Laxmikant Berde | भुला दिया गया एक Comedian जिसकी फिल्मों के बिना 90s अधूरा माना जाएगा | Biography
बात जब साफ-सुथरी कॉमेडी करने वालों की होती है तो इनका ज़िक्र भी आता ही आता है। अपने टैलेंट से लक्ष्मीकांत बेर्डे फिल्मों में कॉमेडी को बिल्कुल ही अलग स्तर पर ले गए थे।
एक दौर था जब सलमान खान की हर फिल्म में इनके लिए अलग से किरदार गढ़े जाते थे। आज ये हमारे बीच भले ही नहीं हों, लेकिन इनके चाहने वाले हमेशा उतनी ही शिद्दत से चाहते हैं जितना इनके ज़िंदा रहने पर चाहते थे।
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Biography of Comedian Laxmikant Berde - Photo: Social Media |
आज हम और आप नब्बे के दशक के बेहद मशहूर और बेहद लोकप्रिय Comedian Laxmikant Berde की ज़िंदगी की कहानी जानेंगे। Laxmikant Berde का जन्म 26 अक्टूबर 1954 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। बचपन से ही इन्हें फिल्में देखने का शौक लग गया और फिल्में देखकर ये भी एक्टरों की नकल करने लगे।
Laxmikant Berde जब बड़े हुए तो इनका परिवार मुंबई में शिफ्ट हो गए। परिवार बड़ा था और पिता एक छोटी सी नौकरी करने वाले इंसान, सो छोटी उम्र से ही लक्ष्मीकांत बेर्डे ने काम करना शुरू कर दिया।
इन्होंने लॉटरी टिकट्स बेचना शुरू कर दिया। इसी दौरान अपने इलाके में होने वाले गणेशोत्सव में ये शौकिया तौर पर स्टेज ड्रामा में हिस्सा लेने लगे। इसका असर ये हुआ, कि बचपन से इनके दिल में छिपी एक्टर बनने की ख्वाहिश फिर से ज़ोर मारने लगी।
पढ़ाई के दौरान स्कूल में भी ये नाटकों में हिस्सा लेने लगे और वहां इन्हें इनकी एक्टिंग के लिए अवॉर्ड्स भी दिए गए। बस फिर क्या था, लक्ष्मीकांत बेर्डे ने तय कर लिया कि अब तो वो हर हाल में एक्टर ही बनेंगे।
एक्टर बनने के अपने इस सपने को पूरा करने के लिए Laxmikant Berde ने मराठी साहित्य संघ नाम की एक प्रोडक्शन कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया। इसी कंपनी में नौकरी के दौरान Laxmikant Berde ने कुछ नाटकों में साइड रोल करने शुरू कर दिए।
लक्ष्मीकांत बेर्डे को पहली सफलता मिली मराठी नाटक टुर टुर से। इस नाटक में लक्ष्मीकांत को पहली दफा कोई बड़ा रोल मिला था और अपने पहले ही रोल में लक्ष्मीकांत बेर्डे ने धमाका कर दिया था।
दर्शकों को इनका ये किरदार बेहद पसंद आया था। इसी नाटक के बाद लक्ष्मीकांत बेर्डे को कुछ मराठी फिल्मों में काम करने का मौका मिला। लेकिन फिल्मों में पहली दफा लक्ष्मीकांत को सफलता मिली 1985 में रिलीज़ हुई फिल्म धूम-धड़ाका से।
इस फिल्म ने तो मानो लक्ष्मीकांत बेर्डे की किस्मत ही बदलकर रख दी। लक्ष्मीकांत की कॉमिक टाइमिंग को लोगों ने बहुत पसंद किया।
इसके अगले ही साल लक्ष्मीकांत बेर्डे की एक और फिल्म आई जिसका नाम था दे दना दन। ये फिल्म भी मराठी फिल्म थी और इस फिल्म ने भी ज़बरदस्त सफलता हासिल की थी। एक बार फिर लक्ष्मीकांत ने लाखों सिनेप्रेमियों को अपना फैन बना लिया।
लक्ष्मीकांत अब स्टार बन चुके थे। उनके पास ना तो काम की कोई कमी थी। और ना ही दौलत और शोहरत की कोई कमी थी। महाराष्ट्र में लोग इन्हें प्यार से लक्ष्या कहकर पुकारने लगे थे। मराठी फिल्मों में धूम जमाने के बाद लक्ष्या यानि लक्ष्मीकांत बेर्डे ने रुख किया बॉलीवुड का।
और बॉलीवुड में इन्हें एंट्री मिली सलमान खान के साथ फिल्म मैंने प्यार किया से। इस फिल्म ने जहां सलमान खान को उस समय एक नया बॉलीवुड स्टार बनाया था तो लक्ष्मीकांत बेर्डे के रूप में बॉलीवुड को एक ऐसा कॉमेडियन भी मिल गया था जो दिखने में तो भोंदू सा था, लेकिन उसकी हर बात पर हंसी आती थी।
सलमान के साथ लक्ष्मीकांत बेर्डे ने और भी कई फिल्मों में काम किया। फिल्म हम आपके हैं कौन में लक्ष्मीकांत बेर्डे ने नौकर के अपने किरदार को इस तरह से जिया कि एक बड़ी स्टारकास्ट वाली इस फिल्म में भी लक्ष्मीकांत अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रहे। इसके बाद कई हिंदी फिल्मों में लक्ष्मीकांत ने नौकर का किरदार निभाया था। जैसे साजन, अनाड़ी और बेटा।
अगर आपने बेटा और अनाड़ी फिल्म देखी होगी तो आप भी इस बात से इन्कार नहीं कर पाएंगे कि अगर लक्ष्मीकांत बेर्डे की जगह उन किरदारों में कोई और कलाकार होता तो शायद हमें वो शानदार अदायगी देखने को ना मिल पाती।
बात अगर लक्ष्मीकांत बेर्डे की निजी ज़िंदगी के बारे में करें तो इन्होंने दो शादियां की थी। इनकी पहली पत्नी थी एक्ट्रेस रूही बेर्डे। लेकिन उनसे इनकी शादी चल नहीं पाई और साल 1995 में इनका और रूही बेर्डे का तलाक हो गया। इसके कुछ सालों बाद लक्ष्मीकांत बेर्डे ने एक्ट्रेस प्रिया अरुण से शादी कर ली।
प्रिया अरुण वही एक्ट्रेस हैं जिन्होंने इनके साथ हम आपके हैं कौन और बेटा फिल्म में नौकरानी की भूमिका निभाई थी। प्रिया अरुण से इनके दो बच्चे हैं।
बेटा अभिनय बेर्डे, और बेटी स्वानंदी बेर्डे। इनका बेटा अभिनय बेर्डे भी इनकी तरह ही मराठी फिल्मों में एक्टर है। और बेटी इनकी बेटी स्वानंदी भी फिल्मी पर्दे पर दस्तक देने की तैयारी कर रही हैं।
लक्ष्मीकांत बेर्डे की ज़िंदगी की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। एक मामूली से घर के बच्चे ने अपनी प्रतिभा के दम पर खुद की अलग पहचान बनाई और लोगों के दिलों में जगह भी बनाई। लेकिन कहते हैं ना, कि हर कहानी का एक अंत होता है। लक्ष्मीकांत बेर्डे की इस कहानी का भी अंत आ ही गया।
16 दिसंबर 2004. किडनी की बीमारी से लड़ रहे लक्ष्मीकांत के शरीर ने आखिरकार हार मान ली। और लक्ष्मीकांत इस दुनिया से हमेशा-हमेशा के लिए रुखसत हो गए।
लक्ष्मीकांत जी को इस दुनिया से गए हुए कई साल हो चुके हैं। ऐसा लगता है, जैसे उन्होंने उदास चेहरों पर मुस्कुराहट लाकर इस दुनिया पर जो अहसान किया था ये अहसान फरामोश दुनिया उसे अब कभी याद नहीं करेगी।
लेकिन मेरठ मंथन को यकीन है कि उसके दर्शकों के ज़ेहन में आज भी लक्ष्मीकांत जी की याद ज़रूर ज़िंदा होगी। चाहे धुंधली सी ही सही। चाहे मुरझाई हुई सी सही। Meerut Manthan Laxmikant Berde जी को नमन करता है। शत शत नमन।
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