A.K. Hangal | 50 की उम्र में बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले ए.के हंगल साहब की पूरी कहानी | Hindi Biography

A.K. Hangal. इस महान बॉलीवुड कलाकार को भला कौन सा सिनेप्रेमी नहीं जानता होगा। ढाई सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखा चुके ए.के हंगल साहब ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। एक से बढ़कर एक कैरेक्टर्स निभाए। लेकिन ज़िंदगी के आखिरी पलों में ये महान अभिनेता बड़ी मुश्किलों के दौर से गुज़रा।

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A.K.Hangal Hindi Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan आज आपको A.K. Hangal साहब की ज़िंदगी का किस्सा बताएगा। रिटायरमेंट की उम्र में बॉलीवुड में कदम रखने वाले A.K. Hangal की ज़िंदगी की ये कहानी आपको यकीनन बेहद पसंद आएगी।

शुरुआती जीवन

ए.के हंगल का जन्म हुआ था 15अगस्त 1914 को सियालकोट में। इनका पूरा नाम था अवतार किशन हंगल। ब्रिटिश सरकार में मुलाज़िम रहे इनके पिता कश्मीरी पंडित थे और उनका नाम था पंडित हरीकिशन हंगल। 

ए.के हंगल का बचपन और जवानी का ज़्यादातर वक्त पेशावर में गुज़रा था। पेशावर में ही इन्होंने रंगमंच में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। साथ ही काफी कम उम्र से ही ये भारत की आज़ादी की लड़ाई में भी शामिल हो गए थे।

सन 1929 में ये भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए और फिर 1947 तक ये अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते रहे। सन 1936 में हंगल साहब ने संगीत प्रिया मंडल नाम का एक थिएटर ग्रुप जॉइन कर लिया था। 

इसी ग्रुप के साथ ये सन 1946 तक थिएटर करते रहे। दरअसल, 1936 में ही इनके पिता रिटायर हो गए थे और अपने परिवार को लेकर पेशावर से कराची आ गए थे।

जब जेल पहुंच गए हंगल साहब

सन 1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ तो हंगल साहब अपने पूरे परिवार के साथ कराची से मुंबई आ गए थे। मुंबई आकर ये इप्टा से जुड़ गए और यहां इन्होंने बलराज साहनी और कैफी आज़मी जैसे बड़े नामों के साथ काम किया। 

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि हंगल साहब मार्क्सवादी विचारधारा से बेहद प्रेरित थे। और इसी विचारधारा के चलते इन्हें एक दफा जेल भी जाना पड़ा था। 

सन 1949 से सन 1965 तक हंगल साहब इप्टा के तहत थिएटर करते रहे। इनके ज्यादातर नाटक सामाजिक मुद्दों से जुड़े होते थे। कई दफा इन नाटकों का मंचन भी ये खुद ही किया करते थे।

50 साल की उम्र में की पहली फिल्म

हंगल साहब के बारे में ये बात हैरान करने वाली है कि थिएटर में इतने सालों तक काम करने के बावजूद इन्होंने फिल्मों में बड़ी देर से काम करना शुरू किया था। 

सन 1966 में इन्होंने बसु भट्टाचार्य की फिल्म तीसरी कसम से फिल्मों में एंट्री ली और उस वक्त इनकी उम्र 50 साल हो चुकी थी। इसके बाद ये नज़र आए अगले साल यानि 1967 में रिलीज़ हुई फिल्म शागिर्द में। 

फिर तो ये बॉलीवुड में बतौर कैरेक्टर आर्टिस्ट ऐसे स्थापित हुए कि 70, 80 और 90 के दशक की लगभग हर बड़ी फिल्म में ये नज़र आ जाते थे।

A.K. Hangal की प्रमुख फिल्में

इन्होंने हीर रांझा, गुड्डी, बावर्ची, अभिमान, नमक हराम, हीरा पन्ना, अनामिका, दीवार, शोले, शौकीन, चितचोर, बेशरम, फिर वोही रात, हम पांच, स्वामी दादा, नौकर बीवी का, राम तेरी गंगा मैली, डकैत, खून भरी मांग, रूप की रानी चोरों का राजा, खलनायक, दिलवाले, लगान, दिल मांगे मोर, पहेली और मिस्टर प्राइम मिनिस्टर जैसी फिल्मों में काम किया। इनकी आखिरी फिल्म थी कृष्णा और कंस जो कि साल 2012 में रिलीज़ हुई थी।

विलेन भी बने थे ए.के हंगल

हंगल साहब ने फिल्मों में विलेन के तौर पर भी काम किया है। सन 1979 में रिलीज़ हुई फिल्म मंज़िल में ये अनोखेलाल नाम के विलेन के रोल में नज़र आए थे। इसी साल रिलीज़ हुई फिल्म प्रेम बंधन में भी ये निगेटिव किरदार में दिखे थे।

ए.के हंगल ने टीवी पर भी काम किया है। चंद्रकांता, बेताल पचीसी, होटल किंग्स्टन और जीवन रेखा जैसे टीवी शोज़ में ये नज़र आए। साथ ही कई टीवी शोज़ में इन्होंने गेस्ट अपीयरेंस भी दिए।

जब एक पुलिस वाले ने हंगल साहब को धर लिया

हंगल साहब से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा कुछ यूं है कि फिल्म नमक हराम में इन्होंने ट्रेड यूनियन लीडर का किरदार इतनी शानदार तरीके से निभाया था कि एक पुलिस वाला ये मान बैठा कि हंगल साहब वाकई में किसी यूनियन के लीडर हैं। 

वो पुलिस वाला इनके घर पहुंचा और यूनियन शुरू करने के बारे में इनसे सवाल करने लगा। जब हंगल साहब ने उसे साफ शब्दों में बताया कि वो तो बस एक एक्टर हैं और उन्हें नहीं पता कि यूनियन कैसे शुरू की जाती है, तब वो पुलिस वाला माना।

जब बाला साहेब ठाकरे ने लगाया A.K. Hangal पर बैन

हंगल साहब से ही जुड़ा एक और दिलचस्प किस्सा कुछ इस प्रकार है कि साल 1993 में ये पाकिस्तान गए थे। ये वहां अपनी डॉक्यूमेंट्री के सिलसिले में अपने पुश्तैनी मकान को देखने गए थे। 

इत्तेफाक से उसी दौरान पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस पड़ गया। पाकिस्तान के कुछ लोगों ने इन्हें अपने स्वतंत्रता दिवस समारोह में बतौर चीफ गेस्ट इनवाइट किया और ये उस समारोह में शरीक भी हो गए। 

ये बात जब बालासाहेब ठाकरे को मालूम चली तो वो इनसे बेहद नाराज़ हुए। बाला साहेब ने फिल्म इंडस्ट्री में इन्हें बैन करा दिया। 

बाला साहेब द्वारा लगाया गया वो अघोषित बैन लगभग दो सालों तक चला था और इस दौरान हंगल साहब को बड़ी परेशानियों से गुज़रना पड़ा। कहा जाता है कि हंगल साहब ने बाला साहेब से मिलकर उनसे माफी मांगी थी तब कहीं जाकर उन्हें बैन से आज़ादी मिली थी।

पाकिस्तानियों ने हमेशा हंगल साहब को प्यार दिया

एक बार हगंल साहब रूस से भारत वापस लौट रहे थे। जिस विमान से ये भारत वापस लौट रहे थे उसमें कोई तकनीकी समस्या आ गई और विमान को मजबूरी में पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। 

बाकि मुसाफिरों सहित हंगल साहब कराची एयरपोर्ट पर विमान के फिर से उड़ान भरने का इंतज़ार कर ही रहे थे कि अचानक पाकिस्तान के कुछ सिने प्रेमियों ने इन्हें पहचान लिया। उन्होंने हंगल साहब को घेर लिया और इनसे बॉलीवुड को लेकर कई तरह के सवाल-जवाब करने लगे। 

बहुत मुश्किलों में गुज़रे जीवन के आखिरी साल

भारतीय सिनेमा में इनके योगदान के लिए भारत सरकार ने इन्हें पद्म भूषण सम्मान से नवाज़ा था। इन्होंने लंबे समय और लंबी उम्र तक फिल्मों में काम किया। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब बढ़ती उम्र की वजह से इनकी सेहत ने इनका साथ छोड़ना शुरू कर दिया। 

इनकी आर्थिक स्थिति भी काफी खराब रहने लगी। दवाई का खर्च उठाना भी इनके लिए बेहद मुश्किल हो रहा था। इस वक्त तक इनके इकलौते बेटे विजय भी काफी बूढ़े हो चुके थे। वो एक कैमरामैन थे और इनका इलाज कराने में विजय हंगल को काफी मुश्किलें आ रही थी।

बॉलीवुड ने दिया सपोर्ट

हंगल साहब की मुसीबत के बारे में जब फिल्म इंडस्ट्री को मालूम चला तो कई सितारे इनकी मदद के लिए आगे आए। जया बच्चन ने इनके बुरे वक्त में इनकी काफी मदद की। साथ ही आर्टिस्ट असोसिएशन ने भी इन्हें काफी सपोर्ट किया। 

और दुनिया से विदा हो गए ए.के.हंगल

फिल्मों से इन्हें कितना प्यार था इस बात का अंदाज़ा ऐसे लगाया जा सकता है कि बुढ़ापे में जब ये व्हीलचेयर पर आ गए थे तब भी ये फिल्म के सेट पर ज़रूर जाते थे। 

हर किसी को लगता था कि हंगल साहब 100 साल की उम्र का आंकड़ा ज़रूर छू लेंगे। लेकिन 26 अगस्त 2012 को 98 साल की उम्र में हंगल साहब ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

A.K. Hangal को Meerut Manthan का Salute

हंगल साहब को इस दुनिया से गए कई साल हो चुके हैं। लेकिन आज भी उनकी फिल्मों ने उनके चाहने वालों के दिलों में उन्हें ज़िंदा रखा है। कहना चाहिए कि हंगल साहब भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा के लिए अमर हो चुके हैं। 

मेरठ मंथन भी ए.के हंगल साहब को सैल्यूट करता है और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि हंगल साहब जिस भी दुनिया में हों, लोगों का ऐसे ही मनोरंजन करते रहते हों।

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