Actor Roopesh Kumar | मुमताज़ के भाई लगते थे रूपेश कुमार | अवॉर्ड फंक्शन में जिनकी जान चली गई थी | Biography

1995 का Filmfare Awards Function चल रहा था। फिल्म इंडस्ट्री की तमाम बड़ी हस्तियां उस फंक्शन में शिरकत करने आई थी। 

सुनील दत्त साहब को दर्शक दीर्घा में सबसे आगे की सीट पर बैठाया गया था। उनके बराबर में दो सीट रिज़र्व की गई थी। दत्त साहब के बाएं तरफ़ राजेंद्र कुमार जी बैठे थे। और दाहिनी तरफ़ बैठे थे Roopesh Kumar. 

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Actor Roopesh Kumar Biography - Photo: Social Media

वो फंक्शन बहुत बढ़िया चल रहा था। सभी की तरह Roopesh Kumar भी प्रोग्राम को मज़े से एंजॉय कर रहे थे। मगर अचानक वो कुछ बेचैनी महसूस करने लगे। Roopesh Kumar को चेस्ट पेन होने लगा। सुनील दत्त से जब उन्होंने अपनी दिक्कत बताई तो दत्त साहब भी घबरा गए। 

दत्त साहब व राजेंद्र कुमार जी ने फौरन रूपेश कुमार जी को नज़दीकी अस्पताल में पहुंचाया। मगर इलाज शुरू हो पाता उससे पहले ही रूपेश कुमार जी को हार्ट अटैक आ गया। 

और उनकी मृत्यु हो गई। जबकी उस वक्त उनकी उम्र मात्र 49 साल ही थी। वो तारीख़ थी 29 जनवरी 1995. 

रूपेश कुमार जी का जन्म हुआ था 16 जनवरी 1946 को पुणे में। इनका असल नाम था अब्बास फराशाही। 

रूपेश नाम उन्हें दिया था एक वक्त के नामी फ़िल्मकार और महेश भट्ट के पिता नानाभाई भट्ट ने। अब्बास उर्फ़ रूपेश कुमार के पिता अली असग़र फराशाही का पुणे में एक बड़ा सा और शानदार सा रेस्टोरेंट था। 

Roopesh Kumar की मां मरियम एक हाउस वाइफ़ थी। Roopesh Kumar के तीन भाई और तीन बहनें भी थी। Beautiful Actress Mumtaz Roopesh Kumar की रिश्तेदार थी। वो रूपेश कुमार की कज़िन लगती थी। 

अब्बास उर्फ रूपेश जी का मन पढ़ाई-लिखाई में कभी नहीं लगा। नौंवी तक की पढ़ाई करने के बाद वो अपने पिता के रेस्टोरेंट में काम करने लगे। फिल्में उन्हें हमेशा से पसंद थी। 

और एक्टर बनने का ख्वाब भी वो बचपन से ही देखा करते थे। मगर जब उन्होंने पिता से मुंबई जाकर एक्टर बनने की परमिशन मांगी तो पिता ने साफ़ इन्कार कर दिया। 

तब रूपेश कुमार ने अपनी मां से बात की । चूंकि रूपेश अपनी मां के बड़े लाडले थे तो मां ने इन्हें कुछ पैसे दिए और मुंबई जाने की इजाज़त दे दी। .

मां ने पिता को भी मना लिया। मां की दुआएं साथ लेकर रूपेश मुंबई आ गए और फिल्मों में काम पाने के लिए संघर्ष करने लगे।

इनका संघर्ष भी काफ़ी कड़ा रहा। घर से जो पैसे ये लेकर आए ते वो कुछ दिनों बाद ख़त्म हो गए। फ़िर बड़ी मुश्किल से रूपेश को एक रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी मिल गई। उस नौकरी से मुंबई में खाने-पीने और रहने का रूपेश का ठिकाना हो गया। 

हालांकि मन के किसी कोने में उन्हें ये अफ़सोस भी होता था कि कहां तो वो पुणे के एक शानदार रेस्टोरेंट के मालिक थे। और कहां मुंबई में वेटर की नौकरी करने को मजबूर हैं। 

ख़ैर, उस नौकरी से मिलने वाले फ्री टाइम में रूपेश कुमार फिल्म इंडस्ट्री के बड़े लोगों के दफ़्तरों के चक्कर लगाया करते थे। ताकि कोई उन्हें फिल्मों में कोई रोल निभाने का मौका दे दे। 

Roopesh Kumar की मेहनत रंग लाई। 1965 की फ़िल्म टार्जन एंड किंग कॉन्ग में रूपेश कुमार को पहला ब्रेक मिला। और फिर तो रूपेश कुमार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखते ही देखते Roopesh Kumar फिल्मों का नामी चेहरा बन गए। 

मगर वो हीरो नहीं बन सके। विलेन बने। और बढ़िया विलेन बने। एक ऐसा विलेन जो बुरे काम करने के अलावा फिल्मों में थोड़ी-बहुत कॉमेडी करते हुए भी दिखाई देता था। 

अपने करियर में रूपेश कुमार जी ने सपनों का सौदागर, आदमी और इंसान, जीवन मृत्यु, प्रीत की डोरी, कल आज और कल, अंदाज़, रामपुर का लक्ष्मण, सीता और गीता व कई और फिल्मों में काम किया। 

रूपेश कुमार हीरो तो ना बन सके। लेकिन एक फिल्म में वो हीरो के तौर पर काम ज़रूर कर चुके थे। वो फिल्म थी 1973 की प्रभात। 

इस फिल्म में रूपेश की हीरोइन थी एक्ट्रेस नरगिस की भतीजी ज़ाहिदा। पर चूंकि ये फिल्म फ्लॉप हो गई तो एज़ ए हीरो रूपेश कुमार का करियर भी यहीं खत्म हो गया। 

पर चूंकि निगेटिव किरदारों में उन्हें काफ़ी पसंद किया जा रहा था तो उन्हें इस बात का बहुत अफ़सोस नहीं हुआ कि वो कभी हीरो नहीं बन पाए। 

तीस साल लंबे अपने करियर में रूपेश कुमार जी ने कई फिल्मों में काम किया। काफ़ी पैसा कमाया। और फिर साल 1991 में उन्होंने एक फिल्म भी प्रोड्यूस की। 

रूपेश कुमार ही उस फिल्म के डायरेक्टर भी थे। उस फिल्म का नाम था हाय मेरी जान। फिल्म के हीरो-हीरोइन थे सुनील दत्त व हेमा मालिनी। 

रूपेश कुमार ने भी एक किरदार इस फिल्म में निभाया था। जबकी कुमार गौरव और आयशा झुल्का भी इस फिल्म में अहम किरदारों में दिखे थे। 

1993 में रूपेश कुमार जी ने मेरी आन नाम से एक और फिल्म बनाई। इस फिल्म के हीरो-हीरोइन थे अय्यूब खान और फरहीन। रूपेश जी इस फिल्म में भी कव्वाली होस्ट के छोटे से रोल में दिखे थे। 

जबकी एक्टर संजय दत्त ने इस फिल्म में एक गेस्ट अपीयरेंस दिया था। बतौर एक्टर रूपेश कुमार जी की आखिरी फिल्म थी 1995 की पापी देवता।

रूपेश कुमार की निजी ज़िंदगी पर नज़र डालें तो पता चलता है कि इनकी पत्नी का नाम था मज़िया। 1974 में मज़िया संग अब्बास उर्फ़ रूपेश कुमार जी की शादी हुई थी। 

ये शादी उनके माता-पिता की पसंद से हुई थी। रूपेश कुमार जी की तीन बेटियां हुई थी। इनकी एक बेटी का नाम है मुमताज़। और मुमताज़ ने दिलीप कुमार के सगे भतीजे ज़ाहिद से शादी की है। इस तरह रूपेश कुमार दिलीप कुमार के समधी भी हुए। 

रूपेश कुमार जी को इस दुनिया से गए अब कई साल हो चुके हैं। लेकिन उनकी फ़िल्में आज भी उन्हें सिनेमा के शौकीनों के ज़ेहन और दिल में ज़िंदा रखती हैं। Roopesh Kumar जी को Meerut Manthan का नमन।

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