जब 40 साल बाद रात के अंधेरे में Dharmendra अपने बचपन के गांव Lalton Kalan पहुंचे थे

Dharmendra. भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का वो चकता सितारा जिसकी रोशनी से फिल्मी दुनिया सालों से रोशन है और सालों तक रोशन रहेगी। 

एक छोटे से गांव में जन्मे धर्मेंद्र ने अपनी इच्छाशक्ति से अपने ख्वाबों को पूरा किया। और हर वो चीज़ हासिल की जिसे पाने का ख्वाब लाखों-करोड़ों लोग देखते रह जाते हैं। 

उम्र के 80वें दशक में आकर भी धर्मेंद्र के मन में अभिनय को लेकर जो जुनून है, वो देखने लायक है। और प्रेरित होने लायक है।

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Dharmendra Lalton Kalan Visit - Photo: Social Media

Dharmendra साहब के जीवन से जुड़ी कई रोचक कहानियां Meerut Manthan पर आपको मिल जाएंगी। और Dharmendra साहब की इस सीरीज़ में आज कहानी कही जाएगी उस दिन की, जब सालों बाद धरम पाजी उस गांव पहुंचे थे, जहां उनका बचपन गुज़रा था। यानि Lalton Kalan.

यहीं गुज़रा था धर्मेंद्र का बचपन

ललतों कलां के सरकारी स्कूल में धर्मेंद्र के पिता केवल किशन देओल हेडमास्टर थे। और वो अपने परिवार के साथ ललतों कलां के एक घर में किराए पर रहा करते थे। 

धर्मेंद्र का बचपन ललतों कलां में ही गुज़रा था। 10वीं तक की पढ़ाई धर्मेंद्र ने यहीं के स्कूल से की थी। उसी स्कूल से जहां इनके पिता हेडमास्टर थे। 

बड़े होकर धर्मेंद्र जब फिल्मी दुनिया का बहुत बड़ा नाम बन गए तो ललतों कलां के गांव के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। वो बेसब्री से धर्मेंद्र के गांव लौटने का इंतज़ार करने लगे। 

लेकिन सालों गुज़र गए, धर्मेंद्र गांव नहीं आए। और फिर साल 2002 में अचानक एक रात धर्मेंद्र ललतों कलां पहुंच गए। रात के साढ़े नौ बज रहे थे। 

धर्मेंद्र ने एक घर का दरवाज़ा खटखटाया। वो किसी किसान का घर था। घर में से एक औरत निकली। धर्मेंद्र ने उस औरत से पूछा कि राम सिंह का घर कौन सा है। 

वो औरत धर्मेंद्र को पहचान गई। और उसने हाथ जोड़कर धर्मेंद्र का अभिवादन किया। औरत ने धर्मेंद्र से अपने घर के अंदर आने को भी कहा। हालांकि धर्मेंद्र ने कहा कि वो राम सिंह के घर जल्द से जल्द पहुंचना चाहते हैं। 

राम सिंह वही शख्स था जिसके मकान में धर्मेंद्र और उनका परिवार किराए पर रहा करता था। महिला अपने साथ धर्मेंद्र को राम सिंह के मकान तक ले गई। 

राम सिंह को नहीं हुआ अपनी आंखों पर भरोसा

राम सिंह के घर का दरवाज़ा खटखटाया गया। पलकों पर नींद का बोझ लिए राम सिंह ने कुछ मिनट्स की देरी बाद दरवाज़ा खोला। 

और जब राम सिंह ने धर्मेंद्र को अपने दरवाज़े के सामने खड़ा पाया तो उसकी नींद एक पल में काफूर हो गई। राम सिंह को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके सामने हिंदुस्तानी सिनेमा का बहुत बड़ा सितारा साक्षात खड़ा है। 

वही धर्मेंद्र जो बचपन में उसके साथ खेला करता था। कुछ देर बाद राम सिंह का बेटा रणधीर भी आ गया। रणधीर को भी भरोसा करने में कुछ सेकेंड्स लगे कि जिस धर्मेंद्र के बचपन की कहानियां उसके पिता उसे बचपन से सुनाते आ रहे हैं, वो आज उनके घर आया है। 

राम सिंह धर्मेंद्र को अपने घर में ले गया। हालांकि उसे थोड़ी हिचकिचाहट भी हो रही थी। और उसकी हिचकिचाहट की वजह थी उसका मामूली सा दिखने वाला घर। जो अब धर्मेंद्र जैसे सुपरस्टार की मेजबानी कर रहा था। 

मगर धर्मेंद्र राम सिंह के घर में बिना किसी संकोच के ऐसे बैठे थे जैसे अपने बचपन में वो इस घर में बैठा करते थे। धर्मेंद्र के चेहरे पर मुस्कान थी। और वो मुस्कान उनके तेज को कई गुना बढ़ा रही थी। 

गांव में आग की तरह फैल गई धर्मेंद्र के आने की खबर

थोड़ी ही देर में पूरे गांव में खबर फैल गई कि फिल्मस्टार धर्मेंद्र आया है। एक गांव जहां के लोग आमतौर पर रात 10 बजे तक नींद के आगोश में गहरे उतर जाते हैं, वहां एक मेला सा लग गया था। मानो कोई त्यौहार हो। 

गांव के ज़्यादातर लोग राम सिंह के मकान की तरफ आने लगे। लोगों की बढ़ती भीड़ की खबर जब धर्मेंद्र को मिली तो वो राम सिंह के घर के बाहर खड़ी एक बुग्गी पर आकर बैठ गए। 

उस रात जिसने भी धर्मेंद्र को देखा, वो खुद को धन्य समझने लगा। कुछ गांव वाले तो धर्मेंद्र के लिए दूध और जलेबी ले आए। वहीं कुछ धर्मेंद्र के लिए मक्की की रोटी और सरसों का साग लेकर आए। 

फोटोग्राफर भी आ गया

धर्मेंद्र को देखने के लिए राम सिंह के घर के बाहर लोगों का मजमा लग गया। एक आदमी तो गांव के फोटोग्राफर बलविंदर ढिल्लन को ही जगा लाया। 

जिसको भी मौका मिला, उसने धर्मेंद्र के साथ फोटो खिंचाई। थोड़ी ही देर में बलविंदर सिंह के पास रोल खत्म हो गए। तो वो लोग जो धर्मेंद्र के साथ फोटो नहीं खिंचा सके, वो उनसे हाथ मिलाने को आतुर हो गए।

लोगों की दीवानगी का आलम ये था कि वो एक-दूसरे को धक्का देकर धर्मेंद्र तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे।

इस दौरान कुछ लोग तो आपस में झगड़ भी पड़े। तभी राम सिंह ने धर्मेंद्र को एक ऐसी चीज़ दिखाई, जिसे देखकर उनके आंसू निकल पड़े। वो एक बहुत पुरानी फोटो थी। धर्मेंद्र के पिता की फोटो। 

दोस्त की बेटी को दिया शगुन

राम सिंह के घर से धर्मेंद्र अपने बचपन के दोस्त सुरजीत सिंह के घर गए। सुरजीत की कुछ ही साल पहले मौत हुई थी। 

धर्मेंद्र को वहां सुरजीत की पत्नी और बेटी मिली। कुछ देर बात करने के बाद जब धर्मेंद्र वहां से चले तो उन्होंने सुरजीत की बेटी को कुछ रुपए शगुन के तौर पर दिए। 

पास ही धर्मेंद्र के दूसरे दोस्त रंजीत सिंह का घर था। धर्मेंद्र वहां भी गए। पता चला रंजीत की मौत भी काफी पहले हो गई थी। धर्मेंद्र ने रंजीत के बेटे बिट्टू को भी शगुन दिया। 

वो रात यादगार बन गई

गांव के कुछ नौजवान लड़कों के साथ धर्मेंद्र ने थोड़ी हंसी-मज़ाक की। और उन्हें अपने बचपन के किस्से सुनाए। गांव के लोगो ने धर्मेंद्र का स्वागत जिस गर्मजोशी से किया था, उससे वो काफी खुश थे। 

और आखिरकार रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे धर्मेंद्र लुधियाना की तरफ निकल पड़े। ललतों कलां गांव के लोगों के लिए वो रात हमेशा के लिए यादगार बन गई।

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