Devdas 2002 Trivia | 20 Lesser Known Facts | Shah Rukh Khan | Aishwarya Rai | Madhuri Dixit | Sanjay Leela Bhansali | Hindi

Devdas 2002 Trivia. 23 मई सन 2002 को रिलीज़ हुई थी संजय लीला भंसाली की शानदार फिल्म देवदास। ये फिल्म शाहरुख खान की टॉप फाइव बेस्ट फिल्मों में से एक मानी जाती है। साथ ही साथ, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित के लिए भी ये फिल्म यादगार बन गई। 

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, म्यूज़िक, कास्ट, सॉन्ग्स का पिक्चराईजेशन, और एक्टर्स की एक्टिंग अव्वल दर्जे की थी। सभी लीड कलाकारों के अलावा सपोर्टिंग रोल निभाने वाले अभिनेताओं ने भी बेहद उम्दा काम किया था। फिर चाहे वो चुन्नी बाबू के रोल में दिखे जैकी श्रॉफ हों, या पारो की मां सुमित्रा का किरदार निभाने वाली किरण खेर हों। 

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Devdas 2002 Trivia - Photo: Social Media

धर्मदास के रोल में एक्टर टीकू तलसानिया ने इस फिल्म से साबित कर दिया कि वो महज़ एक कॉमेडियन नहीं है। और कालीबाबू का निगेटिव कैरेक्टर प्ले करने वाले मिलिंद गुनाजी भी खूब जंचे हैं। उस दौर में 50 करोड़ के भारी भरकम बजट में बनी देवदास ने 168 करोड़ रुपए की कमाई करके उस साल की सबसे ज़्यादा कलैक्शन करने वाली फिल्म का खिताब हासिल किया था।

Devdas अपने वक्त की बहुत बड़ी फिल्म थी। Sanjay Leela Bhansali ने इस फिल्म को बहुत बड़े स्केल पर बनाया था। ज़ाहिर है, इस फिल्म के बनने की भी अपनी एक कहानी है। तो आज हम और आप Devdas की Making के दौरान घटी 20 रोचक घटनाओं के बारे में जानेंगे। वैसे, इन बीस में एक घटना ऐसी भी है जिसे रोचक नहीं, बल्कि दुखद कहना चाहिए। क्योंकि उस घटना में किसी ने अपनी जान गंवा दी थी। Devdas 2002 Trivia.

पहली कहानी

देवदास की कहानी इसके मेन कैरेक्टर के इश्क में शराबी बनने और फिर शराब की वजह से मर जाने की है। शाहरुख ने देवदास के कैरेक्टर को रिएलिस्टिक बनाने के लिए बड़ी मेहनत की थी। 

कुछ सीन्स जिनमें शाहरुख शराब के नशे में डायलॉग्स बोलते दिखते हैं, उनकी शूटिंग के वक्त तो सच में शाहरुख ने शराब पी थी। 

हालांकि शाहरुख के नशे में होने की वजह से रीटेक्स भी काफी ज़्यादा हुए थे। लेकिन अल्टीमेटली शाहरुख ने बढ़िया शॉट्स दिए। और फिल्म में उनकी एक्टिंग कमाल कर गई।

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SRK in Devdas - Photo: Social Media

दूसरी कहानी

कहा जाता है कि जब देवदास की शूटिंग हो रही थी तो मुंबई में कुछ लोगों को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा था। कहानी कुछ यूं है कि देवदास की शूटिंग के वक्त सेट पर पूरे 42 जेनरेटर्स की व्यवस्था की गई थी। 

डायरेक्टर संजय लीला भंसाली बहुत बड़े स्केल पर देवदास शूट कर रहे थे। और वो नहीं चाहते थे कि शूटिंग के वक्त किसी भी तरह का पावरकट हो। 

Aishwarya Rai & Sanjay Leela Bhansali - Photo: Social Media

इसलिए उन्होंने इतने सारे जेनरेटर्स मंगवाए थे। जबकी आमतौर पर किसी भी फिल्म की शूटिंग के वक्त दो से तीन जेनरेटर्स में काम चल जाता है। और इत्तेफाक से उन दिनों शादियों का सीज़न भी चल रहा था। 

तो उस वक्त कई लोगों को शादी में इस्तेमाल करने के लिए जेनरेटर्स मिलने मुश्किल हो गए थे। क्योंकि ढेर सारे जेनरेटर्स तो संजय लीला भंसाली ने बुक कर रखे थे।

तीसरी कहानी

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Madhuri Dixit in Devdas - Photo: Social Media

देवदास की सक्सेस में इसके बेहद शानदार म्यूज़िक का भी बहुत बड़ा रोल है। देवदास का म्यूज़िक तैयार किया था इस्माईल दरबार ने। और इसके गीत लिखे थे नुसरत बद्र ने। सिवाय दो को छोड़कर। 

इन दो में पहला था माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया काहे छेड़, जिसे बिरजू महाराज ने ही लिखा व कंपोज़ भी किया था। उस गीत को कविता कृष्णमूर्ति जी ने अपनी आवाज़ दी थी। 

जबकी माधुरी दीक्षित के वोकल्स का इस्तेमाल भी गीत की शुरुआत में किया गया था। और दूसरा था मोरे पिया, जिसे समीर अंजान जी ने लिखा था और आवाज़ दी थी जसपिंदर नरूला व श्रेया घोषाल ने।

चौथी कहानी

देवदास वास्तव में वो फिल्म थी जिसने श्रेया घोषाल को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की स्टार सिंगर बनाया था। जिस वक्त श्रेया घोषाल 'सिलसिला ये चाहत का' गीत रिकॉर्ड कर रही थी तब उनसे बार-बार गड़बड़ हो रही थी। 

वो उस गाने के मूड में खुद को नहीं ला पा रही थी। जब कई दफा रीटेक्स हो गए तो श्रेया घोषाल खुद पर काबू नहीं रख सकी। वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। 

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Singer Shreya Ghoshal - Photo: Social Media

म्यूज़िक डायरेक्टर इस्माइल दरबार और डायरेक्टर संजय लीला भंसाली श्रेया के पास आए और उन्होंने श्रेया की हौंसलाअफज़ाई की। उन्होंने श्रेया को भरोसा दिलाया कि तुम ये गीत रिकॉर्ड कर सकती हो। तुम्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है। 

और फाइनली श्रेया ने वो गीत बड़े शानदार अंदाज़ में रिकॉर्ड कर दिया। रिकॉर्डिंग खत्म होने के बाद इस्माइल दरबार और भंसाली श्रेया के पास आए और मज़ाक में बोले,''रोकर तो तुम बड़ा अच्छा गाती हो। अब से हर रिकॉर्डिंग के बाद हम तुम्हें रुलाया ही करेंगे।''

पांचवी कहानी

श्रेया घोषाल देवदास की म्यूज़िक टीम का हिस्सा कैसे बनी, ये किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। दरअसल, श्रेया को संजय लीला भंसाली की मां ने उस वक्त देखा था जब वो सा रे गा मा पा शो के 75वें चिल्ड्रन्स स्पेशल शो में गा रही थी। मां ने ही भंसाली को श्रेया को टीवी पर गाते हुए देखने के लिए बुलाया। भंसाली को भी श्रेया की गायकी बड़ी पसंद आई। 

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Sanjay Leela Bhansali & Shreya Ghoshal - Photo: Social Media

ये वो दौर था जब संजय लीला भंसाली देवदास बनाने की तैयारियों में लगे हुए थे। श्रेया की आवाज़ सुनते ही भंसाली ने फैसला कर लिया था कि वो देवदास में इस लड़की से गवाने की कोशिश करेंगे। 

भंसाली को अहसास हो गया था कि देवदास में पारो के किरदार के गीतों के लिए जिस मासूमियत भरी आवाज़ की ज़रूरत है, वो श्रेया घोषाल के ही पास है।

छठी कहानी

देवदास के गानों की रिकॉर्डिंग से पहले संजय लीला भंसाली ने श्रेया घोषाल का ज़िक्र इस्माइल दरबार से भी किया। और फाइनली दोनों श्रेया से मिलने एक साथ गए और उन्हें देवदास के लिए गाने का ऑफर दिया। 

श्रेया ने देवदास के लिए पहला गीत रिकॉर्ड किया था 'बैरी पिया' जिसमें उनके साथ उदित नारायन जी ने भी आवाज़ दी थी। और उस वक्त श्रेया की उम्र मात्र सोलह साल ही थी। 

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Ismail Darbar & Sanjay Leela Bhansali - Photo: Social Media

उनके बारहवीं के एग्ज़ाम्स भी नज़दीक ही थे। इसलिए वो अपनी किताबें और नोटबुक्स भी स्टूडियो में लाती थी। और ब्रेक के टाइम पर पढ़ाई करती थी। देवदास रिलीज़ होने के बाद इसका म्यूज़िक भी बहुत बड़ा हिट साबित हुआ। 

'बैरी पिया' बहुत ज़्यादा पसंद किया गया। इस गीत के लिए श्रेया घोषाल को बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का नेशनल अवॉर्ड मिला था। 

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Shreya Ghoshal & Kavita Krishnamurthy - Photo: Social Media

जबकी 'डोला रे' गीत के लिए श्रेया को कविता कृष्णमूर्ति के साथ फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर अवॉर्ड दिया गया था। और ये बात भी जानने लायक है कि श्रेया घोषाल अब तक की इकलौती ऐसी भारतीय गायिका हैं, जिन्हें उनकी डेब्यू फिल्म के लिए ही बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का नेशनल अवॉर्ड और फिल्मफेयर अवॉर्ड मिल गया।

सातवीं कहानी

देवदास संजय लीला भंसाली का ड्रीम प्रोजेक्ट था। यही वजह थी कि देवदास की तैयारियों में संजय लीला भंसाली उस वक्त से जुटे थे, जब वो 'हम दिल दे चुके सनम' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। और 'हम दिल दे चुके सनम' से फ्री होते ही संजय लीला भंसाली फुल डैडिकेशन के साथ देवदास पर जुट गए। 

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Aishwarya Rai in Devdas - Photo: Social Media

भंसाली की मेहनत रंग लाई और देवदास ज़बरदस्त हिट रही। ये फिल्म उस साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म बन गई। देवदास की सफलता का अंदाज़ा आप ऐसे लगा सकते हैं कि टाइम मैगज़ीन ने इस फिल्म को साल 2002 की दुनिया की सबसे बेस्ट फिल्मों की लिस्ट में शुमार किया था।

आठवीं कहानी

देवदास का सॉन्ग 'डोला रे डोला' भी बड़ा पॉप्युलर हुआ था। इस गाने से भी एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है। संजय लीला भंसाली ने गीतकार नुसरत बद्र से इस गाने को कई दफा लिखवाया था। 

और नुसरत बद्र ने पूरे एक हफ्ते तक ये गीत लिखा। नुसरत बद्र ने ये गीत कई तरह से लिखा था। लेकिन भंसाली को गीत पसंद ही नहीं आ रहा था। 

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Madhuri Dixit & Aishwarya Rai in Dola Re Dola Song Devdas 2002 - Photo: Social Media

और भंसाली की इतना स्पेशिफिक होने की वजह थी माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या राय। उस ज़माने में माधुरी दीक्षित बॉलीवुड की बहुत बड़ी और वैल-इस्टैब्लिश्ड हीरोइन हुआ करती थी। 

और ऐश्वर्या का रुतबा भी उस वक्त अपने शिखर पर था। और चूंकि उस गाने में इन दोनों तारिकाओं को एक साथ आना था। इसलिए भंसाली हर लिहाज से ये गीत बेस्ट लेवल का चाहते थे।

नौंवी कहानी

देवदास के 'डोला रे डोला' सॉन्ग्स से ही एक और रोचक बात भी जुड़ी है। इस गाने की शूटिंग के वक्त ऐश्वर्या राय के कानों से ख़ून बहने लगा था। और ये हुआ था उन ईयररिंग्स की वजह से जो ऐश्वर्या ने पहने हुए थे। 

ऐश्वर्या राय के लुक को भव्य दिखाने के लिए उन्हें बहुत ही हैवी ईयररिंग्स पहनने के लिए दिए गए थे। और 'डोला रे डोला' गीत की शूटिंग के दौरान नाचते वक्त ऐश्वर्या के कान उन ईयररिंग्स से ज़ख्मी हो गए। 

लेकिन ऐश्वर्या ने शूटिंग नहीं रोकी। और गाना जब पूरा शूट हो गया, तब जाकर संजय लीला भंसाली व बाकी लोगों को पता चला कि ऐश्वर्या के कानों से ख़ून बह रहा है।

दसवीं कहानी

देवदास में जैकी श्रॉफ का निभाया चुन्नी बाबू का रोल भी कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। चुन्नी बाबू जैकी के पूरे करियर के टॉप 10 बेस्ट रोल्स में से एक माना जाता है। 

हालांकि ये बात भी सच है कि चुन्नी बाबू के रोल के लिए जैकी श्रॉफ भंसाली की पहली पसंद नहीं थे। भंसाली ने ये रोल सैफ अली खान और गोविंदा को भी ऑफर किया था। 

लेकिन उन दोनों ने ही ये रोल निभाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। जैकी से ठीक पहले मनोज बाजपेयी को भी चुन्नी बाबू का रोल ऑफर किया गया था। 

लेकिन मनोज बाजपेयी ने ये कहते हुए चुन्नी बाबू का रोल ठुकरा दिया कि मैं तो इस वक्त लीड रोल्स कर रहा हूं। अगर इस वक्त मैं कोई सपोर्टिंग रोल करूंगा तो ये मेरे करियर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

11वीं कहानी

देवदास में हम जो माधूरी दीक्षित का कोठा देखते हैं, उसका सेट एक झील के किनारे लगाया गया था। और इत्तेफाक से मौसम कुछ ऐसा चल रहा था कि झील का पानी लगातार सूखता जा रहा था। 

ऐसे में संजय लीला भंसाली ने अपनी प्रोडक्शन टीम को सख्त निर्देश दिया हुआ था कि झील का पानी सूखना नहीं चाहिए। झील में रोज़ पानी भरवाया जाए।

और तब रोज़ दस से बारह पानी के टैंकर झील को भरने के लिए आते थे। और जानते हैं, चंद्रमुखी के कोठे का सेट तैयार करने में ही भंसाली ने पूरे 12 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

12वीं कहानी

संजय लीला भंसाली ने देवदास में माधुरी दीक्षित के कपड़ों पर भी बहुत पैसा खर्च किया था। कहा जाता है कि इस फिल्म में माधुरी दीक्षित ने जो कपड़े पहने हैं, उनमें से से हर एक की कीमत लगभग 15 लाख रुपए है। 

माधुरी पर फिल्माए गए गीत,'काहे छेड़-छेड़ मोहे' का पिक्चराइजेशन बेहद भव्य लगता है। इस गीत में माधुरी ने जो घाघरा पहना है उसका वज़न 16 किलो है। 

हालांकि पहले जो घाघरा इस गाने में माधुरी के पहनने के लिए तैयार किया गया था उसका वज़न 30 किलो था। लेकिन माधुरी उस घाघरे के वज़न के साथ नृत्य करने में असफल रही थी। 

एक और बात, देवदास में पारो यानि ऐश्वर्या राय के लिए डिज़ाइनर नीता लुल्ला और संजय लीला भंसाली ने मिलकर कोलकाता से छह सौ साड़ियां खरीदी थी।

13वीं कहानी

देवदास की सफलता को भुनाने के कई तरह के प्रयास भी हुए थे। देवदास का एक स्पूफ भी बनाया जा रहा था जिसका नाम रखा गया था बेवड़ादास। और उस स्पूफ में जॉनी लीवर बेवड़ादास का रोल निभाने जा रहे थे। 

जबकी एक्ट्रेस तनाज करीम पारो की नकल मारो का रोल निभाने वाली थी। उसी फिल्म में एक्ट्रेस हिमानी शिवपुरी और सुधा चंद्रन भी काम करने वाली थी। और ये स्पूफ सहारा प्रोड्यूस करने वाला था। वो भी केय सेरा सेरा प्रोडक्शन्स के साथ मिलकर। 

इसका डायरेक्शन करने वाले थे राजन वगधरे। 2003 में ही इसकी शूटिंग भी शुरु हुई थी। लेकिन ये स्पूफ कभी पूरा नहीं हो सका। और अल्टीमेटली बंद हो गया।

14वीं कहानी

देवदास की शूटिंग जब चल रही थी तो किसी ने अफवाह उड़ा दी थी कि माधुरी दीक्षित प्रेगनेंट हो चुकी हैं। इस अफवाह ने डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की टेंशन काफी बढ़ा दी थी। 

क्योंकि उस वक्त तक माधुरी दीक्षित के कई अहम सीन्स शूट होने बाकी थे। लेकिन जब भंसाली को पता चला कि माधुरी के प्रेगनेंट होने की खबर सच नहीं है तो उनकी जान में जान आई। 

वैसे भंसाली को टेंशन होना लाज़िमी भी था। क्योंकि देवदास अपने वक्त की सबसे महंगी बॉलीवुड फिल्म थी। उस ज़माने में भंसाली ने देवदास फिल्म बनाने के लिए पचास करोड़ रुपए खर्च किए थे। 

और चूंकि ये फिल्म भरत शाह प्रोड्यूस कर रहे थे तो भंसाली के साथ-साथ उनको भी माधुरी की प्रेगनेंसी वाली अफवाह ने परेशान कर दिया था।

15वीं कहानी

देवदास 75वें ऑस्कर्स में बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज कैटेगरी में भारत की ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजी गई थी। लेकिन ज़बरदस्त फिल्म होने के बावजूद ऑस्कर ज्यूरी ने इस फिल्म को नॉमिनेशन तक नहीं दिया। 

वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने साल 1957 से ऑस्कर में फिल्में भेजना शुरू किया था। और सबसे पहली फिल्म जो ऑस्कर्स में भेजी गई थी वो थी मदर इंडिया। 

जो कि महज़ एक वोट से बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज कैटेगरी में ऑस्कर जीतने से चूक गई थी। उसके बाद से लगभग हर साल भारत ने ऑस्कर में फिल्म भेजी। लेकिन मदर इंडिया के बाद सलाम बॉम्बे और लगान को छोड़कर, किसी और भारतीय फिल्म को कभी नॉमिनेशन तक नहीं मिला।

16वीं कहानी

भले ही देवदास को ऑस्कर अवॉर्ड में कोई सफलता ना मिल सकी हो। लेकिन फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में इस फिल्म ने धूम मचा दी थी। देवदास ने टोटल 11 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स जीते थे। 

देवदास को बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट एक्टर, बेस्ट एक्ट्रेस, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस, बेस्ट प्लेबैक सिंगर फीमेल, बेस्ट सिनेमैटोग्राफी, बेस्ट कोरियोग्राफी, बेस्ट सीन ऑफ दी ईयर, बेस्ट आर्ट डायरेक्शन और आरडी बर्मन अवॉर्ड फिल्मफेयर ने दिए थे। वहीं देवदास ने पांच नेशनल अवॉर्ड भी अपने नाम किए थे।

17वीं कहानी

देवदास फिल्म की भव्यता में इसके सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। इस फिल्म की शूटिंग के लिए बिनोद प्रधान ने 2500 लाइटों का इंतज़ाम सेट पर कराया था। और उन लाइटों को सही से संचालित करने के लिए 700 लोगों को हायर किया गया था। 

वहीं बात अगर इस फिल्म के संगीत की करें तो संगीत निर्देशक इस्माइल दरबार ने देवदास का संगीत दो सालों में तैयार किया था। और इसके हर गीत की रिकॉर्डिंग लगभग 10 दिन में पूरी हुई थी। और हर गीत आठ से नौ दफा मिक्स-मास्टर्ड किया गया था।

18वीं कहानी

देवदास फिल्म की चंद्रमुखी का रोल माधुरी दीक्षित ने अपने खाते में एक बड़ी ही शानदार उपलब्धि के तौर पर दर्ज है। लेकिन ये बात भी सच है कि माधुरी इस रोल के लिए भंसाली की पहली पसंद नहीं थी। 

एक वक्त था जब भंसाली के दिमाग में चंद्रमुखी के किरदार के लिए मनीषा कोईराला का नाम चल रहा था। लेकिन मनीषा कोईराला को फिल्म में लेने का इरादा उन्होंने तब छोड़ दिया जब ऐश्वर्या ने उनसे साफ कह दिया कि वो मनीषा के साथ बिल्कुल भी काम नहीं करेंगी। 

दरअसल, मनीषा और ऐश्वर्या के बीच में कभी भी दोस्ती नहीं रही। बल्कि एक दफा तो दोनों के बीच भंयकर तकरार भी हो चुकी थी। मनीषा के बाद भंसाली ने सुष्मिता सेन को चंद्रमुखी के रोल के लिए लिए कास्ट कर लिया। 

और भंसाली ये सोचकर खुश थे कि उनकी फिल्म में मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय और मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन काम करने वाली हैं। लेकिन पता नहीं सुष्मिता और भंसाली के बीच क्या हुआ कि फिल्म की शूटिंग शुरू होने से ठीक 15 दिन पहले भंसाली ने सुष्मिता को फिल्म से हटाकर माधुरी दीक्षित को कास्ट कर लिया।

19वीं कहानी

देवदास में कुल 9 गीत थे। यूं तो ये सभी गीत उस वक्त बहुत हिट हुए थे। लेकिन डोला रे डोला गीत तो सेंसेशन बन गया था। इस गीत को श्रेया घोषाल और कविता कृष्णमूर्ति ने आवाज़ दी थी। 

इन दोनों गायिकाओं को इस गीत के लिए फिल्मफेयर ने बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर अवॉर्ड से सम्मानित किया था। इस गीत की कोरियोग्राफी की थी भारत की ज़बरदस्त कोरियोग्राफर रही स्वर्गीय सरोज खान ने। 

और सरोज खान जी को इस गीत की शानदार कोरियोग्राफी के लिए उनके करियर का सातवां फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। जबकी इसी गीत के लिए सरोज खान को उनका पहला नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। वैसे, सरोज खान जी ने अपने करियर में कुल आठ दफा फिल्मफेयर अवॉर्ड और तीन दफा नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीते थे।

20वीं कहानी

9 दिसंबर सन 2000 को देवदास की शूटिंग के वक्त एक बड़ा हादसा हो गया था। दरअसल, पारो की हवेली के सेट पर दो बहुत बड़े-बड़े पंखे लाए गए थे। उन पंखों की मदद से तेज़ हवा का एक सीन शूट करना था। 

फिल्म क्र्यू का हिस्सा रहे दीनदयाल यादव और राजू यादव नाम के दो युवक उन पंखों के पास खड़े थे। तभी गलती से एक इलैक्ट्रीशियन ने उनमें से एक पंखा टेस्ट करने के इरादे से चला दिया। 

उस इलैक्ट्रीशियन को नहीं पता था कि दीनदयाल और राजू पंखे के पास ही खड़े हैं। पंखा चलते ही दीनदयाल यादव उसके ब्लेड्स की चपेट में आ गया। दीनदयाल के सिर में गहरी चोट आ गई। दीनदयाल को बचाने की कोशिश में राजू यादव भी बुरी तरह घायल हो गया। 

अस्पताल में दीनदयाल यादव ने दम तोड़ दिया। हालांकि राजू यादव की जान बच गई थी। अगले साल यानि 13 अगस्त 2001 को लाइट मैन सुभाष मोरकर भी देवदास की शूटिंग के वक्त 35 फीट ऊपर से गिरकर अपनी जान गंवा बैठा।

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