Don Movie's Interesting Facts | 1978 में आई Amitabh Bachchan की डॉन से जुड़ी कुछ बड़ी ही दिलचस्प बातें | Trivia
Don Movie's Interesting Facts. 12 मई साल 1978 में आई अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म डॉन उस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी। उस साल सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में डॉन तीसरे नंबर पर रही थी।
जबकी पहले नंबर पर अमिताभ बच्चन की ही मुकद्दर का सिकंदर और दूसरे नंबर पर भी अमिताभ की ही त्रिशूल थी। टीवी पर अक्सर डॉन फिल्म का प्रसारण होता रहा है। यही वजह है कि सिनेमा के ज़्यादातर शौकीनों ने डॉन देखी ही होगी।
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Don (1978) Poster - Photo: Social Media |
Meerut Manthan आज आपको डॉन फिल्म से जुड़ी कुछ बेहद रोचक जानकारियां देगा। और इस बात का हमें पूरा यकीन है कि आपको Meerut Manthan ये पेशकश ज़रूर पसंद आएगी। Don Movie's Interesting Facts.
दोस्तों डॉन फिल्म के प्रोड्यूसर थे नरिमन ईरानी जो कि उस ज़माने में फिल्म इंडस्ट्री के एक जाने-माने सिनेमैटोग्राफर भी हुआ करते थे। डॉन से पहले नरिमन ईरानी ने Zindagi Zindagi नाम की एक फिल्म बनाई थी जिसमें Sunil Dull, Waheeda Rehman और Ashok Kumar जैसी बड़ी स्टारकास्ट थी।
लेकिन वो फिल्म बुरी तरह Flop हो गई थी। ऐसे में Nariman A Irani पर 12 लाख रुपए कर्ज़ हो गया था जो कि उस ज़माने में एक बहुत बड़ी रकम थी। इतना बड़ा कर्ज़ होने के कारण नरिमन ईरानी बहुत परेशान और टेंशन में रहा करते थे। ऐसे में Amitabh Bachchan, Zeenat Aman और Chandra Barrot ने नरिमन को एक और फिल्म बनाकर कर्ज़ उतारने की सलाह दी।
नरिमन ईरानी की दोस्ती अमिताभ, ज़ीनत और चंद्रा बैरोट से फिल्म Roti Kapda Aur Makaan की मेकिंग के दौरान हुई थी। नरिमन उस फिल्म के सिनेमैटोग्राफर थे और चंद्रा बैरोट डायरेक्ट मनोज कुमार के असिस्टेंट डायरेक्टर थे। जबकी अमिताभ व ज़ीनत उस फिल्म में एज़ एन एक्टर काम कर रहे थे।
ये वो वक्त था जब Zanjeer की कामयाबी के बाद अमिताभ फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम बन चुके थे। अमिताभ व बाकी सभी ने नरिमन को भरोसा दिया कि वो बिना कोई पैसा लिए इनकी फिल्म में काम करेंगे। अगर फिल्म हिट हो गई तो अपनी फीस लेंगे नहीं तो नहीं लेंगे। अपने इन दोस्तों की सलाह पर नरिमन एक और फिल्म बनाने को रेडी हो गए।
फिल्म के डायरेक्शन की ज़िम्मेदारी चंद्रा बैरोट को दी गई और लीड किरदारों को निभाने का ज़िम्मा अमिताभ बच्चन और ज़ीनत अमान ने ले लिया। लेकिन अब सवाल था कि फिल्म के लिए कहानी कहां से लाई जाए।
अमिताभ ने नरिमन को सलाह दी कि Salim Javed से ही कोई कहानी खरीदी जाए। नरिमन सलीम-जावेद के पास गए भी। लेकिन उन्होंने नरिमन को जो भी कहानियां सुनाई वो सब इतनी महंगी थी कि नरिमन उन कहानियों को खरीद पाने की हिम्मत जुटा ही नहीं सके।
इत्तेफाक से Nariman Irani की wife Salma Irani Waheeda Rehman की Hair Dresser थी। उन्होंने वहीदा रहमान के ज़रिए सलीम-जावेद के पास अपने पति नरिमन ईरानी की सिफारिश भेजी। ऐसे में सलीम जावेद ने कहा कि उनके पास एक ऐसी कहानी है जिसे कोई खरीदने को तैयार नहीं है।
देवानंद, जितेंद्र, धर्मेंद्र और प्रकाश मेहरा जैसे बड़े नाम इस कहानी को नकार चुके हैं। तुम ये कहानी ले लो। अगर फिल्म हिट रही तो पैसे दे देना। फ्लॉप हो गई तो वो कोई पैसा नहीं लेंगे। इत्तेफाक से कहानी अमिताभ बच्चन और चंद्रा बैरोट को भी पसंद आ गई।
इस फिल्म का नाम डॉन क्यों पड़ा इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प थी। दरअसल, सलीम-जावेद इस कहानी को डॉन वाली कहानी कहा करते थे। चंद्रा बैरोट को भी यही नाम पसंद आ रहा था। ये देखकर नरिमन ईरानी ने फिल्म को डॉन नाम से ही रजिस्टर करा लिया।
जबकि मनोज कुमार ने नरिमन को सलाह दी कि चूंकि मुंबई में एक डॉन नाम का अंडरवियर ब्रांड भी बहुत पॉप्युलर है तो बेहतर होगा कि इस फिल्म का नाम मिस्टर डॉन रख लिया जाए। मगर चंद्रा बैरोट ने फिल्म का नाम डॉन ही रखे जाने की बात कही और फाइनली इस फिल्म का नाम डॉन पड़ गया।
अमिताभ बच्चन और ज़ीनत अमान के अलावा फिल्म में इफ्तेखार, प्राण, ओम शिवपुरी, पिंचू कपूर, सत्येन कप्पू, कमल कपूर, मैकमोहन, जगदीश राज, हेलन व कुछ और सितारे थे। फिल्म की मूल कहानी में नरिमन ईरानी ने खुद भी थोड़े बदलाव किए थे।
फिल्म की फाइनल स्क्रिप्ट जब डायरेक्टर चंद्रा बैरोट ने अपने गुरू मनोज कुमार को सुनाई तो उन्होंने चंद्रा बैरोट को सलाह दी कि चूंकि ये एक एक्शन पैक्ड फिल्म है तो इसके सेकेंड हाफ में कोई हल्का-फुल्का गाना होना चाहिए ताकि दर्शक हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी लुत्फ उठा सकें।
मनोज कुमार की सलाह मानते हुए चंद्रा बैरोट और नरिमन ईरानी मिले कल्याण जी आनंद जी से। ये जोड़ी ही डॉन फिल्म का म्यूज़िक तैयार कर रही थी।
चंद्रा बैरोट और नरिमन ईरानी की बात सुनने के बाद कल्याण आनंद ने इन्हें वो गीत दिया जिसे तैयार तो किया गया था छह साल पहले यानि 1972 में आई देवानंद की फिल्म बनारसी बाबू के लिए।
लेकिन एक्सट्रा होने के कारण देवानंद ने उस गाने को फिल्म से हटा दिया था। मगर अब वो गीत डॉन का हिस्सा बन गया था और वो गीत था खईके पान बनारस वाला। जिसे आज भी लोग बड़े शौक से सुनते हैं और उस पर थिरकते भी हैं।
इसी गाने से जुड़ा एक किस्सा कुछ यूं है कि इस की शूटिंग के दौरान अमिताभ की टांग में चोट लगी थी। और अमिताभ ने उसी चोट के साथ इस गाने पर डांस किया था। फिल्म में अमिताभ का जो स्टेप आपने देखा था वो वास्तव में घायल टांग के चलते उन्होंने किया था। और अमिताभ की ये टांग लावारिस की शूटिंग के दौरान चोटिल हुई थी।
इसी गाने से जुड़ा एक किस्सा कुछ यूं है कि चूंकि ये गाना पान से जुड़ा था तो इसकी शूटिंग को सही से निबटाने के लिए अमिताभ ने पूरे 40 पान एक दिन में खाए थे। किसी ने ये ध्यान नहीं दिया कि पान से मुंह लाल करने के लिए उसमें चूने की कोई ज़रूरत नहीं है।
इसलिए जब गाने की शूटिंग कंप्लीट हो गई तो चूने ने अपना असर दिखाया और अमिताभ का मुंह चूने के कारण अंदर से बुरी तरह से जल गया था। उन्हें पूरी तरह ठीक होने में एक हफ्ता लगा था।
एक और किस्सा जो इस गाने से जुड़ा है वो ये कि इस गाने को किशोर दा ने गाया था। किशोर दा ने गाने को पूरी फीलिंग से गाने के लिए स्टूडियो में पान चबाते हुए ये गाना रिकॉर्ड किया था। और उनके थूकने के लिए स्टूडियो में बाकायदा एक प्लास्टिक भी बिछाया गया था।
डॉन फिल्म की शूटिंग सन 1974 में शुरू हुई थी। और इसे कंप्लीट होने में साढ़े तीन साल का वक्त लग गया। ऐसा इसलिए क्योंकि इस फिल्म की शूटिंग पूरी होने से पहले ही प्रोड्यूसर नरिमन ए ईरानी की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी।
अपने ब्लॉग में अमिताभ बच्चन ने इस घटना का ज़िक्र करते हुए लिखा था कि एक दूसरी फिल्म की शूटिंग के चलते नरिमन राजकमल स्टूडियो में थे।इसी बीच फिल्म के लिए बनाया गया सेट टूट गया और नरिमन के ऊपर एक दीवार गिर गई।
एक बच्चे को बचाने की कोशिश में नरिमन उस दीवार की चपेट में आ गए थे। इत्तेफाक से उस बच्चे को तो खरोंच भी नहीं आई। लेकिन उस दुर्घटना में नरिमन अपनी जान से हाथ धो बैठे।
इस घटना के चलते डॉन की शूटिंग बीच में रुक गई थी। बाद में फिल्म के सभी कलाकारों ने फैसला किया कि वो सब मिलकर इस फिल्म को पूरा करेंगे और इसे रिलीज़ करेंगे।
डायरेक्टर चंद्रा बैरोट ने तो अपनी बहन से चालीस हज़ार रुपए इस फिल्म के लिए उधार भी लिए थे। बाद में फिल्म को पूरा करने के लिए इसके बजट में भारी कटौती भी की गई।
फिल्म के क्लाइमैक्स में कब्रिस्तान वाले सीन को पहले असली कब्रिस्तान में शूट करने की प्लानिंग थी। मगर बजट कटौती के चलते कब्रिस्तान का एक सेट तैयार किया गया और वहां नकली कब्रें बनवाई गई। कब्रों पर फिल्म की यूनिट के लोगों के ही नाम लिखाए गए और फिर वो सीन शूट किया गया।
जैसे-तैसे ये फिल्म पूरी तरह बनी। लेकिन आखिर में इस फिल्म के प्रमोशन के किए भी बजट नहीं बचा था। यही वजह है कि इस फिल्म को त्रिशूल के एक हफ्ते बाद बिना किसी खास प्रमोशन के ही रिलीज़ कर दिया गया।
पहले हफ्ते में तो फिल्म ठंडी रही। लेकिन दूसरे हफ्ते से इस फिल्म को दर्शक मिलने शुरू हो गए और ये फिल्म दर्शकों को खूब पसंद भी आई।
बाद में ये फिल्म 1978 की तीसरी सबसे बड़ी हिट फिल्म बन गई। भारत और वर्ल्ड वाइड मिलाकर फिल्म ने कुल 7 करोड़ 20 लाख की कमाई की। जबकी इसे बनाने में लगभग 1 करोड़ रुपए का खर्च आया था।
वादे के मुताबिक फिल्म के सभी बड़े स्टार्स ने अपना हिस्सा लेने के बाद बाकी बची सारी रकम नरिमन ए ईरानी की विधवा सलमा को दे दी, जिससे उन्होंने नरिमन का सारा कर्ज़ चुकता किया। फिल्म में कुल पांच गाने थे और पांचों के पाचों सुपरहिट रहे थे।
फिल्म को तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले थे। किशोर कुमार को बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर, आशा भोंसले को बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर और अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड इस फिल्म के लिए दिया गया था।
अमिताभ को जब उनका अवॉर्ड दिया जा रहा था तो उन्होंने प्रोड्यूसर नरिमन ईरानी की विधवा सलमा ईरानी को स्टेज पर बुलाया और अपना अवॉर्ड उन्होंने नरिमन ईरानी को समर्पित करते हुए सलमा ईरानी को सौंप दिया।
चलिए अब डॉन फिल्म से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातें भी आपको बताते हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन से भी ज़्यादा मेहनताना प्राण को मिला था।
प्राण साहब और डॉन फिल्म से जुड़ा एक किस्सा कुछ यूं है कि प्राण साहब का किरदार जसजीत फिल्म में आगे चलकर लंगड़ा हो जाता है। पहले फिल्म की कहानी में ऐसा नहीं था।
प्राण साहब का किरदार जसजीत एकदम ठीक था। लेकिन इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही प्राण साहब के पैर में भी चोट लग गई।
इसी के चलते रातों-रात स्क्रिप्ट में बदलाव किया गया और प्राण साहब के किरदार जसजीत को छड़ी से चलता हुआ दिखाया गया। इससे फिल्म भी पूरी हो गई और प्राण साहब को भी कोई परेशानी नहीं हुई।
फिल्म के एक सीन में डीएसपी डि सिल्वा यानि अभिनेता इफ्तखार कुछ स्मगलर्स के नाम लेते हैं जिनमें एक नाम वो बोलते हैं हरिभाई ज़रिवाला। ये नाम दरअसल उन्होंने अपनी तरफ से यूं ही बोला था और ये नाम था महान अभिनेता संजीव कुमार का असली नाम।
फिल्म में अमिताभ बच्चन के किरदार विजय का लुक भी संजीव कुमार के निभाए एक किरदार से प्रेरित था जो उन्होंने अपनी फिल्म नया दिन नई रात में निभाया था। ये किरदार था एक मास्टर जी का किरदार जो हमेशा पान चबाता है और बालों में ढेर सारा तेल लगा के रखता है।
फिल्म की शूटिंग के दौरान अभिनेता मैकमोहन ने अमिताभ बच्चन के साथ एक प्रैंक किया था। मैकमोहन अमिताभ के सामने अपनी कार इतनी तेज़ी से लाए कि एक दफा को अमिताभ बुरी तरह घबरा गए।
बाद में अमिताभ ने बदला लेने के लिए एक सीन की शूटिंग के दौरान एक सॉफ्ट ड्रिंक में मिलाकर मैकमोहन को शराब पिला दी। शूटिंग के दौरान मैकमोहन को नशे की हालत में देख हर कोई हैरान था।
मरहूम कोरियोग्राफर सरोज खान का भी एक किस्सा डॉन फिल्म से जुड़ा है जो बड़ा ही रोचक है। दरअसल, डॉन की रिलीज़ के बाद सरोज खान इस फिल्म का पॉप्युलर सॉन्ग खइके पान बनारस वाला देखने के लिए रोज़ मुंबई के एक थिएटर में जाती थी। ये वो दौर था जब सरोज खान कोई बड़ा नाम नहीं थी और फिल्मों में साइड डांसर की हैसियत से काम करती थी।
जब सिनेमा हॉल के लोगों को पता चला कि सरोज खान रोज़ थिएटर आती हैं और खाइके पान बनारस वाला गाना देखकर चली जाती हैं तो उन्होंने सरोज खान से कहा कि ये गाना देखने के लिए आप टिकट मत खरीदा कीजिए। जब तक ये फिल्म लगी है तब तक आपके लिए एक सीट रोज़ छोड़ी जाएगी।
डॉन के कई रीमेक भी बने हैं। इनमें सबसे चर्चित है रजनीकांत की बिल्ला। रजनीकांत की इस फिल्म में हेलन भी नज़र आई थी और हेलन ने इस फिल्म में भी वही रोल निभाया था जो उन्होंने डॉन में निभाया था।
कई दूसरी भारतीय भाषाओं में भी डॉन फिल्म का रीमेक बना है। साल 2006 में डॉन फिल्म का सबसे चर्चित रीमेक बना था जिसका नाम भी डॉन ही था और जिसमें शाहरुख खान लीड रोल में थे।
उनके अपोज़िट थी प्रियंका चोपड़ा। इस फिल्म को जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर ने बनाया था। 2011 में इस फिल्म का रीमेक डॉन 2 भी बनाया गया था।
फिल्म के डायरेक्टर चंद्रा बैरोट की एज़ ए डायरेक्टर ये पहली फिल्म थी। लेकिन ये फिल्म ही उनकी आखिरी सफल फिल्म भी बनी। डॉन के बाद चंद्रा बैरोट ने जितनी भी फिल्में डायरेक्ट की वो सभी फ्लॉप ही रहीं।
आपको शायद यकीन ना हो लेकिन ये एकदम सच बात है कि पहले डॉन फिल्म में फरीदा जलाल भी नज़र आने वाली थी। फिल्म में फरीदा आर.के.मलिक की बेटी बनी थी। उनका पांच मिनट लंबा सीन था जिसे शूट भी कर लिया था।
लेकिन फाइनल एडिटिंग में फरीदा जलाल का पूरा सीन काट दिया गया था।अगर आपने कुर्बानी फिल्म देखी है तो वो सीन जिसमें विनोद खन्ना जगदीप के कैफे में एक फाइट लड़ते हैं उसमें एक रेड कट ऑफ ब्लाउज़ और काऊ बॉय हैट पहने एक लड़की की तस्वीर है। इसी तस्वीर का इस्तेमाल डॉन के गाने ये मेरा दिल में भी किया गया है।
फिल्म का वो सीन जिसमें डॉन रोमा के फाइटिंग स्किल्स की तारीफ करते हुए जीने से उतर रहा है और डायलॉग बोलता है कि मुझे जंगली बिल्लियां पसंद हैं, उस सीन की भी अपनी एक कहानी है।
इस सीन में अमिताभ को जिन सीढ़ियों पर शूट किया गया है ज़ीनत अमान का सीन उससे एकदम अलग लोकेशन पर शूट हुआ है। लेकिन एडिटिंग के ज़रिए हमें लगता है कि दोनों आमने-सामने बात कर रहे हैं।
डॉन ही पहली ऐसी फिल्म है जिसमें अमिताभ बच्चन और ज़ीनत अमान एक दूसरे के अपोज़िट नज़र आए हैं। इससे पहले रोटी कपड़ा और मकान फिल्म में दोनों ने साथ काम ज़रूर किया है। लेकिन उस फिल्म में ये लीड में नहीं थे।
उस ज़माने के जाने माने स्टंटमैन हुसैन ने डॉन में ज़ीनत अमान के बॉडी डबल का काम किया था। और वो इसलिए क्योंकि फिल्म में ज़ीनत का जो हेयरस्टाइल है ठीक वैसा ही हेयरस्टाइल हुसैन का भी था।
डॉन फिल्म के क्रेडिट्स में हमें एक फाइट सीन नज़र आता है जिसमें हमें किसी का चेहरा साफ नहीं दिखता। वो सीन दरअसल एक एक्सट्रा सीन था जिसे ज़ीनत अमान पर शूट किया गया था लेकिन बाद में उसे फिल्म से हटा दिया गया था।
अभिनेता राजेंद्र कुमार भी डॉन फिल्म में काम करना चाहते थे और वही किरदार निभाना चाहते थे जो अभिनेता इफ्तेखार ने निभाया था। यानि डीएसपी डि सिल्वा का किरदार। लेकिन चंद्रा बैरोट इफ्तखार को साइन कर चुके थे तो उन्होंने राजेंद्र कुमार को मना कर दिया।
फिल्म के डायरेक्टर चंद्रा बैरोट भारत में नहीं रहते थे। वो अफ्रीकी देश तंजानिया में रहा करते थे। लेकिन किसी तरह उन्हें मनोज कुमार का असिस्टेंट बनने का मौका मिला तो वो मुंबई आ गए थे।
चंद्रा बैरोट ने 1987 में विनोद खन्ना के साथ भी बॉस नाम की एक फिल्म बनाई थी।फिल्म पूरी शूट भी हो गई थी। लेकिन कभी रिलीज़ ना हो सकी।
चंद्रा बैरोट ने ही अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार को साथ लेकर मास्टरजी नाम की एक और फिल्म शुरू की थी। उस फिल्म में सायरा बानु भी थी। लेकिन किन्हीं वजहों से वो फिल्म भी बंद हो गई।
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