Narendra Chanchal | Bhajan Samrat नरेंद्र चंचल के जीवन की रोचक कहानी | Biography

Narendra Chanchal. जिन्हें भजन सम्राट भी कहा जाता है। मकबूलियत इन्हें भले ही सिनेमाई गायकी से मिली हो। लेकिन गायन की शुरुआत इन्होंने अपनी माता से प्रेरित होकर मातारानी के भजनों से ही की थी। 

नरेंद्र चंचल, एक अनोखी आवाज़ के मालिक। एक ऐसी शख्सियत, जिन्होंने अपने पहले ही फिल्मी गीत के लिए फिल्मफेयर बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर अवॉर्ड अपने नाम करा लिया था। 

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Narendra Chanchal Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan पर आज हम आपको Bhajan Samrat Narendra Chanchal जी की ज़िंदगी की कहानी बताएंगे। Narendra Chanchal जी की ये कहानी आपको भी ज़रूर पसंद आएगी।

Narendra Chanchal की शुरूआती ज़िंदगी

नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर सन 1940 को पंजाब के अमृतसर शहर की एतिहासिक नमक मंडी की शिव गली में हुआ था। नरेंद्र जब काफी छोटे थे तभी से अपनी माता कैलाशवती को मातारानी के भजन गाते हुए सुनते देख काफी खुश होते थे। मां को भजन गाते देखकर नरेंद्र की दिलचस्पी भी गायन में बढ़ने लगी।

इनके बारे में एक खास बात ये है कि चंचल इनका असली सरनेम नहीं है। दरअसल, स्कूल के दिनों में ये बेहद शरारती और चंचल स्वभाव के हुआ करते थे। इनके टीचर्स इन्हें अक्सर नरेंद्र की जगह ‌चंचल कहकर पुकारा करते थे। बाद में इन्होंने भी चंचल सरनेम को अपने नाम के साथ सदा के लिए जोड़ लिया।

अनोखी गायन शैली से मशहूर हुए Narendra Chanchal

गायकी का इनका सफर भी माता के भजन से ही शुरू हुआ था। जीवन के संघर्षों के बीच ये माता रानी के भजन गाने के लिए समय निकाल ही लिया करते थे। नरेंद्र चंचल को चर्चा उस वक्त मिलना शुरू हुई जब जागरणोें में ये माता रानी की भेंटों में बुल्ले शाह के कलाम भी जोड़कर गाने लगे। 

ऐसा करने वाले ये पंजाब के पहले गायक थे। खुले पंडालों में अपने इस अलग अंदाज़ में मां की भेंट गाने का इनका ये अंदाज़ लोगों को बेहद पसंद आया। जल्द ही दिल को छू लेने वाली इनकी ये गायन शैली पूरे पंजाब में विख्यात हो गई। इनकी इसी शैली ने ही इन्हें बॉलीवुड में भी एंट्री दिला दी।

राज कपूर ने Narendra Chanchal को दिया पहला मौका

दरअसल, 1970 में नरेंद्र चंचल एक जागरण में माता की भेंट गाने के लिए मुंबई गए हुए थे। इत्तेफाक से उस जागरण में महान अभिनेता और शोमैन राज कपूर साहब भी मौजूद थे। 

राज कपूर को नरेंद्र चंचल का गाने का अंदाज़ बड़ा ही पसंद आया। जागरण खत्म होने के बाद राज कपूर नरेंद्र चंचल से मिले और बोले, मैं तो काफी देर पहले जाने वाला था। लेकिन तुम्हारी गायकी सुनकर मुझे इतना मज़ा आया कि मैं भूल ही गया कि मुझे जाना भी था। 

और इसी के साथ राज कपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर की पहली फिल्म बॉबी में एक गाना गाने के लिए नरेंद्र चंचल को साइन कर लिया। 

नरेंद्र चंचल ने बॉबी में बुल्ले शाह का कलाम 'बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो' गाया था। ये गीत बेहद हिट रहा और इस गीत के लिए नरेंद्र चंचल को उनका पहला फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला।

ये थे इनके मशहूर गीत

बॉबी का ये गीत गाने के बाद नरेंद्र चंचल जहां कहीं भी जागरण के लिए जाते, लोग इनसे इसी गाने की फरमाइश करते और ये भी बड़े प्यार से अपने चाहने वालों का सम्मान करते हुए ये गीत गाते। 

जागरणों के अलावा भी नरेंद्र चंचल ने कुछ और बॉलीवुड फिल्मों में गीत गाए थे। अमिताभ बच्चन की फिल्म बेनाम में गाए इनके गीत 'यारा और यारा इश्क ने मारा' ने तो इन्हें बॉलीवुड और देश में मशहूर कर दिया। 

ये गीत इतना ज़्यादा पॉप्युलर हुआ कि नरेंद्र चंचल की लोकप्रियता में इस गीत के आने के बाद चार चांद लग गए। वहीं, मनोज कुमार की फिल्म रोटी कपड़ा और मकान में इन्होंने गाया था 'बाकि कुछ बचा तो महंगाई मार गई।' 

ये गीत आज भी लोगों की ज़ुबान पर है और जब भी कहीं महंगाई की बात होती है तो ये गीत लोगों के जे़हन में अपने आप आ जाता है।

रूस भी गए थे नरेंद्र चंचल

राज कपूर ने जब बॉबी फिल्म को रूस में रिलीज़ किया था तो वे नरेंद्र चंचल को भी अपने साथ रूस लेकर गए। रूस की ये यात्रा नरेंद्र चंचल की पहली विदेश यात्रा थी। 

इसके बाद तो नरेंद्र चंचल को दुनिया के और हिस्सों के लोग भी पहचानने लगे। अमेरिका में रहने वाले भारतवंशियों ने भी एक बार नरेंद्र चंचल को जागरण में गाने के लिए अमेरिका बुलाया था। 

अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय में तो नरेंद्र चंचल इतने मशहूर हुए कि अमेरिका के जॉर्जिया राज्य ने तो इन्हें वहां की नागरिकता भी दी थी। विदेशी दौरों के बाद नरेंद्र चंचल आर्थिक रूप से काफी संपन्न हो गए थे। 

इन्होंने दिल्ली में एक आलीशान घर बनवाया। नरेंद्र चंचल की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि देश के कई बड़े शहरों में इन्हें जागरण के लिए बुलाया जाने लगा था।

यूं बने भजन सम्राट

साल 1980 में रिलीज़ हुई जितेंद्र और रीना रॉय की फिल्म आशा में नरेंद्र चंचल ने गाया था तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये। इस गीत ने बेहद लोकप्रियता बटोरी। 

ये गीत इतना ज़्यादा मशहूर हुआ कि देशभर में होने वाले जागरणों में ये गीत ज़रूर गाया जाता था। इसके बाद तो नरेंद्र चंचल भक्ति गीतों के बादशाह बन गए। 

साल 1983 में रिलीज़ हुई राजेश खन्ना और शबाना आज़मी की फिल्म अवतार में इन्होंने गाया चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है। ये गीत कितना ज़्यादा लोकप्रिय है आप भी जानते हैं। इसी गीत ने सही मायनों में नरेंद्र चंचल को भजन सम्राट की उपाधि दिलाई।

दो घूंट पिला दे साकिया

कम लोग ही इस बात से वाकिफ होंगे कि नरेंद्र चंचल ने ही काला सूरज फिल्म का बेहद लोकप्रिय गीत दो घूंट पिला दे साकिया गाया है। उत्तर भारत में होने वाली शादियों में डीजे पर ये गीत ज़रूर सुनाई दे जाता है। 

ये गीत भी एक बेहद मशहूर गीत है और आज तक लोकप्रिय है। ये बात भी कम लोग जानते हैं कि 1965 और 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों में नरेंद्र चंचल सीमा के पास तैनात जवानों की हौंसलाअफज़ाई के लिए देशभक्ति गीत गाते थे। 

नरेंद्र चंचल ने अपनी एक ऑटोबायोग्राफी भी रिलीज़ की थी जिसका नाम  था मिडनाइट सिंगर। ये हर साल 29 दिसंबर को वैष्णो देवी मंदिर जाते थे और साल के आखिरी दिन तक ये माता के दरबार में गाते थे।

ऐसी थी निजी ज़िंदगी

इनकी निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो इनकी शादी इनके पड़ोस में ही रहने वाली नम्रता से साल 1972 में हुई थी। कई इंटरव्यू में इन्होंने कहा था कि नम्रता के जीवन में आने के बाद ही इनकी किस्मत बदलनी शुरू हुई थी।

इनके तीन बच्चे हैं। बड़ा बेटा सिद्धार्थ, बेटी कपिला और छोटा बेटा मोहित। 22 जनवरी साल 2021 को दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में नरेंद्र चंचल जी ने आखिरी सांस ली थी। जिस वक्त उनकी मृत्यु हुई उस वक्त वो 80 साल के हो चुके थे। 

मेरठ मंथन नरेंद्र चंचल और संगीत के क्षेत्र में, उनके योगदान को सरहाते हुए उन्हें नमन करता है। नरेंद्र चंचल संगीत प्रेमियों और माता रानी के भक्तों की यादों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।

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