मुंबई फिल्मों में अपनी किस्मत आज़माने आए थे। जिस वक्त ये दिल्ली से मुंबई आ रहे थे तब इनके पिता ने इनसे कहा था कि वो केवल छह महीनों तक इन्हें 150 रुपए हर महीने दे पाएंगे। 

उसके बाद मुंबई में इन्हें अपना खर्च खुद उठाना होगा। ये मुंबई आ गए। और चूंकि उस वक्त इन्हें कोई कामयाबी मुंबई में नहीं मिल पाई तो कुछ ही महीनों बाद ये वापस दिल्ली लौट आए। 

फिर दो साल बाद यानि साल 1964 में ये एक बार फिर से मुंबई आए। इस दफा इन्होंने मुंबई आते ही रवीना टंडन के पिता यानि फिल्ममेकर रवि टंडन से मुलाकात की और उनसे काम देने की गुज़ारिश की। 

रवि टंडन उस वक्त कोई फिल्म नहीं बना रहे थे तो उन्होंने इनसे कहा कि जब भी वो कोई फिल्म बनाएंगे तो इन्हें ज़रूर अपने साथ काम पर लगाएंगे। रवि टंडन से भरोसा मिलने के बाद ये एक बार फिर अपने शहर दिल्ली वापस लौट आए। 

इस तरह फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बने थे Ram Sethi

सही मायनों में राम सेठी फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बने साल 1968 में, जब ये रवि टंडन की मदद से एमएस सथ्यू से मिले। और एमएस सथ्यू ने इन्हें चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी में असोसिएट डायरेक्टर की हैसियत से काम पर लगवा दिया। 

उन दिनों चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी के तत्वाधान में एक इंडो रशियन फिल्म बन रही थी जिसका नाम था ब्लैक माउंटेन और उस फिल्म को एमएस सथ्यू ही बना रहे थे। 

उसी फिल्म में राम सेठी एमएस सथ्यू को असिस्ट कर रहे थे। इसी दौरान इन्हें जी.आर.सेठी, सत्येंद्र गोयल और एस सुखदेव जैसे डॉक्यूमेंट्री डायरेक्टर्स के साथ भी काम करने का मौका मिला। 

शबाना आज़मी के भाई ने की थी मदद

चूंकि उन दिनों ये मुंबई में नए-नए ही आए थे और इनकी इतनी कमाई भी नहीं थी कि ये किराए का घर ले सकें, इसलिए ये शबाना आज़मी के कज़िन ब्रदर और उस दौर के जाने-माने कैमरामैन ईशान आर्या के साथ उनके घर पर रहा करते थे। 

ईशान आर्या से इनकी गहरी दोस्ती रही थी। इन्हीं दिनों में ये हिंदुस्तानी थिएटर भी खूब किया करते थे। दरअसल, थिएटर ही वो जगह थी जहां पहली दफा इन्होंने एक्टिंग की थी। 

इस तरह हुई प्रकाश मेहरा से मुलाकात

एक दिन इनका एक दोस्त इन्हें उस वक्त के जाने-माने डायरेक्टर प्रकाश मेहरा से मिलाने ले गया। प्रकाश मेहरा ने जैसे ही राम सेठी को देखा तो वो मुस्कुरा पड़े। दरअसल, प्रकाश मेहरा ने वो कुछ नाटक देखे थे जिनमें राम सेठी ने भी काम किया था। राम सेठी की एक्टिंग प्रकाश मेहरा को पसंद भी आती थी। 

प्रकाश मेहरा और राम सेठी के बीच जैसे ही बातचीत शुरू हुई तो राम सेठी तपाक से बोले,"मुझे आपसे फिल्म डायरेक्शन सीखना है।" प्रकाश मेहरा ने भी इनकी बात मान ली और इन्हें डायरेक्शन सिखाने के लिए हामी भर दी। 

राकेश रोशन के मददगार बने राम सेठी

राम सेठी प्रकाश मेहरा के असिस्टेंट बन गए। इनकी शुरूआत क्लैपर बॉय के तौर पर हुई। प्रकाश मेहरा के कहने पर ये कभी-कभार कुछ डायलॉग्स भी लिख दिया करते थे। उस दौर में ज़्यादातर लेखक उर्दू में अपने डायलॉग और फिल्म स्क्रिप्ट लिखा करते थे। 

चूंकि राम सेठी को भी उर्दू लिखनी-पढ़नी आती थी तो उन्हें फिल्म लेखन में कभी कोई परेशानी नहीं हुई। राम सेठी उन एक्टर्स को भी डायलॉग बोलने की प्रैक्टिस कराया करते थे जिनका डिक्शन ख़राब होता था। 

उसी दौर के एक किस्से को याद करते हुए राम सेठी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि राकेश रोशन जब नए-नए आए थे तो वो बहन शब्द को भैन बोला करते थे। ये राम सेठी ही थे जिन्होंने राकेश रोशन को बहन व कई दूसरे शब्द सही से बोलने का तरीका सिखाया था। 

इस तरह एक्टर बने थे Ram Sethi

प्रकाश मेहरा के असिस्टेंट रहे राम सेठी एक्टर कैसे बने, ये किस्सा भी कोई कम रोमांचक नहीं है। दरअसल, प्रकाश मेहरा जब एक कुंवारी एक कुंवारा नाम की फिल्म बना रहे थे तो उसमें किराएदार के एक छोटे से रोल के लिए उन्हें एक एक्टर की तलाश थी। 

उन्होंने अपने असिस्टेंट राम सेठी से वो रोल निभाने के लिए पूछा। राम सेठी तो जैसे इसी मौके की तलाश में थे। उन्होंने तुरंत प्रकाश मेहरा को हां बोल दिया और इस तरह राम सेठी के एक्टिंग करियर की शुरुआत हो गई। 

ज़ंजीर से मशहूर हो गए थे Ram Sethi

बेहद कम लोग ही इस बात से वाकिफ होंगे कि राम सेठी ने उस फिल्म में किराएदार का जो रोल निभाया था वो एक डबल रोल था। और इस फिल्म के बाद से ही प्रकाश मेहरा की लगभग हर फिल्म में राम सेठी किसी ना किसी रोल में नज़र आ ही जाते थे। राम सेठी का पहला नोटेबल रोल था फिल्म ज़ंजीर वाला कॉन्सेटबल का रोल। 

ज़ंजीर वो फिल्म थी जिसने फिल्म इंडस्ट्री को अमिताभ बच्चन जैसा सुपरस्टार दिया। इस फिल्म में राम सेठी ने जो रोल निभाया था उसे उस दौर में कोई भी कलाकार निभाने के लिए तैयार नहीं हो रहा था। ऐसे में प्रकाश मेहरा ने ये रोल राम सेठी को दिया और इस रोल की बदौलत राम सेठी की एक पहचान फिल्म इंडस्ट्री में बन गई। 

इस रोल ने पूरी तरह बदल दी Ram Sethi की किस्मत

इसके बाद राम सेठी ने कुछ फिल्मों में और काम किया। लेकिन फिर साल 1978 में वो फिल्म आई जिसने राम सेठी को हिंदी सिनेमा का प्यारेलाल बना दिया। ये फिल्म थी मुकद्दर का सिकंदर, जो कि उस साल बड़ी हिट फिल्मों मे से एक थी। हालांकि शुरूआत में प्यारेलाल के रोल के लिए प्रकाश मेहरा ने असरानी को सिलेक्ट किया था। 

राम सेठी इस फिल्म से केवल प्रकाश मेहरा के असिस्टेंट के तौर पर ही जुड़े थे। मगर असरानी उन दिनों एक दूसरी फिल्म की शूटिंग मुंबई के बाहर कर रहे थे। इसी दौरान महाराष्ट्र में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई और असरानी उस बारिश में फंस गए।

प्रकाश मेहरा ने दो दिनों तक असरानी का इंतज़ार किया। लेकिन असरानी फिल्म के सेट तक नहीं पहुंच पाए। अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और राखी जैसे बड़े सितारे भी अपने दूसरे प्रोजेक्ट्स में बिज़ी होने वाले थे। ऐसे में प्रकाश मेहरा काफी मुश्किल में फंसने वाले थे। 

इसी बीच प्रकाश मेहरा को ख्याल आया कि क्यों ना प्यारेलाल का रोल राम सेठी से ही कराया जाए। प्रकाश मेहरा ने जब ये रोल निभाने के लिए राम सेठी से कहा तो वो काफी हैरान थे। ये एक बड़ा रोल था। राम सेठी को यकीन नहीं आ रहा था कि प्रकाश मेहरा इतने बड़े रोल के लिए उनसे इतने कैज़ुअल तरीके से पूछेंगे। 

ये परेशानी भी आई थी सामने

राम सेठी ने जब मुकद्दर का सिंकदर फिल्म में अपने रोल की शूटिंग शुरू की तो एक परेशानी और थी जो उनके सामने आई। वो परेशानी थी प्यारेलाल के कपड़े। दरअसल, प्रकाश मेहरा ने प्यारेलाल के किरदार के लिए कपड़ों और जूतों का साइज़ असरानी के हिसाब से बनवाया था। 

लेकिन चूंकि अब राम सेठी प्यारेलाल का रोल कर रहे थे और कद काठी में राम सेठी असरानी से छोटे थे तो वो सारे कपड़े इन्हें बड़े आ रहे थे। राम सेठी ने जैसे-तैसे जुगाड़बाज़ी करके उन कपड़ों को अपने साइज़ के हिसाब से किया और अपना रोल शूट किया।

इकलौता फिल्मफेयर अवॉर्ड

प्रकाश मेहरा ने जब देखा कि राम सेठी बड़ी ही सहजता से अमिताभ के साथ अपने रोल को शूट कर रहे हैं तो उन्होंने प्यारेलाल किरदार का रोल और बड़ा कर दिया। 

इस तरह मुकद्दर का सिंकदर फिल्म का प्यारेलाल का किरदार राम सेठी के एक्टिंग करियर का पहला फुल फ्लैज़्ड किरदार था। और इसी रोल के लिए राम सेठी को इनके करियर का पहला और इकलौता फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। ये अवॉर्ड था फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर इन ए कॉमिक रोल। 

और राम सेठी बन गए प्यारेलाल

चूंकि मुकद्दर का सिंकदर फिल्म काफी बड़ी थी और इस फिल्म के क्रेडिट्स में किसी भी कलाकार का नाम नहीं दिया गया था तो राम सेठी की पहचान उनके किरदार प्यारेलाल की ही बन गई। 

ये जहां भी जाते लोग इन्हें प्यारेलाल कहकर ही पुकारते। इनकी पहचान प्यारेलाल के तौर पर कुछ इस कदर स्थापित हुई कि मुकद्दर का सिकंदर के बाद कई दूसरी फिल्मों में राम सेठी के किरदारों का नाम प्यारेलाल ही रखा गया। 

जब भीड़ चिल्लाई, अरे ओ प्यारेलाल!

एक दफा फिल्म याराना के एक गाने की शूटिंग के लिए राम सेठी कोलकाता गए। उस फिल्म के बेहद पॉप्युलर सॉन्ग सारा ज़माना हसीनों का दीवाना की शूटिंग एक स्टेडियम में हो रही थी। 

स्टेडियम में हज़ारों की तादाद में लोग जमा थे। जैसे ही राम सेठी अपने सीन की शूटिंग के लिए स्टेडियम में घुसे, लोग उन्हें देखकर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगे, ओ प्यारेलाल-अरे ओ प्यारेलाल। राम सेठी हैरान थे। 

उन्हें पहली दफा पब्लिक की तरफ से वैसा रेस्पॉन्स मिल रहा था जो किसी बड़े  स्टार को मिलता है। वो नर्वस होने लगे। लेकिन तभी अमिताभ बच्चन उनके पास आए और बोले,"एकदम शांत रहो। लोग तुम्हें बहुत प्यार दे रहे हैं। 

अगर जज़्बात में बहकर तुमने कुछ गलत कर दिया तो लोग भड़क सकते हैं।" अमिताभ की वो सलाह मानकर किसी तरह राम सेठी ने अपने इमोशन्स पर काबू किया और बस चुपचाप मुस्कुराते रहे।

प्रकाश मेहरा के पसंदीदा बन गए राम सेठी

मुकद्दर का सिकंदर के बाद राम सेठी के पास फिल्मों के ढेरों ऑफर्स आने लगे थे। जहां एक तरफ राम सेठी अच्छे रोल्स छोड़ना नहीं चाह रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ वो खुद को प्रकाश मेहरा से भी दूर नहीं करना चाहते थे। प्रकाश मेहरा के साथ उनकी नज़दीकियां बनी रहें इसलिए वो तीन शिफ्टों में काम करने लगे। 

सुबह और शाम के समय राम सेठी दूसरी फिल्मों में काम करते थे और दोपहर के वक्त वो प्रकाश मेहरा को असिस्ट करने उनके पास पहुंच जाते थे। प्रकाश मेहरा की कई फिल्मों के स्क्रीनप्ले राइटिंग में भी राम सेठी ने अपना योगदान दिया था। 

प्रकाश मेहरा भी बहुत हद तक राम सेठी पर निर्भर रहने लगे थे। किसी सीन से जुड़ी कोई बात अगर रात के दो ढाई बजे भी प्रकाश मेहरा के दिमाग में आती थी तो वो उसी वक्त राम सेठी को कॉल करते थे और कहते थे कि ये बातें किसी डायरी में लिख लें। अपना खाली समय भी प्रकाश मेहरा राम सेठी के साथ ही गुज़ारना पसंद करते थे। 

कॉमेडी से कुछ अलग हटकर करने की कोशिश

एक वक्त वो भी आया था जब राम सेठी को लगने लगा कि उन्हें केवल कॉमिक ही नहीं, कुछ सीरियस किरदार भी निभाने चाहिए। राम सेठी जब भी ये बात प्रकाश मेहरा को बताते थे तो प्रकाश मेहरा इनसे कहते,"महमूद साहब को देखा है। वो सिर्फ कॉमेडी करते हैं और कितने बड़े स्टार हैं। तुम भी कॉमेडी पर ही फोकस करो।" 

राम सेठी को अपने गुरू प्रकाश मेहरा कि ये बात समझ में आ गई और इन्होंने कॉमेडी रोल करना जारी रखा। हालांकि साल 1996 में दूरदर्शन पर आई एक टेलीविज़न सीरिज़ में राम सेठी ने एक सीरियस रोल ज़रूर किया था। लेकिन उसमें किसी ने भी इन्हें नोटिस नहीं किया।

डायरेक्टर भी बने Ram Sethi

चूंकि राम सेठी प्रकाश मेहरा के असिस्टेंट थे तो इनकी ये ख्वाहिश थी कि एक दिन ये खुद भी कोई फिल्म डायरेक्ट करें। इनकी ये ख्वाहिश पूरी हुई साल 1983 में। इस साल आई फिल्म घुंघरू को इन्होंने ही डायरेक्ट किया था। 

इस फिल्म में शशि कपूर, स्मिता पाटिल और सुरेश ओबेरॉय जैसे दिग्गज कलाकार थे। पहले इस फिल्म में काम करने के लिए राम सेठी ने अमिताभ बच्चन से बात की थी। उन्होंने फिल्म में काम करने की सहमति भी दे दी थी। 

अमिताभ ने इनसे कहा था कि वो कुली फिल्म की शूटिंग के लिए बैंगलौर जा रहे हैं। वहां से लौटने के बाद वो इनकी फिल्म में काम करेंगे। राम सेठी बेहद खुश थे। फिल्म इंडस्ट्री में एक अदने से कॉमेडियन की फिल्म में अमिताभ बच्चन जैसा बड़ा सितारा काम करने वाला था। और ये वाकई में एक बहुत बड़ी बात थी। 

और अमिताभ को छोड़नी पड़ी इनकी फिल्म

लेकिन राम सेठी की ये खुशी उस वक्त काफ़ूर हो गई जब कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन बुरी तरह घायल हो गए। ज़ाहिर था कि अब अमिताभ उनकी फिल्म में काम नहीं करने वाले थे। उन्हें अमिताभ का ऑप्शन तलाशना था। राम सेठी खुद को काफी फंसा हुआ महसूस कर रहे थे। 

तब प्रकाश मेहरा उनकी मदद के लिए आगे आए और जो रोल पहले अमिताभ निभाने वाले थे उस रोल के लिए सुरेश ओबेरॉय को लिया गया। सुरेश ओबेरॉय ने भी फिल्म में बढ़िया काम किया था और ये फिल्म ठीक ठाक चली थी। 

डायरेक्टर बनने का ख्वाब हो गया चकनाचूर

पहली फिल्म की सफलता के बाद राम सेठी एक और फिल्म डायरेक्ट करने की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी इनके गुरू प्रकाश मेहरा ने इनसे कहा कि पहले उनकी एक फिल्म में काम कर लें। उसके बाद इनकी फिल्म पर काम शुरू किया जाएगा। 

प्रकाश मेहरा की बात इन्होंने मान ली और अपनी फिल्म छोड़कर ये प्रकाश मेहरा को असिस्ट करने पहुंच गए। प्रकाश मेहरा की फिल्म इतनी लंबी खिंची कि इनकी फिल्म के बारे में प्रकाश मेहरा भूल ही गए। आखिरकार इन्होंने भी अपनी उस फिल्म को छोड़ दिया। 

नब्बे के दशक की शुरूआत में एक बार फिर इन्होंने डायरेक्शन में वापसी की कोशिश की। ये तीन फिल्में डायरेक्ट भी करने वाले थे। लेकिन इसी दौरान साल 1993 में मुंबई में दंगे शुरू हो गए और एक बार फिर से फिल्म डायरेक्शन का इनका ख्वाब चकनाचूर हो गया।

शुरु हो गया राम सेठी का बुरा वक्त

जिस तरह साल 1993 में मुंबई का बुरा वक्त शुरू हुआ था उसी तरह राम सेठी का बुरा वक्त भी शुरू हो गया। मुंबई दंगों के बाद राम सेठी को काम मिलना बंद हो गया। इनकी उम्र 53 साल हो चुकी थी और परिवार चलाने के लिए इनके पास पैसे की कमी पड़ने लगी। 

राम सेठी कहते हैं कि वो वक्त भी इन्होंने देखा जब इनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे और ये लगभग फुटपाथ पर आने वाले थे। हालांकि प्रकाश मेहरा इनकी थोड़ी-बहुत मदद ज़रूर कर दिया करते थे। 

फिर शुरू हुई दूसरी पारी

लगभग एक साल तक चले संघर्ष के उस बेहद कड़े दौर के बाद एक बार फिर से इन्होंने टीवी के ज़रिए अपनी एक्टिंग की दूसरी पारी शुरू की। उन दिनों इन्हें एक दिन के दो हज़ार रुपए मिलते थे। 

परिवार को दो वक्त की रोटी खिलाने के लिए तब ये एक बहुत बड़ी रकम थी। राम सेठी ने लगातार चार साल तक अपनी दूसरी पारी छोटे पर्दे पर ही खेली। 

खुद का प्रोडक्शन हाउस खोलने की नाकाम कोशिश

साल 1996 में इन्होंने अपना एक प्रोडक्शन हाउस शुरू करने की कोशिश भी की थी। लेकिन तभी इनके कुछ दोस्त अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू करने के लिए इनके पास आए और ये उनकी मदद करने में बिज़ी हो गए। 

इन्होंने अपने डायरेक्शन में कुछ टीवी शोज़ भी बनाए थे।वो शोज़ ये दूरदर्शन पर टेलिकास्ट कराना चाहते थे। उन शोज़ का फाइनेंसर एक अमेरिकन था। 

लेकिन दूरदर्शन के कुछ लोगों ने इनके बनाए टीवी शोज़ को प्रसारित करने के बदले इनसे रिश्वत की मांग कर दी। इनके अमेरिकन फाइनेंसर ने रिश्वत देने से साफ इन्कार कर दिया और इस तरह इनके बनाए वो टीवी शोज़ कभी ऑन एयर नहीं हो पाए।

डिप्रेशन में आ गए राम सेठी

साल 2000 में दिल्ली स्थित इनके परिवार पर कुछ मुसीबत आई तो ये दिल्ली आ गए। लगभग दो सालों बाद जब ये वापस मुंबई लौटे तो तब तक टीवी इंडस्ट्री पूरी तरह से बदल चुकी थी। ढेरों नए चैनल आ गए थे और उस नए दौर के मुताबिक ये खुद को नहीं ढाल पाए। 

नतीजा ये हुआ कि इन्हें एक बार फिर से काम मिलना बंद हो गया। ये डिप्रेशन में चले गए। इनके मानसिक स्वास्थ्य पर बेरोजगारी का बुरा असर पड़ने लगा। इनके दोस्त अगर इनसे मिलने आते तो ये उनके नाम भूल जाया करते थे। इस दौरान एक बार फिर से प्रकाश मेहरा ने इनकी कुछ फाइनेंशियल हेल्प की थी। 

एक बार फिर से गरीबी इतनी ज़्यादा आ गई कि मेहनत की कमाई से इन्होंने जो थोड़ी बहुत ज़मीन खरीदी थी वो इन्हें बेचनी पड़ गई। लेकिन जैसे-तैसे इन्हें कुछ टीवी शोज़ में फिर से काम मिला तो इनकी बेपटरी ज़िंदगी एक बार फिर से पटरी पर लौटी। 

इस वक्त तक इनके बेटे इन्हीं पर पूरी तरह से निर्भर थे। हालांकि आज इनके दोनों बेटों की शादी हो चुकी है। इनका बड़ा बेटा एक आईटी फर्म में नौकरी करता है और इनके साथ मुंबई में ही रहता है। जबकी इनका छोटा बेटा ऑस्ट्रेलिया में नौकरी करता है और अपने परिवार के साथ वहीं पर रहता है। 

आशुतोष गोवारिकर ने दिया बड़ा मौका

टीवी पर काम कर रहे राम सेठी बीच-बीच में कुछ फिल्मों में छोटे-मोटे रोल में काम करते जा रहे थे। एक दिन इनके एक जानकार ने इन्हें बताया कि आशुतोष गोवारिकर एक फिल्म बना रहे हैं जिसका नाम है खेले हम जी जान से। 

उस फिल्म में आशुतोष को रहमान चाचा नाम के किरदार के लिए एक बुजुर्ग एक्टर की तलाश है। उनसे जाकर मिल लीजिए। राम सेठी आशुतोष गोवारिकर से जाकर मिले और इन्हें रहमान चाचा का वो छोटा लेकिन प्रभावशाली रोल मिल गया। 

पीके में निभाया छोटा लेकिन यादगार रोल

इसके बाद ये नज़र आए 2014 में आई आमिर खान की सुपरहिट फिल्म पीके में। पीके में ये अनुष्का शर्मा और सुशांत सिंह राजपूत के साथ एक सीन में दिखे थे। पीके के बाद एक बार फिर इन्होंने एक्टिंग से ब्रेक ले लिया। 

मगर जब साल 2017 में टूव्हीलर कंपनी हीरो के स्कूटर माईस्ट्रो के एक विज्ञापन में ये नज़र आए तो एक बार फिर बॉलीवुड का ध्यान इन पर गया। बकौल राम सेठी, इनके पास कई लोगों के फोन आए और उन लोगों ने इन्हें बधाई दी। 

गुरू की हालत से आहत थे Ram Sethi

अपने गुरू प्रकाश मेहरा के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में राम सेठी ने बताया था कि प्रकाश मेहरा जब बूढ़े हुए तो उनके बच्चों ने उनके साथ अच्छा सलूक नहीं किया। प्रकाश मेहरा के बच्चों को उनके आईडियाज़ बकवास लगने लगे। उनके बच्चे उन्हें रिटायर्ड कहने लगे। 

एक दिन जब प्रकाश मेहरा की वाइफ फिसलकर गिर गई और कुछ दिनों तक कोमा में रहने के बाद जब उनकी मौत हो गई तो ये झटका प्रकाश मेहरा बर्दाश्त नहीं कर सके। पत्नी की मौत के बाद वो बीमार रहने लगे। उनके बेटों ने उनका ऑफिस और उनका सुमीत थिएटर बेच दिया। 

इस दौरान राम सेठी दिल्ली में थे और लगभग डेढ़ साल बाद जब राम सेठी दिल्ली से मुंबई वापस लौटे और प्रकाश मेहरा से जाकर मिले तो प्रकाश मेहरा ने राम सेठी को गले से लगा लिया और रोने लगे।

प्रकाश खुद को बेहद अकेला महसूस कर रहे थे। ज़िंदगी के आखिरी दिनों में प्रकाश मेहरा को भंयकर लंग इंफैक्शन हो गया था और आखिरकार 2009 में राम सेठी के गुरू प्रकाश मेहरा ये दुनिया छोड़कर चले गए। 

गुरू की मौत से राम सेठी काफी दुखी हुए थे। प्रकाश मेहरा के जाने के बाद राम सेठी की दिलचस्पी भी एक्टिंग में खत्म होने लगी थी। हालांकि बाद में पैसे की ज़रूरत ने उन्हें एक बार फिर से एक्टिंग की दुनिया में ला खड़ा किया।

सदा सलामत रहें राम सेठी

राम सेठी की उम्र अब 86 साल हो चुकी है। उम्र के इस पड़ाव पर अब उन्होंने एक्टिंग से पूरी तरह खुद को दूर कर लिया है। इन दिनों वो अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं। किस्सा टीवी राम सेठी की अच्छी सेहत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है। 

इतने लंबे फिल्मी करियर में राम सेठी ने फिल्म इंडस्ट्री में जो अपना योगदान दिया है उसके लिए शायद कोई और तो उन्हें याद नहीं करता होगा। लेकिन मेरठ मंथन उन्हें याद भी करता है और उनका अहसानमंद भी है। राम सेठी को मेरठ मंथन की तरफ से बिग सैल्यूट।


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