Comedian Birbal | वो Bollywood Actor कई दशकों तक फिल्मों में करता रहा | लेकिन फिर भी पहचान का मोहताज रहा | Biography

Comedian Birbal. भारतीय सिनेमा के गुज़रे ज़माने में कई ऐसे कॉमेडियन हुए थे जिन्हें बहुत ज़्यादा ख्याति तो नहीं मिल सकी। लेकिन पर्दे पर उन्हें देखते ही दर्शकों को गुदगुदी होने लगती थी। 

ऐसे ही कॉमेडियन्स में से एक थे बीरबल जो कई सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव रहे। और उम्र के अस्सीवें पड़ाव पर भी उनके भीतर अभिनय को लेकर वही पुरानी सी दीवानगी थी।

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Comedian Birbal Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan पर आज पेश है Comedian Birbal की कहानी। Comedian Birbal की ज़िंदगी की कहानी को आज हम बहुत करीब से और बहुत गहराई में जाकर जानेंगे।

शुरुआती जीवन

बीरबल का जन्म हुआ था पंजाब के गुरदासपुर के धारीवाल कस्बे में। इनके जन्म की तारीख थी 

29 अक्टूबर और साल था 1938. मां-बाप ने इन्हें नाम दिया था सतिंदर कुमार खोसला। 

पांच भाई-बहनों में बीरबल सबसे बड़े हैं। यूं तो बीरबल के पुरखे पंजाब के नूरमहल इलाके के रहने वाले थे। 

लेकिन उनके दादा जी धारीवाल आकर बस गए थे। बीरबल के पिता अविभाजित भारत के लाहौर शहर में प्रिंटिंग प्रैस का बिजनेस करते थे। 

पर चूंकि बीरबल की दादी इनसे बेहद लगाव करती थी तो उन्होंने कभी भी बीरबल को धारीवाल से कहीं और जाने नहीं दिया। 

लाहौर में भी की थी पढ़ाई

बीरबल की शुरुआती स्कूलिंग धारीवाल में ही हुई थी। फिर एक साल के लिए बीरबल अपने पिता के पास लाहौर गए और वहां के एक स्कूल में इन्होंने पढ़ाई की। 

बाद में जब भारत का बंटवारा हो गया तो बीरबल के पिता अपने परिवार संग दिल्ली आकर बस गए। 

बीरबल की आगे की पढ़ाई दिल्ली में ही हुई। पर चूंकि बीरबल पढ़ाई-लिखाई में बहुत अच्छे नहीं थे तो हायर सैकेंड्री में ये जैसे-तैसे ही पास हो पाए। 

काफी जद्दोजहद के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इन्हें जालंधर के एक कॉलेज में दाखिला मिल गया। 

उस कॉलेज से बीरबल ने बीए की पढ़ाई की थी। ये साल 1957-1958 के दौर की बात है। 

बीरबल जिस कॉलेज में पढ़ा करते थे, उसी में महान गज़ल गायक स्वर्गीय जगजीत सिंह भी इनके सीनियर थे।

किशोर कुमार व देवानंद के ज़बरदस्त फैन रहे हैं बीरबल

बीरबल छोटी उम्र से ही किशोर कुमार के फैन बन गए थे। कॉलेज में होने वाले प्रोग्राम्स में ये भी हिस्सा लिया करते थे और उन प्रोग्राम्स में ये किशोर दा के गाने गाते थे व उनकी मिमिक्री किया करते थे। 

किशोर दा के अलावा देवानंद साहब भी बीरबल जी को बहुत पसंद थे। और देव साहब से उन्हें खास लगाव इसलिए भी था क्योंकि देव साहब भी उनके होम टाउन गुरदासपुर से थे। कॉलेज में ये फंटुश के नाम से मशहूर हो गए थे। 

और वो इसलिए क्योंकि अक्सर ये कॉलेज में फंटुश फिल्म का गीत मेरी टोपी पलटकर आ गाते थे। 

ये गीत बीरबल के पसंदीदा देव साहब पर फिल्माया गया था और बीरबल के ही दूसरे पसंदीदा किशोर कुमार ने गाया था। 

पिता के काम में नहीं थी कोई दिलचस्पी

कॉलेज खत्म करके बीरबल जब वापस अपने परिवार के पास दिल्ली लौटे तो इनके पिता ने अपनी प्रिटिंग प्रैस की दुकान पर इन्हें बैठा दिया। लेकिन उस काम में इनका ज़रा भी मन नहीं लगता था। 

इस बात का अहसास जब इनके पिता को हुआ तो उन्होंने इन्हें ऑर्डर लाने-ले जाने के काम पर लगा दिया। 

चूंकि अब बीरबल को घूमने का मौका मिलने लगा तो शुरू में तो बीरबल को इस काम में काफी मज़ा आया। लेकिन कुछ ही महीनों बाद वो इससे भी ऊब गए।

पिता को ज़रा भी पसंद नहीं था बीरबल का ये शौक

अब तक इन पर  एक्टिंग करने का भूत पूरी तरह सवार हो चुका था तो ये किशोर कुमार की हर फिल्म का पहला शो देख आते थे। 

किसी तरह इनके पिता को भी इस बात की भनक लग गई कि ये एक्टर बनने का ख्वाब देख रहे हैं। 

पिता को ये बात ज़रा भी पसंद नहीं आई। वो अक्सर इन्हें डांटा करते थे। लेकिन पिता की डांट का बीरबल ने कभी बुरा नहीं माना। 

क्योंकि ये जब महज़ 12 साल के ही थे तब इनकी मां चल बसी थी। मां के बाद पिता ने ही इनकी और इनके भाई-बहनों की परवरिश की थी।

तगड़ा बहाना मारकर आए थे मुंबई

बीरबल जानते थे कि इनके पिता को नहीं पसंद कि ये एक्टिंग की दुनिया में जाने के बारे में सोचे भीं। 

लेकिन इनका मन ये बात मानने को तैयार नहीं हो रहा था कि ये अपने ख्वाब को यूं ही छोड़ दें। 

इसलिए एक दिन पिता से इन्होंने प्रैस का ऑर्डर लेने का बहाना बनाया और 1963 की फरवरी में ये मुंबई आ गए। 

और मुंबई आने से पहले इन्होंने राज कपूर साहब के मैनेजर सोहन बाली जो कि उन दिनों दिल्ली में थे, उनसे डायरेक्टर राम दयाल के नाम अपने लिए एक सिफारिशी चिट्ठी लिखा ली थी। 

यूं हुई थी बीरबल की शुरुआत

मुंबई आने के बाद ये प्रैस के ऑर्डर तो लेते ही थे। लेकिन इनका ज़्यादातर वक्त डायरेक्टर रामदयाल के ऑफिस में गुज़रता था। 

ये अक्सर रामदयाल और उनके दोस्तों को कॉमेडी करके दिखाते रहते थे। फिर लगभग 5 महीने बाद रामदयाल ने अपनी फिल्म राजा के एक गाने में इन्हें महज़ एक शॉट के लिए लिया। उस फिल्म में जगदीप लीड हीरो थे।

वो रात जो बीरबल कभी भुला नहीं पाए

उस गीत की शूटिंग चेंबुर में होनी थी और वो भी रात के वक्त। लोकेशन पर जाते वक्त तो बीरबल ने डायरेक्टर रामदयाल की गाड़ी में लिफ्ट ले ली थी। 

लेकिन शूटिंग खत्म होने के बाद उनके पास वापस अपने ठिकाने पर आने का कोई ज़रिया नहीं था। 

जेब में पैसे भी कम थे। मजबूरन बीरबल ने चेंबुर से दादर तक 10 किमोमीटर तक पैदल सफर किया। 

और उसके बाद दादर से 5 पैसे का टिकट लेकर ये ट्राम के ज़रिए अपने ठिकाने तक वापस आए। एक इंटरव्यू में बीरबल ने कहा था कि उस रात को वो कभी भी अपनी ज़िंदगी में भुला नहीं पाए। 


जब मुंबई आकर पिता ने लगाए चांटे

बीरबल को मुंबई आए 1 साल का वक्त हो चुका था। इस दौरान वो प्रिंटिंग प्रैस का काम कम और फिल्मों में काम पाने के लिए ज़्यादा जतन कर रहे थे।

आखिरकार एक दिन इनके पिता इनसे मिलने मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद जब इनके पिता को मालूम हुआ कि ये काम कम और फिल्मों में घुसने की कोशिश ज़्यादा कर रहे हैं तो उन्हें बड़ा गुस्सा आया। 

उन्होंने डायरेक्टर रामदयाल के सामने ही बीरबल को एक थप्पड़ लगाया। रामदयाल ने उनसे बात करने की कोशिश की तो बीरबल के पिता ने उन्हें भी खूब खरी-खोटी सुना दी। और फिर पिता ज़बरदस्ती इन्हें अपने साथ दिल्ली वापस ले आए। 

फिर बहाने से आ गए मुंबई

दिल्ली आने के बाद बीरबल का मन किसी काम में नहीं लगा। कुछ महीने तो ये शांत रहे। लेकिन फिर इनके भीतर का अभिनय का वो भूत बाहर आने लगा।

इन्होंने पिता से मुंबई जाने की परमिशन मांगी। और वादा किया कि ये अब कभी फिल्मों की तरफ ध्यान नहीं देंगे। 

पिता ने इन्हें परमिशन दे दी और बीरबल एक बार फिर मुंबई आ गए। और एक बार फिर से शुरू हुआ बीरबल का संघर्ष।

और यूं बदलती चली गई बीरबल की किस्मत

ये स्टूडियो दर स्टूडियो धक्के खाने लगे। इस दौरान इनकी दोस्ती उस दौर के नामी डायेक्टर राज खोसला के असिस्टेंट सुदेश इस्सर से हो गई। 

सुदेश इस्सर बीआर चोपड़ा की महाभारत में दुर्योधन बने अभिनेता पुनीत इस्सर के पिता थे। एक दिन सुदेश इस्सर ने बीरबल को राज खोसला की फिल्म 'दो बदन' के सेट पर बुलाया। 

उस दिन कॉलेज का एक सीन शूट हो रहा था। बीरबल कॉलेज स्टूडेंट्स की भीड़ का हिस्सा थे। फिल्म का एक सीन गुलशन बावरा पर शूट किया जा रहा था। 

लेकिन अभिनेता मनोज कुमार को गुलशन बावरा उस किरदार के लिए फिट नहीं लग रहे थे। 

अचानक मनोज कुमार की नज़र भीड़ में खड़े बीरबल पर पड़ी। उन्होंने राज खोसला से गुलशन बावरा की जगह बीरबल से वो किरदार कराने को कहा। 

राज खोसला ने मनोज कुमार की बात मान ली और बीरबल पर वो सीन शूट किया। और इस तरह दो बदन फिल्म में पहली दफा बीरबल ने कोई डायलॉग बोला। 

इन किरदारों को किया गया पसंद

बीरबल की ज़िंदगी की सबसे अहम फिल्मों में से एक थी मेरा साया जो कि राज खोसला की ही फिल्म थी। 

उस फिल्म में ये केएन सिंह के मुंशी बने थे। और बीरबल को ये रोल भी उनके दोस्त सुदेश इस्सर जी की मदद से मिला था। 

इस रोल के बाद तो बीरबल की किस्मत चमक गई। राज खोसला बीरबल को पसंद करने लगे। वो अपनी हर फिल्म में बीरबल को कोई ना कोई रोल दे दिया करते थे। 

Bollywood में सेट हो गए Birbal

बीरबल के शुरुआती करियर का एक और बड़ा किरदार था वी शांताराम की फिल्म बूंद जो बन गई मोती के बांछाराम का किरदार। वो किरदार बहुत मशहूर हुआ था। 

और बहुत से लोग तो बीरबल को बांछाराम के नाम से ही पुकारने लगे थे। और इसी फिल्म के बाद बीरबल फिल्म इंडस्ट्री में पूरी तरह से जम गए थे। 

उन्होंने एक से बढ़कर एक और नामी स्टार्स और डायरेक्टर्स के साथ काम किया। अपने करियर में बीरबल ने 500 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया है। 

स्टेज की दुनिया में आने का दिलचस्प किस्सा

फिल्मों के अलावा बीरबल ने हज़ारों स्टेज शोज़ भी किए हैं। बीरबल के स्टेज शोज़ की दुनिया से जुड़ने का किस्सा भी काफी दिलचस्प है। 

ये बात सन 80 के दशक की है। फिल्म इंडस्ट्री में एक बहुत लंबी हड़ताल हो गई थी। कई दिनों तक फिल्म मेकिंग का काम पूरी तरह बंद रहा। 

उस वक्त कई जूनियर आर्टिस्ट परेशान रहे। लेकिन इसी दौरान एक्टर जूनियर महमूद ने बीरबल साहब को उनका स्टेज ग्रुप जॉइन करने का ऑफर दिया और अपने साथ नागपुर चलने को कहा। 

शुरू में तो बीरबल को बड़ी घबराहट हुई। लेकिन जब जूनियर महमूद ने उनकी हिम्मत बढ़ाई तो बीरबल उनके साथ चलने के लिए तैयार हो गए। शो के दौरान स्टेज पर जाने में भी बीरबल को बड़ा डर लग रहा था। 

लेकिन फिर हिम्मत जुटाकर इन्होंने दर्शकों को ओमप्रकाश जी की मिमिक्री सुूनाई और किशोर कुमार के गई गाने गाए। 

इसके बाद तो बीरबल स्टेज की दुनिया में भी छा गए। उन्होंने फुल टाइम स्टेज शोज़ करना शुरू कर दिया। और दुनिया के हर बड़े देश में स्टेज शोज़ किए। 

सतिंदर कुमार खोसला से यूं बने थे बीरबल 

अब बात करते हैं बीरबल के नाम के बारे में। क्योंकि ये जानना ज़रूरी है कि सतिंदर कुमार खोसला से बीरबल नाम इन्हें कैसे मिला। 

जब इनका करियर शुरू हुआ था तो फिल्मों के क्रेडिट्स में इनका असली नाम सतिंदर कुमार खोसला ही जाया करता था। लेकिन साल 1967 की फिल्म अनिता से इन्हें इनका नया नाम बीरबल मिला। 

दरअसल, एक दिन अनिता के सेट पर मनोज कुमार ने इनसे कहा कि तुम्हारा नाम किसी हीरो जैसा लगता है। लेकिन तुम तो कॉमेडियन हो। इसलिए तुम्हें अपना नाम बदलना चाहिए। 

फिर राज खोसला के साथ मिलकर मनोज कुमार ने इनके नाम को लेकर काफी माथापच्ची की। और आखिरकार तय हुआ कि इनका नाम सतिंदर कुमार खोसला से बदलकर बीरबल रखा जाएगा। 

उस दौरान मनोज कुमार ने मज़ाक मज़ाक में इनसे ये भी कहा था कि असली बीरबल तो बहुत अक्लमंद इंसान था। लेकिन तू तो परदे पर एकदम बेवकूफ लगता है।

पर्सनल लाइफ

बीरबल जी की निज़ी ज़िंदगी की बात करें तो साल 1972 में आई दरार फिल्म की शूटिंग के लिए बीरबल जम्मू गए थे। इस दौरान वहां की एक लड़की से बीरबल को इश्क हो गया। 

लेकिन इनका वो इश्क इकतरफा ही था। फिल्म के डायरेक्टर वेद राही को जब पता चला कि बीरबल किसी लड़की को अपना दिल दे बैठे हैं तो वो उस लड़की की मां से बीरबल के लिए उनकी लड़की का हाथ मांगने पहुंच गए। 

मगर उस लड़की की मां ने ये कहकर बीरबल का रिश्ता ठुकरा दिया कि मैं अपनी लड़की को कुएं में धकेल दूंगी। लेकिन किसी फिल्म वाले से उसकी शादी नहीं कराऊंगी। 

बीरबल का दिल टूट गया और काम निपटाकर ये अपना टूटा दिल साथ लिए अपने पिता के पास दिल्ली आ गए। पिता ने दिल्ली के जनकपुरी इलाके की एक लड़की से इनका रिश्ता तय कर दिया। 

इस दफा बीरबल ने पिता की बात को माना और उस लड़की से शादी कर ली। बीरबल एक बेटे और एक बेटी के पिता बने। इनकी बेटी की शादी मुंबई में हुई है। जबकी इनका बेटा एक शिपिंग कंपनी में बढ़िया नौकरी करता है। बीरबल ने नाति-पोते भी हुए।

Comedian Birbal को Meerut Manthan का Salut 

12 सितंबर 2023 को बीरबल जी 85 साल की उम्र में ये दुनिया छोड़कर चले गए। वो कई दिनों तक बीमार रहे थे। 

आखिरी समय तक बीरबल जी में वही ज़िंदादिली मौजूद थी जो उस ज़माने में हुआ करती थी जब वो फिल्म इंडस्ट्री में आए थे। 

Meerut Manthan Comedian Birbal जी को ससम्मान याद करते हुए उन्हें नमन करता है। जय हिंद।

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