Neeraj Vora | सबको हंसाने वाला ये कलाकार खुद खामोशी से दुनिया छोड़ गया | Biography

Neeraj Vora. एक महान डायरेक्टर, एक शानदार लेखक, एक जानदार म्यूज़िशियन और एक ज़बरदस्त एक्टर। एक बेहद सामान्य परिवार में पैदा होकर नीरज वोरा ने हिंदी सिने जगत में अपनी बेहद उम्दा और बेहद मजबूत पहचान बनाई। लेकिन समय का फेर देखिए। लोगों को खूब हंसाने वाले इस एक्टर का आखिरी वक्त बेहद दुखभरा और दर्द भरा रहा।

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Late Bollywood Actor Neeraj Vora Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan पर आज पेश है Neeraj Vora की कहानी। Neeraj Vora जैसे मल्टी टैलेंडेट अभिनेता के साथ अंतिम समय में ऐसा क्या हुआ था कि हर कोई हैरान और दुखी रह गया था? ये पूरा किस्सा आज आप Meerut Manthan पर जानेंगे। साथ ही नीरज वोरा की ज़िंदगी के कई दूसरे पहलुओं पर भी आप और हम बारीकी से नज़र डालेंगे।

Neeraj Vora की शुरूआती ज़िंदगी

नीरज वोरा का जन्म 22 जनवरी 1963 को गुजरात के भुज में हुआ था। इनके पिता पंडित विनायक राय वोरा एक शास्रीय संगीतकार थे और तार शहनाई वादक थे। जबकी इनकी मां प्रमिला बेन एक गृहणी थी। 

नीरज छोटे ही थे जब इनके पिता इन्हें और इनकी माता को लेकर मुंबई आ गए। यहां एक स्कूल में उन्हें इंडियन क्लासिकल म्यूज़िक टीचर की हैसियत से नौकरी मिल गई थी। 

घर में प्रतिबंधित थी फिल्में

इनके पिता चूंकि शास्त्रीय संगीतकार थे तो उन्होंने अपने घर में बॉलीवुड फिल्मों को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया था। पर चूंकि इनकी मां हिंदी फिल्मों की शौकीन थी तो अक्सर इनकी मां इन्हें लेकर चुपके से फिल्में देखने चली जाती थी।

इस तरह बचपन से ही नीरज वोरा को हिंदी सिनेमा और संगीत में दिलचस्पी आने लगी। कम उम्र से ही वो फिल्मों में काम करने का ख्वाब देखने लगे। 

स्कूल में Neeraj Vora के दोस्त बने भविष्य के कई स्टार्स

चूंकि पिता संगीतकार थे तो बचपन से ही नीरज को कुछ म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट्स बजाना आ गया था। जब भी पिता घर पर नहीं होते थे तो नीरज उनके म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट्स पर फिल्मी गानों की धुन बजाया करते थे। 

नीरज का दाखिला इनके पिता ने उसी स्कूल में कराया जहां वे खुद भी नौकरी किया करते थे। स्कूल में इनके साथ आशुतोष गोवारिकर, टीना मुनीम और फाल्गुनी पाठक भी पढ़ते थे जो आगे चलकर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का बड़ा नाम भी बने। 

राजेश रोशन लाए Neeraj Vora को एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में

ये जिस इलाके में रहते थे वहां पास में ही संगीतकार राजेश रोशन भी रहा करते थे। राजेश रोशन इनके पिता को अच्छी तरह से जानते थे और ये भी जानते थे कि इनके पिता के पास बच्चे म्यूज़िक सीखने आते हैं। 

एक दिन राजेश रोशन इनके पिता के पास आए और उन्होंने इनके पिता से कहा कि उन्हें एक गाने के लिए 5-6 ऐसे बच्चे चाहिए जो किशोर कुमार के साथ कोरस गा सकें।नीरज के पिता ने कुछ बच्चों के साथ इन्हें भी राजेश रोशन के पास भेज दिया। 

इस तरह नीरज बचपन से ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़ गए। फिल्म मिस्टर नटवरलाल में अमिताभ बच्चन ने अपने फिल्मी करियर का पहला गीत मेरे पास आओ मेरे दोस्तों गाया था। इस गीत में कोरस गाने वाले बच्चों में नीरज वोरा भी थे।

मां ने बनाया नीरज को एक्टर

चूंकि नीरज अपनी मां के साथ खूब फिल्में देखते थे तो स्कूल में आकर वे अपने दोस्तों को फिल्मों की कहानी भी सुनाते थे। और इस तरह ये फिल्मों में एक्टिंग करने का ख्वाब देखने लगे। अपने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए नीरज ने एक गुजराती थिएटर भी जॉइन कर लिया।

लेकिन उन्हें थोड़ी घबराहट भी हो रही थी। उन्हें डर था कि उनके पिता जो कि अब तक फिल्मों से अपने परिवार को दूर रखने की वकालत करते आए थे जब उन्हें पता चलेगा कि उनका बेटा थिएटर करने लगा है तो जाने वो क्या सोचेंगे। 

नाराज़ नहीं, खुश हुए नीरज के पिता

एक दिन हिम्मत करके उन्होंने अपने पिता को बता दिया कि वो एक्टर बनना चाहते हैं इसलिए एक गुजराती थिएटर से जुड़ चुके हैं। नीरज के मुंह ये से बात सुनकर उनके पिता नाराज़ होने की जगह खुश हुए और बोले कि तुम्हें जो अच्छा लगता है तुम वो करो। बस पढ़ाई मत छोड़ना।

पिता के मुंह ये बात सुनकर नीरज आत्मविश्वास से भर गए और जी जान से गुजराती थिएटर करने लगे। थिएटर के साथ-साथ नीरज ने पढ़ाई भी जारी रखी और कॉलेज में दाखिला ले लिया। 

कॉलेज में बने और नए दोस्त

कॉलेज में इनके साथ इनके बचपन के दोस्त आशुतोष गोवारिकर तो थे ही, साथ ही यहां पर इनकी दोस्ती मकरंद देशपांडे और दीपक तिजोरी से भी हो गई। ये दोनों भी आगे चलकर बड़े अभिनेता बने। 

नीरज अपने दोस्तों के साथ मिलकर कॉलेज में भी थिएटर कर रहे थे। इनका एक नाटक कॉलेज के दिनों में काफी मशहूर हुआ। उस नाटक की बदौलत ये कॉलेज का जाना-पहचाना चेहरा बन गए। 

केतन मेहता ने बदल दी ज़िंदगी

एक दिन इनका वो नाटक केतन मेहता ने देखा। केतन को इनके ग्रुप का काम बेहद पसंद आया और उन्होंने नीरज व उनके दोस्तों को अपनी फिल्म होली में काम दे दिया। 

होली वही फिल्म है जिससे आमिर खान ने अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत की थी। नीरज वोरा का एक्टिंग डेब्यू भी इसी फिल्म से हुआ और इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान ही नीरज वोरा की आमिर खान के साथ गहरी दोस्ती भी हो गई थी।

छोटे पर्दे पर भी हिट रहे Neeraj Vora

फिल्म के साथ-साथ नीरज को छोटे पर्दे पर भी काम मिलने लगा था और इन्होंने शाहरुख खान के सुपरहिट टीवी शो सर्कस में भी काम किया। छोटी बड़ी बातें नाम के दूरदर्शन के एक और सीरियल में भी इन्होंने काम किया था। 

फिर साल 1989 में सलीम लंगड़े पर मत रो नाम की फिल्म से दोबारा इनकी सिल्वर स्क्रीन पर वापसी हुई। 1992 में शाहरुख खान की फिल्म राजू बन गया जेंटलमैन में भी ये नज़र आए। 

साइड रोल्स से हुए बोर तो बन गए लेखक

लेकिन साइड रोल्स करने में इन्हें अब बोरियत महसूस होने लगी थी। इन्हें लग रहा था कि कुछ ऐसा काम किया जाए जिसमें मज़ा भी आए और सम्मान भी पूरा मिले। 

तब नीरज अपने पुराने दोस्तों आशुतोष गोवारिकर और दीपक तिजोरी के पास गए और इन तीनों ने खुद से एक फिल्म बनाने का फैसला कर लिया। ये फिल्म थी पहला नशा। 

इस फिल्म को डायरेक्ट किया था आशुतोष गोवारिकर ने और इसमें हीरो के रोल में दीपक तिजोरी थे। इस फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर थे नीरज वोरा। यानि इस फिल्म से नीरज वोरा के राइटिंग करियर का आगाज़ हो गया था। 

फिल्म तो नहीं चली पर नीरज का लेखन पसंद किया गया

ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर पाई थी। लेकिन इसका म्यूज़िक काफी पसंद किया गया था। और आपको जानकर हैरानी होगी कि नीरज ने अपने छोटे भाई के साथ मिलकर इस फिल्म के लिए म्यूज़िक तैयार किया था। 

आशुतोष को जब अपने करियर की दूसरी डायरेक्टोरियल फिल्म बाज़ी मिली तो उन्होंने इस फिल्म में कुछ कॉमिक डायलॉग्स लिखने के लिए नीरज वोरा को भी रख लिया। 

राम गोपाल वर्मा को पसंद आई नीरज की लेखनी

एक दिन नीरज बाज़ी फिल्म के कुछ डायलॉग्स लिख रहे थे तो आमिर खान उनके पास आए और उन्होंने नीरज से कहा कि क्या आप रंगीला फिल्म के लिए कोई कॉमिक डायलॉग लिखेंगे। 

ओरिजिनली तो रंगीला फिल्म के डायलॉग्स लिखने की ज़िम्मेदारी अराफात महमूद को मिली थी। लेकिन चूंकि आमिर को नीरज की राइटिंग पसंद आती थी तो उन्होंने एक दिन राम गोपाल वर्मा से नीरज को मिलाया। 

राम गोपाल वर्मा ने भी नीरज की लेखनी देखी और उन्होंने नीरज को रंगीला में कॉमिक सीन्स लिखने का काम दे दिया। इत्तेफाक से इसी दौरान किन्हीं निज़ी मजबूरियों के चलते अराफात महमूद ने रंगीला फिल्म छोड़ दी। 

अराफात महमूद के फिल्म छोड़ने के बाद राम गोपाल वर्मा ने पूरी फिल्म के डायलॉग्स की ज़िम्मेदारी नीरज वोरा को दे दी। नीरज ने बड़ी ही खूबसूरती से रंगीला फिल्म के डायलॉग्स लिखे। 

रंगीला में Neeraj Vora ने कॉमेडी भी की थी

रंगीला ही वो फिल्म भी बनी जिसमें पहली दफा नीरज वोरा की कॉमेडी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। दरअसल, फिल्म के एक कॉमिक सीन के लिए राम गोपाल वर्मा ने एक जूनियर आर्टिस्ट को साइन किया था। 

लेकिन जिस दिन वो सीन शूट होना था उस दिन वो जूनियर आर्टिस्ट सेट पर पहुंचा ही नहीं। शॉट रेडी था और आर्टिस्ट के ना आने से राम गोपाल वर्मा काफी परेशान थे। 

तब आमिर खान ने रामू को सलाह दी कि क्यों ना ये सीन नीरज वोरा से कराया जाए। रामू ने आमिर की सलाह मान ली और नीरज वोरा से कहा कि वो ये सीन करें। 

चूंकि नीरज तो एक्टर थे ही सो वो भी तुरंत तैयार हो गए। और फिर कैमरे के सामने नीरज ने शराबी आदमी का वो सीन इतने ज़बरदस्त तरीके से निभाया कि जब डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने कट बोला तो सेट पर मौूजद हर शख्स ने तालियां बजाई।

अनिल कपूर भी नीरज वोरा के फैन हुए

रंगीला फिल्म सुपरहिट रही। रंगीला के लिए नीरज वोरा की शानदार डायलॉग लेखनी के लिए उनकी काफी तारीफें हुई। साथ ही साथ शराबी आदमी का जो छोटा सा किरदार नीरज ने रंगीला में निभाया था 

उसके लिए तो हर कोई उनकी तारीफें कर रहा था। अनिल कपूर ने जब रंगीला में नीरज का वो छोटा सा रोल देखा तो उन्हें भी नीरज का एक्टिंग करने का अंदाज़ बड़ा पसंद आया। 

अनिल ने नीरज को अपनी फिल्म विरासत में सुखिया के रोल के लिए कास्ट कर लिया। इस तरह नीरज ना केवल एक्टिंग कर रहे थे, बल्कि साथ ही साथ राइटिंग भी कर रहे थे। 

चल निकला नीरज का करियर

बादशाह और मेला जैसी फिल्में लिखकर नीरज वोरा ने साबित कर दिया था कि वो किसी भी जोनरा के लिए फिल्म के डायलॉग्स लिख सकते हैं। वहीं दौड़, सत्या और मन जैसी फिल्मों में नीरज की कमाल की एक्टिंग इस बात का सबूत थी कि वो कितने उम्दा अभिनेता थे। 

फिल्मों के डायलॉग्स लिखने के दौरान ही नीरज वोरा की जान पहचान प्रियदर्शन से हो गई। इसके बाद तो नीरज ने प्रियदर्शन के साथ खूब काम किया। 

हेरा फेरी और फिर हेरा फेरी वो दो फिल्में हैं जिनमें प्रियदर्शन और नीरज की जोड़ी ने काम किया और ये फिल्में दर्शकों ने खूब पसंद भी की। नीरज ने एक से बढ़कर एक फिल्में लिखी और कई फिल्मों में इन्होंने बहुत ही कमाल की एक्टिंग की। 

नीरज उन राइटर में से एक थे जो बॉलीवुड को गोविंदा की कॉमेडी के ज़माने से आगे लेकर आए थे और हिंदी दर्शकों को एक नए अंदाज़ की कॉमेडी से उन्होंने रूबरू कराया था। 

निजी ज़िंदगी थी बेहद चुनौतीपूर्ण

नीरज की प्रोफेशनल लाइफ जितनी शानदार थी उनकी पर्सनल लाइफ उतनी ही ज़्यादा दुखभरी थी। जिन दिनों नीरज अपने करियर की पीक पर थे उन्हीं दिनों यानि साल 2004 में नीरज की पत्नी की मृत्यु हो गई। नीरज की कोई औलाद नहीं थी।

अगले साल यानि 2005 में नीरज के पिता भी दुनिया छोड़कर चले गए। पिता की मौत के बाद नीरज का छोटा भाई अपने परिवार को लेकर अलग रहने लगा। ऐसे में मां की ज़िम्मेदारी भी नीरज पर ही आ गई थी। 

मां भी दुनिया साथ छोड़ गई

ज़िंदगी के अकेलेपन को दूर करने के लिए नीरज जमकर काम कर रहे थे और खाली वक्त में वो अपनी मां की सेवा कर रहे थे। लेकिन साल 2014 में नीरज की मां भी नहीं रही और इस तरह नीरज इस दुनिया में एकदम अकेले रह गए। 

नीरज ने अपने काम को ही अपने सुख-दुख का साथी बना लिया। उन्होंने खुद को काम में इतना ज़्यादा बिज़ी कर लिया कि तनहाई के बारे में सोचने का उन्हें वक्त ही नहीं मिला। 

लेकिन जब साल 2016 में हेरा फेरी फिल्म के तीसरे भाग के सिलसिले में ये दिल्ली में थे तो इन्हें हार्ट अटैक आ गया। इन्हें एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में इन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी आ गया और नीरज कोमा में पहुंच गए। 

Neeraj Vora को आ गया हार्ट अटैक

नीरज दिल्ली में अकेले ज़िंदगी की जंग लड़ रहे थे। लेकिन तभी इनकी बीमारी की खबर इनके सबसे अच्छे दोस्त फिरोज़ नाडियाडवाला को मिली। 

वो नीरज से मिलने तुरंत मुंबई से दिल्ली आए और फिरोज़ नीरज को एयर एंबुलेंस के ज़रिए दिल्ली से मुंबई ले गए और वहां एक बढ़िया से अस्पताल में उन्होंने इलाज के लिए नीरज को भर्ती करा दिया।

डॉक्टर्स ने जब फिरोज़ को बताया कि नीरज वोरा कोमा में हैं और अस्पताल की जगह उन्हें घर पर रखा जाना चाहिए तो फिरोज़ नाडियाडवाला ने अपने घर का एक कमरा आईसीयू में तब्दील कराया। 

बेकार गई फिरोज़ नाडियाडवाला की मेहनत

24 घंटे नीरज की देखभाल हो सके इसके लिए एक नर्स को अपॉइन्ट किया। नीरज का इलाज करने के लिए डॉक्टर्स फिरोज़ नाडियाडवाला के घर पर ही आते थे। नीरज को बचाने के लिए फिरोज़ नाडियाडवाला दिल लगाकर मेहनत कर रहे थे।

एक वक्त ऐसा भी आया जब नीरज कोमा से बाहर आए और लगा कि अब जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन 14 दिसंबर 2017 को मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के चलते सुबह 4 बजे नीरज वोरा की अचानक मौत हो गई।

Neeraj Vora को सैल्यूट है

नीरज वोरा की कहानी मिसाल है इस बात की कि भले ही किस्मत आपको हर वो चीज़ देदे जिसका ख्वाब आपने देखा है। हर वो खुशी आपकी झोली में डाल दे जिसकी मिन्नत आपने ईश्वर से की है। लेकिन किस्मत जब लेने पर आती है तो फिर कहीं का नहीं छोड़ती। 

सब कुछ होते हुए भी किस्मत आपकी हैसियत एक मजबूर फकीर जितनी कर देती है। नीरज वोरा भी एक ऐसे ही फकीर थे जिन्हें किस्मत ने पहले तो सब कुछ दिया। लेकिन फिर बाद में एक-एक करके हर खुशी उनकी छीन ली। 

मगर नीरज वोरा ने अपने हुनर से हम दर्शकों का जिस तरह से मनोरंजन किया है उसके लिए हम हमेशा उनके आभारी रहेंगे। Meerut Manthan Neeraj Vora को सैल्यूट करता है। साथ ही साथ उन्हें नमन भी करता है। जय हिंद।

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