Razak Khan | Bollywood का नवाब चगेंज़ी जो बहुत जल्दी दुनिया छोड़ गया | Biography
Razak Khan. अगर आप हिंदी सिनेमा के बड़े वाले शौकीनों में से एक हैं तो ये नामुमकिन है कि आप इस चेहरे को ना जानते-पहचानते हों।
कभी फैयाज़ टक्कर तो कभी बुलडोज़र भाई, आपने इन्हें फिल्मों में कई रूप और रोल्स में देखा होगा। ये फिल्मों में एक ऐसे टपोरी गुंडे बनते थे जिससे लोग डरते नहीं थे बल्कि उसे देखकर हंसा करते थे।
ऊपर वाले ने इन्हें एकदम अलग तरह का चेहरा-मोहरा देकर इस धरती पर भेजा था। लेकिन अपनी बोल चाल का स्टाइल इन्होंने खुद ईजाद किया था और वो भी किसी दूसरे कलाकार से बिल्कुल हटकर था।
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Bollywood Actor Razak Khan Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan पर पेश है Hindi Cinema के ज़बरदस्त Actor Razak Khan की कहानी। Razak Khan कैसे Bollywood में आए और उनका फिल्मी सफर कैसा रहा था, आज यही कहानी हम और आप जानेंगे।
बचपन से ही फिल्मों के शौकीन थे Razak Khan
कई बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने वर्तमान में ही भविष्य की झलक दिखलाना शुरू कर देते हैं। रज़ाक खान भी ऐसे ही थे। बचपन में जब ये कोई फिल्म देख लिया करते थे तो घर के शीशे के सामने खड़े होकर ये फिल्म के डायलॉग खुद बोलने की कोशिश करते थे।
28 मार्च 1951 को मुंबई के बायकुला के मदनपुरा इलाके में पैदा हुए रज़ाक खान एक आम परिवार से थे। इनके माता-पिता अफगान मूल के थे और सालों पहले रोज़गार की तलाश में भारत में आकर बस गए थे।
दिलीप कुमार के फैन थे Razak Khan
फिल्मों के बचपन से ही शौकीन रहे रज़ाक जब एक्टर्स की नकल उतारते थे तो अपने घर के आस-पास के बच्चों को दर्शक बनाकर उनके सामने फिल्मों के डायलॉग बोलते थे। रज़ाक दिलीप साहब के बहुत बड़े फैन थे और उनकी ही तरह फिल्मों में एक्टिंग करना चाहते थे।
दिलीप साहब की फिल्में आज़ाद और कोहिनूर रज़ाक को इतनी पसंद थी कि इन्होंने ये फिल्में देखकर फैसला कर लिया था कि अगर वो जीवन में कुछ करेंगे तो सिर्फ और सिर्फ एक्टिंग करेंगे।
ऐसे हुई थी Razak Khan के अभिनय करियर की शुरूआत
ज़्यादातर लोगों को लगता है कि रज़ाक खान के एक्टिंग करियर की शुरूआत फिल्म "रूप की रानी चोरों का राजा" से हुई थी।
ये बात सच है कि ये फिल्म रज़ाक खान के करियर की पहली फिल्म है। लेकिन रज़ाक खान के एक्टिंग करियर की शुरूआत इस फिल्म से पहले ही हो चुकी थी।
इस फिल्म से कुछ समय पहले इन्होंने अस्सी के दशक के दूरदर्शन के बेहद लोकप्रिय टीवी शो नुक्कड़ के सिक्वेल नया नुक्कड़ से अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत कर ली थी।
ये शो भी 1993 में ही टेलिकास्ट होना शुरू हुआ था। इस शो में रज़ाक खान के कैरेक्टर का नाम था उल्लास भाई।
ये थी रज़ाक खान की पहली फिल्म
इसी साल यानि 1993 में ये पहली दफा "रूप की रानी चोरों का राजा" नाम की फिल्म से सिल्वर स्क्रीन पर नज़र आए।
बड़ी स्टारकास्ट वाली ये फिल्म इनके करियर की इकलौती ऐसी फिल्म है जिसमें इनके कैरेक्टर का ठीक ठाक नाम था। ये फिल्म में केशव के किरदार में दिखे थे।
एक इंटरव्यू में रज़ाक खान ने बताया कि अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, श्रीदेवी और अनुपम खेर जैसे बड़े सितारों के सामने होने के बावजूद भी अपना रोल शूट करते वक्त वो ज़रा भी नर्वस नहीं हुए थे।
बचपन की मेहनत आई थी काम
बचपन में सालों तक उन्होंने जो शीशे के सामने डायलॉग बोलने की प्रैक्टिस की थी वो उनके काम आई। डेढ़ पेज की स्क्रिप्ट का अपना डायलॉग इन्होंने एक ही टेक में बिना अटके बोल दिया।
ये फिल्म तो फ्लॉप हो गई लेकिन रज़ाक खान के लिए इस फिल्म ने बॉलीवुड में रास्ता ज़रूर खोल दिया।
राजा हिंदुस्तानी से मिली थी पहचान
पहली फिल्म के बाद अगले तीन सालों तक रज़ाक खान कुछ और फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करते रहे। हालांकि ये मोहरा जैसी बड़ी और ब्लॉकबस्टर फिल्म में भी दिखे। लेकिन फिर भी इन्हें किसी ने नोटिस नहीं किया।
मगर जब साल 1996 में रिलीज़ हुई फिल्म राजा हिंदुस्तानी में दर्शकों ने इन्हें टैक्सी ड्राइवर के छोटे से किरदार में देखा तो ये दर्शकों की नज़रों में चढ़ गए। इसके बाद तो मानो रज़ाक खान का संघर्ष खत्म होने लगा।
रज़ाक खान के पास काम की कमी ना रही। छोटे-मोटे ही सही लेकिन रज़ाक खान को लगातार रोल्स मिलते गए और रज़ाक खान अपने टैलेंट से उन रोल्स को यादगार बनाते गए।
नवाब चंगेज़ी के किरदार में अमर हो गए
साल 1997 में रिलीज़ हुई फिल्म इश्क में ये नज़र आए नवाब चंगेज़ी के किरदार में। एक सीन के अपने इस रोल को रज़ाक खान ने ऐसा निभाया कि ये सीन हिंदी सिनेमा के सबसे कॉमिक सीन्स में से एक के तौर पर दर्ज हो गया।
फिल्मों के कई जानकारों ने ये बात कही है कि कोई और एक्टर होता तो भी वो सीन देखकर हंसी तो आती। लेकिन रज़ाक खान ने नवाब चंगेज़ी के किरदार को जिस नफासत के साथ निभाया था वैसा शायद ही कोई और कलाकार निभा पाता।
अनोखे होते थे इनके किरदारों के नाम
रज़ाक खान ने अपने करियर में लगभग 100 फिल्मों में काम किया। फिल्मों में नब्बे प्रतिशत इनके किरदारों के नाम अजीब और अनोखे होते थे।
लकी चिकना, कलीम ढीला, रज्जू तबेला, बुलडोज़र, फेंकू, निंजा चाचा, मानिकचंद, काला भाई, फैय्याज टक्कर, बाबू बिसलरी, जॉनी टॉटीवाला, हाका, पोपट और तीली भाई।
ये सभी वो कैरेक्टर हैं जो रज़ाक खान ने अपनी फिल्मों में निभाए थे। खास बात ये है कि ये सभी कैरेक्टर बहुत ज़्यादा बड़े नहीं थे। लेकिन फिर भी दर्शकों ने इन किरदारों को बड़ा पसंद किया था।
रज़ाक खान की प्रमुख फिल्में
ज़्यादातर ये बड़े बजट की फिल्मों में बड़ी स्टारकास्ट के साथ ही नज़र आते थे। इनका किरदार एक ऐसा आदमी होता था जो दिखने में तो दुबला-पतला था लेकिन बात बात पर लोगों को धमकियां देता था और बदमाशी की बातें किया करता था।
रज़ाक खान के करियर की प्रमुख फिल्मों की बात करें तो ये नज़र आए बाज़ी, चाहत, दरार, लोहा, हीरो हिंदुस्तानी, प्यार किया तो डरना क्या, चाइना गेट, बड़े मियां छोटे मियां, अनाड़ी नंबर वन, राजाजी, हसीना मान जाएगी,
बादशाह, हैलो ब्रदर, ज़ोरू का गुलाम, हेरा फेरी, नायक, अंखियों से गोली मारे, चोर मचाए शोर, क्या कूल हैं हम, नो एंट्री, फिर हेरा फेरी, भागम भाग, पार्टनर, एक्शन जैक्शन और सुलेमानी कीड़ा जैसी फिल्मों में।
छोटे पर्दे की बात करें तो नया नुक्कड़ के अलावा इन्होंने ज़माना बदल गया, चमत्कार, फिल्मी चक्कर और आर के लक्ष्मण की दुनिया जैसे शोज़ में काम किया।
टाइपकास्ट कर दिए गए थे रज़ाक
बेशक रज़ाक खान एक बेहद हुनरमंद अभिनेता थे। लेकिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने कभी भी उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं किया। रज़ाक इतने सालों तक फिल्मों में काम करते रहे।
लेकिन इस फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें ऐसा टाइपकास्ट किया कि कभी भी उन्हें फिल्मों में पांच मिनट से ज़्यादा का रोल नहीं मिल पाया।
लेकिन चूंकि रज़ाक खान अपने काम से बेहद प्यार करते थे इसलिए वो हमेशा बिना किसी संकोच के खुद को मिलने वाले सारे रोल करते रहे।
बी ग्रेड फिल्मों में भी करना पड़ा था काम
कई दफा ऐसे मौके भी आए जब थोड़े ज़्यादा पैसों के लिए रज़ाक खान ने बी ग्रेड फिल्मों में भी एक्टिंग की। लेकिन इस पर रज़ाक खान यही जवाब देते थे कि काम केवल काम होता है। उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि फिल्म ए ग्रेड है या फिर बी ग्रेड है।
उन्हें उनके काम के बदले पैसे मिल जाते हैं और उनके लिए यही काफी है। हालांकि एक दफा एक पत्रकार को रज़ाक ने ये भी बताया था कि अपने घर का खर्च चलाने के लिए भी मजबूरी में उन्हें बी ग्रेड फिल्मों में काम करना पड़ जाता था।
ऐसी थी इनकी निजी ज़िंदगी
रज़ाक खान की निजी ज़िंदगी के बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि हमें ये जानकारी ज़रूर मिली है कि उनका बेटा दुबई में रहता है और वहां पर किसी एयरलाइन कंपनी में नौकरी करता है।
वहीं रज़ाक खान की तीन बेटियां भी हैं। उनकी दो बेटियां मुंबई में ही रहती हैं जबकी एक बेटी अपने पति के साथ अबू धाबी में रहती है।
बीमारी ने ले ली जान
भारत में जब स्टैंडअप कॉमेडी का दौर शुरू हुआ तो रज़ाक को लगा कि अब शायद उनका करियर और तेज़ रफ्तार पकड़ेगा। लेकिन इनके शरीर ने इसी दौरान इनका साथ देना छोड़ दिया।
रज़ाक खान को दिल की बीमारी लग गई। इसी बीमारी से लड़ते हुए रज़ाक खान ने 1 जून 2016 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
Razak Khan को सैल्यूट
रज़ाक खान हिंदी सिनेमा के उन अभिनेताओं में से एक थे जो हुनरमंद होते हुए भी कभी भी अपने हक का सम्मान हासिल नहीं कर पाए थे। कहना तो ये चाहिए कि फिल्म इंडस्ट्री रज़ाक खान और उनके जैसे कई दूसरे एक्टर्स के साथ इंसाफ नहीं कर सकी।
लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में देश की जनता कभी भी टैलेंट को बर्बाद नहीं जाने देती। रज़ाक खान के कॉमेडी सीन्स वाले जितने भी वीडियोज़ यूट्यूब पर उपलब्ध हैं उन सभी पर लाखों में व्यूज़ हैं।
और ये सबूत है इस बात का कि रज़ाक खान की एक्टिंग को आम दर्शक कितना पसंद करते थे। Modern Kabootar Razak Khan को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए उन्हें दिल से सैल्यूट करता है। जय हिंद।
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