Asif Basra | Bollywood का वो बेहतरीन Actor जिसका अंत बहुत दुखद रहा | Biography
Asif Basra. इनके नाम को शायद आपने पहले कभी ना सुना हो, लेकिन इनके चेहरे से आप अच्छी तरह से वाकिफ होंगे। ये एक बेहद शानदार एक्टर थे।
और एक ज़िंदादिल इंसान थे। 2020 के उस मनहूस साल में एक के बाद एक दुनिया छोड़कर जा रही शानदार शख्सियतों में इनका नाम भी जुड़ा था।
तो कैसे Asif Basra एक्टिंग की दुनिया में आए? कैसे साइंस बैकग्राउंड का ये स्टूडेंट फिल्म इंडस्ट्री में इतना सफल हुआ? आज हम आपको Asif Basra की ज़िंदगी की कहानी बताएंगे।
ये भी पढ़ें: Asit Sen Biography | Bollywood के सबसे अनोखे Comedian की ज़िंदगी की कहानी
Asif Basra का शुरूआती जीवन
आसिफ बसरा का जन्म हुआ था 27 जुलाई 1967 को महाराष्ट्र के अमरावती में। बचपन में इन्हें फिल्म कलाकारों की नकल उतारने में बड़ा मज़ा आता था।
फिल्मी कलाकारों की नकल उतारने का इनका ये चस्का कब एक्टिंग के शौक और फिर जुनून में बदल गया, इन्हें खुद भी पता नहीं चला। जब ये दसवीं क्लास में थे तो स्कूल में 15 अगस्त के मौके पर हुए एक नाटक में इन्होंने भी एक्टिंग की।
इनकी एक्टिंग को काफी सराहा गया। इनके पिता इन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। लेकिन ये मन ही मन तय कर चुके थे, कि अब अगर कुछ बनना है, तो फिल्मों की दुनिया में ही बनना है।
ऐसे हुई Asif Basra की एक्टिंग की शुरूआत
कॉलेज में दाखिला लेने के बाद भी आसिफ का एक्टिंग का शौक मरा नहीं। ये साइंस बैकग्राउंड के स्टूडेंट थे। लेकिन फिर भी कॉलेज में होने वाले नाटकों में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे और अपने कॉलेज में काफी मशहूर भी थे।
कॉलेज खत्म हुआ और इन्हें एक अच्छी नौकरी भी मिल गई। अपनी पगार का ज़्यादातर हिस्सा ये सिनेमा हॉल में फिल्में देखने और थिएटर में नाटक देखने में खर्च कर देते थे।
एक दिन एक नाटक देखने के दौरान ही इनकी मुलाकात सलीम ग़ोश से हुई। सलीम ग़ोश उन दिनों थिएटर की दुनिया का एक बड़ा नाम हुआ करते थे। सलीम ग़ोश से हुई इसी मुलाकात ने आसिफ की ज़िंदगी भी बदलकर रख दी।
थिएटर में Asif Basra ने बनाया बड़ा नाम
सलीम ग़ोश ने आसिफ को अपने नाटक हैमलेट में होराशिओ का रोल दिया। आसिफ ने बड़ी ही खूबसूरती के साथ ये रोल निभाया। इसके बाद आसिफ ने मर्चेंट ऑफ वेनिस नाम के एक और अंग्रेजी नाटक में काम किया।
इस नाटक में भी इनकी एक्टिंग की काफी तारीफ की गई। लेकिन थिएटर में इनकी सबसे यादगार परफॉर्मेंस रही महात्मा वर्सेज गांधी नाम के नाटक में जिसे उस दौर के मशहूर एक्टर फिरोज़ खान ने प्रोड्यूस किया था।
इस नाटक में आसिफ ने 5 किरदार निभाए थे। मैं भी सुपरमैन नाम के एक नाटक में इन्होंने स्पाइनल बिफिडा नाम की बीमारी के मरीज़ का किरदार निभाया था। इस किरदार में भी आसिफ बसरा को बेहद पसंद किया गया था।
इस फिल्म से शुरू हुआ Asif Basra का फिल्मी सफर
आसिफ का फिल्मी सफर शुरू हुआ था साल 1998 में आई फिल्म वो से। ये फिल्म किसी सिनेमाघर में नहीं, बल्कि ज़ी टीवी पर रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म के डायरेक्टर थे आशुतोष गोवरीकर।
इस फिल्म में इन्होंने एक हिस्ट्री टीचर का रोल किया था। आसिफ की दूसरी फिल्मी थी रूल्स, प्यार का सुपरहिट फॉर्मूला। इस फिल्म के हीरो थे मिलिंद सोमन। ये एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म थी।
इस फिल्म में आसिफ की कॉमेडी लोगों को पसंद आई थी। इसके बाद इसी साल आसिफ क्विकसैंड नाम की एक हॉलीवुड फिल्म में भी नज़र आए। हालांकि इसमें आसिफ का रोल बेहद छोटा था और शायद ही कोई इन्हें नोटिस कर पाया था।
ब्लैक फ्राइडे से छा गए थे Asif Basra
आसिफ बसरा का पहला सबसे दमदार रोल था फिल्म ब्लैक फ्राइडे में इनका निभाया शाहनवाज़ कुरैशी का रोल। अनुराग कश्यप की इस फिल्म में आसिफ की एक्टिंग बेहद पसंद की गई और आसिफ बॉलीवुड के स्थापित कैरेक्टर आर्टिस्ट बन गए।
2005 में रिलीज़ हुई फिल्म परजानियां में भी आसिफ ने एक दमदार रोल निभाया था। 2002 के गुजरात दंगों पर बनी इस फिल्म में आसिफ एक टपोरी के किरदार में नज़र आए थे। आसिफ की एक्टिंग को हर किसी ने पसंद किया था।
आसिफ बसरा की प्रमुख फिल्में
आसिफ ने कुछ हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है। इनके करियर की सबसे शानदार हॉलीवुड फिल्म रही आउटसोर्स्ड, जिसमें ये एक बीपीओ के मैनेजर बने थे। आसिफ ने अपनी कॉमिक टाइमिंग से भारत और अमेरिका, दोनों देशों के दर्शकों का दिल जीत लिया था।
इन्होंने प्रिंसेज़ ऑफ पर्सिया नाम की फिल्म में कैमियो रोल भी किया था। अपने करियर में आसिफ ने 29 फिल्मों में काम किया था। इनकी सबसे प्रमुख फिल्में थी कोई पो चे, क्रिस-3, जब वी मेट, एक विलेन, फ्रीकी अली, कालाकांडी और हिचकी।
इन फिल्मों में भी किया है काम
हिंदी और अंग्रेजी फिल्मों के अलावा आसिफ बसरा ने तमिल, मलयालम, गुजराती और हिमाचली फिल्में भी की है। साथ ही इन्होंने पाताल लोक और होस्टेजेस नाम की वेब सीरीज़ में भी काम किया है।
आसिफ पिछले काफी समय से हिमाचल प्रदेश के मैक्लॉडगंज में रह रहे थे। यहां उन्होंने किराए पर एक घर लिया था और अपनी एक विदेशी मित्र के साथ वो यहां लिव इन में रहते थे।
उनकी मौत के बाद दावे किए गए कि आसिफ बसरा कई दिनों से डिप्रेशन के शिकार थे। सच्चाई क्या है ये तो आज तक सही तरीके से पता नहीं चल सका। लेकिन हम इतना ज़रूर कहना चाहेंगे कि आसिफ बसरा के टैलेंट को वो कद्र कभी नहीं मिली, जिसके वो हकदार थे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें