Biography of Arun Kumar Ahuja Father of Govinda | गोविंदा के पिता व एक दौर के नामी अभिनेता अरुण कुमार आहूजा की कहानी

आज Arun Kumar Ahuja जी की बात करेंगे। आज की पीढ़ी तो इनसे वाकिफ़ नहीं होगी। मगर गोविंदा को सही से जानने-समझने वाले लोगों ने इनका नाम ज़रूर सुना होगा। 

हालांकि उन लोगों में से भी अधिकतर को Arun Kumar Ahuja जी गोविंदा के पिता के तौर पर ही याद होंगे। मगर अरुण कुमार आहूजा जी भी एक्टर थे। आज उन्हीं की करानी हम और आप 

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Biography of Arun Kumar Ahuja Father of Govinda - Photo: Social Media

17 जनवरी 1917 को गुजरांवाला में Arun Kumar Ahuja जी का जन्म हुआ था। माता-पिता ने इनका नाम रखा था गुलशन। यानि इनका वास्तविक नाम था गुलशन कुमार आहूजा। Arun Kumar Ahuja जी के पिता, यानि गोविंदा जी के दादा स्टेशन मास्टर हुआ करते थे।

अरुण जी पढ़ाई-लिखाई में बहुत अच्छे थे। यही वजह है कि उनके पिता ने उनका दाखिला लाहौर इंजीनियरिंग कॉलेज में कराया था। चूंकि अरुण जी को फुटबॉल बहुत पसंद था, और फुटबॉल के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे, तो फुटबॉल की वजह से ही अरुण कुमार आहूजा की मुलाकात महबूब खान से हुई।

दरअसल, एक दिन अरुण कुमार जी एक फुटबॉल मैच खेल रहे थे। महबूब खान को भी फुटबॉल बहुत पसंद था। इत्तेफाक से अरुण कुमार जी का वो मैच देखने महबूब खान भी आए हुए थे। उस मैच में अरुण जी ने बिना किसी को पास दिए एक गोल किया। महबूब खान अरुण कुमार जी से तब बड़े प्रभावित हुए। 

महबूब खान ने कहा कि इस लड़के को तो मैं हीरो बनाऊंगा। ये वो ज़माना था जब पंजाब के अधिकतर घरों में चलन था कि घर के बड़े बेटे को सरदार बनाया जाए। अरुण कुमार भी अपने घर में बड़े थे। तो उस समय उन्होंने भी केश हुए रखे थे। दाढ़ी भी रखी हुई थी।

मैच खत्म होने के बाद महबूब खान Arun Kumar Ahuja से मिले। उन्होंने Arun Kumar Ahuja को फिल्मों में काम करने का ऑफर दिया। महबूब खान ने अरुण कुमार जी को दो सौ रुपए महीना तनख्वाह देने का वादा किया। उस ज़माने में दो सौ रुपए तनख्वाह होना बहुत बड़ी बात थी।

खुद अरुण जी के पिता, जो कि स्टेशन मास्टर थे, उनकी तनख्वाह तब पैंतीस रुपए थी। इसलिए अरुण जी को जब दो सौर रुपए महीना कमाने का ऑफर मिला तो वो बड़े खुश हुए। उन्होंने सोचा कि अगर मैं दो सौ रुपए महीना कमाऊंगा तो पिता को रिटायरमेंट दिला दूंगा। और उनकी खूब सेवा करूंगा। 

आखिरकार अरुण कुमार आहूजा महबूब खान के बुलावे पर बॉम्बे आ गए। अरुण कुमार जी के पुत्र कीर्ति कुमार जी के मुताबिक, उस ज़माने में अरुण कुमार जी अपने साथ एक नौकर को भी लेकर आए थे। वो भी ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में। अरुण कुमार जी की पहली फिल्म थी 'एक ही रास्ता' जो साल 1939 में रिलीज़ हुई थी। और जिसे महबूब खान ने डायरेक्ट किया था व प्रोड्यूस किया था सागर मूवीटोन ने। 

अरुण जी इस फिल्म के हीरो थे। वो इस फिल्म में ट्रक क्लीनर बने थे। इस फिल्म में एक और एक्टर ने काम किया था। और उस एक्टर की भी ये पहली ही फिल्म थी। आगे चलकर वो एक्टर भी फिल्म इंडस्ट्री का बहुत बड़ा नाम बना था। उस एक्टर का नाम था शेख मुख्तार, जिसे महबूब खान दिल्ली से लाए थे। 

1940 में अरुण कुमार आहूजा महबूब खान की ही औरत फिल्म में नज़र आए थे। सरदार अख्तर इस फिल्म में अरुण जी की पत्नी बनी थी। बाद में सरदार अख्तर ने महबूब खान से शादी कर ली थी। ये वही औरत फिल्म है जिसे महबूब खान ने साल 1957 में मदर इंडिया नाम से दोबारा बनाया था। 

मदर इंडिया का भारतीय सिनेमा में क्या दर्जा है ये हम सभी जानते हैं। खैर, औरत में अरुण कुमार आहूजा जी ने वो किरदार निभाया था जो मदर इंडिया में राज कुमार जी ने जिया था। अरुण कुमार आहूजा जी ने लगभग 15 सालों तक फिल्मों में काम किया। करियर के आखिरी दौर में इन्होंने चरित्र किरदार भी निभाए। अपनी कई फिल्मों में अरुण जी ने गाने भी गाए थे। 

अरुण कुमार जी ने निर्मला जी से शादी की थी। निर्मला जी बहुत अच्छी शास्त्रीय गायिका थी। और वो एक्ट्रेस भी थी। निर्मला जी से अरुण कुमार जी की मुलाकात फिल्म सवेरा(1942) में काम करने के दौरान हुई थी। शूटिंग के दौरान दोनों को इश्क हुआ और 5 मई 1945 को दोनों ने शादी कर ली। 

अरुण जी से शादी करने के बाद निर्मला जी ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया। अरुण और निर्मला जी के पांच बच्चे हुए। तीन बेटियां व दो बेटे। इनके पुत्र गोविंदा भी एक वक्त पर फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार रह चुके हैं। जबकी बड़े पुत्र कीर्ति कुमार भी इक्का-दुक्का फिल्मों में एक्टिंग कर चुके हैं और फिल्म प्रोड्यूसर रह चुके हैं।

साल 1948 में अरुण कुमार जी ने फिल्म निर्माण करने का फैसला लिया। उन्होंने 'सहरा' फिल्म का निर्माण किया। इस फिल्म को बनाने में उन्होंने बहुत ज़्यादा पैसा खर्च कर दिया था। मगर ये फिल्म फ्लॉप हो गई। और अरुण कुमार जी को तगड़ा घाटा हुआ हुआ। वो कर्ज़दार हो गए। रिस्क लेकर अरुण कुमार जी ने 'जो है साजन' नाम से एक और फिल्म बनाई। मगर ये फिल्म रिलीज़ तक ना हो सकी। अरुण जी कर्ज़ के बोझ तले और ज़्यादा दब गए। 

उन्होंने फिर से एक्टिंग की तरफ वापसी की। ये सोचकर कि एक्टिंग करके पैसा कमाएंगे और कर्ज़ से छुटकारा पा लेंगे। मगर तब तक बहुत से नए और प्रतिभावान कलाकार फिल्म इंडस्ट्री में आ चुके थे। इसलिए अरुण कुमार जी को वैसा काम फिर नहीं मिल सका जैसा कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में किया था। 

उन्होंने कुछ फिल्मों में एक्टिंग तो की। मगर उन्हें अच्छे रोल ना मिल सके। और वो एक्टिंग में फिर से पैसे ना कमा सके। कर्ज़ के बोझ से काफी वक्त तक जूझने के बाद आखिरकार साल 1962 में अरुण जी ने बांद्रा में मौजूद अपनी सारी प्रॉपर्टी बेच दी और विरार में एक छोटी सी चॉल में शिफ्ट हो गए।

विरार की चॉल में आने के बाद अरुण कुमार आहूजा की तबियत खराब रहने लगी। परिवार चलाने के लिए उनकी पत्नी निर्मला जी ने फिर से गायकी शुरू की। संगीतकार ए.आर.कुरैशी ने उस वक्त निर्मला जी को स्टेज प्रोग्राम्स दिलाने में बड़ी मदद की थी। कलकत्ता में निर्मला जी ने तब खूब शोज़ किए। और निर्मला जी की दूसरी पारी बहुत अच्छी रही। देखते ही देखते निर्मला जी नामी ठुमरी गायिका बन गई। 

कहा जाता है कि जब अरुण कुमार आहूजा जी का छोटा बेटा गोविंदा भी फिल्मों में काम करने लगा तो अरुण जी का सारा परिवार विरार से जुहू शिफ्ट हो गया। लेकिन अरुण जी विरार में ही रहे। उन्होंने लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया। 

15 जून 1996 को निर्मला जी की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के दो साल बाद यानि 03 जुलाई 1998 को अरुण कुमार आहूजा जी का भी स्वर्गवास हो गया। Meerut Manthan Arun Kumar Ahuja & Nirmala Ahuja जी को ससम्मान याद करते हुए उनको नमन करता है। 

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