Actor Kanwarjit Paintal 10 Lesser Known Facts | कंवरजीत पेंटल की दस अनसुनी कहानियां
Actor Kanwarjit Paintal. मां-बाप ने इन्हें नाम दिया था कंवरजीत। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री ने इन्हें बना दिया पेंटल। जाने कितनी ही फिल्मों में पेंटल साहब ने अपनी कॉमेडी से दर्शकों को हंसाया है। लेकिन पेंटल साहब के बारे में बहुत ज़्यादा जानकारी उनके चाहने वालों के पास भी नहीं है।
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Actor Kanwarjit Paintal 10 Lesser Known Facts - Photo: Social Media |
Meerut Manthan पर आज पेश है Actor Kanwarjit Paintal की कुछ अनसुनी कहानियां। दिल्ली की गलियों से निकलकर कैसे Actor Kanwarjit Paintal मुंबई में इतना बड़ा मुकाम हासिल कर सके? इनके बारे में आज कई दिलचस्प और रोचक बातें हम और आप जानेंगे।
पहली कहानी
पेंटल का पूरा नाम कंवरजीत पेंटल है। लेकिन जब ये फिल्म इंडस्ट्री में नए-नए आए थे तो इन्हें लगा कि इनका असली नाम कंवरजीत पेंटल काफी पारंपरिक और याद रखने में मुश्किल नाम है। इन्होंने काफी सोचा कि ये अपने लिए कौन सा फिल्मी नाम चुनें। और आखिरकार इन्होंने अपने सरनेम पेंटल को अपना फिल्मी नाम बनाने का फैसला किया।
दूसरी कहानी
पेंटल को बचपन से ही एक्टिंग का चस्का लग गया था। स्कूल के दिनों से ही ये एक्सट्रा करिकलुर एक्टिविटीज़ में हिस्सा लेने लगे थे। छोटी उम्र से ही इन्होंने अपनी कॉलोनी में नाटक करने शुरू कर दिए थे। अपने घर के सामने एक सफेद चादर बांधकर ये वहां शेडो प्लेज़ किया करते थे। जो इनके मुहल्ले के लोगों को बड़े पसंद आते थे।
तीसरी कहानी
पेंटल के पिता किसी ज़माने में लाहौर स्थित पंचोली आर्ट स्डूडियो के सीनियर कैमरामैन हुआ करते थे। बंटवारे के बाद इनके पिता अपने परिवार को लेकर दिल्ली शिफ्ट हो गए थे। इनके पिता जानते थे कि इन्हें कला के क्षेत्र में रूचि है।
इसलिए जब ये बड़े हुए तो इनके पिता ने ही इन्हें सलाह दी कि तुम फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला ले लो। पिता की सलाह मानते हुए पेंटल साहब ने फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में दाखिले के लिए अप्लाय कर दिया। और किस्मत से इन्हें वहां दाखिला मिल भी गया।
चौथी कहानी
FTII यानि फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पुणे में एक्टिंग का ककहरा सीखते वक्त कई नामी कलाकार पेंटल के साथ ही पढ़े थे। जया भादुरी, डैनी डैंगजोंगपा और अनिल धवन जैसे कलाकार एफटीआईआई में इनके जूनियर हुआ करते थे। जबकी सुरेश चटवाल इनके सहपाठी थे। वहीं नवीन निश्चल और शत्रुघ्न सिन्हा इनके सीनियर हुआ करते थे।
पांचवी कहानी
पेंटल का फिल्मी करियर 1970 में आई फिल्म उमंग से शुरू हुआ था। उस फिल्म में दिग्गज डायरेक्टर सुभाष घई ने भी काम किया था। और जिस वक्त पेंटल ने ये फिल्म साइन की थी उस वक्त वो एफटीआईआई से पास ही हुए थे।
हालांकि बहुत ही कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि पेंटल साहब ने पहली दफा एफटीआईआई में ही बनी राखी-राखी में एक्टिंग की थी। वो फिल्म महेश कौल जी ने बनाई थी। हालांकि वो फिल्म कभी कॉमर्शियली रिलीज़ नहीं हो सकी थी।
छठी कहानी
पेंटल ने गुलज़ार साहब की फिल्म मेरे अपने में भी एक बड़ा ही ज़बरदस्त किरदार निभाया था। और उस फिल्म में उन्हें पहली और आखिरी दफा महान मीना कुमारी जी के साथ एक्टिंग करने का मौका मिला था।
मीना कुमारी जी को याद करते हुए एक इंटरव्यू में पेंटल जी ने बताया था कि वो बचपन से मीना कुमारी जी को फिल्मों में देखते थे। वो ख्वाब देखते थे कि काश जीवन में एक दफा मीना कुमारी को आमने-समाने देख लें।
लेकिन उनकी किस्मत ने उन्हें मीना कुमारी के साथ फिल्म में काम करने का मौका ही दे दिया। मेरे अपने फिल्म की शूटिंग के दौरान मीना कुमारी जी के साथ पेंटल जी का बहुत अच्छा रिश्ता बन गया था।
सातवीं कहानी
फिल्म लाल पत्थर में पहली दफा पेंटल साहब ने अपने दौर के शानदार अभिनेता राजकुमार साहब के साथ काम किया था। राजकुमार साहब अपनी रौबीली इमेज के लिए मशहूर थे। उनके कई ऐसे किस्से मशहूर थे जब उन्होंने किसी नए कलाकार की जमकर टांग खींची हो।
लाल पत्थर में पेंटल साहब राज कुमार जी के नौकर बने थे। जब पेंटल पहली दफा राजकुमार से मिलने जा रहे थे तो काफी घबराए हुए थे। लेकिन जब ये राज कुमार के सामने पहुंचे तो उन्होंने बड़ी सहजता से इनसे बात की। और इस तरह कुछ ही मिनटों में पेंटल साहब के मन में जो राजकुमार को लेकर घबराहट हो रही थी, वो फुर्र हो गई।
आठवीं कहानी
पेंटल साहब सत्ते पे सत्ता फिल्म में अमिताभ बच्चन के छह भाईयों में से एक थे। सत्ते पे सत्ता फिल्म का एक किस्सा शेयर करते हुए पेंटल जी ने एक दफा बताया था कि फिल्म का वो सीन जिसमें हेमा मालिनी सबको नहाने के लिए बोलती है, वो कश्मीर में शूट किया गया था।
और जिस वक्त ये सीन शूट हो रहा था उस वक्त कश्मीर में बहुत ज़्यादा ठंड थी। ठंड की वजह से सारे कलाकार ये सीन टाल रहे थे। लेकिन डायरेक्टर राज सिप्पी ये सीन जल्द से जल्द शूट करने का दबाव बना रहे थे।
आखिरकार एक दिन सब कलाकार ये सीन शूट करने के लिए तैयार हो गए। और फिर जैसे-तैसे जब ये सीन कंप्लीट कर लिया गया तो अमिताभ बच्चन ने डायरेक्टर राज सिप्पी को भी पानी की हौज में फेंक दिया। उस दिन राज सिप्पी ने अमिताभ बच्चन को खूब गालियां बकी थी।
नौंवी कहानी
पेंटल जी के भाई गूफी पेंटल को आपने बीआर चोपड़ा की महाभारत में शकुनि मामा के रोल में देखा होगा। गूफी पेंटल जी भी एक ज़बरदस्त एक्टर हैं। उन्होंने अपनी जीवंत अदाकारी से शकुनि का किरदार अमर कर दिया।
वैसे ये बात भी जानने लायक है कि एक्टिंग करने से पहले गूफी पेंटल विज्ञापनों की दुनिया से जुड़े थे। और उससे भी पहले वो डायरेक्टर एचएस रवैल के असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे थे। एचएस रवैल के बाद उनके बेटे राहुल रवैल के साथ भी गूफी पेंटल जी ने काम किया।
महाभारत में गूफी पेंटल के साथ ही पेंटल जी ने भी शिखंडी और सुदामा के किरदार निभाए थे। महाभारत का शिखंडी का किरदार भी एक अमर किरदार है।
दसवीं कहानी
पेंटल जी ने अपने करियर में अब तक डेढ़ सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया है। और वो अब भी एक्टिव हैं। इसके अलावा पेंटल जी छोटे पर्दे पर भी काफी सक्रिय रहे हैं। उनके निभाए महाभारत के शिखंडी और विक्रम बेताल के दगड़ू के किरदार आज भी लोगों को याद हैं।
बात अगर पेंटल जी को मिले अवॉर्ड्स की करें तो 1973 में आई बावर्ची और 1978 में आई चला मुरारी हीरो बनने के लिए पेंटल साहब को फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट परफॉर्मेंस इन ए कॉमिक रोल दिया गया था। पेंटल ने कुछ वक्त तक फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टिट्यूट मे ंएक्टिंग विभाग के हेड के तौर पर भी काम किया था।
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