Vyjayanthimala | भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की वो मशहूर हस्ती जिस पर पति चोर होने का आरोप लगा | Biography
Vyjayanthimala. हिंदुस्तानी सिनेमा का वो नाम। जो अपने डांस, अपनी अदायगी और अपनी खूबसूरती के लिए हमेशा सम्मान के साथ लिया जाता है। देश की लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं वैजयंतीमाला। दक्षिण भारत की वैजयंती ने देश और दुनिया में अपने टैलेंट का डंका बजा दिया।
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Vyjayanthimala Biography Hindi - Photo: Social Media |
Meerut Manthan आज कहेगा महान Vyjayanthimala की कहानी। Vyjayanthimala की ज़िंदगी के बारे में आज काफी कुछ आप और हम जानेंगे।
Vyjayanthimala का शुरुआती जीवन
वैजयंती का जन्म 13 अगस्त 1936 को चेन्नई में रहने वाले एक अयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम एम.डी.रमन और मां का नाम वसुंधरा देवी था। इनकी मां भी अपने ज़माने की दिग्गज अदाकारा और नृत्यांगना रह चुकी हैं। चालीस के दशक में तमिल फिल्म इंडस्ट्री में वैजयंती की मां वसुंधरा देवी का बड़ा नाम था। चूंकि मां एक प्रख्यात अभिनेत्री थी और अक्सर व्यस्त रहती थी तो वैजयंती की परवरिश उनकी नानी यादुगीरी देवी ने की थी।
नानी ने सिखाया अनुशासन
नानी ने वैजयंती को छोटी उम्र से डिसिप्लीन से जीवन जीना सिखाया था। नानी चाहती थी कि वैजयंती को अच्छी तरह से नृत्य सिखाया जाए। वैजयंती की कमर सीधी रहे इसलिए उनकी नानी उन्हें बिस्तर की जगह हमेशा एक चटाई पर सुलाया करती थी। छोटी उम्र से ही वैजयंती की नृत्य शिक्षा शुरू कर दी गई थी। स्कूली पढ़ाई के साथ-साथ वैजयंती भरतनाट्यम की शिक्षा भी ले रही थी।
जब रोम में Vyjayanthimala ने किया भरतनाट्यम
वैजयंती महज़ 4 साल की ही थी जब साल 1940 में अपने माता-पिता के साथ ये इटली की राजधानी रोम गई और वहां सर्वोच्च ईसाई धर्मगुरू पोप के सामने इन्होंने भरतनाट्यम की एक प्रस्तुति दी थी। 15 साल की उम्र तक वैजयंती भरतनाट्यम में पारंगत हो चुकी थी। भरतनाट्यम के अलावा कर्नाटिक संगीत में भी वैजयंती ने दक्षता हासिल की थी। इसी उम्र में ही वैजयंती को फिल्मों में काम करने का पहला ऑफर आया भी था।
फिल्मों का ऑफर और नानी का ऐतराज़
वैजयंती के मामा वाय जी पार्थस्वामी भी फिल्मों से जुड़े थे। वे ना केवल एक एक्टर थे बल्कि तमिल नाटक लेखक भी थे। यही वजह है कि तमिल फिल्मी शख्सियतों का वैजयंती के घर आना-जाना लगा रहता था। अपने नृत्य कौशल से 15 साल की उम्र तक वैजयंती तमिलनाडु में बढ़िया नाम कर चुकी थी।
इसलिए उस दौर के दिग्गज तमिल डायरेक्टर एम.वी.रमन ने वैजयंती को अपनी फिल्म वज़कई में काम करने का ऑफर दिया। लेकिन इनकी नानी ने इनके फिल्मों में काम करने पर सख्त ऐतराज़ जताया।
उन्हें फिक्र थी कि अगर वैजयंती फिल्मों में काम करने लगी तो उसका नृत्य और पढ़ाई छूट जाएंगे। मगर जब डायरेक्टर एमवी रमन ने नानी को भरोसा दिलाया कि फिल्मों में काम करने से वैजयंती की पढ़ाई नहीं छूटेगी। और डांस के चलते उनकी लोकप्रियता चौगुनी हो जाएगी तो नानी ने वैजयंती को फिल्म साइन करने की छूट दे दी।
और शुरू हो गया वैजयंतीमाला का फिल्मी सफर
इस तरह साल 1949 में वज़कई फिल्म से वैजयंती का फिल्मी सफर शुरू हो गया। अगले साल यानि 1950 में वैजयंती ने जीविथाम नाम की एक तेलुगू फिल्म में काम किया। और फिर साल 1951 में आई वो फिल्म जिसने वैजयंतीमाला को हिंदी सिनेमा में एक ज़बरदस्त और मजबूत शुरुआत दिला दी। ये फिल्म थी बहार। और ये वैजयंतीमाला की पहली फिल्म वज़कई का ही हिंदी रीमेक थी।
जब बनी हिंदी सिनेमा का बड़ा नाम
बहार से मिली सफलता के बाद वैजयंती ने अपना ध्यान हिंदी फिल्मों की तरफ लगाना शुरू कर दिया। हालांकि वो दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी बराबर काम करती रही। लेकिन वैजयंती को ये अहसास हो चुका था कि हिंदी फिल्मों के ज़रिए वो एक बड़ी ऑडियन्स के बीच खुद को स्थापित कर सकेंगी। इसी का नतीजा रहा कि साल 1954 में आई वैजयंती की फिल्म नागिन ने सफलता की एक नई इबारत लिख दी। ये फिल्म उस ज़माने में बहुत बड़ी हिट साबित हुई।
हिंदी पर की थी विशेष मेहनत
हिंदी सिनेमा में सफलता हासिल करने के लिए वैजयंती ने हिंदी लिखना और बोलना सीखने के लिए काफी मेहनत की थी। दरअसल, वैजयंती चाहती थी कि हिंदी फिल्मों में अपने डायलॉग्स वो खुद ही बोलें। नागिन फिल्म को मिली ज़बरदस्त कामयाबी ने वैजयंती की ये मेहनत पूरी तरह से वसूल करा दी। इसके बाद तो वैजयंती माला ने एक से बढ़कर एक हिंदी फिल्मों में काम किया। हिंदी फिल्मों के हर बड़े स्टार के साथ सिल्वर स्क्रीन शेयर की।
बड़े स्टार्स संग उड़ी अफेयर की अफवाहें
दिलीप कुमार और राज कपूर जैसे सितारों के संग इनकी जोड़ी खूब पसंद की गई। दोनों के साथ ही इनके अफेयर की खबरें भी खूब उड़ी। लेकिन सालों बाद अपनी किताब बॉन्डिंग ए मेमोएयर के ज़रिए वैजयंती माला ने इन खबरों को कोरी बकवास और मीडिया का पब्लिसिटी स्टंट बताया।
ना केवल एक्टिंग, बल्कि डांस के ज़रिए भी ये लोगों का दिल जीत रही थी। और केवल शास्त्रीय नृत्य ही नहीं, वैस्टर्न डांस में भी वैजयंती बेहद माहिर थी। साल 1957 मेंआई फिल्म आशा में इन्होंने वेस्टर्न डांस करके लोगों को चौंका दिया था। इस फिल्म में किशोर कुमार संग इनकी कॉमिक कैमिस्ट्री भी दर्शकों को बड़ी पसंद आई थी।
ठुकरा दिया फिल्मफेयर
वैजयंतीमाला के करियर में 1955 में आई देवदास फिल्म का बड़ा ही महत्व है। क्योंकि इस फिल्म से लोगों को पता चला कि वैजयंती ना केवल एक बढ़िया नृत्यांगना हैं। बल्कि एक उम्दा अदाकारा हैं। इस फिल्म में दिलीप कुमार देवदास बने थे और वैजयंतीमाला ने चंद्रमुखी का किरदार निभाया था।
चंद्रमुखी के किरदार को खूबसूरती से जीने के लिए वैजयंतीमाला को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया था। लेकिन वैजयंती ने ये कहकर वो अवॉर्ड ठुकरा दिया कि देवदास की ज़िंदगी में चंद्रमुखी की बड़ी अहमियत है।
वो कोई सपोर्टिंग किरदार नहीं है। मैं बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड को ही स्वीकार करूंगी। उस साल देवदास फिल्म में पारो का रोल करने वाली अभिनेत्री सुचित्रा सेन को बेस्ट एक्ट्रेस का किरदार दिया गया था।
Vyjayanthimala को मिले ये सभी अवॉर्ड्स
वैजयंती को मिले अवॉर्ड्स की बात करें तो साल 1961 में आई फिल्म गंगा जमुना और 1968 में आई फिल्म संघर्ष के लिए बंगाली फिल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन अवॉर्ड दिया गया था। फिल्म गंगा जमुना के लिए ही वैजयंती को फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।
इसके अलावा साधना और संगम के लिए भी वैजयंतीमाला ने फिल्मफेयर अवॉर्ड्स अपने नाम किए थे। साल 1996 में फिल्मफेयर ने ही वैजयंती को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी दिया था। साल 1982 में वैजयंती को संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड भी दिया गया था। साल 1968 में भारत सरकार ने भी वैजयंती को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
डॉक्टर चमनलाल बाली से प्यार और फिर शादी
वैजयंतीमाला की निज़ी ज़िंदगी की बात करें तो इन्होंने डॉक्टर चमनलाल बाली से शादी की थी। चमनलाल बाली राज कपूर के पर्सनल फिजीशियन थे और पहले से शादीशुदा थे। पहली शादी से उनके तीन बेटे भी थे। वैजयंतीमाला और चमनचाल की मुलाकात का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है।
एक दफा वैजयंती कश्मीर में डल झील पर किसी फिल्म की शूटिंग कर रही थी। एक सीन के दौरान वैजयंतीमाला डल झील में गिर पड़ी और बीमार पड़ गई। उन्हें तत्काल मुंबई लाया गया। इत्तेफाक से वैजयंतीमाला का इलाज डॉक्टर चमनलाल बाली ही कर रहे थे।
इलाज के दौरान वैजयंतीमाला और डॉक्टर चमनलाल बाली की दोस्ती हुई और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई। डॉक्टर चमनलाल ने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया और फिर वैजयंतीमाला व डॉक्टर चमनलाल बाली ने शादी कर ली। इस तरह वैजयंतीमाला बन गई वैजयंतीमाला बाली।
बेटा भी है एक्टर
वैजयंतीमाला का एक बेटा है जिसका नाम है सुचिंद्र बाली और वो भी एक एक्टर है। सुचिंद्र बाली साउथ फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम हैं। हालांकि सुचिंद्र ने हिंदी फिल्मों से अपना करियर शुरू किया था। लेकिन हिंदी सिनेमा में उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई। साल 1986 में वैजयंती के पति डॉक्टर चमनलाल बाली ये दुनिया छोड़कर चले गए थे।
पॉलिटिक्स में भी उतरी थी Vyjayanthimala
वैजयंतीमाला ने पॉलिटिक्स में भी काफी नाम कमाया था। पंडित नेहरू से वैजयंतीमाला की बढ़िया जान-पहचान थी। इसके बाद इंदिरा गांधी से भी वैजयंतीमाला के संबध बेहद मधुर थे। इंदिरा गांधी के सपोर्ट से ही वैजयंतीमाला ने साल 1984 में साउथ चेन्नई सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और सांसद बनी। 1989 में एक बार फिर वैजयंतीमाला इसी सीट से सांसद बनी।
साल 1993 में कांग्रेस ने वैजयंतीमाला को राज्यसभा भेजा। लेकिन 1999 में वैजयंतीमाला का कांग्रेस से मोहभंग हो गया और उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली। इन दिनों अपनी बढ़ती उम्र के चलते वैजयंतीमाला ने खुद को पॉलिटिक्स से दूर कर लिया है।
वैजयंतीमाला को मेरठ मंथन का सैल्यूट
वैजयंतीमाला की उम्र अब 88 साल हो चुकी है। उम्र के इस पड़ाव पर आकर उन्होने खुद को सोशल लाइफ से पूरी तरह दूर कर लिया है। वैजयंती के इकलौते बेटे सुचिंद्र ने शादी कर ली है और वो खुद भी एक बेटी के पिता बन चुके हैं।
Meerut Manthan ईश्वर से प्रार्थना करेगा कि वैजयंतीमाला हमेशा सेहतमंद रहें। वैजयंतीमाला ने भारतीय सिनेमा जगत में अपना जो योगदान किया है उसके लिए Meerut Manthan उन्हें सैल्यूट करता है। जय हिंदे।
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