Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia | पूरब और पश्चिम फिल्म की मेकिंग से जुड़ी 15 अनसुनी व रोचक कहानियां
Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia. 22 जून सन 1970 में रिलीज़ हुई पूरब और पश्चिम भारत की टॉप 10 देशभक्ति फिल्मों में शुमार होती है। इस फिल्म ने भारतवासियों में देशभक्ति की भावना को बुलंद कर दिया था। फिल्म में मनोज कुमार और सायरा बानो ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।
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Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia - Photo: Social Media |
इनके अलावा प्राण, मदन पुरी, अशोक कुमार, कामिनी कौशल, प्रेम चोपड़ा, निरूपा रॉय, विनोद खन्ना, राजेंद्र नाथ, ओम प्रकाश, मनमोहन और शम्मी आंटी भी अहम किरदारों में नज़र आए हैं।
फिल्म का डायरेक्शन खुद मनोज कुमार ने किया था और फिल्म के कहानी लेखन में भी उन्होंने अहम भूमिकाएं निभाई थी। फिल्म में कुल सात गाने थे जिनका संगीत दिया था कल्याणजी-आनंदजी ने। और इन गीतों को आवाज़ दी थी महेंद्र कपूर, मुकेश, लता मंगेशकर, मनहर उदास और आशा भोंसले ने।
Meerut Manthan पर, आज पेश है पूरब और पश्चिम फिल्म की मेकिंग से जुड़ी कुछ बड़ी ही रोचक और अनसुनी बातें। क्यों इस फिल्म को लेकर दिलीप कुमार को एक बड़ी गलतफहमी हो गई थी? कैसे इस फिल्म ने उस वक्त के न्यूकमर विनोद खन्ना की किस्मत बदलकर रख दी थी? पूरब और पश्चिम फिल्म से जुड़े ऐसे कई फैक्ट्स आज हम और आप जानेंगे। Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia.
पहली कहानी
पूरब और पश्चिम साल 1970 की चौथी सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। लगभग 1 करोड़ 10 लाख रुपए के बजट में बनी पूरब और पश्चिम ने भारत में लगभग 2 करोड़ और वर्ल्डवाइड साढ़े चार करोड़ रुपए की कमाई की थी।
उस साल कमाई के मामले में नंबर वन रही थी देवानंद की जॉनी मेरा नाम जिसने भारत में चार करोड़ रुपए कमाए थे। दूसरे नंबर पर थी राजेश खन्ना की सच्चा झूठा जो दो करोड़ 75 लाख रुपए कमाने में सफल रही थी।
तीसरे नंबर पर भी राजेश खन्ना की ही फिल्म आन मिलो सजना थी जो बॉक्स ऑफिस पर दो करोड़ पचास लाख रुपए जुटाने में कामयाब रही थी।
दूसरी कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म में हिरोइन के रोल का ऑफर लेकर जब मनोज कुमार सायरा बानो के घर गए तो वहां उनकी मुलाकात हुई सायरा बानो के पति और दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार से। दिलीप कुमार को लगा कि शायद मनोज कुमार उनके लिए कोई ऑफर लेकर आए हैं।
जब मनोज कुमार ने उन्हें बताया कि वो सायरा बानो के लिए यहां आए हैं तो उन्होंने सायरा बानो को आवाज़ लगाकर बुलाया। मनोज कुमार ने दिलीप कुमार से कहा कि मैं एक दिन आपके लिए भी किसी फिल्म का ऑफर लेकर ज़रूर आऊंगा।
इसके बाद सायरा बानो आ गई और दिलीप कुमार वहां से चले गए। फिर लगभग पांच से छह साल बाद मनोज कुमार एक दफा फिर दिलीप कुमार के घर गए। लेकिन इस दफा वो सायरा बानो नहीं, दिलीप कुमार के लिए अपनी फिल्म क्रांति का ऑफर लेकर गए थे। इस तरह दिलीप कुमार से किया अपना वादा मनोज कुमार ने पूरा कर ही दिया।
तीसरी कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म में एक सीन है जिसमें एक नाव पर पार्टी चल ही है और उस पार्टी में मनोज कुमार, सायरा बानो, प्रेम चोपड़ा, प्रेमनाथ और मनमोहन भी हैं। पार्टी का ये सीन जिस नाव पर शूट किया गया था उसका नाम अल्फा रोज़ था।
और ये लंदन की थेम्स नदी में टूरिस्ट सर्विस देने वाली एक बोट थी। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि आज भी थेम्स नदी में ये बोट संचालित की जाती है। हालांकि अब इसका नाम अल्फा रोज़ से बदलकर साराह कैथलीन कर दिया गया है।
चौथी कहानी
पूरब और पश्चिम मनोज कुमार के करियर की टॉप फिल्मों में से एक फिल्म है। इसी फिल्म ने मनोज कुमार को भारत कुमार कहलाए जाने का गौरव दिलाया था। लेकिन ये बात भी काबिल-ए-गौर है कि पहले मनोज कुमार इस फिल्म का नाम पूरब और पश्चिम रखना ही नहीं चाहते थे।
वो चाहते थे कि इस फिल्म का नाम हरे रामा हरे कृष्णा होना चाहिए। उन्होंने ये नाम रजिस्टर्ड भी करा लिया था। लेकिन आखिरकार फिल्म क्र्यू से काफी चर्चा के बाद मनोद कुमार ने हरे रामा हरे कृष्णा से बदलकर इस फिल्म का नाम पूरब और पश्चिम रख दिया। फिर जब देवानंद ने हरे रामा हरे कृष्णा फिल्म बनाई तो उन्होंने ये नाम मनोज कुमार से खरीदा था।
पांचवी कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म की काफी शूटिंग इंग्लैंड में हुई थी। और इसके लिए फिल्म की पूरी यूनिट इंग्लैंड रवाना हुई थी। लेकिन ये जानकर आपको हैरानी होगी कि टीम के कुछ लोगों के साथ मनोज कुमार एक महीने पहले ही इंग्लैंड के लिए रवाना हो गए थे।
और वो भी हवाई जहाज से नहीं बल्कि पानी के जहाज से। दरअसल, मनोज कुमार को हवाई जहाज में सफर करने में काफी नर्वसनैस होती है। इसिलिए वो अपने कुछ साथियों के साथ पानी के जहाज से पूरब और पश्चिम फिल्म की शूटिंग करने एक महीने पहले ही लंदन निकल गए थे।
छठी कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म में विनोद खन्ना ने श्यामू नाम का एक निगेटिव शेड वाला कैरेक्टर प्ले किया था। ये वो दौर था जब विनोद खन्ना फिल्मों में नए-नए आए थे और चार-पांच फिल्मों में काम कर चुके थे।
जब विनोद खन्ना ने ये फिल्म साइन की थी तो उन्हें मनोज कुमार ने निर्देश दिए थे कि वो उस वक्त की सभी बड़ी फिल्म मैगज़ीन्स को ये खबर दें कि वो इस फिल्म में काम कर रहे हैं। विनोद खन्ना ने ऐसा ही किया और ये करने के एक हफ्ते के भीतर ही विनोद खन्ना ने 8 बड़ी फिल्में और साइन कर ली थी।
सातवीं कहानी
पूरब और पश्चिम पूरी तरह से मनोज कुमार की फिल्म थी। इस फिल्म में मनोज कुमार ने एक्टिंग तो की ही थी, साथ ही वो ही इस फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर भी थे। फिल्म की कहानी में भी मनोज कुमार ने अहम योगदान निभाया था।
लेकिन कम लोग ही इस बात से वाकिफ हैं कि मनोज कुमार को इस फिल्म की कहानी का आइडिया उनकी पत्नी शशि गोस्वामी ने दिया था। और इसिलिए मनोज कुमार ने शशि गोस्वामी जी के नाम को फिल्म के क्रेडिट रोल में जगह दी थी।
आठवीं कहानी
पूरब और पश्चिम मनोज कुमार के करियर की दूसरी ऐसी फिल्म थी जिसमें उनके किरदार का नाम भारत था। पूरब और पश्चिम से पहले मनोज कुमार ने उपकार फिल्म में भी भारत नाम का किरदार जिया था।
वहीं रोटी कपड़ा और मकान व क्रांति फिल्म में भी मनोज कुमार के किरदारों के नाम भारत ही थे। और इसिलिए मनोज कुमार को लोगों ने भारत कुमार कहना शुरू कर दिया था।
नौंवी कहानी
फिल्म पूरब और पश्चिम के गीत पुरवा सुहानी आई रे को लिखा था गीतकार संतोष आनंद ने। ये गीत संतोष आनंद के करियर का पहला गीत था। पूरब और पश्चिम के बाद संतोष आनंद ने मनोज कुमार की कई फिल्मों के लिए गीत लिखे थे।
जैसे क्रांति, शोर व रोटी कपड़ा और मकान। क्रांति फिल्म के गीत ज़िंदगी की ना टूटे लड़ी और शोर फिल्म के गीत एक प्यार का नगमा है के लिए संतोष आनंद को बेस्ट लिरिस्ट का फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिला था।
जबकी रोटी कपड़ा और मकान फिल्म के पॉप्युलर सॉन्ग मैं ना भूलूंगा के लिए संतोष आनंद को फिल्मफेयर बेस्ट लिरिसिस्ट अवॉर्ड मिला था।
दसवीं कहानी
फिल्म पूरब और पश्चिम के गीतकार संतोष आनंद से एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा जुड़ा है। मनोज कुमार जब ये फिल्म बनाने की तैयारियों में लगे थे तो एक दिन दिल्ली में उन्होंने एक कवि सम्मेलन में पहली बार संतोष आनंद को देखा था।
संतोष आनंद की देशभक्ति भावना से ओत-प्रोत कविताओं से प्रभावित होकर मनोज कुमार ने उन्हें अपनी फिल्म पूरब और पश्चिम के लिए गीत लिखने का ऑफर दिया। पहले तो संतोष आनंद को ये बातें मज़ाक लगी।
लेकिन मनोज कुमार के रिक्वेस्ट करने पर संतोष आनंद ने उन्हें पांच पैराग्राफ में पुर्वा सुहानी आई रे गीत लिखकर दिया। हालांकि फिल्म में इस गीत के कुल तीन पैराग्राफ ही लिए गए थे।
इस तरह ये फिल्म संतोष आनंद के करियर की पहली फिल्म बनी जिसके लिए उन्होंने कोई गीत लिखा। पूरब और पश्चिम के क्रेडिट रोल में लिखा गया था इंट्रोड्यूज़िंग संतोष आनंद। आमतौर पर फिल्मों में किसी एक्टर के लिए ही क्रेडिट में इंट्रोड्यूज़िंग। शब्द का प्रयोग किया जाता है।
11वीं कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म का बेहद लोकप्रिय गीत है भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं। फिल्म में तो ये गीत लंदन में दिखाया गया है।
लेकिन वास्तव में इस गीत की शूटिंग मुंबई के महबूब स्टूडियो में की गई थी। इसके लिए बाकायदा महबूब स्टूडियो में एक क्लब का सेट तैयार किया गया था।
और जो घूमने वाले टेबल-कुर्सियां आप इस गीत में देखते हैं वो ऑटोमेटेड नहीं थे। उन्हें शूटिंग के वक्त मजदूर अपनी मेहनत से घुमाया करते थे।
12वीं कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म में मनोज कुमार ने एक बड़ा अनोखा प्रयोग किया था। इस फिल्म की कहानी प्री इंडिपेंडेस ईरा से शुरू होती है। उस वक्त देश की आज़ादी का संघर्ष चल रहा है।
और चूंकि उस ज़माने में कलर्ड टैक्नोलोजी फोटोग्राफी में नहीं आई थी तो मनोज कुमार ने पूरब और पश्चिम के आज़ादी से पहले के सारे सीन ब्लैक एंड व्हाइट में शूट किए थे। जबकी आज़ादी के बाद जब फिल्म की कहानी आगे बढ़ जाती है और मनोज कुमार बड़े हो जाते हैं तो फिल्म कलर्ड हो जाती है।
13वीं कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म से काफी मिलती जुलती कहानी वाली एक फिल्म 23 मार्च 2007 को भी रिलीज़ हुई थी। उस फिल्म का नाम था नमस्ते लंदन और उस फिल्म में अक्षय कुमार व कैटरीना कैफ ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थी।
नमस्ते लंदन में एक सीन है जब कैटरीना कैफ से अक्षय कुमार कहते हैं कि अगर उनके बॉयफ्रेंड के परिवार के लोग इंडिया के बारे में जानना चाहें तो उन्हें पूरब और पश्चिम फिल्म की डीवीडी दे देना।
वैसे नमस्ते लंदन फिल्म जब रिलीज़ हुई थी तो कई क्रिटिक्स ने इसे पूरब और पश्चिम फिल्म का रीमेक बताया था। हालांकि डायरेक्टर विपुल अमृतलाल शाह ने इन बातों को झूठ बताया था।
14वीं कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म के डायरेक्टर भी मनोज कुमार ही थे। और इस फिल्म में उनके असिस्टेंट डायरेक्टर थे चंद्रा बैरोट। मनोज कुमार चंद्रा बैरोट की मेहनत और लगन से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने चंद्रा बैरोट को अपनी अगली फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के डायरेक्शन की ज़िम्मनेदारी सौंप दी।
हालांकि जब डिस्ट्रीब्यूटर्स को पता चला कि कोई नया लड़का रोटी कपड़ा और मकान का डायरेक्शन करेगा तो उन्होंने मनोज कुमार पर दबाव बनाया कि वो इस फिल्म का डायरेक्शन खुद करें। आखिरकार मनोज कुमार को डिस्ट्रिब्यूटर्स की ये बात माननी ही पड़ी।
आगे चलकर चंद्रा बैरोट ने अमिताभ बच्चन के साथ कल्ट क्लासिक डॉन फिल्म बनाई जो कि बहुत ज़्यादा सफल रही थी। मगर डॉन के बाद चंद्रा बैरोट फिर कभी कोई सफल फिल्म नहीं बना सके।
15वीं कहानी
पूरब और पश्चिम फिल्म भले ही हिंदी सिनेमा और मनोज कुमार की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिनी जाती हो। लेकिन ये जानकर आपको हैरानी होगी कि इस फिल्म को कभी कोई अवॉर्ड नहीं मिला। ना ही फिल्मफेयर की तरफ से इस फिल्म कोई नॉमिनेशन दिया गया था।
जबकी लोग अंदाज़ा लगा रहे थे कि जैसे मनोज कुमार की उपकार ने 10 में से सात अवॉर्ड जीत लिए थे वैसा ही चमत्कार पूरब और पश्चिम भी कर दिखाएगी। मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और मनोज कुमार के फैंस हैरान रह गए।
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