Zohra Sehgal | वो Bollywood Actress जिसने फिल्मों में बहुत लंबी पारी खेली | Biography

Zohra Sehgal Bollywood की सबसे लोकप्रिय दादियों में से एक थी। Zohra Sehgal पहली ऐसी Indian Actress थीं जिन्हें International Level पर पहचान मिली थी। 

सन 1946 में Cannes Film Festival में Zohra Sehgal की फिल्म Neecha Nagar Premiered हुई थी। Zohra Sehgal की इस फिल्म ने Cannes का सबसे बड़ा अवॉर्ड जिसे Palme d'Or कहा जाता है, वो जीता था।

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Biography of Actress Zohra Sehgal - Photo: Social Media

बेहद लंबे समय तक Film Industry में काम करने वाली Zohra Sehgal हमेशा अपनी ज़िंदादिली से जवान रहीं। आज हम आपको छह दशकों तक Hindi Film Industry की शान बनी रही Zohra Sehgal की ज़िंदगी से जुड़े कुछ बेहद दिलचस्प किस्से बता रहे हैं। 

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नवाबों के खानदान से थी Zohra Sehgal

रामपुर के नवाबी खानदान से ताल्लुक रखने वाली ज़ोहरा सहगल का जन्म सहारनपुर में सन 1912 में हुआ था। इनका पूरा नाम था साहिबजादी ज़ोहरा मुमताजुल्लाह खान बेगम। 

ज़ोहरा अपने माता-पिता की तीसरी संतान थी। इनका परिवार Rampur के Rohilla Pathan Family का हिस्सा था।

इनका बचपन Uttrakhand के Chakrata में गुज़रा था। ज़ोहरा ने अपना बचपन पेड़ों पर उछल-कूद मचाते हुए, फल तोड़कर खाते हुए और शरारतें करते हुए गुज़ारा था।

जब Germany पहुंच गई Zohra Sehgal

बचपन में ही ज़ोहरा की मां की मौत हो गई थी। इनकी मां की ख्वाहिश थी कि ये लाहौर में जाकर खूब पढ़ाई करें। अपनी मरी मां की ख्वाहिश पूरी करने के लिए Zohra Sehgal ने Queen Mary College Lahore में दाखिला भी ले लिया। 

Zohra Sehgal को Dance का काफी शौक था। लेकिन इनके कॉलेज में उस ज़माने में काफी पर्दा होता था। ज़ोहरा के एक मामा Scotland के Adinburg शहर में रहते थे। 

वो अक्सर अपने मामा और उनके परिवार से चिट्ठियों के ज़रिए बातचीत करती रहती थी। ज़ोहरा ने उन्हें अपनी Dance सीखने की ख्वाहिश के बारे में बताया।

ऐसे पहुंची लाहौर से जर्मनी

उन्होंने ज़ोहरा की डांस सीखने की ख्वाहिश का लिहाज रखते हुए किसी तरह जर्मनी के Saxony राज्य की राजधानी Dresden में मौजूद Mary Wigman's Ballet School में ज़ोहरा का Admission करा दिया।

यहां वे एक British Actor की देखरेख में रहने वाली थी और उनके मामा ने ही ये इंतज़ाम भी किया था। लाहौर से जर्मनी तक पहुंचने की ज़ोहरा की कहानी भी बड़ी ही दिलचस्प है।

ज़ोहरा के मामा उन्हें लेकर कार से ही लाहौर से ईरान पहुंचे। फिर वहां से फिलिस्तीन पहुंचे और फिलिस्तीन से ये लोग अपनी कार लेकर निकले सीरिया की राजधानी दमिश्क। 

वहां पर ज़ोहरा का ममेरा भाई इन्हें मिला। फिर उसे लेकर ये लोग उसी कार से मिस्र के एल्केज़ेंड्रिया शहर पहुंचे, और फिर वहां से एक जहाज के द्वारा यूरोप पहुंचे।

ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला थी ज़ोहरा

Germany के Dresden शहर के Mary Wigman's Ballet School में दाखिला लेने वाली Zohra Sehgal First Indian Woman हैं। 

ज़ोहरा ने तीन साल तक इस कॉलेज से डांस सीखा। जर्मनी में ही एक दिन ज़ोहरा को एक नृत्य नाटिका देखने का मौका मिला। बस यहीं से ज़ोहरा की ज़िंदगी बदल गई।

इस नृत्य नाटिका में उनकी मुलाकात हुई Udai Shankar से जो कि उस दौर के एक बेहद मशहूर भारतीय नर्तक थे। 

विदेशी धरती पर एक बेहद खूबसूरत भारतीय लड़की को डांस में दिलचस्पी लेते देख उदय शंकर बेहद हैरान और खुश हुए। उदय शंकर ने ज़ोहरा से वादा किया कि वो भारत लौटते ही उनके लिए वतन में ही काम का इंतज़ाम करेंगे।

उदय शंकर संग किया वर्ल्ड टूर

साल 1935 में उदय शंकर ने ज़ोहरा को जापान बुला लिया। यहीं पर ज़ोहरा ने उदय शंकर के डांस ग्रुप को जॉइन कर लिया। 

इसके बाद उदय शंकर के साथ ज़ोहरा ने मिस्र, यूरोप और अमेरिका सहित दुनिया के एक बड़े हिस्से का टूर किया। 

इस टूर के खत्म होने के बाद ज़ोहरा उदय शंकर के साथ अल्मोड़ा आ गई और उनके डांस स्कूल में डांस टीचर के तौर पर काम करने लगी।

इसी दौरान Zohra की मुलाकात हुई Kameshwar Sehgal से।Kameshwar Sehgal के रहने वाले एक वैज्ञानिक थे और उन्हें पेंटिंग और भारतीय नृत्य कला काफी पसंद थी। 

दोनों करीब आए और एक-दूजे को मुहब्बत करने लगे। कुछ ही महीनों बाद दोनों ने शादी कर ली।

जब दंगे जैसे हालात बन गए

Kameshwar Sehgal से Marriage करने के बाद ये बन गई Zohra Sehgal. हालांकि Kameshwar Sehgal से ज़ोहरा का शादी करना उस दौर के मुस्लिम कट्टरपंथियों को बिल्कुल भी रास नहीं आया था। 

वहीं कुछ कट्टरपंथी हिंदू समूह भी इस शादी का विरोध कर रहे थे। हालात इतने बुरे हुए कि शहर में दंगे जैसा माहौल हो गया।

हालांकि कुछ समय बाद लोग मान गए और समाज ने इन दोनों को स्वीकार कर लिया। शादी के एक साल बाद ही इनकी एक बेटी हुई जिसका नाम इन्होंने रखा Kiran Sehgal. 

दोनों की ज़िंदगी आराम से चल रही थी कि इसी दौरान अंग्रेजों ने भारत को दो टुकड़ों में बांटकर आज़ाद करने की तैयारी शुरू कर दी थी।

उस दौर में देश बेहद मुश्किल हालातों से गुज़र रहा था। हर तरफ हिंदू-मुस्लिम समुदायों में आग लगी हुई थी। आज़ादी मिलने से पहले ही देश दंगों की आज में झुलने लगा था। 

दंगों की ये आग ज़ोहरा सहगल के घर तक भी पहुंच गई। Zohra Sehgal उन दिनों अपने Husband Kameshwar Sehgal और एक साल की बेटी Kiran Sehgal के साथ Lahore में रहती थी।

वहां इन्होंने Zoresh Dance Institute के नाम से अपना एक Dance School भी खोल लिया था। जल्दी ही ज़ोहरा और उनके पति को अहसास हो गया कि लाहौर में डांस इंस्टीट्यूट चलाना तो दूर, ज़िंदा रहना भी बेहद मुश्किल है। 

दोनों अपनी बेटी किरण को लेकर बंबई भाग आए। Zohra Sehgal की एक Sister Uzra Butt यहां Prithvi Theatre में अभिनेत्री थी और काफी मशहूर भी थी।

जब Prithvi Theatre से जुड़ी Zohra Sehgal

बहन की मदद से ज़ोहरा ने सन 1945 में पृथ्वी थिएटर जॉइन कर लिया। उस दौर में ज़ोहरा को 400 रुपए महीना तनख्वाह मिलती थी जो कि एक बड़ी रकम होती थी। 

ज़ोहरा सहगल IPTA की भी एक सक्रिय सदस्य रही हैं। Khwaza Ahmed Abbas के Direction में IPTA ने अपनी पहली फिल्म बनाई थी। 

इस फिल्म का नाम था Dharti Ke Lal. Zohra Sehgal ने भी इस फिल्म में बतौर हिरोइन काम किया था। इप्टा में काम करने के दौरान उस दौर के मशहूर Director Chetan Anand ने इन्हें Neecha Nagar में लिया था।

कपूर खानदान की चार पीढ़ियों संग किया काम

ज़ोहरा सहगल फिल्मों में Choreography भी करती थी। Raj Kapoor की सुपरहिट फिल्म आवार के बेहद मशहूर स्वप्न गीत की कोरियोग्राफी ज़ोहरा सहगल ने ही की थी। 

Raj Kapoor के बाद ज़ोहरा ने कुछ फिल्मों में उनके बेटे Rishi Kapoor के साथ भी काम किया। ज़ोहरा सहगल ने Rishi Kapoor के Son Ranbir Kapoor के साथ भी उनकी First Film Saawariya में काम किया था। 

ज़ोहरा अपनी उम्दा अदायगी से लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला ही देती थी। इस तरह Kapoor की Four Generation के साथ काम करने वाली Zohra Sehgal इकलौती अभिनेत्री रहीं।

102 साल तक जी ज़िंदगी

सन 1998 में भारत सरकार ने ज़ोहरा सहगल को पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा था। उसके बाद 2001 में ज़ोहरा को कालीदास सम्मान, 2004 में संगीत नाटक अदामी सम्मान से सम्मानित किया गया। 

संगीत नाटक अकादमी ने तो ज़ोहरा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया और अपनी फेलोशिप भी दी। 2010 में ज़ोहरा सहगल को पद्म विभूषण सम्मान भी दिया गया। 

10 जुलाई 2010 को 102 साल की उम्र में ज़ोहरा सहगल को दिल का दौरा पड़ा। इसी के साथ दुनिया को अलविदा कहकर ज़ोहरा हमेशा के लिए अनंत की यात्रा पर निकल गई।

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