Helen Biography in Hindi | महान डांसर और अदाकारा हेलन के जीवन का हर पहलू जानिए

Helen. हिंदुस्तानी सिनेमा की पहली आइटम गर्ल। एक ऐसी नृत्यांगना, जिसने इंडियन क्लासिकल डांस से तो धमाल मचाया ही था। लेकिन कैबरे डांस को भी इन्होंने भारत में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया था। 

ये हेलेन ही थी जिन्होंने बैले डांस को भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से रूबरू कराया। ना केवल डांस, बल्कि अपनी सिज़लिंग ब्यूटी से भी हेलेन ने लोगों का दिल जीता। हेलेन, जिनका नाम सुनते ही लोगों का मन कहता है, ओ हसीना ज़ुल्फों वाली जाने जहां।

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Veteran Bollywood Actress Helen Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan आज आपको बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और सबसे पहली आइटम गर्ल Helen की ज़िंदगी की कहानी बताएगा। Helen फिल्मों में कैसे आई और सलमान खान की मां होने का दर्जा हेलेन को कैसे मिला, ये सारी कहानी आज हम और आप जानेंगे।

Helen का शुरूआती जीवन

हेलेन का जन्म हुआ था 21 नवंबर 1938 को बर्मा के यंगोन इलाके में। इनके पिता Desmier George एक एंग्लो इंडियन थे। जबकी इनकी मां बर्मिस थी। हेलेन जब छोटी ही थी तब इनके पिता की मृत्यु हो गई। 

इनकी मां ने Robert Richordson नाम के British Army के एक ऑफिसर से दूसरी शादी कर ली। हेलेन की मां को दूसरे पति से एक बेटा और बेटी पैदा हुए थे। दूसरे पति से हेलेन की मां तीसरी दफा गर्भवती हुई ही थी कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने बर्मा पर हमला कर दिया। 

जैसे तैसे भारत पहुंचा Helen का परिवार

जापानियों ने बर्मा पर ज़बरदस्त बमबारी की। हेलेन के सौतेले पिता जापानियों के एक हमले में मारे गए। जान बचाने के लिए हेलेन की मां ने अपने सभी बच्चों को साथ लिया और हिंदुस्तान की तरफ भागना शुरू कर दिया। 

बर्मा से जान बचाकर भागने वाले लोगों का एक बड़ा काफिला भारत की तरफ चल पड़ा। अपने सगे छोटे भाई और दो छोटे सौतेले भाई-बहनों के साथ हेलेन और उनकी मां को ज़िंदगी बचाने के उस सफर में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।

ये लोग कई दिनों तक भूखे-प्यासे चलते रहे। इस बीच इनके काफिले के कई लोग बीमारी से मर गए तो कुछ बेहद पीछे छूट गए। रास्ते में कुछ गांव वाले इन लोगों की थोड़ी बहुत मदद ज़रूर कर रहे थे। वो लोग इन्हें पानी और खाना दे दिया करते थे। लेकिन वो सफर बेहद लंबा था और खाना बेहद कम था। किसी तरह हेलन की मां अपने परिवार को लेकर ब्रिटिश आर्मी के एक कैंप पहुंच गई। 

पहले कलकत्ता और फिर मुंबई आया हेलन का परिवार

ब्रिटिश आर्मी ने उनकी मदद की और आखिरकार 9 महीनों के उस सफर के बाद सितंबर 1942 को हेलेन का परिवार असम के डिब्रूगढ़ आ गया। उस बेहद थका देने वाले संघर्ष ने हेलेन और उनकी मां को तोड़कर रख दिया था। 

उन दोनों की हालत इतनी ज़्यादा बुरी हो चुकी थी कि ब्रिटिश आर्मी के सिपाहियों को उन्हें आर्मी के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। जब इनकी हालत में सुधार हुआ तो हेलेन की मां कलकत्ता आ गई और यहां नर्स की हैसियत से आर्मी हॉस्पिटल में काम करना शुरू कर दिया। 

कलकत्ता आए इन्हें दो साल ही हुए थे कि स्मॉल पॉक्स की वजह से हेलेन के छोटे भाई मौत हो गई। बेटे की मौत ने हेलेन की मां को बुरी तरह तोड़कर रख दिया। उन्होंने कलकत्ता छोड़ने का फैसला कर लिया। फिर एक दिन हेलेन की मां अपने परिवार को लेकर मुंबई आ गई। 

कुक्कू मोरे से हुई हेलन की जान-पहचान

हेलेन की मां ने मुंबई के एक प्राइवेट अस्पताल में नर्स की नौकरी जॉइन कर ली। हेलेन और उनके छोटे भाई-बहनों को एक सरकारी स्कूल में दाखिला दिला दिया गया। लेकिन चूंकि हेलेन की मां की सैलरी इतनी ज़्यादा नहीं थी कि वो अपने सभी बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा सकें तो उन्होंने हेलेन की पढ़ाई छुड़ा दी। 

ना चाहते हुए भी हेलेन ने मां की बात मानते हुए पढ़ाई छोड़ दी। इसी दौरान हेलेन की मां की दोस्ती उस दौर की फिल्मों की मशहूर डांसर कुक्कू मोरे से हो गई। हेलेन की मां ने कुक्कू मोरे से रिक्वेस्ट की कि हेलेन को भी फिल्मों में कोई काम दिला दें। 

कत्थक और मणिपुरी डांस में पारंगत बनी हेलन

तब कुक्कू मोरे ने हेलेन की मां को सलाह दी कि पहले हेलेन को डांस की ट्रेनिंग दिलाओ। तब जाकर इसे कोई काम मिल पाएगा। कुक्कू की सलाह पर हेलेन की मां ने हेलेन को कत्थक और मणिपुरी डांस की ट्रेनिंग दिलाई। 

और आखिरकार कुक्कू की मदद से हेलेन को कोरस डांसर की हैसियत से फिल्मों में काम मिलने लगा। साल 1951 में रिलीज़ हुई सबिस्तां और आवारा नाम की फिल्मों में हेलेन को पहली दफा कोरस डांसर के तौर पर काम करने का मौका मिला। 

हेलन की पहली सोलो परफॉर्मेंस

चूंकि हेलेन कुक्कू की दोस्त की बेटी थी तो कुक्कू ने हेलेन को लीड डांसर के तौर पर काम दिलाने की कोशिश शुरू कर दी। जल्द ही कुक्कू की कोशिशें रंग लाई और 1952 में रिलीज़ हुई फिल्म अलिफ लैला में पहली दफा हेलेन को सोलो डांसर के तौर पर काम मिला। इसके बाद कुछ गानों में हेलेन ने कुक्कू मोरे के साथ भी परफॉर्म किया। और जल्द ही हेलेन के डांस और उनकी खूबसूरती ने उन्हें लोकप्रियता दिलानी शुरू कर दी। 

Helen ने कर दिया कुक्कू को रिप्लेस

धीरे-धीरे हेलेन ने कुक्कू मोरे को रिप्लेस करना शुरू कर दिया। साल 1958 में रिलीज़ हुई फिल्म हावड़ा ब्रिज के गाने मेरा नाम चिन चिन चू से हेलेन लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गई। देखते ही देखते हेलेन फिल्म इंडस्ट्री की पहली आइटम गर्ल बन गई। 

हेलेन ने ना केवल इंडियन क्लासिकल, बल्कि कैबरे डांस में भी जमकर अपने जलवे बिखेरे। हेलेन सेक्स सिंबल बन गई। उन्हें हिप बॉम कहा जाने लगा। फिल्म इंडस्ट्री का हर बड़ा निर्माता उनके साथ काम करने के लिए उतावला हो गया। 

कैबरे क्वीन बन गई Helen

ये वो दौर था जब फिल्मों में कैबरे सॉन्ग होना ज़रूरी माना जाता था। हेलेन की डिमांड बढ़ने लगी और उन्होंने खूब पैसा कमाना शुरू कर दिया। एक सीलन भरे बदबूदार कमरे में रहने वाली हेलन कुछ ही सालों में एक आलीशान बंगले की मालकिन बन गई। 

हालांकि इस दौरान जो इकलौती बुरी चीज़ हेलन की ज़िंदगी में हुई वो ये, कि जिस कुक्कू मोरे ने हेलन को बॉलीवुड में कामयाबी दलाई, उसी कुक्कू मोरे से हेलन के रिश्ते बेहद ज़्यादा ख़राब भी हो गए।

कुक्कू के काम ना आ सकी हेलन

हेलन हर दिन कामयाबी की नई इबारत लिख रही थी। इसी दौरान हेलन फिल्म प्रोड्यूसर पीएन अरोड़ा के साथ रिलेशन में आ गई। कुछ दिन लिव-इन में रहने के बाद आखिरकार हेलन ने पीएन अरोड़ा से शादी कर ली। 

उधर कुक्कू मोरे जिनकी बदौलत हेलन को बॉलीवुड में ये मुकाम हासिल हुआ था, उनकी हालत ख़राब रहने लगी। हेलन पर तो नहीं, लेकिन हेलन की मां पर अपनी बेटी की शोहरत और दौलत का घमंड ज़रूर चढ़ने लगा। 

हेलन की मां ने किया कुक्कू से बुरा बर्ताव

फिल्म इंडस्ट्री में जब कुक्कू मोरे की जगह हेलन को पसंद किया जाने लगा तो कुक्कू मोरे के बुरे दिन शुरू हो गए। उन्हें काम मिलना बंद हो गया। कुक्कू की आर्थिक स्थिति बेहद ज़्यादा ख़राब हो गई। कभी अपने कुत्तों को भी गाड़ी में घुमाने वाली कुक्कू मोरे पाई-पाई के लिए मोहताज़ हो गई और दूसरों की झूठन पर गुज़ारा करने को मजबूर हो गई।

एक दिन एक पार्टी में कुक्कू मोरे को सुनाते हुए हेलन की मां ने किसी से कहा कि मेरी बेटी के सामने कुक्कू मोरे क्या चीज़ है। कुक्कू मोरे मेरी बेटी की उंगली के बराबर भी नहीं है। कुक्कू को हेलन की मां की ये बात बेहद ख़राब लगी थी। 

Helen के बारे में ये बोली थी कुक्कू मोरे

उधर मीडिया में चल रही गॉसिप्स के प्रभाव में आकर हेलन ने भी कुक्कू मोरे से बात करना बंद कर दिया। एक इंटरव्यू में कुक्कू ने बताया था,"एक दिन किसी काम से मैंने हेलन से बात करने के लिए उनके घर फोन किया। लेकिन जिसने फोन उठाया था उसने जवाब दिया कि यहां हेलन नाम की कोई महिला नहीं रहती है। शायद हेलन को लगा होगा कि मैं उनसे कोई मदद मांगूगी। इसलिए उन्होंने मुझसे बात नहीं की।" 

हेलन ने कुक्कू के बारे में ये कहा था

जबकी इसी घटना पर रिएक्ट करते हुए हेलन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने कभी भी कुक्कू से फोन पर बात करने से इन्कार नहीं किया। वो कुक्कू को कभी नहीं भूल सकती थी। वो कुक्कू की मदद भी करना चाहती थी। लेकिन वो नहीं चाहती थी कुक्कू को ये महसूस हो कि मैं उन पर कोई अहसान कर रही हूं। आखिरकार हर किसी की अपनी एक सेल्फ रिस्पेक्ट होती है। 

पहले पति से अलग हो गई हेलन

बहरहाल, कुक्कू की मौत के बाद हेलन और कुक्कू का ये अनोखा चैप्टर आखिरकार बंद हो गया। दूसरी तरफ अपनी शादी के लगभग 16 साल बाद साल 1974 में अपने जन्मदिन के दिन ही हेलन ने अपने पति पीएन अरोड़ा से अपना रिश्ता खत्म कर लिया।

बकौल हेलन, पीएन अरोड़ा उन पर बहुत ज़्यादा सख्तियां करने लगे थे। वो हेलन की कमाई दौलत को आंख बंद करके लुटा रहे थे। नतीजा ये हुआ कि हेलन लगभग बैंकरप्ट हो गई और जिस किराए के घर में वो पीएन अरोड़ा के साथ रह रही थी वो भी उन्हें खाली करना पड़ गया। 

शुरू हुआ हेलन का बुरा वक्त

पीएन अरोड़ा से शादी खत्म करने के बाद हेलन की ज़िंदगी में मुसीबतें आनी शुरू हो गई। कहा जाता है कि हेलन के अपनी मां और अपने भाई-बहनों के साथ भी रिश्ते बिगड़ गए थे। परिवार से हेलन के रिश्ते इतने ज़्यादा ख़राब हो गए थे कि हेलन ने उनसे हर तरह से अपना नाता तोड़ लिया था।

वहीं पचास, साठ और सत्तर के दशक के शुरूआती सालों तक हर किसी की पहली पसंद रही हेलन को अब बढ़ती उम्र की वजह से काम मिलना भी काफी कम होने लगा था। वजह थी फिल्म इंडस्ट्री में इस समय तक कई नई हॉट और जवान डांसर्स का आ जाना। 

और फिर हुई सलीम खान से Helen की मुलाकात

एक वक्त में जिस हेलन के पास काम खुद चलकर आता था अब उसी हेलन को काम मांगने के लिए डायरेक्टर-प्रोड्यूसर्स के दरवाज़ों पर दस्तक देनी पड़ रही थी। इत्तेफाक से इसी दौरान हेलन की मुलाकात मशहूर और मारूफ़ लेखक सलीम खान से हुई।

सलीम खान ने हेलन को काम दिलाने में काफी मदद की। इसी दौरान दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ने लगी। हेलन को सलीम खान की अच्छाई और सलीम खान को हेलन की सादगी बेहद पसंद आई। सलीम खान तो हेलन पर बेहद जान छिड़कते थे। 

खान परिवार का दिल जीतने में कामयाब रही हेलन

हेलन सलीम खान को कितनी पसंद थी इसका अंदाज़ा ऐसे लगाया जा सकता है कि शादीशुदा और कई बच्चों का पिता होने के बावजूद सलीम खान ने हेलन से साल 1981 में शादी कर ली। हालांकि तब हेलन और सलीम खान दोनों को ही खान परिवार की तरफ से बहुत ज़्यादा गुस्से का सामना करना पड़ा था। 

ना तो सलीम खान की पत्नी और ना ही उनके बच्चे हेलन संग उनकी शादी से खुश थे। हेलन भी सोचने पर मजबूर हो गई थी कि सलीम खान से शादी करके उन्होंने सही किया है या गलत। हेलन को काफी अफसोस भी होता था। लेकिन धीरे-धीरे हेलन के बर्ताव से प्रभावित होकर खान परिवार ने हेलन को स्वीकार कर ही लिया। 

कभी जो बच्चे हेलन से नफरत करते थे अब वो हेलन को मां कहकर पुकारने लगे थे। सलीम खान से शादी करने के बाद हेलन ने भी आखिरकार फिल्मों से पूरी तरह से ब्रेक ले लिया। हालांकि कुछ-कुछ फिल्मों में वो गेस्ट रोल करते हुए ज़रूर नज़र आती रही।

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