Iftekhar | Bollywood का वो Police Commissioner जिसके जैसा कोई दूसरा नहीं आया | Biography
Iftekhar. हिंदी फिल्मों का वो पुलिस अफसर जिसे वर्दी में देखकर लगता था मानो सच में कोई पुलिस अफसर फिल्मों में काम करने आ गया हो। पुलिस की वर्दी में इनसे ज़्यादा हैंडसम शायद ही कोई और दूसरा कलाकार दिखा हो।
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Bollywood Actor Iftekhar Biography - Photo: Social Media |
कभी ये पुलिस इंस्पेक्टर बनते थे तो कभी पुलिस कमिश्नर। लेकिन बहुत ही कम लोगों को पता है कि अपने फिल्मी करियर की शुरूआत में ये कुछ फिल्मों में हीरो भी बने थे। ये केवल एक एक्टर नहीं, बल्कि एक शानदार चित्रकार भी थे।
Meerut Manthan पर आज पेश है सैयदाना इफ्तेख़ार अहमद शरीफ यानि Iftekhar की Biography. Iftekhar साहब फिल्मों में कैसे आए और इनकी ज़िंदगी का सफर कैसा रहा, ये पूरी कहानी इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे।
शुरुआती जीवन
इफ्तेख़ार साहब का जन्म हुआ था 26 फरवरी 1920 को जालंधर में। लेकिन चूंकि इनके पिता कानपुर में एक कंपनी में अच्छी पोस्ट पर काम करते थे, तो इनका बचपन कानपुर में ही गुज़रा।
कानपुर से मैट्रिक पास करने के बाद इफ्तेख़ार ने लखनऊ कॉलेज ऑफ आर्ट्स का रुख किया और यहां से इन्होंने चित्रकला में डिप्लोमा हासिल किया। चित्रकला इनके बचपन का शौक था सो इन्होंने अपना वो शौक तो पूरा कर लिया। लेकिन अभी एक शौक और था जो बचपन से ही इनके साथ चल रहा था।
वो शौक था गाने का शौक। इफ्तेख़ार को गाने का बहुत शौक था। मशहूर गायक केएल सहगल उनके पसंदीदा गायक थे और वो गायकी में केएल सहगल की तरह ही नाम कमाना चाहते थे।
एक एल्बम भी रिकॉर्ड किया था
इफ्तेख़ार का गाने का स्टाइल भी काफी हद तक केएल सहगल जैसा ही था। ये वो वक्त था जब भारत में म्यूज़िक इंडस्ट्री का एपिसेंटर कोलकाता हुआ करता था। देश की तमाम बड़ी म्यूज़िक कंपनियां कोलकाता में ही थी।
इसलिए 20 साल की उम्र में इफ्तेख़ार साहब कलकत्ता यानि कोलकाता चले गए। कोलकाता पहुंचकर ये पहुंचे एचएमवी म्यूज़िक कंपनी के ऑफिस। वहां इनकी मुलाकात हुई उस दौर के दिग्गज म्यूजिशियन कमलदास गुप्ता से जो कि एचएमवी में नौकरी किया करते थे।
कमलदास गुप्ता ने इनका ऑडिशन लिया और वो इनकी गायकी से काफी प्रभावित हुए। इफ्तेखा़र साहब ने एचएमवी के लिए दो गानों का एक एल्बम रिकॉर्ड किया। इसके बाद ये कानपुर वापिस आ गए।
यूं आए अभिनय की दुनिया में
कोलकाता से लौटे हुए इफ्तेख़ार साहब को अभी कुछ ही दिन हुए थे कि इन्हें एक टेलिग्राम मिला। ये टेलिग्राम उन्हें एम.पी प्रोडक्शन ने भेजा था। टेलिग्राम में संदेश था कि जितना जल्दी हो सके इफ्तेख़ार कोलकाता आ जाएं।
हुआ कुछ यूं था कि इफ्तेख़ार साहब का ऑडिशन लेने वाले संगीतकार कमलदास गुप्ता ने एम.पी प्रोडक्शन की फिल्म जवाब का म्यूज़िक तैयार किया था। कमलदास गुप्ता इफ्तेख़ार साहब की साफ ज़ुबान और इनकी पर्सनैलिटी से बेहद प्रभावित थे।
उन्होंने ही एम.पी प्रोडक्शन में इफ्तेख़ार साहब को एक्टर की हैसियत से नौकरी देने की सिफारिश की थी। कमलदास गुप्ता की सिफारिश पर ही एम.पी प्रोडक्शन ने इफ्तेख़ार को वो टेलिग्राम भेजा था।
Iftekhar की शादी की कहानी
इस वक्त तक सईदा नाम की कानपुर की एक लड़की से शादी के लिए इफ्तेख़ार साहब का रिश्ता तय हो चुका था। लेकिन कलकत्ता में मिल रहे मौके को वो छोड़ना नहीं चाहते थे इसलिए शादी को कुछ दिनों के लिए टालकर वो कलकत्ता आ गए और एम.पी फिल्म्स में नौकरी करने लगे।
कई दिन गुज़र गए और इफ्तेख़ार साहब की फिल्म की शूटिंग शुरू ही नहीं हो पाई। इसी बीच इफ्तेख़ार साहब जिस बिल्डिंग में रहते थे उसी में रहने वाली हना जोसेफ़ नाम की एक लड़की से इन्हें इश्क हो गया जो कि यहूदी थी। इश्क़ और परवान चढ़ा तो इफ्तेख़ार साहब ने हना से शादी कर ली और उनका नाम बदलकर रेहाना अहमद कर दिया।
इफ़्तिख़ार की पहली फिल्म
सन 1944 में इफ्तेख़ार की पहली फिल्म रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म का नाम था "तकरार।" हालांकि ये फिल्म आर्ट फिल्म्स कोलकाता के बैनर तले रिलीज़ हुई थी, ना कि एम.पी प्रोडक्शन के जिसमें नौकरी करने इफ्तेख़ार साहब कानपुर से कोलकाता आए थे।
इस फिल्म में इफ्तेख़ार साहब की हिरोइन थी जमुना जो कि उस जम़ाने में बड़ी स्टार थी। अगले साल यानि 1945 में इफ्तेख़ार साहब की दो और फिल्में रिलीज़ हुई।
एक थी "घर" जिसमें एक बार फिर से जमुना इनकी हीरोइन बनी। दूसरी थी "राजलक्ष्मी" और इस फिल्म में इनकी हीरोइन थी कानन देवी।
वो घटनाक्रम जब Iftekhar को Kolkata से Mumbai आना पड़ा
राजलक्ष्मी फिल्म से ही तलत महमूद ने बॉलीवुड में बतौर गायक और अभिनेता अपने करियर की शुरूआत की थी। 1946 में इफ्तेख़ार साहब की बेटी सलमा पैदा हुई।
अगले साल यानि 1947 में इनकी दूसरी बेटी पैदा हुई जिसका नाम रखा गया सईदा। 1947 में ही "ऐसा क्यों" और "तुम और मैं" नाम से इनकी दो और फिल्में भी रिलीज़ हुई। इन फिल्मों में भी ये हीरो थे।
लेकिन जब भारत का बंटवारा हुआ तो इफ्तेख़ार साहब के माता-पिता, भाई-बहन और कई दूसरे सगे संबंधियों ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। जबकी इफ्तेख़ार अपने परिवार के साथ भारत में रहे।
हालांकि दंगों की वजह से इन्होंने कोलकाता छोड़कर मुंबई आने का फैसला किया। 1948 में ये कोलकाता से मुंबई आ गए और खार इलाके में मौजूद एक होटल में इन्होेंने मुंबई में अपना पहला ठिकाना बनाया। उस होटल का नाम था होटल एवरग्रीन।
मुंबई का संघर्ष
मुंबई आने के बाद एक बार फिर से इफ्तेख़ार को संघर्ष के दौर से गुज़रना पड़ा। पैसे की तंगी आ गई थी। हालात ये थे कि कई दफा घर में खाने के लिए भी कुछ नहीं होता था।
मजबूरी में इफ्तेख़ार साहब की पत्नी हना जोसेफ उर्फ रेहाना अहमद को भी एक कंपनी में सेक्रेटरी की हैसियत से काम करना पड़ा। दूसरी तरफ इफ्तेख़ार साहब को फिल्मों में जो भी छोटा-मोटा काम मिल रहा था वो उसे कर रहे थे।
चित्रकारी ने बदल दी इफ़्तिख़ार की किस्मत
इफ़्तिख़ार की किस्मत बदलनी उस दिन शुरू हुई जब ये बॉम्बे टॉकीज़ में महान अभिनेता अशोक कुमार से मिले। हुआ कुछ यूं कि एक बार कोलकाता में अभिनेत्री कानन देवी ने इफ्तेख़ार साहब को अशोक कुमार से मिलवाया था। अ
शोक कुमार को जब पता चला कि इफ्तेख़ार एक बड़े उम्दा चित्रकार हैं तो उन्होंने इफ्तेख़ार साहब से चित्रकारी सीखने की ख्वाहिश जताई।
फिर जब मुंबई में अशोक कुमार इफ्तेख़ार से मिले तो उन्होंने आखिरकार पेंटिंग सीख ही ली। अशोक कुमार उम्र में इफ्तेख़ार से काफी बड़े थे। लेकिन वो हमेशा इफ्तेख़ार साहब को पेंटिंग में अपना गुरू मानते रहे।
वो फिल्म जिसने रुतबा दिलाया
अशोक कुमार की मदद से इफ्तेख़ार को कई फिल्मों में काम मिला। 1950 से लेकर 1960 के दशकों के बीच में इफ्तेख़ार साहब ने तकरीबन 35 फिल्मों में काम किया।
लेकिन इन्हें वो पहचान नहीं मिल पा रही थी जिसकी तलाश हर एक्टर को होती है। मगर फिर 1969 में वो फिल्म आई जिसने सही मायनों में इफ्तेख़ार साहब की किस्मत को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। ये फिल्म थी बी.आर.फिल्म्स की "इत्तेफाक।"
और बन गए बॉलीवुड के सबसे एलिगेंट पुलिस ऑफिसर
इत्तेफाक वो पहली फिल्म थी जिसमें पुलिस ऑफिसर के रोल में इन्होंने कमाल कर दिया। हालांकि इस फिल्म से पहले भी ये कुछ फिल्मों में पुलिस वाले के रोल में दिख चुके थे। लेकिन इस फिल्म में पुलिस की वर्दी में ये जितने हैंडसम दिखे थे इससे पहले कभी नहीं दिखे थे।
इस फिल्म के बाद तो इफ्तेख़ार साहब की किस्मत एकदम से बदल गई और इनके पास फिल्मों में काम ही काम आने लगा। बढ़िया काम आया तो बढ़िया पैसा भी आया और आखिरकार खार में ही इन्होंने अपना खुद का फ्लैट खरीद लिया।
Ashok Kumar के मुरीद हो गए थे Iftekhar
इफ्तेख़ार साहब अपनी कामयाबी का श्रेय हमेशा अशोक कुमार को देते थे। वो कहते थे कि ये अशोक कुमार ही थे जिनकी मदद से बी.आर.फिल्म्स में उन्हें एंट्री मिली थी।
इत्तेफाक की कामयाबी के बाद इफ्तेख़ार को एक से बढ़कर एक फिल्में मिली और उन्होंने भी कई बड़ी-बड़ी फिल्मों में काम किया। तकरीबन पचास साल लंबे अपने फिल्मी करियर में इफ्तेख़ार साहब ने लगभग तीन सौ फिल्मों में काम किया।
कभी ना भुलाए जा सकेंगे इफ़्तिख़ार
साल 1955 में रिलीज़ हुई दिलीप कुमार की यादगार फिल्म देवदास में इफ्तेख़ार साहब भी थे। ये फिल्म में दिलीप कुमार यानि देवदास के लालची भाई द्विजादास के किरदार में दिखे थे।
1930 के दशक के आखिरी सालों में अपना करियर शुरू करने वाले इफ्तेख़ार साहब की आखिरी फिल्म थी काला कोट जो कि साल 1993 में रिलीज़ हुई थी।
हालांकि इनकी आखिरी रिलीज़्ड फिल्म थी यार मेरी ज़िंदगी जो कि साल 2008 में रिलीज़ हुई थी और ये फिल्म काफी लेट रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म की रिलीज़ के वक्त इफ्तेख़ार साहब को दुनिया छोड़े हुए 12 साल बीत चुके थे।
पर्सनल लाइफ
बात अगर इनकी निजी ज़िंदगी के बारे में करें तो इफ्तेख़ार साहब के परिवार के अधिकतर सदस्य 1947 में देश के विभाजन के वक्त ही पाकिस्तान जा चुके थे।
लेकिन अपने परिवार के सदस्यों से इनका संपर्क हमेशा बना रहा। इनके छोटे भाई जिनका नाम इम्तियाज़ अहमद था, वो भी इनकी ही तरह एक्टर थे और पाकिस्तान में टीवी का जाना पहचाना चेहरा थे।
इनके छोटे भाई मुश्ताक अहमद पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस में कार्यरत थे। हालांकि रिटायर होने के बाद वो अमेरिका सेटल हो गए। इनकी इकलौती बहन का नाम शमीम था और वो पाकिस्तान के कराची शहर में रहती थी।
पिता ने पाकिस्तान में कर ली थी दूसरी शादी
पाकिस्तान में इनके पिता ने एक और शादी की थी और उस शादी से इनके पिता को एक बेटा भी हुआ था जिसका नाम था इक़बाल अहमद।
इक़बाल अहमद और उनकी पत्नी डॉक्टर थे और अमेरिका में रहते थे। इफ्तेख़ार साहब कभी-कभी अपने भाईयों से मिलने पाकिस्तान जाते थे और अपने परिवार को भी साथ ले जाते थे।
पाकिस्तान में ही हुई थी उस लड़की से मुलाकात
एक इंटरव्यू में इफ्तेख़ार साहब की बड़ी बेटी सलमा ने बताया था कि पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में एक बार उनकी मुलाकात सईदा नाम की उस लड़की से भी हुई थी जिससे पहले इफ्तेख़ार साहब का रिश्ता तय हुआ था।
सईदा इफ्तेख़ार साहब से मुहब्बत करती थी और उनकी याद में वो आजीवन कुंवारी रही थी। इफ्तेख़ार साहब की छोटी बेटी का नाम भी सईदा ही था और उनकी शादी मुंबई में हुई थी। सईदा को कैंसर हो गया था।
कैंसर से लड़ते हुए 7 फरवरी 1995 को सईदा की मौत हो गई थी। बेटी की मौत का सदमा इफ्तेख़ार साहब बर्दाश्त नहीं कर पाए और लगभग एक महीने बाद यानि 4 मार्च 1995 को इफ्तेख़ार साहब ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।
बड़ी बेटी ने की थी देहरादून के कारोबारी से शादी
इफ्तेख़ार साहब की बड़ी बेटी सलमा की बात करें तो साल 1964 में उन्होंने विपिनचंद्र जैन से शादी की थी। विपिनचंद्र जैन देहरादून के एक अमीर खानदान से ताल्लुक रखते थे और एक्टर बनने मुंबई आए थे।
सलमा और विपिनचंद्र जैन ने लव मैरिज की थी। सलमा के पति विपिनचंद्र जैन के दादा का नाम रायबहादुर उग्रसेन जैन था और वो देहरादून के मशहूर बिजनेसमैन थे। रायबहादुर उग्रसेन जैन देहरादून नगरपालिका के चेयरमैन भी रह चुके थे।
विपिनचंद्र जैन से शादी करने के बाद सलमा उनके साथ देहरादून चली गई और एक कॉलेज में अंग्रेजी टीचर की हैसियत से काम करने लगी। सलमा के दो बच्चे हुए।
एक बेटा और एक बेटी। सलमा की बेटी की शादी हो चुकी है और वो लंदन में रहती है। जबकी इनके बेटे का नाम विशाल जैन है और वो इनके साथ मुंबई में रहते हैं। हालांकि विशाल जैन देहरादून में अपने पिता के साथ भी वक्त गुज़ारते हैं।
दरअसल, शादी के 15 साल बाद सलमा और विपिनचंद्र जैन तलाक लेकर अलग हो गए थे जिसके बाद से ही सलमा मुंबई में रहती हैं।
बात अगर सलमा की मां यानि इफ्तेख़ार साहब की पत्नी हना जोसेफ उर्फ रेहाना अहमद की करें तो लगभग 90 साल की उम्र में साल 2013 में वो भी ये दुनिया छोड़कर चली गई।
Iftekhar साहब को Meerut Manthan का सैल्यूट
बेशक हिंदी फिल्मों में पुलिस ऑफिसर के रोल्स में एक से बढ़कर एक एक्टर नज़र आए और हर किसी की अपनी अलग खासियत रही। लेकिन इफ्तेख़ार साहब जैसा पुलिस ऑफिसर हिंदी सिनेमा में शायद की कोई दूसरा नज़र आ पाएगा।
Meerut Manthan इफ्तेख़ार साहब को याद करते हुए उन्हें नमन करता है। और हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें सैल्यूट करता है। जय हिंद।
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