Rajnigandha Movie's Actress Vidya Sinha's Story | विद्या सिन्हा जी की बहुत ही दिलचस्प कहानी यहां जानिए

आज विस्तार से कहानी जानेंगे "रजनीगंधा" व "छोटी सी बात" जैसी फिल्मों की उस खूबसूरत हीरोइन के बारे में। ये वो खूबसूरत चेहरा हैं जो किसी वक्त पर युवाओं के दिलों की धड़कन हुआ करती थी। फिल्मों में जिनकी मासूमियत से कितने ही नौजवान लड़के उन्हें पसंद करने लगे थे। और जिनका नाम था Vidya Sinha. 

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Rajnigandha Movie's Actress Vidya Sinha's Story - Photo: Social Media

Vidya Sinha का जन्म हुआ था 15 नवंबर 1947 को मुंबई में। Vidya Sinha जी के Father Rana Pratap Singh एक Filmmaker थे। उन्होंने दो फिल्में प्रोड्यूस की थी। और उन दोनों ही फिल्मों में Dev-Suraiya हीरो-हीरोइन थे। उन फिल्मों के नाम थे Vidya व Jeet. वो दोनों ही फिल्में 1948 में रिलीज़ हुई थी।

विद्या जी के नाना मोहन सिन्हा भी एक वक्त के नामी फिल्म प्रोड्यूसर व डायरेक्टर थे। अपने करियर में उन्होंने 32 फिल्में डायरेक्ट की थी। ये विद्या जी के नाना मोहन सिन्हा जी ही थे जिन्होंने जीवन व मदन पुरी जैसे एक्टर्स को फिल्म इंडस्ट्री में लॉन्च किया था। 

नामी और खूबसूरत एक्ट्रेस मधुबाला को वो नाम मोहन सिन्हा जी ने ही दिया था। उससे पहले मधुबाला बेबी मुमताज़ नाम से एक मशहूर चाइल्ड एक्ट्रेस हुआ करती थी। और एज़ ए हीरोइन अपनी पहली फिल्म नील कमल में भी वो मुमताज़ नाम से ही आई थी। 

लेकिन मोहन सिन्ही जी ने उन्हें साल 1947 की अपनी फिल्म मेरे भगवान से मधुबाला नाम से लॉन्च किया था। मोहन सिन्हा जी ने ही भारत की पहली मल्टीस्टारर फिल्म श्रीकृष्ण अर्जुन युद्ध(1945) बनाई थी। विद्या सिन्हा जी के पिता और नाना नहीं चाहते थे कि ये फिल्मों में काम करें। बस इत्तेफाक ऐसा बना कि विद्या जी फिल्मों में आ गई। 

उन दिनों विद्या सिन्हा का परिवार सेंट्रल मुंबई के माटुंगा में रहता था। विद्या अपने पिता की इकलौती संतान थी। विद्या की मां का निधन उन्हें जन्म देने के दिन ही हो गया था। विद्या जी के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। दूसरी शादी से भी उनके बच्चे हुए थे। विद्या जी की परवरिश उनके नाना-नानी ने की थी। 

साल 1968 में विद्या सिन्हा मिस बॉम्बे बनी। उन्हें हालांकि ब्यूटी कॉन्टेस्ट्स वगैरह के बारे में कुछ भी नहीं पता था। लेकिन उनकी मौसी ने उन्हें ज़िद करके मिस बॉम्बे कॉम्पिटीशन में पार्टिसिपेट कराया। और किस्मत से विद्या सिन्हा उस कॉम्पिटिशन की विजेता बन गई। 

मिस बॉम्बे बनने के बाद विद्या जी के पास मॉडलिंग के ऑफर्स आने लगे। उस ज़माने में प्रिंट मॉडलिंग का चलन ज़्यादा था। विद्या जी ने कॉलगेट, खटाऊ फैब्रिक्स, लिप्टन चाय जैसे अनेकों ब्रांड्स के लिए मॉडलिंग की थी। 

विद्या जी 19 साल की थी जब उन्होंने वर्नकटेश्वर अय्यर नामक एक तमिलियन ब्राह्मण के साथ शादी कर ली थी। वो एक लव मैरिज थी। दोनों बचपन से एक-दूजे को जानते थे। दोनों के घर भी आस-पड़ोस में ही थे। 

विद्याजी जब मॉडलिंग कर रही थी तब बसु चटर्जी की नज़र इनकी एक तस्वीर पर पड़ी थी। उन्हें विद्या जी बहुत पसंद आई। और उन्होंने विद्या जी को रजनीगंधा फिल्म में काम करने का ऑफर दिया। 

चूंकि विद्या जी शादीशुदा थी तो उनका परिवार नहीं चाहता था कि वो फिल्मों में काम करें। विद्या जी फिल्मों में काम करना चाहती थी। इसलिए उन्होंने अपने पति से कहा कि अगर आपने मुझे फिल्मों में काम करने की इजाज़त नहीं दी तो मैं घर छोड़ दूंगी। 

हारकर इनके पति ने इन्हें रजनीगंधा फिल्म में काम करने की छूट दे दी। विद्या जी की दूसरी फिल्म थी राजा काका। लेकिन वो फिल्म इन्होंने रजनीगंधा से पहले साइन की थी। मगर प्रोडक्शन में हुई देरी की वजह से रजनीगंधा विद्या सिन्हा की पहली फिल्म बन गई। 

बाद में विद्या सिन्हा जी ने बसु चटर्जी साहब के साथ कुछ और फिल्मों में भी काम किया जैसे छोटी सी बात, तुम्हारे लिए इत्यादि। उनकी कुछ फिल्मों में विद्या जी ने गेस्ट भूमिकाएं भी निभाई थी। 

एक इंटरव्यू में विद्या जी ने बताया था कि पहली फिल्म में काम करने के दौरान उन्हें फिल्मों, एक्टिंग, कैमरा, लाइटिंग्स वगैरह के बारे में कुछ नहीं पता था। उन्हें पूरी ट्रेनिंग बसु चटर्जी साहब ने दी थी। विद्या जी ने कहा था कि बसु चटर्जी ही उनके मेंटोर थे।

रजनीगंधा की शूटिंग के दौरान बसु चटर्जी विद्या जी को इतनी अच्छी तरह से सीन नैरेट करते थे कि विद्या जी को बड़ी आसानी से समझ में आ जाता था कि उन्हें क्या करना है। 

रजनीगंधा का कुल बजट था महज़ दो लाख रुपए। और विद्या सिन्हा जी को उस फिल्म में काम करने की फीस मिली थी दस हज़ार रुपए। विद्या जी ने कहा था कि फिल्मों में काम करने का उनका फैसला एकदम सही था। क्योंकि ये वो काम था जो उन्होंने बिना किसी परेशानी के कर लिया था।

रजनीगंधा में विद्या जी के अपोज़िट अमोल पालेकर जी थे। उस वक्त अमोल पालेकर जी भी नए-नए ही थे। उनकी दो फिल्में ही रिलीज़ हुई थी तब तक। इसलिए विद्या जी को उनके साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं हुई। 

विद्या जी ने एक दफा कहा था कि अमोल पालेकर कोई स्टार नहीं थे तो उनके साथ काम करने में बड़ी आसानी हुई थी। अमोल पालेकर की भाषा में तब मराठी टच था। बसु चटर्जी ने कड़ी मेहनत से उनके हिंदी डिक्शन को सही कराया था।

विद्या जी ने उस इंटरव्यू में ये भी बताया था कि राज कपूर ने उन्हें भी सत्यम शिवम सुंदरम फिल्म ऑफर की थी। लेकिन तब वो उतने बोल्ड विषय वाली फिल्म में काम करने को तैयार नहीं थी। जैसे कपड़े राज कपूर ने बताए थे उन्हें पहनना विद्या जी के लिए तब नामुमिकन था। 

राज कपूर की विद्या जी के नाना मोहन सिन्हा से बहुत अच्छी जान-पहचान थी। राज कपूर ने मोहन सिन्हा जी की फिल्म दिल की रानी(1947) में काम भी किया था। और सिर्फ राज कपूर ही नहीं, उनके पिता पृथ्वीराज कपूर भी विद्या सिन्हा के नाना मोहन सिन्हा के साथ श्रीकृष्ण अर्जुन युद्ध फिल्म में काम कर चुके थे। 

बकौल विद्या सिन्हा,"राज कपूर के साथ काम करने की ख्वाहिश तो हर एक्ट्रेस की होती थी। मैं भी राज कपूर की फिल्म में काम करना चाहती थी। दिल के किसी कोने में मुझे अफसोस भी था कि मैंने क्यों सत्यम शिवम सुंदरम फिल्म में काम करने से इन्कार कर दिया था। 

लेकिन फिर मैं ये भी सोचती थी कि उस तरह के कपड़े कैमरे के सामने पहनना भी तो मेरे लिए मुमकिन नहीं था। तो मैं और कर भी क्या सकती थी। अच्छा ही हुआ मैंने उस फिल्म में काम नहीं किया।"

विद्या सिन्हा का एक ख्वाब दिलीप कुमार के साथ काम करना भी था। लेकिन वो ख्वाब भी कभी पूरा नहीं हो पाया। हालांकि एक वक्त ऐसा आया था जब विद्या जी को लगा था कि दिलीप साहब के साथ काम करने का उनका ख्वाब पूरा हो जाएगा। मशहूर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर नासिर हुसैन ने एक फिल्म अनाउंस की थी जिसमें उन्होंने विद्या सिन्हा व दिलीप कुमार को कास्ट करने की बात कही थी। लेकिन वो फिल्म कभी नहीं बन पाई। और विद्या जी का ख्वाब अधूरा रह गया।

विद्या जी ने बहुत अधिक फिल्मों में काम नहीं किया। इस बारे में विद्या जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने इसलिए बहुत कम फिल्मों में काम नहीं किया क्योंकि वो कोई चूज़ी एक्ट्रेस हैं। 

बल्कि इसलिए वो बहुत कम फिल्मों में दिख सकी क्योंकि वो फिल्मों को सीरियसली नहीं लेती थी। उन्हें बहुत ज़्यादा पैसा कमाने की हवस नहीं थी। 

वो बस अपने फिल्मों को एंजॉय करने के लिए काम करती थी। अपने करियर में विद्या सिन्हा जी ने तकरीबन 50 फिल्मों में ही काम किया था।

विद्या जी को अपनी जो फिल्में सबसे अधिक पसंद थी वो थी पति-पत्नी और वो, तुम्हारे लिए व छोटी सी बात। साथ ही अपनी पहली फिल्म रजनीगंधा भी उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। 

हालांकि रजनीगंधा और छोटी सी बात में से किसी एक को चुनने का सवाल होता था तो वो छोटी सी बात को चुनती थी। विद्या जी के एक और फेवरिट एक्टर थे संजीव कुमार। विद्या जी उनकी पर्सनैलिटी व उनकी एक्टिंग की कायल थी। 

विद्या जी ने एक दफा बताया था कि अपने बचपन में उन्होंने संजीव कुमार की कोई फिल्म देखी थी। वो कोई स्टंट फिल्म थी। उन्हें उस फिल्म का नाम याद नहीं। संजीव कुमार तब इंडस्ट्री में एकदन नए थे। संजीव कुमार तब उन्हें बहुत पसंद आए थे। 

जब विद्या जी ने फिल्मों में काम शुरू किया था तब उनकी ख्वाहिश थी कि वो संजीव कुमार जी के साथ किसी फिल्म में काम करें। उनकी वो ख्वाहिश पूरी भी हुई। संजीव कुमार के साथ उन्होंने काम किया।

विद्या सिन्हा को कई फिल्मों में विद्या सिन्हा जी के साथ काम करने का मौका मिला था जैसे पति पत्नी और वो, बिजली, तुम्हारे लिए, मुक्ति एंव स्वंयवर। संजीव कुमार जी के बारे में विद्या सिन्हा जी ने कहा था कि संजीव कुमार बहुत सीधे-सादे, सामान्य इंसान थे। 

उन्होंने कभी किसी स्टार की तरह बर्ताव उनके साथ नहीं किया। कभी कोई शो-ऑफ नहीं किया। हमेशा बहुत प्यार से बात करते थे। खूब हंसाते थे। उनके साथ वक्त बिताना मज़ेदार होता था। वो बहुत ब्रिलिएंट इंसान और एक्टर भी थे। 

विद्या जी करियर के शिखर पर थी जब उन्होंने फिल्में छोड़ने का फैसला किया। जबकी उनका करियर अच्छा चल रहा था। विद्या जी ने बताया था कि उन्हें लगा कि जैसे अब काफी काम वो फिल्मों में कर चुकी हैं। अब उन्हें ब्रेक लेना चाहिए। और 1982 के बाद उन्होंने फिल्में साइन करना बंद कर दिया। 

उन्होंने टीवी शो निर्माण में उतरने का फैसला किया। दूरदर्शन के लिए उन्होंने सिंहासन बतीसी व दरार नामक दो सीरियल्स प्रोड्यूस किए। एक मराठी व एक गुजराती फिल्म भी प्रोड्यूस की। और उन दोनों ही फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया। 

विद्या जी ने एक बेटी गोद ली थी जिसका नाम उन्होंने जाह्नवी रखा था। बेटी को गोद लेने के बाद विद्या सिन्हा ने खुद को पूरी तरह से फिल्मों वो टीवी शोज़ से दूर कर लिया। 

हालांकि जब विद्या जी की बेटी थोड़ी बड़ी हुई और पांचवी क्लास में आ गई तो उन्होंने एक दफा फिर से फिल्म इंडस्ट्री में वापसी की कोशिश की। लेकिन तब तक फिल्म इंडस्ट्री के दरवाज़े उनके लिए बंद हो चुके थे। इसलिए उन्होंने टीवी शोज़ में काम करना शुरू कर दिया। 

विद्या जी ने तमन्ना, काव्यांजलि, ज़ारा, नीम नीम शहद शहद, हार जीत, कबूल है, ज़िंदगी विन्स, इश्क का रंग सफेद, चंद्र नंदिनी और कुल्फी कुमार बाजेवाला नामक टीवी शोज़ में काम किया। और अधिकतर टीवी शोज़ में वो दादी-नानी के किरदारों में नज़र आती थी।

विद्या सिन्हा जी के निजी जीवन की बात करें तो ये तो हम जान ही चुके हैं कि उनकी पहली शादी एक लव मैरिज थी। लेकिन उनके पहले पति की साल 1996 में लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई थी। 

पति की मृत्यु के बाद विद्या जी बेटी को साथ लेकर ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हो गई थी। वहां उनकी मुलाकात एक ऑस्ट्रेलियन डॉक्टर से हुई। उनसे विद्या जी को इश्क हुआ और आखिरकार उन्होंने उस ऑस्ट्रेलियन डॉक्टर से दूसरी शादी कर ली। 

वो डॉक्टर भले ही ऑस्ट्रेलिया के नागरिक थे। लेकिन थे वो भारतवंशी ही। उनका नाम था भीमराव सालुंके। शुरुआत के कुछ सालों तक तो सबकुछ ठीक रहा। लेकिन 2009 में विद्या सिन्हा ने उस डॉक्टर से तलाक लेने के लिए अदालत में अर्ज़ी दी। 

विद्या जी ने अपनी शिकायत में कहा था कि उनके पति डॉक्टर सालुंके उनके साथ मार-पिटाई करते हैं। साथ ही मानसिक प्रताड़ना भी देते हैं। कुछ महीनों तक चले मुकदमे के बाद विद्या सिन्हा को तलाक मिल गया। 

15 अगस्त साल 2019 में विद्या सिन्हा जी 71 साल की उम्र में ये दुनिया छोड़कर चली गई थी। विद्या सिन्हा जी भले ही अब इस दुनिया में ना हों। लेकिन उनकी फिल्में हमेशा रहेंगी। और उन फिल्मों में कैद उनकी मुस्कुराहट भी हमेशा रहेगी। किस्सा टीवी विद्या सिन्हा जी को नमन करता है। शत शत नमन। 

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