Vijay Arora | Ramayan में Meghnad का किरदार निभा चुके इस एक्टर की कहानी बड़ी लाजवाब है। | Biography

Vijay Arora. किसी ज़माने में हिंदी सिनेमा के पटल पर धूमकेतू की तरह उभरा था ये कलाकार। शख्सियत ऐसी कि कई नामी और स्थापित चेहरों को इनसे जलन होने लगी थी। 

70 के दशक के शुरुआती सालों का एक ऐसा चेहरा थे विजय अरोड़ा जिनके बारे में खुद सुपरस्टार राजेश खन्ना ने कहा था कि उनके बाद अगर कोई पंजाबी मुंडा बॉलीवुड पर राज करेगा तो वो विजय अरोड़ा ही होगा। मगर अफसोस कि ऐसा कभी ना हो सका।

Actor-Vijay-Arora-Biography
Actor Vijay Arora Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan पर आज पेश है 70 के दशक के मोस्ट प्रोमिसिंग एक्टर Vijay Arora की कहानी। करियर की शुरुआत में बॉलीवुड में सनसनी बने Vijay Arora क्यों आगे जाकर सफल नहीं हो सके और वो क्या ग़म था जिसने आखिरी सांस तक उन्हें परेशान किया? चलिए जानने-समझने की कोशिश करते हैं।

Vijay Arora का शुरुआती जीवन

विजय अरोड़ा का जन्म 27 दिसंबर 1944 को गुजरात के गांधी धाम में हुआ था। बचपन से ही इन्हें एक्टर बनने का शौक था तो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ये एक्टर बनने मुंबई आ गए। 

मुंबई में मौजूद लगभग हर फिल्म स्टूडियो में ये काम मांगने गए। लेकिन किसी ने भी इन्हें फिल्म में लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। सब ये कहकर इन्हें टाल देते थे कि कुछ काम होगा तो बता देंगे। 

विजय कभी किसी फिल्म स्टूडियो में दोबारा काम मांगने नहीं गए। वो इंतज़ार करते रहे। ये सोचकर कि इतने लोगों से मिले हैं तो कोई ना कोई तो उन्हें काम के लिए बुलाएगा। लेकिन कई महीने बीत गए और किसी ने इन्हें नहीं बुलाया। 

दोस्त की सलाह पर पहुंचे FTII Pune

इतना वक्त मुंबई में गुज़ारने का एक फायदा विजय को ये हुआ था कि इनके कुछ अच्छे दोस्त मुंबई में बन गए थे। हालांकि वो सभी नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से थे। 

उन्हीं दोस्तों में से एक ने इनसे कहा कि पहले तुम खुद को फिल्म में हीरो बनने लायक बनाओ। तब तुम्हें काम मिलेगा। उस दोस्त ने इन्हें फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट पुणे में दाखिला लेने की सलाह दी। 

उस दोस्त की बात मानते हुए इन्होंने एफटीआई में दाखिला ले लिया और दो साल बाद यानि साल 1971 में ये एफटीआई से एक्टिंग में गोल्ड मेडल लेकर निकले। 

ऐसे हुई Vijay Arora की शुरुआत

अगले साल यानि 1972 में उस ज़माने के मशहूर प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और राइटर बीआर ईशारा ने इन्हें अपनी फिल्म ज़रूरत में एज़ ए हीरो कास्ट कर लिया। फिल्म में इनकी हीरोइन थी रीना रॉय और इत्तेफाक से रीना रॉय की भी ये पहली ही फिल्म थी।  

ये फिल्म तो कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई लेकिन विजय अरोड़ा ज़रूर अपनी क्यूटनेस के चलते लड़कियों के बीच में पॉप्युलर हो गए। इसी साल विजय की तीन और फिल्में आई। ये फिल्में थी राखी और हथकड़ी, सबसे बड़ा सुख और मेरे भईया। 

ये तीनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर गई। फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को लगने लगा कि इस नए लड़के को लोग पसंद नहीं कर रहे हैं। मगर 1973 में एक ऐसी फिल्म आई जिसने विजय को लेकर फिल्म इंडस्ट्री में फैली इस गलतफहमी को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

यादों की बारात से कर दिया कमाल

करियर की शुरुआत के पहले ही साल में जब बैक टू बैक विजय की चार फिल्में फ्लॉप हो गई तो फिल्म इंडस्ट्री में बहुत से लोगों ने ये मान लिया था कि इस नए लड़के के नसीब में कोई हिट फिल्म नहीं है। 

लेकिन दिग्गज प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और राइटर नासिर हुसैन ने विजय पर भरोसा जताया और उन्होंने विजय को अपनी मल्टीस्टारर फिल्म यादों की बारात में चांस दिया। 

तीन भाईयों के मिलने और बिछड़ने और बिछड़कर फिर मिलने की कहानी वाली इस फिल्म में विजय ने ज़बरदस्त काम किया। 

फिल्म में उन पर फिल्माया गया गीत चुरा लिया है तुमने लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया। सिज़लिंग ज़ीनत अमान के साथ विजय की जोड़ी ने कमाल कर दिया। 

इस फिल्म से हुए मशहूर

इसी साल विजय अरोड़ा की एक और फिल्म आई जिसमें इनके काम को खूब सराहा गया था। वो फिल्म थी फागुन और इस फिल्म में वहीदा रहमान और जया भादुड़ी जैसी दिग्गज एक्ट्रेसेज के साथ ये नज़र आए। 

फिल्म में वहीदा इनकी सास बनी थी और जया भादुरी इनकी पत्नी बनी थी। इस फिल्म के बाद विजय अपने करियर की पीक पर आ गए। फिल्म इंडस्ट्री में हर तरफ इनके चर्चे होने लगे। उस ज़माने के कई बड़े एक्टर्स इनकी एकदम से बढ़ी लोकप्रियता से परेशान होने लगे। 

राजेश खन्ना ने तो एक इंटरव्यू में यहां तक कह दिया कि उनके बाद उनकी जगह अगर कोई ले सकता है तो वो केवल और केवल विजय अरोड़ा हैं। राजेश खन्ना के साथ फिल्म रोटी में विजय को एक छोटा सा सीन निभाने का मौका भी मिला था। 

बड़ी फिल्मों का बने हिस्सा

विजय ने कई बड़ी फिल्मों में काम किया। बॉलीवुड की ए-क्लास एक्ट्रेसेज़ के साथ सिल्वर स्क्रीन शेयर की। ज़ीनत अमान, आशा पारेख, वहीदा रहमान, जया भादुरी, परवीन बॉबी, शबाना आज़मी, तनुजा, माला सिन्हा, मौसमी चटर्जी और बिंदिया गोस्वामी। इन सभी एक्ट्रेसेज के साथ विजय फिल्मों में नज़र आए। 

बिंदिया गोस्वामी के अपोज़िट ये फिल्म जीवन ज्योति में नज़र आए थे। और ये इनकी पहली ऐसी फिल्म थी जिसमें लीड रोल में इकलौते विजय अरोड़ा ही थे। कोई दूसरा बड़ा चेहरा इस फिल्म में नहीं था। मौसमी चटर्जी के साथ आई इनकी फिल्म नाटक भी एक ऐसी ही फिल्म थी जिसे इन्होंने अपने दम पर हिट कराया था।

बयां किया था ये दर्द

यादों की बारात के बाद छह सात सालों तक विजय का फिल्म इंडस्ट्री में काफी नाम रहा। हालांकि इस बात का मलाल इन्हें हमेशा रहता था कि जब भी फिल्म इंडस्ट्री के टॉप एक्टर्स की बात होती है तो उन एक्टर्स की लिस्ट में इनका नाम शुमार नहीं किया जाता है। 

एक इंटरव्यू में विजय ने इसके बारे में बात करते हुए कहा था कि उन्होंने कभी भी फिल्म इंडस्ट्री में होने वाली राजनीति का हिस्सा खुद को नहीं बनने दिया। ना ही उन्होंने फिल्में पाने के लिए कभी किसी तरह की कोई लॉबींग की। उन्होंने हमेशा वही फिल्में साइन की जिनमें उन्हें अपना रोल दमदार लगा। 

कमज़ोर रोल्स को उन्होंने कभी स्वीकार नहीं किया। फिर चाहे वो किसी बड़े फिल्म स्टूडियो या बड़े डायरेक्टर्स की तरफ से ही उन्हें ऑफर क्यों ना हुए हों। शायद इसीलिए उनके बारे में मीडिया में भी बहुत बढ़िया तरीके से बात नहीं की गई। 

मेघनाद के रोल में छा गए Vijay Arora

शुरुआती छह सात सालों के बाद इन्हें ढंग की फिल्में मिलनी बंद भी हो गई थी। मजबूरी में कुछ फिल्मों में इन्होंने कैरेक्टर रोल्स किए और कुछ में गेस्ट अपीयरेंस भी इन्होंने दिया। 

वीराना और पुरानी हवेली जैसी हॉरर फिल्मों का भी ये हिस्सा बने। फिल्मों में जब अपना भविष्य इन्हें अंधकारमय दिखने लगा तो इन्होंने छोटे पर्दे की तरफ रुख किया। 

साल 1986 में विक्रम बेताल सीरीज़ में विजय अलग-अलग किरदारों में दिखे। लेकिन रामानांद सागर की रामायण में इंद्रजीत मेघनाद का रोल निभाकर ये सारे भारत में मशहूर हो गए। 

घर-घर में लोग इन्हें किसी हीरो नहीं बल्कि रावण पुत्र मेघनाद के रूप में पहचानने लगे। रामायण के अगले साल ये श्याम बेनेगल के टीवी शो भारत एक खोज में मुगल सम्राट जहांगीर के किरदार में दिखे। 

वहीं साल 1993 में ज़ीटीवी पर शुरु हुई ज़ी हॉरर शो सीरीज़ में भी ये तीन एपिसोड्स में नज़र आए थे।पर चूंकि इनके मन में तो फिल्में ही बसती थी तो टीवी इंडस्ट्री में इनका दिल नहीं लग रहा था। 

मगर फिल्म इंडस्ट्री से इन्हें बढ़िया ऑफर्स नहीं आ रहे थे। और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों की चाटूकारिता करना इन्हें पसंद नहीं था। साल 2003 में इंडियन बाबू नाम की एक फिल्म में ये आखिरी दफा एक सपोर्टिंग रोल में दिखे और उसके बाद इन्होंने कभी भी दोबारा फिल्मों में काम नहीं किया। 

दिलबर देबारा से की थी शादी

विजय अरोड़ा ने अपने दौर की मशहूर मॉडल दिलबर देबारा से लव मैरिज की थी जो कि पारसी समुदाय से थी। इन दोनों का एक बेटा है जिसका नाम फरहाद अरोड़ा है। इनका बेटा आज मुंबई में फरारी और मैसेरैटी जैसी लग्ज़री कारों का प्रमोशन देखता है। 

फिल्मों से दूरी बनाने के बाद विजय अरोड़ा ने अपना एक प्रोडक्शन हाउस इस्टैब्लिश किया था और अपने प्रोडक्शन हाउस से इन्होंने कुछ एडवरटाइज़मेंट बनाए थे। साथ ही साथ इन्होंने एक तारा बोले नाम से एक चाइल्ड शो भी बनाया था जिसे काफी पसंद किया गया था। 

एक्टिंग स्कूल भी शुरू किया था

प्रोडक्शन हाउस के अलावा विजय अरोड़ा ने अपना एक एक्टिंग स्कूल भी खोला था जहां वो स्टूडेंट्स को एक्टिंग की ट्रेनिंग दिया करते थे। ज़िंदगी के आखिरी सालों में विजय अरोड़ा कैंसर के शिकार हो गए थे। 

फिल्म इंडस्ट्री से तो वो पहले ही निराश थे। कैंसर की इस लाइलाज बीमारी ने ज़िंदगी को लेकर उनकी बची-खुची मोहब्बत भी खत्म कर दी। कैंसर से जूझते हुए ही 2 फरवरी 2007 को विजय अरोड़ा ने दुनिया छोड़ दी। 

विजय की मौत ने उनकी पत्नी दिलबर के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाला था। वो डिप्रेशन में चली गई थी और अक्सर अकेले में बड़बड़ाने लगती थी।

उसूलों के पक्के थे Vijay Arora

बॉलीवुड में होने वाली गंदी राजनीति के सामने विजय अरोड़ा ने कभी घुटने नहीं टेके थे। शायद इसकी एक बहुत बड़ी कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ी थी। उनके करियर में एक दौर वो भी आया था जब उन्हें इस तरह के रोल मिलने लगे थे जो उनकी उम्र के हिसाब से परफेक्ट नहीं थे। 

लेकिन उन्होंने कभी भी ऐसे रोल्स को स्वीकार नहीं किया। वो कहते थे कि निगेटिव शेड वाले कैरेक्टर्स से उन्हें कोई परेशानी नहीं है। बशर्ते वो सशक्त होने चाहिए। वो जब तक ज़िंदा रहे, अपने ऊसूलों पर टिके रहे। शायद इसीलिए फिल्म इंडस्ट्री में उनका कोई दोस्त नहीं था। 

विजय अरोड़ा को Meerut Manthan का सैल्यूट

Meerut Manthan इस ज़बरदस्त कलाकार को सैल्यूट करता है और फिल्म इंडस्ट्री में इन्होंने जो योगदान दिया था उसके लिए इनका अहसानमंद है। जय हिंद।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Jaani Dushman 1979 15 Unknown Facts | जानी दुश्मन फिल्म की पन्द्रह रोचक बातें | Trivia

Gurbachchan Singh | पुरानी फिल्मों में दिखने वाला गुंडा जिसे लोग धर्मेंद्र का चेला कहते थे | Biography

Anup Jalota | Bhajan Samrat से जुड़े आठ बड़े ही रोचक और Lesser Known Facts