Satish Shah | वो Actor जिसका चेहरा देखते ही हंसी आ जाती है | Biography

Satish Shah. एक ऐसा कॉमेडियन, जिसने कई अंदाज़ में कॉमेडी की। और अपने हर अंदाज़ से लोगों को खूब गुदगुदाया। सिल्वर स्क्रीन हो, या फिर छोटा पर्दा। 

मनोरजंन के जिस माध्यम पर ये नज़र आए, लोगों को हंसाते ही रहे। किसी फिल्म में सतीश शाह के होने का मतलब होता है फिल्म में कॉमेडी का तड़का भी बखूबी लगाया गया है।

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Actor Satish Shah Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan आज आपको महान कॉमेडियन Satish Shah की ज़िंदगी की कहानी बताएगा। Satish Shah के फिल्मी सफर और उनकी ज़िंदगी से जुड़ी कई रोचक बातें आज हम और आप जानेंगे।  

बहुत बढ़िया स्पोर्ट्समैन थे Satish Shah 


25 जून 1951 को सतीश शाह का जन्म मुंबई में हुआ था। इनका परिवार मूलरूप से गुजरात के मांडवी का रहने वाला था। इनके पिता का मुंबई में अपना एक छोटा सा बिजनेस था। 

वहीं इनकी माता एक हाउस वाइफ थी। इनका एक भाई और एक बहन हैं। स्कूल के दिनों में सतीश शाह को एक्टिंग में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वो स्पॉर्ट्स के शौकीन थे। 

सतीश बढ़िया क्रिकेट खेलते थे। साथ ही साथ बेसबॉल में भी इनका स्कूल में बढ़िया नाम था। आज के ज़माने में तो शायद ही कोई यकीन कर पाए। लेकिन अपने स्कूल में ये हाई जंप और लॉन्ग जंप के चैंपियन हुआ करते थे। 

इस इत्तेफाक से एक्टर बने Satish Shah

एक दफा इत्तेफाक से स्कूल के सालाना फैस्टिवल में होने वाले हिंदी नाटकों में जब एक्टरों की कमी पड़ी तो इनके हिंदी टीचर ने ज़बरदस्ती इनका नाम नाटक करने वाले बच्चों की लिस्ट में लिख लिया। 

सतीश काफी नर्वस हो गए। उन्होंने कभी एक्टिंग नहीं की थी। लेकिन टीचर को वो मना भी नहीं कर पा रहे थे। नाटक की रिहर्सल के दौरान सतीश ने अपने डायलॉग तो याद कर लिए। 

लेकिन जब किसी के सामने अपने डायलॉग उन्हें बोलने पड़ते थे तो वो बहुत ज़्यादा अटकने लगते थे।

और Satish Shah ने ठान लिया कि उन्हें एक्टर ही बनना है

इसी वजह से सतीश नाटक शुरू होने से पहले बुरी तरह घबरा गए। इनको घबराता देखकर इनके टीचर ने इनसे कहा कि ऑडियंस की तरफ देखना ही मत। तुम बस ऊपर देखकर अपने डायलॉग बोल देना। 

हुआ भी कुछ ऐसा ही। नाटक शुरू होने पर सतीश शाह ने ऑडियंस की तरफ ज़रा भी नहीं देखा। वो केवल दूसरे एक्टर की तरफ देखकर अपने डायलॉग बोलते चले गए।

लेकिन इस दौरान कमाल की बात ये हुई कि सतीश शाह ने अपने सभी डायलॉग बड़ी ही खूबसूरती के साथ बोले। दर्शकों को इनकी डायलॉग डिलीवरी बड़ी पसंद आई। 

नाटक खत्म होने पर सतीश शाह को स्टैंडिंग ओविएशन मिला। और इसी दिन सतीश शाह ने तय कर लिया कि अब तो उन्हें एक्टर ही बनना है।

जब घर वालों से साफ कह दी ये बात

स्कूल के दिनों में शुरू हुआ नाटकों में काम करने का वो सिलसिला इनकी ज़िंदगी में आगे भी चलता रहा। इनके पिता कई दफा ये सोचकर परेशान हो जाते थे कि सतीश भविष्य में अपने लिए करेंगे क्या। 

पढ़ाई-लिखाई में ये बहुत खास नहीं थे। एक्टिंग में तारीफें मिलने लगी तो इन्होंने पूरा इरादा कर लिया था कि ये एक्टिंग को ही अपना करियर बनाएंगे। 

12वीं क्लास के एग्ज़ाम के बाद एक दिन इन्होंने अपने घरवालों के सामने कह ही दिया कि इनके समझ में पढ़ाई लिखाई नहीं आती है। ये तो बस एक्टर ही बनेंगे।

और FTII पहुंच गए Satish Shah

घरवालों ने इनकी ज़िद पर भड़कने की बजाय उसके पीछे छिपे एक्टिंग के लिए इनके जुनून को समझा। पिताजी ने इजाज़त दे दी। 

लेकिन इस शर्त के साथ कि पहले पढ़ाई पूरी करनी होगी, तब एक्टर बनने के अपने ख्वाब को पूरा करने के लिए मेहनत करोगे। सतीश ने खुशी-खुशी पिता की वो बात मान ली।

कॉलेज में दाखिला लेने के बाद पढ़ाई के साथ-साथ सतीश शाह ने नाटकों में काम करना भी जारी रखा। कॉलेज खत्म हुआ तो सतीश शाह पहुंच गए पुणे में मौजूद फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया। 

यहां इनके कई सहपाठी ऐसे रहे जो आगे चलकर फिल्म इंडस्ट्री में इनकी ही तरह बहुत बड़ा नाम बने।

और शुरू हो गया सतीश का फिल्मी करियर


एफटीआईआई से पास आउट होने के बाद पहली दफा सतीश शाह नज़र आए साल 1978 में रिलीज़ हुई फिल्म अरविंद देसाई की अजीब कहानी में। 

हालांकि कई जगहों पर ये दावा भी किया जाता है कि साल 1970 में रिलीज़ हुई फिल्म भगवान परशुराम में भी इन्होंने काम किया था।

उस फिल्म के क्रेडिट्स में इनका नाम सतीश आर शाह नज़र भी आता है।  लेकिन फिल्म में सतीश को पहचान पाना ज़रा भी मुमकिन नहीं है। 

ऐसे में ये कहना कि वो यही सतीश रविलाल शाह यानि सतीश आर शाह हैं जिनकी कहानी हम आपको बता रहे हैं, बेहद मुश्किल है।

इस फिल्म ने Satish Shah को कर दिया स्थापित


1978 में आई फिल्म अरविंद देसाई की अजीब कहानी के बाद सतीश शाह अगले साल यानि 1979 में फिल्म गमन में नज़र आए। 

1981 में आई उमराव जान और अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है में भी ये काम करते दिखे और इनको दर्शकों ने बेहद पसंद भी किया।

1982 में आई फिल्म शक्ति में सतीश शाह अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार जैसे महान कलाकारों के साथ नज़र आए।

लेकिन साल 1983 में आई फिल्म जाने भी दो यारों ने सतीश शाह को फिल्म इंडस्ट्री में एक कॉमेडियन की हैसियत से स्थापित कर दिया।

2 सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में दिखे Satish Shah

जाने भी दो यारो एक कल्ट फिल्म थी। और इस फिल्म को बेहद पसंद किया गया था। फिल्म में सतीश शाह के किरदार का नाम डीमैलो था जो कि एक भ्रष्ट म्यूनिशिपल कमिश्नर था। 

इस फिल्म के बाद तो सतीश शाह की किस्मत चमक उठी और वो फिल्म इंडस्ट्री में एज़ ए कॉमेडियन सेट हो गए। इन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया। अपने पचास साल लंबे फिल्मी करियर में इन्होंने 2 सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया।

छोटे पर्दे पर भी किया खूब काम

सतीश शाह ने केवल फिल्मों में ही नहीं, छोटे पर्दे पर भी अपनी कॉमेडी से दर्शकों को खूब गुदगुदाया। भारत के पहले सिटकॉम ये जो है ज़िंदगी में इन्होंने काम किया था। 

साल 1984 में दूरदर्शन पर टेलिकास्ट हुए इस शो के 55 एपिसोड्स में ये नज़र आए थे और उन सभी 55 एपिसोड्स में इन्होंने 55 अलग-अलग किरदारों को जिया था।

ज़ीटीवी के शो घर जमाई में भी ये नज़र आए। वहीं स्टार वन चैनल पर आया इनका शो साराभाई वर्सेज साराभाई में भी इन्होंने अपनी कॉमेडी से दर्शकों का दिल जीत लिया। इस सबके अलावा साल 2007 में ये कॉमेडी सर्कस को जज करते हुए भी दिखे थे।

बचपन में कर दिया था ये कांड

सतीश शाह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों का ज़िक्र करें तो जब ये छोटे थे तो एक दफा इनकी आंख में इनके साथ खेल रहे एक बच्चे ने ढेर सारा रेत डाल दिया था। 

नादान सतीश ने अपनी आंखों को ज़ोर से रगड़ लिया। रेत के नुकीले कतरों से सतीश शाह की आंख की पुतलियों पर खरोंच के निशान बन गए थे। 

इनके पिता जब इन्हें इनके डॉक्टर के पास लेकर गए तो डॉक्टर ने इनके पिता से कहा कि अगर इन्हें देर से इलाज के लिए लाया जाता तो शायद इनकी आंखों की रोशनी को बचा पाना मुश्किल हो जाता

मैं हूं ना से जुड़ा है ये दिलचस्प किस्सा


सतीश के जीवन का एक दूसरा रोचक किस्सा जुड़ा है फिल्म मैं हूं ना से। दरअसल, पहले सतीश शाह को वो रोल ऑफर किया गया था जिसे बॉमन ईरानी ने निभाया था। 

लेकिन शाहरुख खान ने सतीश शाह से रिक्वेस्ट की कि वो थूकने वाले प्रोफेसर का रोल निभाएं। शुरू में तो सतीश ने इन्कार किया।

लेकिन शाहरुख के बार-बार रिक्वेस्ट करने पर आखिरकार सतीश शाह मान गए। फिल्म में सतीश शाह के जब थूकने वाले सीन शूट किए गए तो शाहरुख खान को बड़ी परेशानी हुई। 

दरअसल, सतीश को थूकते हुए बोलते देखकर शाहरुख की हंसी छूट रही थी और इससे डायरेक्टर फराह खान को बार-बार रीटेक लेना पड़ रहा था।

सतीश शाह के जीवन का सबसे मुश्किल साल 

अपनी लगभग हर फिल्म में दर्शकों को हंसाने वाले सतीश शाह के जीवन में साल 1986 सबसे मुश्किलों भरा साल बनकर आया। 

तीन महीनों के भीतर ही सतीश शाह के माता-पिता ने दुनिया छोड़ दी। सतीश अपने माता-पिता से बेहद प्यार करते थे। दोनों का इस तरह इतनी जल्दी चले जाना सतीश के लिए मानों दुखों का पहाड़ खुद पर गिरने जैसा था। 

अगले कई दिनों तक सतीश अपने माता-पिता को खोने के ग़म में डूबे रहे।

सतीश शाह की निजी ज़िंदगी 


सतीश शाह की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो इन्होंने मधु शाह से शादी की है। मधु शाह और सतीश शाह की लव मैरिज हुई थी। दरअसल, सतीश शाह ने एक फिल्म फेस्टिवल के दौरान मधु को देखा था। 

सतीश वहीं से मधु को पसंद करने लगे। मौका देखकर सतीश ने दो दफा मधु को शादी के लिए प्रपॉज़ किया। लेकिन चूंकि उन दिनों मधु सतीश को जानती नहीं थी तो दोनों दफा ही मधु ने सतीश के प्रपॉज़ल को ठुकरा दिया।

इस तरह मानी मधु

इसके बाद फिल्म साथ-साथ में दोनों को साथ काम करने का मौका मिला। इस वक्त तक मधु सतीश को पहचानने लगी थी और सतीश काफी पहचान भी बना चुके थे। 

साथ-साथ नाम की उस फिल्म में मधु ने एक गाने का कोरस गाया था। उस गाने में सतीश शाह ने भी परफॉर्म किया था। गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान सतीश और मधु को थोड़ा वक्त साथ गुज़ारने का मौका मिला। 

और यही वो वक्त बन गया जब मधु सतीश शाह को पसंद करने लगी। इसके बाद सतीश शाह और मधु ने शादी कर ली।

ऐसे हुई थी Satish Shah की शादी

सतीश शाह गुजराती फैमिली से थे तो शादी गुजराती रीति-रिवाज से होनी थी। लेकिन चूंकि इनके किसी दोस्त ने इनसे कह दिया कि भई शादी में दूल्हे के सिर पर साफा होना चाहिए। 

तब अभिनेता अवतार गिल ने सतीश के सिर पर साफा बांधा। लेकिन चूंकि अवतार गिल पंजाबी थे तो उन्होंने सतीश के सिर पर पंजाबी स्टाइल साफा बांधा।

पूरी शादी में सतीश वो पंजाबी स्टाइल साफा पहने रहे और उस साफे को सतीश के सिर पर देखकर इनके कई रिश्तेदार हैरान भी हो गए थे। सतीश और मधु की शादी हुए कई साल हो चुके हैं। हालांकि इन दोनों की कोई औलाद नहीं है।

सतीश शाह को सैल्यूट

मेरठ मंथन ईश्वर से ये प्रार्थना करता है कि जल्द ही वो मौका फिर से आए जब किसी बढ़िया सी फिल्म में सतीश को एक बहुत ही बढ़िया सा रोल मिल जाए। 

साथ ही साथ सतीश शाह की सेहत भी हमेशा सलामत रहे। फिल्म इंडस्ट्री में सतीश शाह ने जो योगदान किया है वो वाकई में अतुलनीय है। मेरठ मंथन सतीश शाह को सैल्यूट करता है। जय हिंद। 


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