Actor Ramesh Goyal | फिल्म इंडस्ट्री का वो छोटा कलाकार जिसके संघर्ष की कहानी बहुत बड़ी है | Biography
Actor Ramesh Goyal. कहते हैं कि एक्टिंग वो जुनून है जो एक बार किसी के सिर पर सवार हो जाए तो फिर उतरना आसान नहीं। जिस किसी पर भी एक्टिंग का नशा चढ़ता है वो अपना घर-परिवार तक छोड़ने के लिए तैयार हो जाता है।
बॉलीवुड में नाम कमाने का सपना दिल में लिए हर साल हज़ारों लोग मुंबई पहुंचते हैं। लेकिन ज़्यादातर को सिर्फ और सिर्फ निराशा मिलती है। मगर कुछ होते हैं जो संघर्ष की कठिन डगर को नापने में कामयाब हो जाते हैं और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना लेते हैं।
Meerut Manthan पर आज Actor Ramesh Goyal के संघर्ष और सफलता की कहानी कही जाएगी। Actor Ramesh Goyal की कहानी कईयों के लिए सीख और कईयों के लिए प्रेरणा है। हमें पूरा यकीन है कि रमेश गोयल जी की ये कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी।
शुरुआती जीवन
रमेश गोयल उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी के रहने वाले हैं। रमेश गोयल के पिता लाला देवीचरण गोयल एक व्यापारी थे। यूं तो रमेश गोयल ने पॉलिटैक्निक की थी। पर बचपन से ही इनके मन में अपनी एक अलग पहचान बनाने की ख्वाहिश थी।
इसी ख्वाहिश के चलते ये स्थानीय राजनीति का हिस्सा बने और राजनीति में बढ़िया नाम भी कमाया। सन 1970 में ये फतेहपुर सीकरी नगर पालिका के वाइस चेयरमैन बने। पर कुछ ही महीनों में राजनीति से इनका मोहभंग होने लगा।
इन्हें लगा कि राजनीति में इन्हें वो पहचान नहीं मिल सकेगी जिसका ख्वाब ये देखते हैं। काफी मंथन करने के बाद आखिरकार इन्होंने तय किया कि ये मुंबई जाएंगे और फिल्मों में एक्टिंग करेंगे। क्योंकि अगर ये एक्टर बन गए तो इन्हें नाम और पहचान खुद ब खुद मिल जाएंगे।
इस वक्त तक रमेश गोयल जी की शादी हो चुकी थी और ये दो बच्चों के पिता भी बन चुके थे। मुंबई जाने की बात जब इन्होंने अपने घर में बताई तो इनके माता-पिता दंग रह गए। वो काफी नाराज़ भी हुए।
माता-पिता ने इन्हें खूब समझाया कि फिल्मों का चक्कर छोड़ो और अपने खानदानी बिजनेस को संभालो। पर अभिनय का नशा भला इतनी आराम से कहां किसी के सर से उतरता है। सो ये अपनी ज़िद पर अड़े रहे। और फाइनली 10 अक्टूबर 1973 की सुबह रमेश गोयल मुंबई पहुंच गए।
मुंबई का वो मुश्किल समय
मुंबई पहुंचने के साथ ही रमेश गोयल का संघर्ष शुरू हो गया। इन्होंने बेतहाशा ग़रीबी देखी। ये कभी रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोए तो कभी फुटपाथ पर इन्होंने रातें काटी। कई दफा ऐसा होता था जब इन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता था।
पेट भरने के लिए ये अक्सर गुरूद्वारों में चले जाते थे। इन सब मुसीबतों के साथ ही रमेश गोयल फिल्मों में काम पाने के लिए भी हाथ पैर मारने लगे थे।
पहली दफा इन्हें देवानंद और हेमा मालिनी की फिल्म जानेमन में क्राउड में खड़े होकर नारे लगाने का काम मिला। और उसके बदले में तेरह रुपए मेहनताना मिला।
इसके बाद कई दिनों तक इन्होंने इसी तरह क्राउड में खड़े होने का काम किया। इनके मुंबई आने के एक महीने बाद ही इनकी पत्नी और बच्चे भी इनके पास मुंबई आ गए।
ये तो किसी तरह फुटपाथ पर और प्लेटफॉर्म पर सोकर काम चला लिया करते थे। लेकिन परिवार को भला ये कैसे सड़कों पर रखते।
सो इन्होंने कुर्ला की एक फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी शुरू कर दी और परिवार को लेकर एक झुग्गी में रहने लगे। रात में ये अपनी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते और दिन में फिल्मों में काम पाने के लिए संघर्ष करते।
इस वक्त तक इन्हें अंदाज़ा हो चुका था कि भीड़ में खड़े रहने वाले काम से इनका भला नहीं होगा। इन्हें बड़े रोल्स चाहिए होंगे।
इन्होंने अपना एक पोर्ट फोलियो बनवाया और डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स से मिलना शुरू कर दिया। पोर्ट फोलियो बनवाने का फायदा इन्हें ये हुआ कि जल्द ही इन्हें भीड़ से हटकर कैमरे के सामने किसी सीन में खड़े रहने के रोल्स मिलने लगे।
इस बीच दूरदर्शन पर टीवी शोज़ आने शुरू हो गए। इन्होंने फिल्मों के साथ-साथ टीवी शोज़ में काम पाने के लिए भी हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए। जल्द ही इनकी मेहनत रंग लाई और टीवी शोज़ में इन्हें छोटे-छोटे डायलॉग्स वाले रोल मिलने लगे।
रामायण ने बदल दिया जीवन
टीवी शोज़ का दौर शुरू हुआ तो रमेश गोयल जैसे कलाकारों के लिए ज़िंदगी थोड़ी आसान हो गई। रमेश गोयल को अब छोटे-छोटे रोल लगातार मिलने शुरू हो गए।
इसका एक फायदा इन्हें ये हुआ कि इनका परिवार मुंबई में भूखे पेट नहीं रहता था। और दूसरा फायदा ये हुआ कि टीवी जगत में इनकी पहचान बनने लगी।
और फिर जब रामानंद सागर की रामायण दूरदर्शन पर आई तो रमेश गोयल साहब के एक्टिंग करियर ने एक नया मोड़ लिया। रामायण में रमेश गोयल जी को रावण के मामा मारीच का किरदार निभाने का मौका मिला।
यूं तो वो एक छोटा सा ही रोल था। लेकिन रामायण की कहानी के हिसाब से मामा मारीच का किरदार बड़ा ही अहम था। रमेश गोयल ने बड़ी खूबसूरती के साथ मामा मारीच का किरदार निभाया। और फिर तो फिल्म इंडस्ट्री ने इन्हें स्वीकार करना शुरू कर दिया।
सरफरोश में निभाया अहम किरदार
रामायण के बाद रमेश गोयल जी को काम की कोई कमी ना रही। छोटे-मोटे ही सही लेकिन इन्हें फिल्मों और टीवी शोज़ में लगातार रोल्स मिलते रहे। हालांकि पहचान से ये अब भी महरूम थे।
मगर जब साल 1999 में आमिर खान की फिल्म सरफरोश आई तो रमेश गोयल साहब की पहचान पाने की ख्वाहिश भी पूरी हो गई। सरफरोश में ये हवलदार राकेश कदम के रोल में दिखे। और ये रोल इनके करियर का पहला ऐसा रोल था जिसमें कैमरा इनके चेहरे पर सबसे ज़्यादा देर तक रहा।
सरफरोश में इन्होंने इतनी शानदार एक्टिंग की कि इसके बाद तो इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इनके जीवन की हर परेशानी दूर होती चली गई। और देखते ही देखते इन्होंने मुंबई में अपना घर और गाड़ी खरीद लिए।
Meerut Manthan Actor Ramesh Goyalको सैल्यूट करता है
अपने अब तक के करियर में रमेश गोयल जी 200 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं। बॉलीवुड के हर बड़े स्टार के साथ ये स्क्रीन शेयर कर चुके हैं। ढेरों टीवी शोज़ में ये नज़र आ चुके हैं।
कुछ वेब सीरीज़ में भी इन्होंने काम किया है। हिंदी के अलावा अन्य कुछ भारतीय भाषाओं की फिल्मों में भी इन्होंने एक्टिंग की है। और आज भी इनके दिल में एक्टिंग को लेकर वही जुनून है जो उस ज़माने में था जब ये पहली बार फतेहपुर सीकरी से मुंबई आए थे।
रमेश गोयल जी की कहानी ये साबित करती है कि अगर इंसान में ख्वाबों को पूरा करने की ज़िद और लगन हो तो उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है।
लगभग पचास साल लंबे अपने करियर में रमेश गोयल जी ने फिल्म इंडस्ट्री को अपना जो योगदान दिया है उसके लिए मेरठ मंथन इन्हें सैल्यूट करता है। और इनकी अच्छी सेहत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है। जय हिंद। जय भारत।
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