Pappu Polyester aka Actor Syed Badr-ul Hasan Khan Bahadur Biography | अभिनेता पप्पू पॉलिस्टर की कहानी
Pappu Polyester. इसी नाम से इनको जाना जाता था। हालांकि इनका असली नाम कुछ और था। एक शाही खानदान में जन्म लेने वाला ये अभिनेता ढेरों फिल्मों में नज़र आया।
ढेरों टीवी शोज़ में एक्टिंग करते दिखा। जाने कितने ही विज्ञापनों में इन्होंने अपने हुनर का तड़का लगाया। लेकिन पहचान के नाम पर अपने लिए कुछ खास नहीं कमा पाया।
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Pappu Polyester aka Actor Syed Badr-ul Hasan Khan Bahadur Biography |
Meerut Manthan आज एक ऐसे कलाकार की कहानी कहेगा जिसके चेहरे से तो लोग अच्छी तरह से वाकिफ थे। लेकिन जिसका नाम और जिसकी कहानी एकदम अनसुनी थी। Pappu Polyester.
Pappu Polyester का शुरुआती जीवन
पप्पू पोलिस्टर उन चंद खुशकिस्मत लोगों में से एक थे जो ऐसी जगह जन्म लेते हैं जहां जन्म लेना फख़्र की बात समझी जाती है। ये लखनऊ के नवाब खानदान में पैदा हुए थे।
इनकी मां नवाब खानदान की बेटी थी। बचपन में इनके पड़ोसी हुआ करते थे महान कत्थक गुरू बिरजू महाराज। एक शाही परिवार में जन्म लेना अपने आप में बहुत बड़ी बात थी।
उस पर बिरजू महाराज जैसी महानतम शख्सियत को करीब से देखना भी हर किसी को नसीब नहीं होता था।
बिरजू महाराज की शख्सियत का असर सईद बद्र उल हसन ख़ान साहब बहादुर यानि पप्पु पॉलिस्टर पर भी गहरा हुआ। कम उम्र से ही ये भी भारतीय शास्त्रीय नृत्य की तरफ आकर्षित होने लगे।
कैसे आए फिल्मों में?
सईद बद्र उल हसन ख़ान साहब बहादुर कैसे पप्पू पॉलिस्टर बने थे, ये किस्सा भी काफी दिलचस्प है। लेकिन ये हम आपको आगे बताएंगे। पहले आप जानिए कि कैसे सईद बद्र उल हसन ख़ान साहब बहादुर उर्फ पप्पु पॉलिस्टर फिल्मों का हिस्सा बने।
तो किस्सा कुछ यूं है कि बिरजू महाराज से प्रभावित होकर इन्हें भारतीय नृत्य कला कत्थक से बेहद प्रेम तो हुआ। लेकिन ये उनसे नृत्य सीख ना सके। वजह थी इनके परिवार का ऐतराज़।
नवाबों वाला इनका परिवार नाचने-गाने के काम को सही नहीं मानता था। इसलिए कत्थक सीखने की अपनी ख्वाहिश को ये अपने दिल में ही कैद किए रहे।
फिरोज़ खान से हुई वो मुलाकात
इसी बीच एमबीए की पढ़ाई के लिए ये कुछ सालों के लिए लंदन गए। लंदन में इनकी मुलाकात फिरोज़ ख़ान और संजय ख़ान से हुई। उन दोनों से इनकी बढ़िया दोस्ती हो गई और उन्होंने ही इन्हें एक्टिंग में आने के लिए प्रेरित किया।
चूंकि फिरोज़ ख़ान और संजय ख़ान तब तक बॉलीवुड का बहुत बड़ा नाम हुआ करते थे तो उनके द्वारा प्रेरित किए जाने पर इनका रुझान एक्टिंग की तरफ हुआ।
परिवार में हुआ ख़ूब हंगामा
लंदन से लौटने के बाद ये सीधे मुंबई आ गए और कत्थक सीखने लगे। साथ ही एक्टिंग की तैयारियों में भी जुट गए। ये बात जैसे ही लखनऊ में मौजूद इनके खानदान को पता चली तो मानो उन पर बिजली गिर पड़ी। खूब हंगामा हुआ। रूठना मनाना हुआ। नवाबी खानदान की इज्ज़त की दुहाई इन्हें दी गई।
लेकिन ये लंदन से ही सोचकर आए थे कि ज़िंदगी एक दफा मिलती है। अगर इसे भी अपनी मर्ज़ी से ना जिया तो फिर जीना ही बेकार है। सो खानदान की अच्छी-बुरी बातों का इन पर कोई असर नहीं हुआ।
और शुरु हो गया Pappu Polyester का एक्टिंग का सफर
चूंकि इनकी शख्सियत बेहद शानदार थी तो इन्हें काम मिलना भी जल्द ही शुरू हो गया। साल 1990 में दूरदर्शन पर आए सीरियल बानो बेगम में इन्हें पहली दफा एक छोटा सा रोल मिला।
उसके बाद इन्हें पहली दफा फिल्म फरिश्ते में एक बढ़िया रोल मिला। और वो रोल इन्हें अर्जुन कपूर की नानी की मदद से मिला था।
चूंकि अर्जुन कपूर की नानी इन्हें अपना बेटा मानती थी तो उन्होंने अपनी बेटी मोना कपूर, जो कि बोनी कपूर की पहली पत्नी और अर्जुन कपूर की मां थी और साथ ही साथ फरिश्ते फिल्म की प्रोड्यूसर भी थी, उनसे कहकर पप्पू पॉलिस्टर को इस फिल्म में कॉमेडियन का किरदार दिला दिया। इस फिल्म में इनके काम को काफी पसंद किया गया।
छोटे पर्दे पर झंडे गाड़े
दूसरी तरफ संजय ख़ान ने अपने एपिक शो टीपू सुल्तान में इन्हें किंग ऑफ मैसूर का किरदार दिया। उसके बाद तो मानो इनकी ज़िंदगी ही पूरी तरह से बदल गई।
किंग ऑफ मैसूर का इनका निभाया वो किरदार बेहद लोकप्रिय हुआ और इनको भी उस किरदार से ख़ूब प्रसिद्धि मिली। इस शो के बाद इन्होंने एक से बढ़कर एक टीवी शोज़ में काम किया।
एक ऐसा ही किरदार जिसने इन्हें लोकप्रियता के शिखर पर बैठा दिया था वो था दूरदर्शन के बेहद लोकप्रिय शो ओम नमह शिवाय में इनका निभाया नंदी भगवान का किरदार। नंदी भगवान के किरदार में पप्पू पॉलिस्टर इतनी गहराई से उतरे कि सारे देश में इन्हें सम्मान की नज़रों से देखा जाने लगा।
फिल्मों में भी किया काफी काम
अपने करियर में पप्पू पॉलिस्टर ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया था। लगभग दो सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में ये हर बड़े स्टार के साथ नज़र आए थे।
नई पीढ़ी के भी लगभग हर बड़े और नामचीन स्टार के साथ इन्होंने सिल्वर स्क्रीन शेयर की थी। साथ ही साथ ढेर सारे टीवी शोज़ में भी पप्पू पॉलिस्टर ने अपनी एक्टिंग के जलवे बिखेरे।
एक इंटरव्यू में पप्पू पॉलिस्टर ने कहा था कि उन्हें याद भी नहीं है कि वो अब तक कितने टीवी शोज़ में काम कर चुके हैं। अक्सर लोग इन्हें याद दिलाते हैं कि इन्होंने उनके किसी टीवी शो में काम किया था।
एक किरदार जिसके लिए पप्पू पॉलिस्टर हमेशा लोगों की यादों में ज़िंदा रहेंगे वो था रितिक रोशन की फिल्म जोधा अकबर में इनका निभाया मुल्ला दो प्याजा का किरदार।
ऐसे बने Pappu Polyester
तो चलिए अब आप ये भी जान लीजिए कि कैसे सईद बद्र उल हसन ख़ान साहब बहादुर पप्पू पॉलिस्टर बने। दरअसल, जब ये फिल्म इंडस्ट्री में नए आए थे तो अपने नाम को लेकर बड़े फिक्रमंद रहते थे।
इन्हें पता था कि इतना लंबा नाम फिल्मों में नहीं चलेगा। अपना नाम क्या रखें इस बारे में ये काफी माथापच्ची कर रहे थे। उस दौर में अभिनेत्री सिल्क स्मिता से इनकी बड़ी अच्छी दोस्ती थी।
सिल्क स्मिता ने इन्हें सलाह दी कि इन्हें भी अपना नाम उनकी तरह कपड़े से मिलता-जुलता रखना चाहिए। सिल्क स्मिता ने इन्हें पप्पू पशमीना नाम सुझाया था।
लेकिन चूंकि पशमीना को केवल सर्दियों के मौसम में पहना जाता है तो इनको वो नाम जंच नहीं रहा था। तब इनकी एक और दोस्त ने इन्हें पॉलिस्टर नाम सुझाया।
इनकी उस दोस्त ने इनसे कहा कि पॉलिस्टर सस्ता कपड़ा होता है और उसे हर कोई पहनता है। चूंकि तुम्हारा घर का नाम पप्पू है तो इसके साथ पॉलिस्टर जोड़ लो। इन्हें भी ये नाम पसंद आ गया और इस तरह ये सईद बद्र उल हसन ख़ान बहादुर से बन गए पप्पू पॉलिस्टर।
जोधा अकबर में इस्तेमाल हुआ असली नाम
फिल्म जोधा अकबर की क्रेडिट रील में संजय लीला भंसाली ने इनका नाम पप्पू पॉलिस्टर ना लिखकर इनका असली नाम सईद बद्र उल हसन ख़ान बहादुर लिखा था।
भंसाली ने तब इनसे कहा था कि चूंकि जोधा अकबर एक बहुत बड़ी फिल्म है तो इस फिल्म की थीम को देखते हुए इनका असली नाम ही दिया जाएगा। शुरू में भंसाली को लग रहा था कि पप्पू पॉलिस्टर को इसके लिए राज़ी करना काफी मुश्किल होगा।
लेकिन पप्पू पॉलिस्टर भंसाली के मुंह से ये बात सुनकर फौरन इसके लिए राज़ी हो गए। होते भी क्यों ना। आख़िर पहली दफा किसी फिल्म में उनके असली नाम का इस्तेमाल जो हो रहा था।
अपना प्रोडक्शन हाउस भी चलाया
ढेरों फिल्मों, टीवी शोज़ और एड फिल्म्स में एक्टिंग करने के बाद पप्पू पॉलिस्टर ने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस भी शुरू किया था। इन्होंने डीडी के लिए कई शोज़ बनाए थे जिनमें ये दिल आशना नाम का शो सबसे ज़्यादा पसंद किया गया और उसके दो सौ एपिसोड टेलिकास्ट हुए थे।
अपने शहर लखनऊ से पप्पू पॉलिस्टर को बड़ा प्यार था। यही वजह है कि वो हमेशा कहते थे कि उनका जिस्म ज़रूर मुंबई गया।
लेकिन उनकी रूह हमेशा ही लखनऊ में रही। 30 सालों के अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक किरदार निभाने के बाद भी उनका दिल अगर सबसे ज़्यादा कहीं लगता था तो वो केवल और केवल लखनऊ शहर ही था।
किस्मत का खेल भी देखिए। 5 फरवरी 2019 को लखनऊ में ही सईद बद्र उल हसन ख़ान बहादुर उर्फ पप्पू पॉलिस्टर ने 70 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांस ली।
पप्पू पॉलिस्टर जैसा कलाकार फिल्म इंडस्ट्री में शायद कोई दूसरा नहीं आ सकेगा। Meerut Manthan पप्पू पॉलिस्टर को सैल्यूट करता है और सम्मान के साथ याद करते हुए उन्हें नमन करता है। जय हिंद।
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