10 Lesser Known Facts About Johnny Lever | जॉनी लीवर की दस अनसुनी कहानियां
जॉनी लीवर का नाम ज़ेहन में आ जाए तो चेहरे पर मुस्कान अपने आप तैर जाती है। पिछले कई सालों से जॉनी लीवर अपनी कॉमेडी से सिने प्रेमियों को हंसाते आ रहे हैं। किसी फिल्म में जॉनी लीवर हों तो ज़ाहिर है उस फिल्म में कॉमेडी का तड़का भी बखूबी लगाया गया है।
![]() |
10 Lesser Known Facts About Johnny Lever - Photo: Social Media |
Meerut Manthan Johnny Lever की कहानी काफी पहले ही कह चुका है। और आपको भी Johnny Lever की ज़िंदगी की कहानी काफी पसंद आई थी। आज मेरठ मंथन आपको जॉनी लीवर के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी कहानियां बताएगा जिनके बारे में काफी लोगों को बहुत कम जानकारी है।
पहली कहानी
जॉनी लीवर आज इतने बड़े कॉमेडियन बन चुके हैं कि कोई उनके टैलेंट पर सवाल नहीं उठा सकता। लेकिन जिस वक्त जॉनी लीवर ने बॉलीवुड में एंट्री ली थी तब एक बड़े डायरेक्टर ने जॉनी लीवर से कहा था कि तुम्हें तो काम भी नहीं आता। तुम कैसे एक्टर बनोगे?
ये पूरा किस्सा कुछ यूं है कि जॉनी लीवर ने कभी किसी से एक्टिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी। वो तो स्टेज पर स्टैंड अप कॉमेडी किया करते थे और वहीं से उन्हें फिल्मों में काम मिलने लगा था। इसलिए एक्टिंग की टैक्निकल नॉलेज से उस ज़माने में जॉनी लीवर वाकिफ नहीं थे।
साल 1984 में रिलीज़ हुई फिल्म एक नई पहेली में जॉनी लीवर को एक छोटा सा रोल निभाने का मौका मिला। उस फिल्म के डायरेक्टर थे के. बालाचंदर और उस फिल्म में कमल हासन, राज कुमार, हेमा मालिनी और महमूद जैसे नामी कलाकार भी थे। उस फिल्म की शूटिंग चेन्नई में हुई थी।
उस फिल्म में जॉनी लीवर को राकेश बेदी के साथ एक सीन शूट करना था। पर चूंकि जॉनी लीवर को उस वक्त एक्टिंग की टैक्निकल बारीकियां नहीं पता थी तो उस वक्त सही रिएक्शन्स देने में जॉनी को काफी दिक्कतें हो रही थी। डायरेक्टर के बालाचंदर को नहीं पता था कि जॉनी एकदम नए हैं।
उन्हें जॉनी पर गुस्सा आ गया और उन्होंने सबके सामने जॉनी को डांटना शुरू कर दिया। वो जॉनी से बोले कि तुम तो काम करना जानते ही नहीं हो। तुम भला कैसे एक्टर बन पाओगे। उस वक्त जॉनी को डायरेक्टर के. बालाचंदर पर नहीं बल्कि खुद पर बहुत गुस्सा आया।
हालांकि उस सीन में जॉनी के सह-कलाकार राकेश बेदी ने किसी तरह डायरेक्टर के. बालाचंदर को शांत किया और जॉनी लीवर से वो सीन शूट करा लिया। फिर शाम को जॉनी लीवर ने राकेश बेदी से बात की और उनसे एक्टिंग की कुछ टिप्स ली। और उसके बाद तो जॉनी ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
दूसरी कहानी
ये बात तो सभी जानते हैं कि जॉनी का जन्म 14 अगस्त सन 1957 को हुआ था। लेकिन इस बात से बहुत ही कम लोग वाकिफ हैं कि जॉनी जब अपनी माता के गर्भ में आए थे उस वक्त इनकी माता मुंबई में थी। फिर जब जॉनी के पैदा होने का वक्त आया तो जॉनी की मां अपने होम टाउन ओंगोल पहुंच गई जो कि आंध्र प्रदेश में मौजूद एक ज़िला है। जॉनी का जन्म वहीं पर हुआ।
फिर जॉनी जब एक महीने के हुए तो इनकी माता वापस मुंबई आ गई। दरअसल, जॉनी के पिता मुंबई में मौजूद हिंदुस्तान लीवर की एक फैक्ट्री में नौकरी किया करते थे। और चूंकि एक वक्त पर जॉनी लीवर ने भी उस फैक्ट्री में नौकरी की थी तो इनका नाम जो कि जॉन प्रकाश राव था, वो जॉनी लीवर हो गया।
तीसरी कहानी
जॉनी लीवर वो कलाकार हैं जिन्होंने स्टैंड अप कॉमेडी से अपना करियर शुरू किया था। हालांकि ये बात भी बहुत कम लोगों को ही पता होगी कि स्कूल के दिनों में जॉनी को उनके टीचर्स ने कभी परफॉर्म करने का मौका नहीं दिया। वो जब भी स्कूल के एनुअल डे फंक्शन में हिस्सा लेने का इरादा लेकर टीचर्स के पास जाते और अपना हुनर उन्हें दिखाने की कोशिश करते, टीचर्स को इनकी परफॉर्मेंस पसंद ही नहीं आती थी। फिर जॉनी को पहला मौका मिला उस वक्त जब ये 17 साल के थे।
जॉनी को एक शॉ में स्टेज पर परफॉर्म करने के लिए बुलाया गया। लेकिन पहली दफा जॉनी बहुत ज़्यादा नर्वस हो गए और उनसे स्टेज पर जाकर कुछ बोला ही नहीं गया। उस दिन वो शो देखने आई ऑडियंस ने जॉनी का खूब मज़ाक उड़ाया और जमकर हूटिंग की। जॉनी स्टेज से नीचे उतर आए। और फिर अगली दफा के लिए जॉनी ने उसी दिन से खूब मेहनत की और देखते ही देखते ये स्टैंड कॉमेडी का बड़ा नाम बन गए।
चौथी कहानी
जॉनी उस वक्त सातवीं क्लास में ही थे जब ग़रीबी के चलते इन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ गई थी। दरअसल, जॉनी के पिता शराब बहुत ज़्यादा पीते थे। और इस वजह से उनकी तनख्वाह का अधिकतर हिस्सा शराब में खत्म हो जाता था। और चूंकि वो जॉनी के स्कूल की फीस नहीं चुका पाते थे तो मजबूरी में जॉनी को स्कूल छोड़ना पड़ गया।
यूं तो जॉनी जब स्कूल में थे उसी वक्त उन्होंने काम करके घर को सपोर्ट करना शुरू कर दिया था। मगर स्कूल छोड़ने के बाद तो जॉनी फुल टाइम काम करने लगे। हालांकि काम के बीच में ही वक्त निकालकर जॉनी गली-मुहल्ले के शोज़ में डांस भी किया करते थे। उन दिनों ये किशोर कुमार के गानों पर नाचा करते थे।
और ऐसे ही एक शो में जॉनी ने पहली दफा मिमिक्री की थी। और जानते हैं जॉनी को मिमिक्री करने की प्रेरणा किससे मिली थी? नामी कलाकार दिनेश हिंगू से जो उस ज़माने के बड़े कॉमेडियन और मिमिक्री आर्टिस्ट हुआ करते थे। आगे चलकर जॉनी ने दिनेश हिंगू जी के साथ भी कुछ फिल्मों में काम किया।
पांचवी कहानी
जॉनी के बारे में एक बात जो हर कोई जानता है वो ये कि जॉनी किसी ज़माने में मुंबई की सड़कों पर पैन बेचा करते थे। लेकिन जॉनी पैन बेचने के काम में कैसे आए, चलिए आज वो कहानी भी जान लेते हैं। दरअसल, जॉनी की जान-पहचान एक पारसी परिवार से हो गई थी। उस पारसी परिवार के मुखिया ने जॉनी से कहा कि ये नाच-गाना छोड़ो और कुछ काम करो। वरना ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी।
जॉनी ने उनसे कहा कि आप ही कोई सलाह दीजिए मैं क्या काम करूं। उस पारसी बाबू का खुद का सड़कों पर पैन बेचने का काम था। उन्होंने जॉनी को अपने पास की ही एक जगह पर पैन बेचने बैठा दिया। उस ज़माने में जॉनी और वो पारसी बाबू दिन भर में बीस से पच्चीस रुपए कमा लेते थे। एक दिन जॉनी ने नोटिस किया कि एक लड़का रोज़ आकर पैन देखता है लेकिन खरीदता नहीं है।
जॉनी को उस लड़के से मज़ाक करने की सूझी। जॉनी ने दादामुनि अशोक कुमार की आवाज़ में मिमिक्री की और उस लड़के को पैन खरीदने के लिए बोला। उस लड़के ने तो पैन नहीं खरीदे लेकिन वहां खड़े एक दूसरे आदमी को जॉनी लीवर की मिमिक्री बड़ी पसंद आई। वो जब जॉनी के पास आया तो जॉनी ने उससे जीवन की आवाज़ में बात की।
वो आदमी जॉनी से बहुत प्रभावित हुआ और उसने जॉनी से कुछ पैन खरीद लिए। इसके बाद तो जॉनी ने मिमिक्री करके ही पैन बेचना शुरू कर दिया। जॉनी का अंदाज़ लोगों को इतना पसंद आया कि देखते ही देखते जॉनी 20 रुपए दिन से दो सौ से ढाई सौ रुपए प्रतिदिन कमाने लगे।
छठी कहानी
ये बात भी जानने लायक है कि जॉन प्रकाश राव जॉनी लीवर कैसे बने। दरअसल, जॉनी जी के जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया था जब इन्होंने उसी फैक्ट्री में काम किया था जहां इनके पिता काम करते थे। यानि हिंदुस्तान लीवर में। जॉनी ने वहां छह सालों तक काम किया था। वहां साथी कर्मचारी जॉन प्रकाश राव को प्यार से जॉनी कहा करते थे।
उस ज़माने में हिंदुस्तान लीवर में हर साल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था। जॉनी भी उस कार्यक्रम में मिमिक्री शॉ करते थे और अक्सर अपनी फैक्ट्री के बड़े अफसरों की नकल उतारा करते थे। जॉनी के इसी हुनर से खुश होकर इनके एक सीनियर ने इनके नाम जॉनी के साथ इनकी फैक्ट्री का नाम लीवर जोड़ दिया। और इस तरह जॉन प्रकाश राव उर्फ जॉनी बन गए जॉनी लीवर।
सातवीं कहानी
जॉनी लीवर ने काफी वक्त तक छोटे-मोटे शोज़ में स्टैंड अप कॉमेडी की। लेकिन जॉनी की ज़िंदगी बदली उस वक्त जब इनकी मुलाकात नामी अदाकारा और टीवी प्रज़ेंटर स्वर्गीय तबस्सुम गोविल जी से हुई। दरअसल, जॉनी जब सड़कों पर मिमिक्री करके पैन बेचते थे उस वक्त मुंबई में इनका काफी चर्चा हो गया था।
एक दिन तबस्सुम जी के मैनेजर की नज़र जॉनी पर पड़ी और वो जॉनी को तबस्सुम जी से मिलाने सनमुखानंद हॉल ले आए। इत्तेफाक से उस दिन सनमुखानंद हॉल में तबस्सुम जी का शॉ चल रहा था। तबस्सुम जी जब जॉनी से मिली और उन्होंने जॉनी के हुनर को देखा तो वे जॉनी से बहुत प्रभावित हुई। उन्होंने जॉनी को अपने शॉज़ में परफॉर्म करने का मौका दिया।
और ये तबस्सुम जी ही थी जिनकी बदौलत जॉनी लीवर की मुलाकात कल्याण जी-आनंद जी से हुई और जॉनी कल्याणजी-आनंदजी के ग्रुप का हिस्सा बने। और चूंकि कल्याण जी-आनंद जी देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों में शोज़ किया करते थे तो जॉनी को भी उनके साथ अलग-अलग जगहों पर परफॉर्म करने का मौका मिलने लगा।
आठवीं कहानी
बहुत से लोगों को लगता है कि जॉनी की पहली फिल्म 'दर्द का रिश्ता' है। लेकिन हकीकत ये है कि जॉनी ने पहली दफा 'ये रिश्ता ना टूटे' नाम की फिल्म में काम किया था। और वो फिल्म साउथ में बनी थी। जॉनी को ये फिल्म मिलने की कहानी काफी दिलचस्प है।
दरअसल, एक दिन जॉनी आनंद जी के साथ उनके घर पर थे। साउथ के एक प्रोड्यूसर उस दिन आनंद जी से मिलने आए हुए थे। वो अपनी फिल्म 'ये रिश्ता ना टूटे' के लिए एक कॉमेडियन ढूंढ रहे थे। और उनकी प्लानिंग थी कि वो जगदीप साहब को साइन करें। उस फिल्म की लगभग सारी शूटिंग पूरी हो चुकी थी।
केवल कॉमेडियन के दो-तीन सीन्स ही बाकी थे। पर चूंकि जगदीप साहब उस फिल्म में काम नहीं करना चाहते थे तो वो प्रोड्यूसर कुछ परेशान थे। तब आनंद जी ने उस प्रोड्यूसर को जॉनी लीवर से मिलवाया औ कहा कि इस लड़के को ले जाओ। इसमें बहुत दम है। यूं तो जॉनी लीवर उस फिल्म में काम नहीं करना चाहते थे।
और वो इसलिए क्योंकि उस ज़माने में जॉनी लीवर कैमरा फेस करने से काफी घबराते थे। उन्होंने उस वक्त तक केवल स्टैंड अप कॉमेडी ही की थी। कभी कैमरा फेस नहीं किया था। पर चूंकि आनंद जी चाहते थे की जॉनी उस फिल्म में काम करें तो जॉनी मान गए और उस प्रोड्यूसर के साथ चेन्नई आ गए।
लेकिन चेन्नई आने के बाद जॉनी पर उनका का कैमरा फोबिया और ज़्यादा हावी हो गया। जॉनी किसी भी तरह वापस मुंबई लौटना चाहते थे। जॉनी ने तो एक ऑटो रिक्शा वाले से चेन्नई रेलवे स्टेशन तक चलने की बात भी कर ली थी। लेकिन तभी जॉनी को मेकअप मैन वापस अपने साथ ले गया।
और आखिरकार उस दिन पहली दफा जॉनी ने कैमरा फेस किया। 'ये रिश्ता ना टूटे' नाम की उस फिल्म में विनोद मेहरा और राज बब्बर जैसे बड़े कलाकार थे। और ये फिल्म साल 1981 में रिलीज़ हुई थी।
नौंवी कहानी
जॉनी लीवर जब बहुत मशहूर हो गए तो उस स्कूल ने भी उन्हें सम्मानित करने के लिए बुलाया जिसमें जॉनी लीवर पढ़ा करते थे। ये वही स्कूल था जिसे फीस ना चुका पाने कारण जॉनी लीवर को छोड़ना पड़ा था। स्कूल वालों ने जॉनी से रिक्वेस्ट की कि वो स्कूल में कोई फिल्मी प्रोग्राम कराएं।
जॉनी ने स्कूल वालों की बात का लिहाज रखते हुए तबस्सुम गोविल जी के ग्रुप का एक शो वहां ऑर्गनाइज़ कराया। और उस शो के लिए सारे पैसे जॉनी लीवर ने खुद खर्च किए। जबकी स्कूल वालों ने वो शो देखने आए दर्शकों से टिकट के पैसे लिए थे। और उस शो से स्कूल को अच्छी-खासी कमाई भी हो गई थी।
शो खत्म होने के बाद स्कूल वालों ने फिर से जॉनी को स्कूल में बुलाया और उन्हें बताया कि उस शो से जो स्कूल ने कमाई की थी उससे स्कूल में एक नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। साथ ही स्कूल वालों ने जॉनी को इस बात के लिए भी शुक्रिया कहा कि जॉनी ने अपने पैसे खर्च करके वो शो ऑर्गनाइज़ कराया था।
स्कूल की प्रिंसिपल ने जॉनी से कहा कि तुमने स्कूल के लिए इतना किया है तो अब स्कूल का भी फर्ज़ है कि वो तुम्हारे लिए कुछ करे। इसलिए तुम बताओ स्कूल को क्या करना चाहिए। जॉनी ने कहा,"एक दिन फीस ना होने की वजह से मुझे पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। लेकिन मैं चाहता हूं कि अब किसी ग़रीब बच्चे को पैसे ना होने की वजह से ये स्कूल ना छोड़ना पड़े। इसलिए आप इस स्कूल में जितने भी ग़रीब बच्चे हैं उनकी डिटेल्स मुझे दीजिए। मैं उनकी पढ़ाई का सारा खर्च खुद उठाऊंगा।"
जॉनी की ये बातें सुनकर प्रिसिंपल की आंखों में आंसू आ गए। उस प्रिसिंपल को याद आ गया कि कैसे नन्हे जॉनी को उसी ने फीस ना चुकाने की वजह से स्कूल आने से मना कर दिया था। वो प्रिसिंपल जॉनी से बोली,"तुम फिक्र मत करो जॉनी बेटा। अब से स्कूल खुद हर ग़रीब बच्चे को मुफ्त पढ़ाएगा। तुम्हें पैसे खर्च करने की कोई ज़रूरत नहीं है।" और इस तरह जॉनी के लिए ये घटना एक खूबसूरत याद बन गई।
दसवीं कहानी
जॉनी लीवर के जीवन से जुड़ी एक अनसुनी और बेहद दिलचस्प बात ये है कि इनके पिता कभी नहीं चाहते थे ये स्टेज पर काम करें। इनके पिता को लगता था कि फिल्मों में तो इन्हें कभी मौका नहीं मिलने वाला और स्टेज पर एक्टरों की आवाज़ निकालने के काम में कोई भविष्य नहीं है।
इसलिए पिता ने 18 साल का होते ही जॉनी को अपनी फैक्ट्री यानि हिंदुस्तान लीवर में नौकरी पर लगवा दिया। लेकिन उन्हें हमेशा इस बात की फिक्र रहती थी कि कहीं जॉनी अपने इस नाच-गाने और हंसने-हंसाने के शौक के चलते नौकरी ना छोड़ दें। वो अक्सर जॉनी को धमकाया करते थे कि अगर तुमने नौकरी छोड़ी तो मैं तुम्हें बहुत पीटूंगा।
पिता की ये धमकी जॉनी पर भी असर कर गई। वो पिता से छिपकर शोज़ करने जाते थे। एक दफा तो जॉनी कल्याण जी-आनंद जी के साथ मुंबई की एक बड़ी जगह पर शो कर रहे थे। और वहीं पर इनके पिता बेल्ट लेकर इन्हें पीटने पहुंच गए। जॉनी जब अपनी बारी आने पर स्टेज पर परफॉर्म करने लगे तो इनके पिता बेल्ट लेकर स्टेज पर चढ़ने लगे।
लेकिन जब उन्होंने नोटिस किया कि जॉनी कुछ बोल रहा है और लोग ज़ोर-ज़ोर से हंस रहे हैं तालियां बजा रहे हैं तो वो कनफ्यूज़ हो गए और स्टेज से नीचे उतर आए। उस दिन पिता को पहली दफा अहसास हुआ कि उनका बेटा जॉनी कुछ तो ऐसा काम कर रहा है जो लोगों को बड़ा पसंद आ रहा है। उस दिन के बाद से ही उन्होंने जॉनी पर रोक-टोक लगानी बंद कर दी।
फिर जब जॉनी ने अपने करियर का पहला एडवर्टाइज़मेंट शूट किया तो मेहनताने में उन्हें 25 हज़ार रुपए मिले। घर जाकर वो 25 हज़ार रुपए जॉनी ने अपने पिता के हाथ पर रखे और मज़ाक-मज़ाक में पिता से बोले,"आपने सारी ज़िंदगी नौकरी की और अब जाकर आप 26 हज़ार रुपए महीना कमाते हो। देखो मैं एक दिन में 25 हज़ार कमा लाया हूं।" उस दिन जॉनी के पिता को इन पर बहुत फक्र हुआ। वो पैसा जॉनी की बहन की शादी में काम आया था।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें