Anari 1959 वो गीत जिसने रात 2 बजे Raj Kapoor को Shailendra के घर जाने पर मजबूर कर दिया
Anari 1959. 16 जनवरी 1959. इस तारीख को भारतीय सिनेमा की एक बड़ी शानदार फिल्म रिलीज़ हुई थी। फिल्म के मुख्य हीरो थे राज कपूर और फिल्म का नाम था अनाड़ी।
जी हां, वही अनाड़ी जिसके गीतों की धुन पर लोग आज भी खुशी से झूम उठते हैं। शंकर-जयकिशन के संगीत और शैलेंद्र के शब्दों को मुकेश जी और लता जी ने अपनी आवाज़ से अमर बना दिया।
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Raj Kapoor and Shailendra - Photo: Social Media |
वैसे ये बात भी गौर करने वाली है कि अनाड़ी फिल्म के 7 गानों वाले म्यूज़िक एल्बम में जहां 5 गीत शैलेंद्र जी ने लिखे थे। तो वहीं 2 गीत 'वो चांद खिला वो तारे' और 'बन के पंछी गाये प्यार का तराना' हसरत जयपुरी ने लिखे थे।
Anari 1959 फिल्म के ही गीत 'सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी' की रिकॉर्डिंग का ही एक अनसुना और बड़ा ही दिलचस्प किस्सा आज आप Meerut Manthan के माध्यम से जानेंगे। और आपको अंदाज़ा होगा कि पुराने वक्त के लोग अपने काम से कितना प्यार करते थे।
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रिकॉर्डिंग चल रही थी
उस दिन अनाड़ी फिल्म के गीत सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी की रिकॉर्डिंग हो रही थी। रिकॉर्डिंग रूम में सभी लोग मौजूद थे। मुकेश जी अपने खूबसूरत अंदाज़ में गीत गा रहे थे।
शंकर-जयकिशन ने अपने हुनर से एक बड़ी ही प्यारी धुन इस गीत के लिए तैयार की थी। खुद राज कपूर इस गीत की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टूडियो में आए थे। लेकिन गीत लिखने वाले शैलेंद्र वहां मौजूद नहीं थे।
जबकी उससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि शैलेंद्र अपने किसी गीत की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टूडियो में मौजूद ना रहे हों। पर जाने किस वजह से शैलेंद्र उस दिन स्टूडियो नहीं आ सके थे।
राज कपूर को शैलेंद्र का वो गीत बहुत पसंद आया था
गीत की रिकॉर्डिंग जब कंप्लीट हो गई तो राज कपूर ने जयकिशन से कहा,"मुझे इस गीत की एक कॉपी चाहिए। मुझे एक कॉपी बनाकर दे दो। मैं घर जाकर इसे सुनूंगा" राज कपूर के कहने पर जयकिशन जी ने उन्हें गाने की एक कॉपी बनाकर दे दी।
घर पहुंचने के बाद राज कपूर ने रात के फुरसत के वक्त ये गीत सुनना शुरू किया। उन्होंने ये गीत एक दफा सुना, दो दफा सुना। और बार-बार, जाने कितनी बार सुना। रात के 1 बजे तक राज कपूर ये गाना सुनते रहे।
इस गीत की पॉएट्री राज कपूर को बहुत ज़्यादा पसंद आई। वो इस गाने की फिलोसॉफी से इतना एक्सायटेड हुए कि उन्हें वक्त का कोई होश नहीं रहा। रात के दो बजे उन्होंने अपनी गाड़ी निकाली और विले पार्ले में मौजूद शैलेंद्र के घर की तरफ चल दिए।
रात के दो बज गए थे
जिस वक्त राज कपूर शैलेंद्र जी के घर के सामने पहुंचे थे उस वक्त घर की सारी लाइटें बंद थी। ज़ाहिर है इतनी रात के वक्त घर में मौजूद हर इंसान सो रहा होगा। पर राज कपूर तो शैलेंद्र से मिलने के लिए उतावले हो रहे थे।
सो उन्होंने ना तो समय की परवाह की और ना ही किसी की नींद की। वो शैलेंद्र के घर की बैल बजाने लगे। कुछ देर बाद नौकर ने दरवाज़ा खोला। और इतनी रात को राज कपूर को देखकर वो घबरा गया।
उसे लगा कि शायद कोई अनहोनी हो गई है। नौकर भागकर शैलेंद्र को जगाने चला गया। शैलेंद्र जी को जब पता चला कि राज कपूर इस वक्त आए हैं तो उन्हें भी यही लगा कि शायद कोई बड़ी बात हो गई है जो राज कपूर इस वक्त आए हैं।
शैलेंद्र को राज कपूर ने गले से लगा लिया
शैलेंद्र राज कपूर के पास आए और बोले,"सब खैरियत तो है ना? इतनी रात को कैसे आना हुआ?" राज कपूर ने शैलेंद्र के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। वो शैलेंद्र के नज़दीक आए और उन्हें कसकर गले लगा लिया।
शैलेद्र जी को अब भी समझ में नहीं आया था कि आखिर माजरा क्या है। थोड़ी देर बाद जब राज कपूर का खुमार कुछ कम हुआ तो शैलेंद्र जी ने देखा कि उनकी आंखें भर आई हैं। शैलेंद्र जी ने उनसे कहा कि भई बताओ तो सही बात क्या है?
राज कपूर के मुंह से बस इतना ही निकल पाया," शैलेंद्र मेरे भाई। क्या गाना लिखा है तुमने। जब से स्टूडियो से घर पहुंचा हूं, इसी गाने को सुन रहा हूं। मैं खुद पर काबू नहीं कर पाया। इसलिए इसी वक्त तुम्हें गले लगाने चला आया।"
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