Asit Sen Biography | Bollywood के सबसे अनोखे Comedian की ज़िंदगी की कहानी
Asit Sen Biography. गोरखपुर में फोटो स्टूडियो चलाने वाले असित सेन के फिल्मी दुनिया का हिस्सा बनने की रोचक कहानी जानते हैं। असित सेन को आपने और हमने जाने कितनी ही फिल्मों में देखा है। और इनकी अलग स्टाइल की कॉमेडी भी हमने और आपने खूब पसंद की है।
Comedian Asit Sen Biography - Photo: Social Media
13 मई 1917 को Asit Sen का जन्म Gorakhpur में हुआ था। रोज़गार की तलाश में Asit Sen का परिवार इनके जन्म से भी कई साल पहले पश्चिम बंगाल के बर्दमान ज़िले से गोरखपुर आकर बस गया था। एक वक्त था जब असित सेन के पिता की गोरखपुर में रेडियो व ग्रामोफोन की दुकान हुआ करती थी। वो बिजली का सामान भी बेचा करते थे।
पिता की दुकान पर नहीं लगता था Asit Sen का मन
असित सेन जी को पिता की दुकान पर बैठना अच्छा नहीं लगता था। उन्हें तो फोटोग्राफी का शौक था। छोटी उम्र में ही उन्हें ये शौक लग गया था। फिर वो वक्त भी आया जब असित सेन फोटोग्राफर बन भी गए। कई प्रोग्राम्स में असित सेन जी को फोटोग्राफी के लिए बुलाया जाने लगा।
असित सेन जी ने जब 10वीं कक्षा पास की तो उनकी दादी ने दबाव बनाना शुरू कर दिया कि अब उनकी शादी करा दी जाए। लेकिन वो नहीं चाहते थे कि उनकी शादी हो।
इसलिए जब एक रिश्तेदार की शादी में उन्हें कलकत्ता जाने का मौका मिला तो उन्होंने बहाना बनाया कि वो कलकत्ता में रहकर बीकॉम की पढ़ाई करना चाहते हैं। जबकी उनकी प्लानिंग थी कि वो कलकत्ता के मशहूर न्यू थिएटर्स में काम करेंगे और नितिन बॉस के अंडर में रहकर फिल्ममेकिंग सीखेंगे।
यूं खुला था असित सेन का फोटो स्टूडियो
असित जी के घरवालों ने इन्हें कलकत्ता में रहकर पढ़ने की छूट दे दी। लेकिन पढ़ाई ना करके ये थिएटर से जुड़ गए। कलकत्ता में ही पहली दफा असित सेन ने स्टेज पर एक्टिंग की थी। कलकत्ता के थिएटर जगत में इनका नाम होने लगा।
मगर इसी दौरान गोरखपुर शहर के पुलिस कमिश्नर का तबादला हुआ। असित जी के पिता की उस कमिश्नर से अच्छी बात थी तो उन्होंने कमिश्नर साहब के विदाई समारोह की फोटोग्राफी करने के लिए असित को ही गोरखपुर बुला लिया।
उस समारोह की जो तस्वीरें असित सेन ने खींची थी उनकी बड़ी तारीफें हुई। लोगों से इतनी तारीफें मिली तो असित सेन गदगद हो गए। साल 1932 में उन्होंने गोरखपुर में फोटोग्राफी की अपनी एक दुकान खोल ली। और दुकान का नाम रखा गया सेन फोटो स्टूडियो।
बॉम्बे(मुंबई) तक जाना और फिर लौट आना
असित सेन जी का फोटो स्टूडियो बहुत अच्छा चला। मगर दुकान खुले हुए कुछ साल ही हुए थे कि दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया। ये वो दौर था जब फोटोग्राफी का सारा सामान इंग्लैंड से भारत आता था। इसलिए युद्ध छिड़ा तो सामान की आवाजाही बुरी तरह से प्रभावित हुआ। नतीजा ये हुआ कि देशभर के कई फोटो स्टूडियोज़ संकट में आ गए। उनमें असित सेन का स्टूडियो भी था।
मजबूरी में असित सेन जी को अपना फोटो स्टूडियो बंद करना पड़ा। काम की तलाश में वो बॉम्बे आ गए। बॉम्बे में एक फिल्म कंपनी में असित सेन को स्टिल फोटोग्राफी का काम मिल गया। इस काम में भी असित सेन जी का खूब मन लगा। मगर तभी इन्हें खबर मिली की घर पर मां बहुत बीमार हैं। फौरन घर आ जाओ।
बननी शुरू हुई फिल्मी दुनिया की राह
असित सेन बॉम्बे छोड़कर गोरखपुर वापस लौट आए। मां की बीमारी से घर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट ही रहा था कि तभी असित सेन जी की दादी का निधन हो गया। और फिर तीन महीने बाद असित सेन की बीमार मां भी चल बसी। घर में हुई इन दो मौतों ने असित सेन को बुरी तरह तोड़ दिया।
वो बॉम्बे लौटने का साहस ना कर सके। किसी तरह जब वो उस ग़म से संभले तो उन्होंने कलकत्ता जाने का फैसला किया। कलकत्ता में असित सेन जब पहली दफा आकर थिएटर कर रहे थे तब इनकी दोस्ती कृष्णकांत से हुई थी। इनका दोस्त कृष्णकांत अब एक फिल्म में एक्ट्रेस कानन बाला के साथ काम कर रहा था। उस फिल्म का नाम था बनफूल।
और शुरू हो गई एक्टिंग की जर्नी
असित सेन की के दोस्त कृष्णकांत ने इनकी मुलाकात एक्ट्रेस सुमित्रा मुखर्जी व उनके पति देव मुखर्जी से कराई। आगे चलकर सुमित्रा मुखर्जी ने असित सेन को महान फिल्मकार बिमल रॉय से मिलवाया। उन दिनों बिमल रॉय एक हिंदी फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे थे। वो किसी ऐसे इंसान की तलाश में थे जिसे हिंदी बहुत अच्छी तरह से आती हो।
वो जब असित सेन से मिले तो इनसे बड़े प्रभावित हुए। गोरखपुर में रहने की वजह से असित सेन जी की हिंदी पर मजबूत पकड़ थी। इसलिए बिमल रॉय ने असित सेन जी को अपने तीसरे असिस्टेंट की हैसियत से काम पर रख लिया।
लेकिन असित सेन के काम से बिमल दा इतने प्रभावित हुए कि कुछ ही महीनों में उन्होंने असित सेन को अपना फर्स्ट असिस्टेंट नियुक्त कर दिया। उन दिनों बिमल रॉय न्यू थिएटर्स से ही जुड़े थे। और उनके साथ असित सेन भी न्यू थिएटर्स का ही हिस्सा थे। साल 1945 में आई हमराही फिल्म में असित सेन जी ने पहली दफा एक छोटा सा किरदार निभाया था।
लोकप्रिय हो गए Asit Sen
फिर 1950 में जब बिमल रॉय बॉम्बे आए तो वो असित सेन को भी अपनी टीम का हिस्सा बनाकर अपने साथ बॉम्बे ले आए। बॉम्बे में असित सेन ने परीणिता, बिरज बहू, देवदास व दो बीघा ज़मीन जैसी फिल्मों में बिमल रॉय को असिस्ट किया था। साल 1949 में असित सेन ने छोटा भाई नामक एक फिल्म में नौकर का किरदार निभाया था।
उस नौकर के संवादों को असित सेन ने कुछ इस स्टाइल में बोला कि हर किसी को उनके बोलने का अंदाज़ पसंद आया। और वो अंदाज़ इन पर ऐसा हावी हुआ कि बाद में अपनी लगभग सभी फिल्मों में असित सेन उसी स्टाइल में ही डायलॉग्स बोलते दिखे।
एक वक्त वो आया जब असित सेन को फिक्र होने लगी थी कि उनसे एक ही तरह से डॉयलॉग्स लोग बुलवाते हैं। ऐसा ना हो कि कल को उन्हें फिल्मों में काम मिलना ही बंद हो जाए। लेकिन 1962 में आई फिल्म बीस साल बाद में असित सेन का वही स्टाइल इतना पसंद किया गया कि ये लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गए।
निजी जीवन
असित सेन जी की शादी मुकुल जी से हुई थी। इनके तीन बच्चे हुए थे। दो बेटे अभिजीत और सुजीत व बेटी रूपा। इनके दोनों बेटे फिल्म इंडस्ट्री से ही जुड़े हैं। हालांकि इनकी बेटी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली कि वो क्या करती हैं। साल 1993 में असित सेन जी की पत्नी काफी बीमार हो गई। और एक दिन उनकी मृत्यु हो गई।
असित सेन जी पर पत्नी की मौत का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। और कुछ महीनों बाद यानि 18 सितंबर 1993 को असित सेन जी का भी निधन हो गया। Meermut Manthan शानदार अदाकार Asit Sen जी को नमन करता है।
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