Nadiya Ke Paar 1983 Trivia | नदिया के पार फिल्म बनने की 11 अनसुनी और रोचक कहानियां कहानियां

Nadiya Ke Paar 1983 Trivia. 1 जनवरी 1982 को, यानि नए साल के मौके पर रिलीज़ हुई थी राजश्री प्रोडक्शन्स की कल्ट क्लासिक फिल्म नदिया के पार। इस फिल्म की कहानी लिखी थी केशव प्रसाद मिश्रा ने। जबकी फिल्म को डायरेक्ट किया था गोविंद मुनीस ने। 

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Nadiya Ke Paar 1983 Trivia - Photo: Social Media

फिल्म के प्रोड्यूसर थे ताराचंद बड़जात्या जिन्होंने अपने बैनर राजश्री प्रोडक्शन्स के अंडर में इस फिल्म को बनाया था। फिल्म में सचिन पिलगांवकर, साधना सिंह, लीला मिश्रा, इंदर ठाकुर, शीला शर्मा और मिताली ने अहम किरदार निभाए हैं। 

फिल्म में कुल छह गीत थे जिन्हें संगीतकार रविंद्रजैन ने कंपोज़ किया था। और इन गीतों को लिखा भी रविंद्र जैन ने ही था। इन गीतों में हेमलता, जसपाल सिंह, सुरेश वाडेकर और चंद्रानी मुखर्जी ने अपनी आवाज़ दी थी।

 और इस फिल्म के गीत बहुत ज़्यादा पसंद किए गए थे। बात अगर इस फिल्म के बजट की करें तो 80 लाख रुपए में बनी इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड 5 करोड़ 40 लाख रुपए की कमाई की थी।

Meerut Manthan पर आज आप और हम जानेंगे नदिया के पार फिल्म की मेकिंग से जुड़ी कुछ अनसुनी, सच और दिलचस्प कहानियां। और हमें पूरा यकीन है कि आपको हमारी ये पेशकश ज़रूर पसंद आएगी। Nadiya Ke Paar 1983 Trivia.

पहली कहानी

नदिया के पार फिल्म साल 1982 की टॉप फाइव कमाई करने वाली फिल्मों की लिस्ट में सबसे आखिरी स्थान पर यानि पांचवे नंबर पर रही थी। 80 लाख रुपए में बनी ये फिल्म वर्ल्डवाइड 5 करोड़ 40 लाख रुपए कमाने में कामयाब रही थी। 

जबकी उस साल कमाई के मामले में नंबर वन फिल्म थी दिलीप कुमार की विधाता जिसने 16 करोड़ रुपए कमाए थे। दूसरे नंबर पर थी प्रेम रोग जो कि 13 करोड़ रुपए कमाने में सफल रही थी। तीसरे नंबर पर थी नमक हलाल जिसने 12 करोड़ रुपए कमाए थे। 

और चौथे नंबर पर रही थी खुद्दार जो 7 करोड़ रुपए कमाने में कामयाब रही थी। वैसे यहां आपको ये बताना भी ज़रूरी है कि कई सोर्सेज ऐसे हैं जो दावा करते हैं कि नदिया के पार फिल्म कमाई के मामले में उस साल 19वें नंबर पर रही थी।

दूसरी कहानी

नदिया के पार फिल्म की कहानी केशव प्रसाद मिश्र के उपन्यास कोहबर की शर्त पर आधारित है। यूं तो केशव प्रसाद मिश्र ने इस उपन्यास को दो भागों में लिखा था। लेकिन नदिया के पार फिल्म इस उपन्यास के पहले भाग पर ही बनी है। 

और ये जानकर भी आपको हैरत होगी कि साल 1994 में आई राजश्री प्रोडक्शन्स की ही फिल्म हम आपके हैं कौन नदिया के पार फिल्म का रीमेक था। फर्क बस इतना था कि नदिया के पार फिल्म रूरल बैकग्राउंड यानि देहाती पृष्ठभूमि की फिल्म थी तो हम आपके हैं कौन एक शहरी परिवार की कहानी थी।

तीसरी कहानी

नदिया के पार फिल्म में गुंजा के रोल में एक्ट्रेस साधना सिंह नज़र आई थी। ये फिल्म साधना सिंह की पहली फिल्म थी। करियर की शुरुआत एक शानदार फिल्म से होने के बावजूद भी साधना सिंह फिल्मों में बहुत ज़्यादा खास नाम नहीं बना सकी। 

इन्होंने लगभग 20-22 फिल्मों में काम किया जिनमें कुछ रीज़नल फिल्में भी थी। 90 के दशक के शुरुआत में साधना सिंह ने फिल्म प्रोड्यूसर राजकुमार शाहबादी से शादी कर ली थी। उनसे इनकी एक बेटी हुई जिनका नाम शीना शाहबादी है और वो भी अब एक एक्ट्रेस हैं। 

साधना सिंह की बात करें तो फिल्मों के अलावा साधना ने टीवी पर भी काफी काम किया है। सालों बाद 2016 में साधना सिंह ने जुगनी नाम की फिल्म से कमबैक किया था। 

और तब से वो हर साल इक्का-दुक्का फिल्मों में नज़र आती रहती हैं। 2019 में आई फिल्म सुपर 30 में साधना सिंह ऋतिक रोशन की मां के रोल में नज़र आई थी।

चौथी कहानी

नदिया के पार फिल्म में चंदन यानि सचिन के बड़े भाई ओमकार के रोल में एक्टर इंदर ठाकुर नज़र आए थे। इंदर ठाकुर के पिता हीरालाल किसी ज़माने में हिंदी फिल्मों के नामी विलेन हुआ करते थे। इंदर कुमार उनके सबसे छोटे बेटे थे। 

नदिया के पार के बाद इंदर ठाकुर ने 1985 की तुलसी फिल्म में काम किया था। इंदर ठाकुर ना केवल एक्टर थे, बल्कि एक मॉडल और फैशन डिज़ाइनर भी थे। 1985 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुए एक फैशन कंप्टीशन में इंदर ठाकुर ने इंटरनेशनल फैशन डिज़ाइनर अवॉर्ड जीता था। 

इंदर ठाकुर एयर इंडिया फ्लाइट 182 से भारत वापस लौट रहे थे। लेकिन आतंकी संगठन बब्बर खालसा ने उस फ्लाइट को हवा में ही बम से उड़ा दिया। और महज़ 35 साल की उम्र में इंदर ठाकुर इस दुनिया से विदा हो गए। उस हादसे में फ्लाइट में सवार सभी 329 लोग मारे गए थे।

पांचवी कहानी

नदिया के पार फिल्म का संगीत दिया था महान संगीतकार रविंद्र जैन ने। ये जानकर आपको अचरज होगा कि रविंद्र जैन बचपन से ही ब्लाइंड यानि नेत्रहीन थे। लेकिन ईश्वर ने रविंद्र जैन को प्रतिभा का धनी बनाया था। 

नदिया के पार के अलावा रविंद्र जैन ने गीत गाता चल, चितचोर, तपस्या, पति पत्नी और वो, प्रतिघात, हिना, ये आग कब बुझेगी और बेटा हो तो ऐसा जैसी सुपरहिट फिल्मों का म्यूज़िक कंपोज़ किया था। 

जबकी रामायण, श्री कृष्णा, अलिफ लैला, जय हनुमान और साईं बाबा जैसे लोकप्रिय टीवी शोज़ का संगीत भी रविंद्र जैन ने ही कंपोज़ किया था। रविंद्र जैन एक गीतकार भी थे और नदिया के पार फिल्म के गीत रविंद्र जैन ने ही लिखे थे। 9 अक्टूबर 2015 को 71 साल की उम्र में रविंद्र जैन का निधन हो गया था।

छठी कहानी

नदिया के पार फिल्म में चंदन तिवारी का किरदार एक्टर सचिन पिलगांवकर ने निभाया था। चार साल की छोटी सी उम्र में ही सचिन का फिल्मी सफर शुरू हो गया था। कई फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम करने के बाद शोले में सचिन पिलगांवर अहमद नाम के सपोर्टिंग रोल में नज़र आए थे। 

फिर इसी साल आई गीत गाता चल में सचिन ने पहली दफा मुख्य हीरो की भूमिका निभाई। अपने करियर में सचिन ने बालिका बधू, अंखियों के झरोखों से, अवतार, सत्ते पे सत्ता और कई दूसरी बड़ी और सुपरहिट फिल्मों में काम किया। 

हिंदी के अलावा सचिन ने ढेरों मराठी फिल्मों में भी काम किया है। फिल्मों के अलावा सचिन ने छोटे पर्दे पर भी काफी काम किया है। जबकी सचिन ने कई फिल्में और कुछ टीवी शोज़ डायरेक्ट भी किए हैं।

सातवीं कहानी

नदिया के पार राजश्री प्रोडक्शन की भोजपुरी फिल्म है। लेकिन अगर हम एक खास नज़रिये से देखें तो इस फिल्म में हमें विविध भारत की पूरी झलक देखने को मिलती है। फिल्म का सबसे लोकप्रिय गीत था कौन दिशा में ले के चला रे बटोहिया। ये गीत आज भी लोग पसंद करते हैं। 

और ये गीत भोजपुरी भाषा का गीत है। जबकी इस गीत के गायक जसपाल सिंह एक सिख हैं जो पंजाब के रहने वाले हैं। गीत में जसपाल सिंह का साथ देने वाली गायिका हेमलता ने अपना जीवन बंगाल में गुज़ारा है। 

गीत में नज़र आए सचिन पिलगांवकर एक मराठी हैं। लेकिन इन सभी ने मिलकर इस गीत में इतना खूबसूरत काम किया है कि लगता ही नहीं कि भोजपुरी के अलावा किसी और भाषा का कलाकार इतना शानदार काम इस गीत में कर सकता था।

आठवीं कहानी

नदिया के पार का रीमेक मानी जाती है सलमान खान की फिल्म हम आपके हैं कौन। लेकिन ये बात भी ध्यान देने वाली है कि जहां कई लोग हम आपके हैं कौन को एक तीन घंटे का हाई फाई शादी वीडियो कहकर इसकी आलोचना करते हैं। 

तो वहीं नदिया के पार फिल्म की आलोचना करने का कोई मौका कभी किसी को नहीं मिल सका। बेशक हम आपके हैं कौन नदिया के पार से ज़्यादा सफल हुई थी। लेकिन हम आपके हैं कौन के लिए राजश्री प्रोडक्शन्स ने ना केवल टॉप की स्टारकास्ट ली थी। 

बल्कि बजट भी काफी ज़्यादा रखा था। जबकी नदिया के पार उस दौर के छोटे कलाकारों के साथ छोटे से बजट में बनाई गई फिल्म थी। और इस फिल्म की कहानी दर्शकों के दिलों में उतर गई थी। जबकी हम आपके हैं कौन कई मौकों पर एकदम बनावटी लगती है।

नौंवी कहानी

नदिया के पार फिल्म की 90 प्रतिशत शूटिंग उत्तर प्रदेश के जौनपुर के केराकत नगर पंचायत के दो गावों में हुई थी। इन गावों के नाम थे विजयपुर और राजेपुर। ये दोनों गांव गोमती नदी के किनारे बसे हैं। 

यहीं पर सई नदी भी गोमती नदी में आकर मिलती है। फिल्म का कुछ हिस्सा बलिया में भी फिल्माया गया था। फिल्म में विजयपुर और राजेपुर गांव को बलिहार और चौबेपुर गांव बताया गया है। फिल्म का हीरो चंदन तिवारी बलिहार गांव का कहने वाला है। 

जबकी हिरोइन गुंजा नदी के पार चौबेपुर गांव की रहने वाली है। लगभग डेढ़ महीने तक फिल्म की शूटिंग इस इलाके में हुई थी और इस दौरान पूरी यूनिट गांव में ही रही। इस दौरान गांव के लोगों से फिल्म यूनिट की बढ़िया दोस्ती हो गई थी।

दसवीं कहानी

नदिया के पार फिल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश के जौनपुर के जिन गावों में हुई थी वहां के लोगों का कहना है कि राजश्री प्रोडक्शन्स के मालिक ताराचंद बड़जात्या ने गांव के लोगों के बदले कुछ पैसे देने की बात कही थी। 

लेकिन चूंकि फिल्म के यूनिट मैनेजर रामजनक सिंह उसी इलाके के रहने वाले थे तो उन्हें ये बात सही नहीं लगी कि उनके अपने गांव में शूटिंग करने के बदले में ताराचंद बड़जात्या को पैसे चुकाने पड़ें। और गांव वालों ने भी फिल्म की शूटिंग के लिए अपने घरों, नावों और खेतों को मुफ्त में ही फिल्म यूनिट को दे दिया। 

कहा जाता है कि जब तक फिल्म की शूटिंग चली तब तक उस इलाके में पुलिस तैनात रही। और ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर बड़ी तादाद में शूटिंग देखने के लिए भीड़ आ जाती थी जो कई दफा बेकाबू भी हो जाती थी।

11वीं कहानी

नदिया के पार फिल्म का होली गीत जोगी जी की शूटिंग के लिए कई बोरियां भरकर रंग और गुलाल मंगवाए गए थे। और इस गीत में लोगों की जो भीड़ हमें नज़र आती है वो उन गावों के स्थानीय निवासी थे जहां फिल्म की शूटिंग हुई थी। 

कहा जाता है कि जब फिल्म की शूटिंग कंप्लीट हुई और फिल्म यूनिट गांव से जाने लगी तो गांव वालों और फिल्म यूनिट के लोगों की आंखें नम थी। डेढ़ महीने तक फिल्म शूटिंग चली थी और इस दौरान गांव के लोगों संग फिल्म यूनिट की बढ़िया दोस्ती हो गई थी। लेकिन जब जुदाई का वक्त आया तो कई लोग फूट फूटकर रोने भी लगे थे।

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