15 Lesser Known Facts About Waheeda Rehman | खूबसूरत वहीदा रहमान की 15 अनसुनी और रोचक कहानियां
Waheeda Rehman Facts. वहीदा रहमान अपने ज़माने की बेहद खूबसूरत और बेहद शानदार अभिनेत्री रही हैं। एक दौर ऐसा था जब इनके साथ काम करना हर बॉलीवुड स्टार का सपना होता था।
ये ना सिर्फ एक ज़बरदस्त डांसर हैं। बल्कि एक बेहतरीन इंसान भी हैं। लगभग सत्तर साल लंबे अपने फिल्मी करियर में वहीदा रहमान ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है और अपनी एक बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग बनाई है।
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15 Lesser Known Facts About Waheeda Rehman - Photo: Social Media |
आज हम और आप Waheeda Rehman की ज़िंदगी से जुड़ी कुछ अनसुनी और दिलचस्प बातें जानेंगे। अगर आप सिनेमा के शौकीन हैं तो Meerut Manthan की ये पेशकश भी आपको ज़रूर पसंद आएगी। Waheeda Rehman Facts.
पहला Waheeda Rehman Facts
वहीदा रहमान कभी भी एक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थी। वो चाहती थी कि पढ़-लिखकर वो डॉक्टर बनेंगी। लेकिन जब उनके पिता की मौत हुई तो इनका परिवार मुश्किलों में आ गया।
चूंकि वहीदा एक ट्रेंड भरतनाट्यम नृत्यांगना थी तो उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों में स्टेज पर परफॉर्म करने के मौके मिलने लगे और इससे उनके घर का खर्च चलने लगा।
स्टेज पर परफॉर्म करते हुए ही फिल्म इंडस्ट्री की नज़र इन पर पड़ी और इनकी किस्मत इन्हें फिल्मों की तरफ खींच ले गई।
दूसरा Waheeda Rehman Facts
वहीदा रहमान उन चंद बॉलीवुड अभिनेत्रियों में से एक हैं जिन्होंने लगभग हर उम्र के किरदार निभाए हैं। ये फिल्मों में एक टीनएज गर्ल के किरदार में नज़र आ चुकी हैं।
साथ ही इन्होंने फिल्मों में दादी मां के रोल भी किए हैं। इतना ही नहीं, इन्होंने लगभग हर जोनरा की फिल्म में काम किया है।
तीसरा Waheeda Rehman Facts
वहीदा रहमान उन कुछ हीरोइनों में शुमार होती हैं जिन्होंने फिल्मों में ना सिर्फ सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की मां का रोल निभाया है। बल्कि उनकी लव इंटरस्ट का रोल भी निभाया है।
जहां फिल्म अदालत में वहीदा रहमान अमिताभ बच्चन की प्रेमिका बनी थीं। तो वहीं फिल्म त्रिशूल में ये अमिताभ की मां के रोल में नज़र आई थी। फिल्म कभी-कभी में ये अमिताभ बच्चन की पत्नी बनी थी।
चौथा
वहीदा रहमान ही इकलौती ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्होंने तीनो बच्चन। यानि अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और अभिषेक बच्चन की मां का रोल फिल्मों में निभाया है। जहां त्रिशूल में ये अमिताभ की मां के रोल में नज़र आई।
तो वहीं फागुन में इन्होंने जया बच्चन की मां का रोल निभाया। इसके बाद साल 2002 में रिलीज़ हुई फिल्म ओम जय जगदीश में ये अभिषेक बच्चन की मां बनी थी।
पांचवा
वहीदा रहमान ने अपने करियर में कई शानदार फिल्मों में एज़ ए हीरोइन काम किया है। लेकिन बतौर लीडिंग लेडी इनकी आखिरी फिल्म थी साल 1971 में रिलीज़ हुई फिल्म मन मंदिर। इस फिल्म में इनके हीरो संजीव कुमार थे। और ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई थी।
छठा
फिल्म रेशमा और शेरा में इनकी शानदार एक्टिंग के लिए इन्हें नेशनल फिल्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। साल 1972 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
2011 में भारत सरकार ने इन्हें पद्म भूषण पुरस्कार दिया। फिल्म गाइड के लिए इन्होंने पहली दफा फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड जीता। गाइड के लिए ही इन्हें शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया।
फिल्म तीसरी कसम में इनके शानदार काम के लिए इन्हें बंगाली फिल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन यानि बीएफजीए बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड दिया गया।
इसके बाद फिल्म नीलकमल के लिए इन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 1994 में फिल्मफेयर ने इन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया। 2006 में इन्हें एनटीआर नेशनल अवॉर्ड भी दिया गया।
सातंवा
वहीदा रहमान खाना बनाने की बेहद शौकीन हैं। एक वक्त था जब ईद के मौके पर वहीदा रहमान की बनाई सेंवईया खाने का न्यौता मिलने वाले लोग खुद को सौभाग्यशाली समझते थे।
इतना ही नहीं, एक वक्त ऐसा भी था जब भारत में वहीदा रहमान के फार्म हाउस में तैयार हुए सीरियल केलोग्स ये ज़्यादा पॉप्युलर हुआ करते थे।
आठवां
वहीदा रहमान को वाइल्ड लाइफ से बेहद प्यार है। वो हमेशा से अफ्रीका जाकर वाइल्ड लाइफ को निहारना चाहती थी। हालांकि फिल्मों में काम करने के दौरान कभी इन्हें अफ्रीका जाने का मौका नहीं मिल पाया।
लेकिन जब ये फिल्मों से रिटायर हो गई तो इन्होंने अपना ये शौक खूब पूरा किया। वहीदा को वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी करना बेहद पसंद है और अपने द्वारा ली गई तस्वीरों की इन्होंने एक प्रदर्शनी भी लगाई थी।
नौंवा
वहीदा रहमान एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। देश में गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए ये काफी काम करती हैं और समय-समय पर खूब दान भी करती हैं।
इतना ही नहीं, गरीबी से लड़ने वाली संस्था रंग दे की ये ब्रांड अंबेसडर भी रह चुकी हैं। प्रथम नाम की एक अमेरिकन-इंडियन फाउंडेशन के चैरिटी गाला में भी ये हिस्सा ले चुकी हैं जो कि भारत में गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए फंड जुटाता है।
दसवां
वहीदा रहमान और उनकी ही समकालिक अभिनेत्री नंदा की बड़ी गहरी दोस्ती थी। वहीदा नंदा को अपनी बहन मानती थी। यूं तो आशा पारेख, निम्मी, श्यामा और शर्मिला टैगोर से भी वहीदा की तगड़ी यारी थी।
लेकिन नंदा वहीदा के ज़्यादा करीब थी। साठ के दशक में बांद्रा में अक्सर वहीदा रहमान और नंदा सड़क किनारे पानी पूरी और भेल खाते हुए नज़र आ जाती थी।
नंदा की मौत पर वहीदा रहमान को बेहद दुख हुआ था। उन्होंने कहा था कि उनकी एक बहन दुनिया छोड़कर चली गई। नंदा ने इनके साथ फिल्म काला बाज़ार में काम भी किया था।
ग्यारहवां
चूंकी वहीदा रहमान का जन्म तमिलनाडु में हुआ था और इनके माता-पिता तमिल थे तो तमिल भाषा वहीदा रहमान की मातृभाषा थी। लेकिन उर्दू भाषा पर भी इनकी अच्छी पकड़ थी। इनके माता-पिता उर्दू के भी अच्छे जानकार थे और उन्होंने बचपन से ही अपने सभी बच्चों को उर्दू भाषा सिखाई थी।
बारहवां
वहीदा रहमान ने देवानंद साहब के साथ सात फिल्मों में काम किया था। ये फिल्में थी सीआईडी, सोलवां साल, काला बाज़ार, बात एक रात की, गाइड, रूप की रानी चोरों का राजा और प्रेम पुजारी।
रूप की रानी चोरों का राजा व प्रेम पुजारी को छोड़कर देव-वहीदा की सभी फिल्में सुपरहिट साबित हुई। गुरूदत्त के साथ वहीदा ने पांच फिल्मों में काम किया।
ये फिल्में थी प्यासा, कागज़ के फूल, ट्वैल्व ओ क्लॉक, चौदवीं का चांद और साहिब बीबी और गुलाम। सुनील दत्त साहब के साथ इन्होंने एक फूल चार कांटें, मुझे जीने दो, मेरी भाभी, दर्पण और रेशमा और शेरा में काम किया।
रेशमा और शेरा को छोड़कर सुनील दत्त के साथ की गई इनकी सभी फिल्में सुपरहिट रही।
तेरहवां
वहीदा रहमान के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म मानी जाती है खामोशी। इस फिल्म में वहीदा रहमान के साथ राजेश खन्ना नज़र आए थे। खास बात ये है कि ये फिल्म बनाने के लिए वहीदा रहमान ने हेमंत कुमार से खास गुज़ारिश की थी।
ये एक बंगाली फिल्म का रीमेक थी जिसमें सुचित्रा सेन लीड एक्ट्रेस थी। हेमंत कुमार ने वहीदा से कहा कि ये फिल्म बनाने से कोई फायदा नहीं है क्योंकि ये फिल्म चलेगी नहीं।
तब वहीदा रहमान ने हेमंत कुमार से कहा कि कुछ काम अपने दिल की संतुष्टि के लिए भी करने चाहिए। खामोशी फिल्म बनी और इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया। ये फिल्म वहीदा रहमान के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म बन गई।
चौदहवां
वहीदा रहमान ने भरतनाट्यम की ट्रेनिंग जयलक्ष्मी अल्वा से ली थी जो कि उस दौर की जानी-मानी भरतनाट्यम टीचर थी। जब वहीदा पहली दफा जयलक्ष्मी अल्वा के पास गई थी तो उन्होंने ये बोलकर वहीदा को भरतनाट्यम सिखाने से इन्कार कर दिया था कि वो मुसलमान को भरतनाट्यम नहीं सिखाती हैं।
क्योंकि मुसलमान लड़कियां परिवार के दबाव में बीच में ही भरतनाट्यम की ट्रेनिंग छोड़ देती हैं। लेकिन वहीदा रहमान के काफी गुज़ारिश करने पर जयलक्ष्मी अल्वा मानी और उन्होंने वहीदा को भरतनाट्यम सिखाया। कमाल की बात तो ये है कि जयलक्ष्मी अल्वा के सभी स्टूडेंट्स में वहीदा रहमान ने सबसे ज़्यादा नाम कमाया।
पन्द्रहवां
कई लोगों को गलतफहमी है कि अभिनेत्री सईदा वहीदा रहमान की बहन हैं। और उनकी ये गलतफहमी इसलिए है क्योंकि वहीदा रहमान की एक बहन का नाम भी सईदा है।
यानि अभिनेत्री सईदा से वहीदा रहमान की कोई रिश्तेदारी नहीं है। अभिनेत्री ज़ेब रहमान के बारे में भी बहुत लोग यही समझते हैं कि ये वहीदा रहमान की बहन हैं।
जबकी ये बात भी पूरी तरह से गलत है। ये गलतफहमी इसलिए फैली क्योंकि ज़ेब और वहीदा, दोनों का सरनेम रहमान है।
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