Gurbachchan Singh | पुरानी फिल्मों में दिखने वाला गुंडा जिसे लोग धर्मेंद्र का चेला कहते थे | Biography

Gurbachchan Singh की कहानी कहने से पहले एक बात आपसे करते हैं। अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें ओपरा की जानकारी है और जो पुराने थिएटर के बारे में जानकारी जुटाना पसंद करते हैं तो आप स्पियर-कैरियर शब्द से अच्छी तरह से वाकिफ होंगे। 

अगर हिंदी में कहें तो स्पियर कैरियर का मतलब होता है भाला वाहक। मतलब वो शख्स जो कोई झंडा या भाला लेकर चलता है।

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Actor Gurbachchan Singh Biography - Photo: Social Media

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी स्पियर कैरियर शब्द का इस्तेमाल होता है। इस शब्द का इस्तेमाल उन कलाकारों के लिए होता है जो फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं करते हैं। 

इन कलाकारों के हिस्से में एक-दो डायलॉग्स ही आते हैं। ऐसी ही भूमिकाओं को अगर कोई कलाकार ढंग से निभा जाए तो उसके लिए आगे फिल्मों में आगे रास्ते खुल जाते हैं।

तो चलिए Gurbachchan Singh की कहानी शुरू करते हैं। Gurbachchan Singh ने भी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी शुरूआत स्पियर कैरियर के तौर पर की थी। आपने इन्हें सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशक की लगभग हर एक्शन फिल्म में देखा होगा।

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गुरदासपुर में हुआ था Gurbachchan Singh का जन्म

गुरबचन सिंह का जन्म पंजाब के गुरदासपुर में हुआ था। ये वही गुरदासपुर है जहां देव आनंद जैसे महान अभिनेता और राज खोसला जैसे धाकड़ फिल्मकार पैदा हुए थे।

 लिहाज़ा, बचपन से ही फिल्में इन्हें बेहद ज़्यादा पसंद थी। फिल्मों के अलावा बचपन से ही इन्हें पहलवानी का बेहद शौक था। दारा सिंह और रंधावा सिंह उस दौर के दो ऐसे पहलवान थे जो ना केवल पंजाब, बल्कि पूरे भारत की शान थे।

गुरबचन सिंह भी पहलवानी में इन्हें अपना आदर्श मानते थे। सत्तर के दशक में ही एक दफा इन्हें इंदौर में महान पहलवान रंधावा सिंह से मुकाबला करने का मौका मिला। 

इन्होंने उस दौर के एक और नामी पहलवान सौदागर सिंह के साथ भी कुश्ती लड़ी थी। साथ ही टाइगर जीत सिंह नाम के के पहलावन संग इनकी कुश्ती भी काफी चर्चाओं में रही थी। वो इसलिए, क्योंकि टाइगर जीत सिंह उन दिनों डब्ल्यू डब्ल्यू ई में कुश्ती लड़ा करते थे।

धर्मेंद्र से की गई थी Gurbachchan Singh की सिफारिश

गुरबचन सिंह के पिता तहसीलदार थे। धर्मेंद्र के भाई अजीत देओल इनके पिता के अच्छे दोस्त थे। साथ ही देव आनंद के परिवार से और राज खोसला के परिवार से भी भी इनके परिवार की जान पहचान थी। 

इनके पिता को जब मालूम चला कि उनका बेटा फिल्मों में काम करना चाहता है तो उन्होंने अजीत देओल के ज़रिए इन्हें एक चिट्ठी लेकर धर्मेंद्र के पास भेजा। शुरूआत में ये काफी ज़्यादा हिचकिचा रहे थे। 

लेकिन पिता के हौंसला देने पर ये उस चिट्ठी संग धर्मेंद्र से जाकर मिले। धर्मेंद्र इनसे मिले और उन्होंने भी इन्हें काफी इनकरेज किया। 

धर्मेद्र ने इनसे कहा, देखो, तुम अभी नए हो। तो एकदम से तो तुम्हें फिल्मों में काम मिलने से रहा। लेकिन जैसी तुम्हारी पर्सनैलिटी है उस हिसाब से तुम फिल्मों में स्टंट सीन्स के लिए हीरो के बॉडी डबल आराम से बन सकते हो। 

शुरू में यही कर लो। बाद में एक्टिंग का भी देखेंगे। धर्मेंद्र की बात इन्होंने मान ली। धर्मेंद्र उन दिनों पंजाब से आने वाले कलाकारों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। 

उन्होंने गुरबचन को मुंबई में अपने साथ अपने घर में रख लिया। कुछ दिनों बाद धर्मेद्र की एक फिल्म में ये उनके बॉडी डबल बने।

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Actor Gurbachchan Singh Biography - Photo: Social Media

इस फिल्म में मिला था Gurbachchan Singh पहला मौका

गुरबचन को एक्टिंग करने का पहला मौका मिला सन 1973 में आई फिल्म कच्चे धागे में। उस फिल्म में ये एक डकैत के छोटे से रोल में नज़र आए थे। 

ये रोल इतना छोटा था कि किसी ने गुरबचन को नोटिस तक नहीं किया। उसके बाद कुछ और फिल्मों में गुरबचन ऐसे ही एक-दो सीन वाले रोल करते रहे। 

साथ ही धर्मेंद्र और मनोज कुमार के बॉडी डबल के तौर पर भी ये काम करते रहे। धर्मेंद्र को जब लगा कि एक्टिंग में गुरबचन की बात नहीं बन रही है तो उन्होंने गुरबचन को एक्शन डायरेक्टर रवि खन्ना से मिलवाया। रवि खन्ना ने गुरबचन को वीरू देवगन के पास भेज दिया।

जब Gurbachchan Singh को मिला वीरू देवगन का साथ

उन दिनों वीरू देवगन पहली दफा फिल्म रोटी कपड़ा और मकान में इंडिपेंडेंट एक्शन डायरेक्टर के तौर पर काम करने वाले थे। उन्हें एक असिस्टेंट की ज़रूरत थी। 

गुरबचन को उन्होंने अपना असिस्टेंट बना लिया। इन दोनों की जोड़ी जम गई और अगले कुछ सालों तक गुरबचन सिंह वीरू देवगन के साथ काम करते रहे।

वीरू देगवन गुरबचन के टैलेंट को बखूबी इस्तेमाल कर रहे थे। उन्होंने गुरबचन से कई फिल्मों में हीरो के बॉडी डबल का काम लिया। 

गुरबचन भी पूरी मेहनत के साथ वीरू देवगन का दिया हर काम कर रहे थे। लेकिन गुरबचन के दिल में अभी भी पर्दे पर आने की चाहत बनी हुई थी।

इस फिल्म से मिली थी पहचान

एक दिन गुरबचन ने एक्टिंग करने की अपनी ख्वाहिश वीरू देवगन को बताई। वीरू देवगन ने भी गुरबचन को फिल्मों मे फाइट सीन्स में छोटे-छोटे रोल्स में काम कराना शुरू कर दिया। 

लेकिन ये सभी रोल्स ऐसे थे जो एक ही पल में खत्म हो जाते थे। लेकिन फिर साल 1977 में आई फिल्म इनकार। वीरू देवगन ने गुरबचन को भी इस फिल्म में फाइट सीन्स के लिए ले लिया। 

और शायद इस दफा भी गुरबचन ऐसे ही रह जाते, अगर इस फिल्म में मुंगड़ा गीत नहीं होता। शराब से तर और जिम वेस्ट पहने हुए गुरबचन को इस दफा दर्शकों ने नोटिस किया।

लगभग हर एक्शन फिल्म में आए नज़र

मुंगड़ा गीत के तुरंत बाद ही अमज़द खान के साथ इनका एक फाइट सीन था। इस फाइट सीन में पहली दफा हिंदी फिल्म के किसी विलेन को फ्लाइंग किक मारते हुए देखा गया था। 

इसके बाद तो गुरबचन सिंह को ठीक-ठाक रोल्स मिलने शुरू हो गए। अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म नटवरलाल में भी इनका बिग बी के साथ एक अच्छा-खासा लंबा फाइट सीन है। 

इस सीन में भी गुरबचन को दर्शकों ने काफी सराहा। अब आलम ये हो चुका था कि उस दौर में बनने वाली लगभग हर एक्शन फिल्म में गुरबचन सिंह हीरो के साथ पंगे लेते हुए नज़र आने लगे थे।

दिलीप कुमार के बॉडी डबल भी बने

गुरबचन ने हिंदी फिल्मों में निगेटिव रोल्स ही किए। किसी फिल्म में वो गुंडे बने, किसी में दादा बॉक्सर बने किसी में डकैत बने तो किसी में शोहदा बने। 

अनिल कपूर की मेगा हिट फिल्म मिस्टर इंडिया में एक आंख वाले कैप्टन ज़ोरो की भूमिका में गुरबचन सिंह एकदम फिट बैठे। कैप्टन ज़ोरो को आज भी लोग भूले नहीं हैं। 

कम ही लोग इस बात से भी वाकिफ होंगे कि फिल्म क्रांति में दिलीप कुमार के बॉडी डबल के तौर पर भी गुरबचन सिंह ने ही काम किया था।

पंजाबी फिल्मों में भी किया काम

नब्बे का दशक जब आया तो हिंदी फिल्मों में राजश्री बैनर की फिल्मों का बोलबाला हो गया। राजश्री बैनर की फिल्में पारिवारिक और प्रेम कहानियों पर बेस्ड थी। 

इन फिल्मों मे एक्शन की गुंजाइश नहीं थी। सो उस दौर के सभी एक्शन कलाकार बी ग्रेड एक्शन फिल्मों की तरफ मुड़ गए। खुद धर्मेंद्र को भी कांतिशाह की एक्शन फिल्मों में काम करना पड़ा।

गुरबचन हमेशा से ही धर्मेंद्र के अभिन्न अंग रहे थे सो वो भी कांति शाह की फिल्मों में काम करने लगे। गुरबचन ने छोटी-बड़ी मिलाकर कुल 250 हिंदी फिल्मों में काम किया है। 

हिंदी फिल्मों के अलावा गुरबचन ने पंजाबी फिल्मों में भी खूब काम किया। पंजाबी फिल्मों में तो ये आज भी एक्टिव हैं।

ऐसी है गुरबचन सिंह की निजी ज़िंदगी

गुरबचन सिंह की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो इनकी पत्नी का नाम गुरिंदर कौर है। इनके तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी। इनका बड़ा बेटा टाइम्स ऑफ इंडिया में मैनेजर है। 

और इनकी बेटी सोनिया नाहर कॉसमॉस माया नाम की कंपनी में मार्केंटिंग मैनेजर हैं। ये कंपनी दीपा मेहता और उनके पति चलाते हैं। इनका छोटे बेटे विक्रम के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है।

दारा सिंह ने कही थी ये बात

धर्मेंद्र और गुरबचन एक-दूसरे के कितने खास थे इस बात का अंदाज़ा आप ऐसे लगा सकते हैं कि 2013 में रिलीज़ हुई यमला पगला दीवाना 2 में भी गुरबचन सिंह ने काम किया था। 

गुरबचन सिंह और दारा सिंह से जुड़ा एक किस्सा कुछ यूं है कि अपने संघर्ष के दिनों में जब गुरबचन सिंह दारा सिंह के पास काम दिलाने में मदद करने की गुहार लेकर गए तो दारा सिंह ने इन्हें कहा कि फिल्म लाइन बेहद मुश्किल है। 

बेहतर होगा कि तुम रेसलिंग पर फोकस करो और प्रो रेसलिंग में नाम कमाओ। लेकिन गुरबचन फिल्मों में ही काम करना चाहते थे। उस वक्त गुरबचन को ये भी लगता था कि शायद वो रेसलिंग में ज़्यादा पैसे नहीं कमा पाएंगे।

गुरबचन सिंह को सैल्यूट

गुरबचन तीन दशकों तक फिल्म इंडस्ट्री में साइड विलेन के तौर पर काम करते रहे। कहना चाहिए कि फिल्म के हीरो को महानयाक बनाने में सबसे अहम भूमिका एक स्टंट डबल की होती है। 

गुरबचन ने जाने कितने ही हीरो के लिए स्टंट किए। वो हीरो तो सुपरस्टार बन गए लेकिन गुरबचन को बहुत ज़्यादा नाम कभी नहीं मिल पाया। 

भले ही गुरबचन का चेहरा उनकी पहचान बन गया हो। मगर ये भी सच है कि गुरबचन को हिंदी फिल्मों में वो मुकाम कभी नहीं मिल सका जिसका ख्वाब लेकर वो आए थे।

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