Kumkum | हिंदी सिनेमा की वो प्रख्यात अदाकारा जिसकी मौत पर धर्मेंद्र भी रोए थे | Biography

Kumkum. गुज़रे ज़माने की एक ऐसी अदाकार जिसने अपने डांस और अपनी एक्टिंग से भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अपना बहुत ही ऊंचा मुकाम बनाया। लेकिन अफसोस, इन्हें कभी भी ए क्लास एक्ट्रेसेज में शुमार नहीं किया गया।

कुमकुम, जिन्होंने अपने दौर के हर बड़े स्टार के साथ काम किया। लीड एक्ट्रेस बनी और साइड कैरेक्टर्स भी निभाए। फिर भी कभी इनके नाम की ज़्यादा चर्चा नहीं हुई।

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Actress KumKum Biography Hindi

Meerut Manthan आज अपने पाठकों के लिए लेकर आया है अभिनेत्री Kumkum की ज़िंदगी की कहानी। बिहार के हुसैनाबाद की रहने वाली Kumkum कैसे बंबई पहुंचकर फिल्म इंडस्ट्री में इतना बड़ा नाम बनी? और फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बाद कुमकुम ने क्या किया, ये सारी कहानी आज इस वीडियो के ज़रिए हम और आप जानेंगे।

Kumkum का शुरुआती जीवन

22 अप्रैल 1934 को कुमकुम का जन्म बिहार के हुसैनाबाद में हुआ था। इनके माता-पिता ने इनका नाम ज़ैबुन्निशा रखा था। इनके पिता सैयद मंज़ूर हसन हुसैनाबाद के बड़े ज़मींदार थे और उन्हें नवाब की पदवी प्राप्त थी। 

इलाके में उनका बड़ा रुतबा था। बेतहाशा प्रॉपर्टी उनके पास थी। लेकिन देश को आज़ादी मिलने के बाद सरकार ने ज़मींदारी ख़त्म की तो उनकी सारी प्रॉपर्टी उनके हाथ से चली गई। 

प्रॉपर्टी गई तो सैयद मंज़ूर हसन अपनी पत्नी खुर्शीद बानो और अपने बच्चों को लेकर कलकत्ता चले गए। वो कलकत्ता तो आ गए लेकिन यहां उनका ज़रा भी दिल नहीं लग रहा था। 

हालांकि यहां उन्होंने अपने पहले परिवार को छोड़कर दूसरी शादी कर ली। और फिर एक दिन अपनी दूसरी पत्नी को साथ लेकर वो लिए पाकिस्तान चले गए। 

बनारस में बदली ज़िंदगी

कुमकुम की मां खुर्शीद बानो अपने बच्चों को लेकर किसी तरह बनारस आ गई और यहीं पर अपने एक रिश्तेदार के पास रहने लगी। 

और इस तरह बनारस में कुमकुम के फिल्म इंडस्ट्री में जाने की पटकथा तैयार होने लगी। 

दरअसल, कुमकुम को छोटी सी उम्र से ही नाचने का बड़ा शौक था। फिल्में देखने में भी उन्हें बड़ा मज़ा आता था। 

बनारस में उनकी मां खुर्शीद बेगम की जान-पहचान पंडित शंभू महाराज से हो गई जो कि उस ज़माने में शास्त्रीय नृत्य के एक बहुत बड़े टीचर हुआ करते थे। 

खुर्शीद बेगम ने कुमकुम को शंभू महाराज के पास नृत्य सीखने भेजना शुरू कर दिया। ये सोचकर कि एक दिन कुमकुम फिल्मों में काम किया करेंगी। 

शंभू महाराज की एक बेटी थी जिनका नाम था निर्मला देवी था। निर्मला देवी और कुमकुम की उम्र लगभग बराबर ही थी। इसलिए शंभू महाराज कुमकुम को भी अपनी बेटी ही मानते थे। 

और चूंकि निर्मला देवी अभिनेता गोविंदा की मां थी तो इस नाते से कुमकुम गोविंदा की मौसी लगती थी। 

First Film of Kumkum

शास्त्रीय नृत्य की अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद कुमकुम मुंबई आ गई और कुमकुम को फिल्मों में सबसे पहले ब्रेक दिया महान सोहराब मोदी साहब ने। 

फिल्म थी मिर्ज़ा ग़ालिब जो कि साल 1954 में रिलीज़ हुई थी। हालांकि इस फिल्म में वो एक छोटे से किरदार में नज़र आई थी। 

किसी ने उस फिल्म में कुमकुम को नोटिस तक नहीं किया। लेकिन इसी साल रिलीज़ हुई गुरूदत्त की फिल्म आर-पार ने कुमकुम को सारे देश में लोकप्रिय कर दिया। 

इस फिल्म में कभी आर कभी पार गीत कुमकुम पर ही पिक्चराइज़्ड किया गया था। और ये गीत हर किसी को बेहद पसंद आया था। 

रोचक है ये किस्सा

कुमकुम को गुरूदत्त की फिल्म आर पार मिलने का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। दरअसल, गुरूदत्त साहब पहले ये गीत अभिनेता जगदीप पर फिल्माना चाहते थे। 

लेकिन बाद में उनका मूड बदला और उन्होंने फैसला किया कि अब ये गीत किसी फीमेल एक्टर पर फिल्माया जाएगा। गुरूदत्त साहब ने उस ज़माने की कई अभिनेत्रियों से इस गीत में काम करने के लिए कहा। 

लेकिन चूंकि ये रोल बहुत छोटा था तो कोई भी अभिनेत्री इसे नहीं करना चाहती थी। फिर एक दिन गुरूदत्त की मुलाकात कुमकुम से हुई और उन्होंने कुमकुम को इस रोल को निभाने की पेशकश की। 

कुमकुम ने गुरूदत्त की ये पेशकश स्वीकार कर ली और इस तरह कुमकुम के करियर में ये गीत मील का पत्थर साबित हुआ। इसके बाद तो कुमकुम ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया। कई स्टार्स के साथ इनकी जोड़ी जमी। 

धर्मेंद्र के साथ इन्होंने रोमांस किया और जॉनी वॉकर के साथ इन्होंने कॉमेडी की। सीआईडी फिल्म का गीत ये है बॉम्बे मेरी जान में जॉनी वॉकर के साथ जो महिला दिखाई दी थी वो कुमकुम ही थी। 

किशोर कुमार संग भी खूब किया काम

कुमकुम एक निपुण कत्थक डांसर थी। उनकी कला के जौहर अक्सर उनकी फिल्मों में उन पर फिल्माए जाने वाले गानों में नज़र आ ही जाते थे।

महान किशोर कुमार साहब के साथ इनकी जोड़ी खूब जमी थी और इन्होंने किशोर साहब के साथ कई फिल्मों में काम किया था। 

किशोर दा की फिल्म मिस्टर एक्स का गीत मेरे महबूब कयामत होगी भला कौन भुला सकता है। वो गीत कुमकुम पर ही फिल्माया गया था। किशोर दा के साथ तो इनके और भी कई गाने सुपरहिट रहे थे। 

स ज़माने में मीडिया के एक हिस्से ने तो ये कहना भी शुरू कर दिया था कि कुमकुम और किशोर दा के बीच कुछ खिचड़ी पक रही है। वैसे ऐसी ही कुछ बातें कुमकुम और रामानंद सागर को लेकर भी उड़ी थी। 

पहली भोजपुरी फिल्म में भी नज़र आई थी Kumkum

महबूब खान की मदर इंडिया में कुमकुम ने बड़ा खूबसूरत रोल निभाया था। कुमकुम की एक्टिंग से महबूब साहब इतने मुतास्सिर हुए कि उन्होंने कुमकुम को अपनी फिल्म सन ऑफ इंडिया में भी एक बड़े अहम रोल में लिया। 

केवल हिंदी ही नहीं, कुमकुम ने कुछ भोजपुरी फिल्मों में भी काम किया था। गंगा मईया तोहे प्यार चढाइबो इनकी सबसे बड़ी भोजपुरी फिल्म थी। और यही फिल्म ही भोजपुरी भाषा की सबसे पहली फिल्म भी थी। 

साल 2006 में Kumkum ही पहली भोजपुरी सिने मैगज़ीन का उदघाटन किया था। उस वक्त ये काफी र्चर्चाओं में भी आ गई थी। 

कुमकुम की प्रमुख फिल्में

कुमकुम ने अपने फिल्मी करियर में सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया था। 

इनकी प्रमुख फिल्मों की बात करें तो ये मिस्टर एंड मिसेज 55, कुंदन, फंटूश, नया अंदाज़, मेम साहिब, नया दौर, प्यासा, बारिश, घर संसार, उजाला, कोहिनूर, राजा और रंक, आंखें, गीत, आन बान, ललकार और एक कुंवारा एक कुंवारी जैसी बड़ी फिल्मों में दिखी। 

इनकी आखिरी फिल्म थी जलते बदन जो कि साल 1973 में रिलीज़ हुई थी और जिसमें इनके हीरो थे किरण कुमार। 

Kumkum की निजी ज़िंदगी

कुमकुम की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो इन्होंने सन 1975 में लखनऊ के रहने वाले बिजनेसमैन सज्जाद अकबर खान से शादी कर ली थी। 

सज्जाद अकबर खान का बिजनेस सऊदी अरब में था तो शादी के कुछ ही महीनों बाद ये उनके साथ सऊदी अरब चली गई और वहीं पर रहने लगी। 

सज्जाद अकबर खान और कुमकुम की एक बेटी है जिनका नाम है अंदलीब अकबर खान। अभिनेत्री अबीर अबरार इनकी भतीजी हैं और इनके छोटे भाई ज़ाहिद अबरार की बेटी हैं। 

ज़ाहिद अबरार दुनियाभर में मशहूर फ्रैडी मर्क्यूरी के साथ स्कूल में पढ़ चुके हैं। साल 2006 में फ्रैडी मर्क्यूरी के जीवन पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री में भी कुमकुम के भाई ज़ाहिद अबरार नज़र आ चुके हैं।

 कुमकुम का भतीजा यानि ज़ाहिद अबरार का बेटा हादी अली अबरार एक डायरेक्टर है और उसने फिल्म जगत की एक और बड़ी अभिनेत्री डेज़ी ईरानी की बेटी वर्षा से शादी की है। 

कुमकुम के आखिरी दिन

सऊदी में लगभग 20 साल गुज़ारने के बाद 1995 में कुमकुम भारत वापस लौट आई थी और यहीं पर अपनी बेटी और पति के साथ रहती थी। 

28 जुलाई 2020 को 84 साल की उम्र में कुमकुम की मौत हो गई। कुमकुम की मौत से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ उठी। 

और ना केवल फिल्म इंडस्ट्री, बल्कि उनके लाखों फैंस भी उनकी मौत की खबर से स्तब्ध और दुखी हुए थे। कुमकुम के जाने के बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक अहम अध्याय भी हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गया। 

Meerut Manthan Kumkum को नमन करता है और फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए उन्हें सैल्यूट करता है। जय हिंद।

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