Biography of Actress Anita Guha | फिल्म जय संतोषी मां में संतोषी माता का किरदार निभाने वाली अनिता गुहा की अनसुनी कहानी

आज बात करेंगे साल 1975 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म जय संतोषी मां में संतोषी मां का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री अनिता गुहा जी के बारे में। अनिता गुहा जी की कहानी जानने लायक है। चलिए शुरुआत करते हैं अनिता गुहा जी की कहानी की। वो भी एकदम शुरुआत से।

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Biography of Actress Anita Guha - Photo: Social Media

Anita Guha का जन्म हुआ था 17 जनवरी 1939 को। इंटरनेट पर बहुत जगह बताया जाता है कि अनिता गुहा का जन्म 1932 में हुआ था। लेकिन वो गलत है। चूंकि अनिता जी के पिता ब्रिटिश राज में वन अधिकारी थे तो उनका अधिकतर समय पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में ही गुज़रता था।

अनिता गुहा का जन्म भी बर्मा के पास के जंगलों में मौजूद एक गांव में हुआ था। जबकी इनका बचपन दार्जिलिंग और सुंदरवन के इलाकों में गुज़रा था। तीन भाई-बहनों में अनिता जी सबसे छोटी थी। अनिता जी से बड़े इनके भाई और फिर एक बहन थी।

भारत का बंटवारा हुआ तो अनिता जी के पिता कलकत्ता में बस गए। वहीं पर अनिता जी की स्कूलिंग कंप्लीट हुई। साल 1950 के दशक की शुरुआत में अनिता गुहा जी ने मिस कलकत्ता का खिताब हासिल किया था। 

जब साल 1952 में बॉम्बे के कारदार स्टूडियोज़ और हॉलीवुड के ली कैमरिन ने साथ मिलकर कारदार-कॉलिनोज़ टैलेंट कॉम्पिटीशन का आयोजन करने की घोषणा की तो अनिता जी भी उसमें हिस्सा लेने के लिए बॉम्बे आई। 

अनिता गुहा जी कहती हैं कि उन्होंने कारदार-कॉलिनोज़ कॉम्पिटिशन के सभी राऊंड्स में प्रथम स्थान हासिल किया था। लेकिन यहां एक कन्फ्यूज़न है। दरअसल, अभिनेत्री पीस कंवल दावा करती हैं कि उस कॉम्पिटीशन की विजेता वो थी। 

जबकी अनिता गुहा कहती थी कि विजेता की ट्रॉफी उन्हें मिली थी। और चूंकी अब उस वक्त का कोई दूसरा शख्स मौजूद नहीं है तो किसका दावा सही है ये कहना मुश्किल है। बहरहाल, हम इस कहानी को अनिता गुहा जी के कहे अनुसार ही आगे बढ़ाते हैं। 

एक इंटरव्यू में अनिता गुहा जी ने कहा था कि कारदार स्टूडियोज़ ने 300 रुपए प्रतिमाह पर दो साल का कॉन्ट्रैक्ट उनके साथ किया था। लेकिन दिक्कत ये थी कि अनिता जी को हिंदी नहीं आती थी। कारदार स्टूडियोज़ ने शर्त रख दी थी कि इन्हें छह महीने में हिंदी सीखनी होगी। 

कॉन्ट्रैक्ट साइन करके अनिता गुहा कलकत्ता वापस लौट आई। ये वही टैलेंट कॉम्पिटीशन था जिसमें चांद उस्मानी ने भी हिस्सा लिया था और इसके बाद वो भी फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाने में सफल रही थी। 

Anita Guha के मुताबिक बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री में जब ये खबर फैली कि वो बॉम्बे में कारदार-कॉलिनोज़ कॉम्पिटीशन जीतकर आई हैं तो वहां के फिल्म निर्माताओं में इन्हें साइन करने की होड़ मच गई। इसी दौरान Anita Guha के जीवन में एक दुखद घटना भी हो गई। इनके पिता का निधन हो गया। 

पिता का निधन होने के बाद इनकी मां ने इन्हें बॉम्बे भेजने से इन्कार कर दिया। नतीजा, कारदार स्टूडियोज़ के साथ बॉम्बे में जो कॉन्ट्रैक्ट ये साइन करके आई थी वो रद्द करना पड़ा।

अनिता गुहा जी ने बांग्ला फिल्मों में काम करने का फैसला किया। और साल 1953 में आई फिल्म बांशेर केल्ला अनिता जी की पहली फिल्म बनी। इस फिल्म में अनिता जी के हीरो थे अनूप कुमार। फिल्म ठीक-ठाक चली थी। हालांकि अनिता जी का मन बॉम्बे की फिल्मों में काम करने के लिए मचल रहा था। 

इत्तेफाक से इसी दौरान हिंदी फिल्मों के नामी अभिनेता व कॉमेडियन ओमप्रकाश जी अपनी किसी फिल्म की रिलीज़ के सिलसिले में कलकत्ता आए। उनकी मुलाकात अनिता गुहा से भी हुई। ओमप्रकाश जी अनिता गुहा की शख्सियत से बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने अनिता जी को अपनी अगली फिल्म 'दुनिया गोल है' के लिए साइन कर लिया। 

ओमप्रकाश चूंकि बहुत बड़ी हस्ती थे तो अनिता जी की मां ने इस दफा इनके बॉम्बे आने पर रोक नहीं लगाई। और यूं अनिता गुहा आ गई बॉम्बे। इस फिल्म में काम करते वक्त अनिता गुहा की उम्र मात्र 16 बरस थी। और फिल्म में उनके हीरो थे करण दीवान। इस फिल्म का निर्माण संगीतकार सी.रामचंद्र ने किया था। जबकी डायरेक्शन किया था खुद ओमप्रकाश जी ने। 

सी.रामचंद्र व ओमप्रकाश जी बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों मिलकर न्यू सई प्रोडक्शन्स नामक अपना एक बैनर चलाते थे। उसी बैनर के अंडर में ही 'दुनिया गोल है' फिल्म का निर्माण भी हुआ था। बॉम्बे फिल्म इंडस्ट्री में अनिता गुहा जी के पैर जमाने में ओमप्रकाश जी ने काफी मदद की थी। 

'दुनिया गोल है' साल 1955 में रिलीज़ हुई थी। इसी साल अनिता जी की एक और फिल्म आई थी जिसका नाम था 'तांगावाली'। इस फिल्म में शम्मी कपूर, निरूपा रॉय और बलराज साहनी जैसे दिग्गज कलाकार भी थे। एक इंटरव्यू में अनिता जी ने कहा था कि चूंकि उस ज़माने में वो बॉम्बे में एकदम नई थी तो उन्हें फिल्मी दुनिया के तौर-तरीकों की जानकारी नहीं थी। 

उम्र कम थी तो समझ भी कम थी। इसलिए अपने करियर को लेकर वो उस वक्त कोई ठोस योजना नहीं बना पाई। जो भी काम मिलता रहा वो करती चली गई। बड़ी फिल्मों में वो सह-कलाकार की भूमिका निभाती रही और बी-ग्रेड फिल्मों में हीरोइन बनती रही। 

इसका नतीजा ये हुआ कि ए-ग्रेड फिल्मों में अनिता गुहा जी को हीरोइन के किरदार नहीं मिले। वो बी-ग्रेड फिल्मों की हीरोइन बनकर ही रह गई। हां, ओमप्रकाश जी ने ज़रूर उन्हें अपनी कुछ फिल्मों में मुख्य हीरोइन की भूमिकाएं दी थी। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 

अनिता जी तब तक धार्मिक फिल्मों की हीरोइन के तौर पर टाइपकास्ट हो चुकी थी। और इसकी शुरुआत हुई थी साल 1957 से। नामी फिल्ममेकर होमी वाडिया, जो अब तक बसंत पिक्चर्स नाम से अपना एक अलग बैनर इस्टैब्लिश कर चुके थे, उन्होंने अपनी फिल्म पवनपुत्र हनुमान में अनिता गुहा जी को सीता का किरदार दिया था। 

यूं तो अनिता गुहा इस फिल्म को साइन करने में हिचकिचा रही थी। मगर सबके कहने पर उन्होंने ये फिल्म साइन कर ली। और ये फिल्म ज़बरदस्त हिट भी साबित हुई। फिर तो अनिता गुहा जी को पौराणिक फिल्मों के ढेर सारे ऑफर्स मिलने लगे। अनिता गुहा जी ने भी सम्पूर्ण रामायाण, श्री राम भरत मिलाप व शंकर सीता अनुसूया नामक सुपरहिट धार्मिक फिल्मों में काम किया। 

और इन फिल्मों में भी इन्होंने देवी सीता का किरदार ही निभाया था। साथ ही साथ सम्राट पृथ्वीराज चौहान, टीपू सुल्तान, संगीत सम्राट तानसेन, महारानी पद्मिनी व संत तुकाराम जैसी पीरियड ड्रामा फिल्मों में भी अनिता जी ने काम किया।

1961 में अनिता गुहा जी ने अभिनेता माणिक दत्त से शादी कर ली। माणिक दत्त जी ने भी कई फिल्मों में चरित्र किरदार निभाए थे। शादी के कुछ साल बाद अनिता गुहा जी ने खुद को फिल्मों से दूर कर लिया। और फिर लगभग चार साल बाद शक्ति सामंत की फिल्म अराधना से एक दफा फिर से बतौर चरित्र अभिनेत्री अनिता गुहा जी ने फिल्मों में वापसी की। 

फिर तो अनिता जी ने संबंध, शर्मिली, अनुराग, झूम उठा आकाश, नागिन, आनंद आश्रम, तुम्हारे लिए, फिफ्टी-फिफ्टी व कृष्णा-कृष्णा जैसी फिल्मों में काम किया। इनमें से कुछ फिल्मों में इनके पति माणिक दत्त ने भी काम किया था।

1975 में आई जय संतोषी मां अनिता गुहा जी की दूसरी पारी की सबसे कामयाब फिल्म साबित हुई। ये फिल्म आज भी भारत की सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जाती है। अनिता गुहा जी को फिल्म शारदा व गूंज उठी शहनाई के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड का नॉमिनेशन भी मिला। 

हालांकि खिताब ना मिल सका। 40 साल लंबे अपने करियर में अनिता गुहा जी ने बांग्ला, हिंदी, भोजपुरी व राजस्थानी भाषा की फिल्मों में काम किया। और 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। 1991 में आई लखपति अनिता गुहा जी की आखिरी फिल्म थी।

अभिनेत्री माला सिन्हा, स्मृति बिस्वास व बेला बोस जी से अनिता गुहा जी की बहुत अच्छी दोस्ती थी। जीवन के आखिरी सालों में इन सहेलियों ने अनिता गुहा जी का बड़ा साथ दिया था। और इनकी बड़ी बहन की बेटी व नामी अभिनेत्री रही प्रेमा नारायण भी हर कदम पर अनिता गुहा जी के साथ खड़ी रही। 

इनके पति माणिक दत्त की मृत्यु के बाद इन सभी ने कभी भी अनिता गुहा जी को अकेलेपन का अहसास नहीं होने दिया।  20 जून 2007 के दिन अनिता गुहा जी इस संसार से चली गई थी। Meerut Manthan Anita Guha जी को ससम्मान याद करते हुए उन्हें नमन करता है। 

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