Manoj Kumar 10 Best Movies | मनोज कुमार जी की 10 बेहतरीन फ़िल्में जो हर सिनेप्रेमी को देखनी चाहिए
कुछ एक्टर्स अपने स्टाइल के लिए जाने जाते हैं। कुछ अपनी वर्सेटैलिटी के लिए मशहूर होते हैं। मनोज कुमार साहब मशहूर थे अपनी देशभक्ति के लिए। अपनी फ़िल्मों से मनोज कुमार जी ने भारत के लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना को खूब जाग्रत किया। और लोगों ने भी उन्हें भारत कुमार का खिताब दिया।
मनोज कुमार जी का जन्म एबटाबाद में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उनका रियल नेम था हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी। मगर विभाजन के बाद वो अपने परिवार सहित दिल्ली के एक रिफ्यूजी कैंप में आकर रहने लगे। दिलीप कुमार के फ़ैन वो शुरू से थे।
Manoj Kumar 10 Best Movies - Photo: Social Media
1949 में दिलीप साहब की एक फ़िल्म आई थी जिसका नाम था शबनम। उस फ़िल्म में दिलीप साहब के किरदार का नाम मनोज था। जब मनोज कुमार जी फ़िल्मों में आए तो अपने आयडल दिलीप कुमार के शबनम वाले किरदार के नाम से प्रेरित होकर उन्होंने अपना नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी से बदलकर मनोज कुमार रख लिया।
Manoj Kumar अब इस दुनिया में नहीं रहे। 4 अप्रैल 2025 को 87 साल की उम्र में Manoj Kumar जी का देहांत हो गया। मनोज कुमार जी को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी 10 चुनिंदा फ़िल्मों की बात करते हैं।
शहीद(1965)
ए. राम शर्मा द्वारा निर्देशित शहीद में मनोज कुमार जी ने शहीद भगत सिंह का किरदार निभाया था। शहीद भगत सिंह के किरदार को मनोज कुमार जी ने स्क्रीन पर जीवंत कर दिया था।
ये मनोज कुमार जी की शानदार अदाकारी का कमाल ही था कि लोग आज भी शहीद फ़िल्म के देशभक्ति गीतों को सुनना पसंद करते हैं।
वो कौन थी(1964)
राज खोसला की थ्रिलर फ़िल्म "वो कौन थी" में साधना जी के साथ मनोज कुमार की जोड़ी बहुत पसंद की गई थी। मनोज कुमार जी के अभिनय ने सबका दिल जीत लिया था।
मनोज कुमार जी इस फ़िल्म में एक डॉक्टर बने थे। एक दिन इस डॉक्टर को घनी काली रात की भरी बरसात में एक रहस्यमयी लड़की मिलती है। उस लड़की से मिलने के बाद डॉक्टर उसके रहस्य में उलझते चले जाते हैं।
हरियाली और रास्ता(1962)
विजय भट्ट द्वारा निर्देशित हरियाली और रास्ता फ़िल्म में मनोज कुमार जी के अपोज़िट माला सिन्हा नज़र आई थी। ये एक लव ट्राएंगल फ़िल्म थी जिसमें शशि कला जी ने भी बहुत अहम भूमिका निभाई थी।
शशि कला जी का किरदार निगेटिव शेड वाला था। शशि कला जी उस ज़माने में मशहूर ही वैंपिश किरदार निभाने के लिए थी। ये फ़िल्म मनोज कुमार जी की पहली सक्सेफ़ुल सोलो फ़िल्म थी।
हिमालय की गोद में(1965)
मनोज कुमार, माला सिन्हा व शशि कला जी का ट्रायो एक दफ़ा फिर से साथ दिखा "हिमालय की गोद में" नामक फ़िल्म में। ये फिल्म भी बहुत सफ़ल रही थी। इस फ़िल्म का गीत-संगीत बहुत कर्णप्रिय था।
संगीत भी इस फ़िल्म की सफ़लता का एक बड़ा कारण था। मनोज कुमार इस फ़िल्म में भी डॉक्टर बने थे। एक ऐसा डॉक्टर जिसे एक गांव की लड़की से इश्क हो जाता है। लेकिन एक शहर की डॉक्टर भी है जो उसे चाहती है।
उपकार(1967)
उपकार मनोज कुमार की जी टॉप बेस्ट फ़िल्मों में से एक है। उपकार ही वो पहली फ़िल्म भी थी जिससे एज़ ए डायरेक्टर मनोज कुमार जी ने अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू किया था।
धरतीपुत्र भारत के किरदार को मनोज कुमार जी ने बहुत खूबसूरती से जिया। इस फ़िल्म का गीत "मेरे देश की धरती सोना उगले" आज भी भारतवासियों के पसंदीदा देशभक्ति गीतों में से एक है।
वैसे उपकार वो फ़िल्म थी जो ना सिर्फ़ मनोज कुमार जी, बल्कि प्रेम चोपड़ा, आशा पारेख और प्राण साहब के करियर के लिए भी माइलस्टोन साबित हुई थी।
पूरब और पश्चिम(1970)
भारतीय समाज पर हावी होते जा रहे पश्चिमीकरण को केंद्र में रखते हुए मनोज कुमार जी ने बहुत शालीनता से भारत के सांस्कृतिक मूल्यों की तुलना में पश्चिमी सिविलाइज़ेशन के भौतिककावाद की आलोचना इस फ़िल्म के ज़रिए की थी।
पूरब और पश्चिम। मनोज कुमार जी की टॉप बेस्ट फ़िल्मों में से एक। देशभक्ति फ़िल्मों की कतार में भी पूरब और पश्चिम शीर्ष फ़िल्मों में शुमार की जाती है।
गुमनाम(1965)
मनोज कुमार जी की फ़िल्मोग्राफ़ी की एक और शानदार फ़िल्म है गुमनाम। हालांकि इस फ़िल्म में महमूद साहब का किरदार भी बहुत अहम है। लेकिन हीरो के किरदार में मनोज कुमार जी ने बहुत बेहतरीन अभिनय किया था।
वैसे, कहा जाता है कि इस फ़िल्म में काम करने के दौरान मनोज कुमार जी व महमूद साहब के बीच कुछ टेंशन भी हो गई थी।
मेरा नाम जोकर(1970)
वैसे तो मेरा नाम जोकर फ़िल्म में राज कपूर केंद्रीय भूमिका में थे। लेकिन छोटे से एक रोल में मनोज कुमार जी बहुत प्रभावशाली लगे हैं।
नन्हे राजू की टीचर मैरी के फियॉन्से के किरदार को मनोज कुमार ने बहुत तल्लीनता से निभाया था। जो कि उनकी परफॉर्मेंस में दिखाई भी देता है।
रोटी कपड़ा और मकान(1974)
देशभक्ति फ़िल्मों के अलावा मनोज कुमार जी सामाजिक फ़िल्में भी बहुत लगन से बनाते थे।
रोटी कपड़ा और मकान फ़िल्म इस बात का बहुत बढ़िया उदाहरण है कि मनोज कुमार जी जिस विषय पर फ़िल्म बनाते थे उस पर कितनी मजबूत पकड़ उनकी होती थी।
इस फ़िल्म के लिए मनोज कुमार जी को फ़िल्मफ़ेयर वालों ने बेस्ट डायरेक्टर अवॉर्ड दिया था।
क्रांति(1981)
जब मनोज कुमार जी पूरब और पश्चिम फ़िल्म के लिए सायरा बानो जी को साइन करने उनके घर गए थे तो दिलीप साहब को लगा था कि मनोज कुमार उनके लिए किसी फ़िल्म का प्रस्ताव लाए हैं।
मगर जब दिलीप साहब को पता चला कि मनोज कुमार फ़िल्म का प्रस्ताव लाए तो हैं, पर उनके लिए नहीं, उनकी बेग़म के लिए। तो दिलीप कुमार ने मनोज कुमार से कहा था कि कभी हमें भी अपनी किसी फ़िल्म में लो।
उस वक्त मनोज कुमार जी ने दिलीप साहब से कहा था कि मैं एक दिन आपको भी अपनी किसी फ़िल्म में ज़रूर लूंगा। मनोज कुमार जी ने अपना वादा इस फ़िल्म से निभाया था। क्रांति। एक शानदार देशभक्ति फ़िल्म।
मनोज कुमार जी ने खुद भी दिलीप साहब के साथ इस फ़िल्म में बहुत ज़बरदस्त अभिनय किया था। और भी कई बड़े कलाकार थे इस फ़िल्म में। और मनोज कुमार जी ने सभी से बढ़िया एक्टिंग कराई।
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