Javed Khan Amrohi | जावेद खान अमरोही नाम के एक शानदार साइड कलाकार की अनसुनी कहानी | Hindi Biography

Javed Khan Amrohi. हिंदी सिनेमा के इस बड़े अनोखे चेहरे से आप भी अच्छी तरह से वाकिफ होंगे। कई फिल्मों में आपने इन्हें तरह-तरह के किरदार निभाते हुए देखा होगा। 

ज़्यादातर तो इन्होंने फिल्मों में कॉमिक किरदारों को जिया था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि करियर की शुरूआत में इन्होंने निगेटिव किरदार भी निभाए थे।

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Javed Khan Amrohi Hindi Biography - Photo: Social Media

जावेद खान अमरोही जी को याद करते हुए Meerut Manthan पर पेश है Hindi Cinema के धाकड़ Character Artist Javed Khan Amrohi की ज़िंदगी की कहानी। Javed Khan Amrohi कैसे खेल की दुनिया से एक्टिंग की दुनिया में आए, ये कहानी बड़ी रोचक है। और आज जावेद खान की यही रोचक कहानी हम और आप जानेंगे।

Javed Khan Amrohi का शुरुआती जीवन

12 मार्च 1961 को जावेद खान का जन्म मुंबई में हुआ था। इनके पिता एक डॉक्टर थे और अपने चैरिटी कार्यों के लिए वो अपने इलाके में बेहद मशहूर थे। वहीं इनकी माता एक हाउस वाइफ थी। 

जावेद खान बचपन में क्रिकेटर बनना चाहते थे और मुंबई के खालसा कॉलेज में ये फेलोशिप होल्डर भी थे। क्रिकेटर बनने के लिए ही जावेद ने खालसा कॉलेज में दाखिला लिया था। 

जावेद अपने कॉलेज के अच्छे क्रिकेटर्स में गिने जाते थे। कॉलेज के दिनों में ही ये मुंबई की टीम के लिए चुने जाने वाले टॉप 36 खिलाड़ियों में से एक थे। 

इत्तेफाक की बात ये है कि महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी इन्हीं 36 खिलाड़ियों में से एक थे। लेकिन इसी दौरान वक्त ने एक ऐसी करवट ली जिससे ये फैसला हो गया कि जावेद के नसीब में क्रिकेटर बनना नहीं है।

मजबूरी में छोड़ा क्रिकेट

हुआ कुछ यूं कि जावेद ने जब 12वीं पास की थी, उसी दौरान इनके पिता का निधन हो गया था। एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली वाले जावेद खान अमरोही के लिए ये एक बहुत बड़ा झटका था। 

फिर एक दिन अचानक खुद जावेद की तबियत भी खराब हो गई। ये किडनी इंफैक्शन का शिकार हो गए। इस बीमारी की वजह से इन्हें क्रिकेट भी छोड़ना पड़ गया।

दिलचस्प है जावेद खान अमरोही के अभिनेता बनने की कहानी

जावेद खान एक्टिंग में कैसे आए ये कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। हुआ कुछ यूं कि जब जावेद को क्रिकेट छोड़ना पड़ा तो ये काफी निराश हो गए थे। इन्हें लगा था कि अब कॉलेज से मिलने वाली फेलोशिप बंद हो जाएगी और इन्हें फीस चुकानी पड़ेगी। 

जबकी पिता की मौत के बाद से ही जावेद का परिवार आर्थिक संकंटों में आ चुका था। एक दिन ये कॉलेज के ग्राउंड से ही अपने मामा जो कि दिल्ली में रहते थे, उन्हें उर्दू में खत लिख रहे थे। और जब ये खत लिख रहे थे तभी इनके पास इनके स्पोर्ट्स टीचर आए। 

इनके वो स्पोर्ट्स टीचर नाटकों में भी काम किया करते थे। उन्होंने जब जावेद को उर्दू में खत लिखते देखा तो पूछा,''जावेद। तुम ये क्या कर रहे हो?" 

अपने हालातों पर झल्लाए बैठे जावेद ने उन्हें चिढ़कर कहा,"आपको दिख नहीं रहा मैं क्या कर रहा हूं?" इनके टीचर ने फिर पूछा,"बताओ तो सही तुम ये क्या लिख रहे हो।" तब जावेद ने उन्हें बताया कि वो अपने मामा को चिट्ठी लिख रहे हैं जो कि दिल्ली में रहते हैं। 

पाकिस्तानी सैनिक का था पहला किरदार

फिर उस स्पोर्ट्स टीचर ने जावेद से बताया कि उनका ग्रुप एक नाटक कर रहा है और उस नाटक में एक पाकिस्तानी सैनिक के किरदार के लिए वो किसी ऐसे इंसान को ढूंढ रहे हैं जिसकी उर्दू पर अच्छी पकड़ हो। 

उन्होंने जावेद से कहा कि तुम इस रोल को निभा लो। इस पर जावेद ने उनसे पूछा कि मुझे फेलोशिप तो मिलेगी ना। 

उन्होंने कहा, ज़रूर मिलेगी। तब जावेद ने उस नाटक में काम करने के लिए हामी भरी और इस तरह एक्टिंग की राह पर ये जावेद का पहला कदम बना।

अभिनय को बना लिया जीवन का मकसद

नाटकों की दुनिया में पहला कदम बढ़ाने के बाद जावेद उसी राह पर चल निकले। पहले नाटक में काम करने के बाद तो उन्होंने और भी कई नाटकों में काम किया। इनकी एक्टिंग भी लोगों को पसंद आने लगी। 

लोगों से मिलने वाली तारीफ ने जावेद का हौंसला खूब बढ़ाया। जावेद की मेहनत देखकर इन्हें यूनिवर्सिटी ड्रामाटिक्स का चेयरमैन भी बना दिया गया। इसके साथ ही इन्होंने एक प्रोफेशनल गुजराती नाटक कंपनी भी जॉइन कर ली। 

इप्टा जैसे देश के कई नाट्य संस्थानों के साथ भी इन्होंने काफी काम किया। और इप्टा में तो ये सेक्रेटरी पद पर भी रहे। 

दिग्गजों दी सलाह

इसी दौरान मशहूर प्रोड्यूसर रामानंद सागर ने अपने कुछ और प्रोड्यूसर दोस्तों के साथ मिलकर एक एक्टिंग कॉन्टेस्ट शुरू किया ताकि वो नए टैलेंट को तलाश सकें। 

जावेद खान ने भी उस कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया और ये उसमें सिलेक्ट भी हो गए। वहीं पर इनकी मुलाकात अमजद खान साहब से भी हुई जो खुद भी उसी टैलेंट कॉन्टेस्ट में सिलेक्ट हुए थे। 

इसी कॉन्टेस्ट के दौरान ही इनकी मुलाकात रज़ा मुराद और किरण कुमार से हुई थी। रज़ा मुराद और किरण कुमार ने ही इनकी एक्टिंग देखने के बाद इन्हें सलाह दी थी कि तुम्हें अब एक्टिंग की फुल ट्रेनिंग लेनी चाहिए। 

उन दोनों ने जावेद को सलाह दी कि इन्हें पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट जॉइन कर लेना चाहिए। जावेद ने उनकी सलाह मानी और ये चले गए फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे। 

वहां से अपना कोर्स पूरा करने के बाद जावेद वापस मुंबई लौटे और एक बार फिर से ये नाटकों की दुनिया में उतर गए। 

निगेटिव किरदार भी निभाया

अब तक जावेद खान का मुंबई में काफी नाम हो चुका था। थिएटर जगत के अलावा फिल्म जगत के लोग भी इन्हें अच्छी तरह से जानने-पहचानने लगे थे। 

जावेद खान अमरोही को पहला ब्रेक दिया मशहूर फिल्मकार यश चोपड़ा ने अपनी फिल्म नूरी में। इस फिल्म में जावेद फौलाद खान नाम के किरदार में नज़र आए थे। 

ये किरदार निगेटिव था। यानि जावेद इस फिल्म में विलेन बने थे। हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि नूरी इनकी पहली रिलीज़्ड फिल्म नहीं थी। 

इनकी पहली रिलीज़्ड फिल्म थी 1973 में आई जलते बदन, जिसमें ये कॉलेज स्टूडेंट के एक छोटे से रोल में नज़र आए थे। 

शानदार रहा करियर

Javed Khan Amrohi का फिल्मी सफर बड़ा शानदार रहा है। इन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में एक से बढ़कर एक किरदार निभाए हैं। मगर अंदाज़ अपना-अपना में इन्होंने जो किरदार निभाया था उसे इनका सबसे यादगार किरदार माना जाता है। 

वहीं सुपहिट फिल्म लगान में भी इनके किरदार को बेहद पसंद किया गया था। अपने फिल्मी करियर में इन्होंने अभी तक डेढ़ सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया था। 

प्रमुख फिल्में

इनकी प्रमुख फिल्मों की बात करें तो ये नज़र आए नाखुदा, प्रेम रोग, नरम गरम, पसंद अपनी-अपनी, सुन सजना, वो सात दिन, राम तेरी गंगा मैली, फासले, वारिस, गुरू, त्रिदेव, आशिकी, सड़क, बोल राधा बोल, हम हैं राही प्यार के, लाडला, कुली नंबर वन, बड़े मियां छोटे मियां, हैलो ब्रदर, चल मेरे भाई, टॉम डिक एंड हैरी, फिर हेरा फेरी, उमराव जान, चक दे इंडिया, और कॉफी हाउस जैसी फिल्मों में। 

इनकी आखिरी रिलीज़्‍ड फिल्म थी 2020 में रिलीज़ हुई सड़क-2. ये भी इत्तेफाक है कि सड़क के प्रीक्वल में भी इन्होंने वही रोल निभाया था जो कि इसके सीक्वल में इन्होंने निभाया। 

फिल्म चक दे इंडिया में निभाया इनका किरदार भी काफी पसंद किया गया था।  वहीं छोटे पर्दे पर भी इन्होंने कई दमदार शोज़ में काम किया। इनके प्रमुख टीवी शोज़ थे ये जो है ज़िंदगी, नुक्कड़, मिर्ज़ा ग़ालिब, और विष्णु पुराण।

Javed Khan Amrohi को नमन

जावेद खान जी अब हमारे बीच नहीं रहे। 14 फरवरी 2023 को उनकी मृत्यु हो गई थी। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के लगभग हर सुपरस्टार के साथ काम किया था। 

कुछ सालों का ब्रेक लेने के बाद जावेद जी ने फिर से कमबैक किया था। मेरठ मंथन हिंदी सिनेमा के इस दिग्गज चरित्र अभिनेता याद करते हुए उन्हें नमन करता है। जय हिंद।

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