Nalini Jaywant | अपने दौर की सबसे खूबसूरत और सबसे बोल्ड अभिनेत्री नलिनी जयवंत की पूरी कहानी जानिए | Biography
Nalini Jaywant. 40 और पचास के दशक के बॉलीवुड की एक ऐसी सुपरस्टार जिसने समाज से लड़कर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई थी। जिस दौर में फिल्में तुच्छ लोगों का काम समझी जाती थी उस दौर में नलिनी जयवंत ने ना केवल दौलत और शोहरत बंटोरी थी, बल्कि इज्ज़त भी खूब कमाई थी।
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Nalini Jaiwant Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan पर पेश है अपने ज़माने की बेहद खूबसूरत और बेहद दमदार अदाकारा Nalini Jaywant की कहानी। Nalini Jaywant का फिल्मों में आना और फिर आखिरी वक्त में उनकी मौत पर तमाम तरह की कहानियां बनना, इन सभी बातों पर आज Meerut Manthan बात करेगा।
Nalini Jaywant का शुरूआती जीवन
नलिनी जयवंत का जन्म 18 फरवरी 1926 को मुंबई के गिरगांव में एक पारंपरिक मराठी परिवार में हुआ था। इनके पिता कस्टम ऑफिसर थे और फिल्मों व फिल्मों में काम करने वाले लोगों से उन्हें सख्त नफरत थी।
नलिनी उनकी तीसरी संतान थी। नलिनी के अलावा उनके दो बेटे भी थे। नलिनी को बचपन से ही डांस करने का बेहद शौक था और उनके शौक को उनके पिता ने भी सपोर्ट किया।
नलिनी को एक बढ़िया कत्थक टीचर से कत्थक की ट्रेनिंग दिलाई गई। साथ ही साथ नलिनी ने हीराबाई ज़वेरी से क्लासिकल म्यूज़िक की ट्रेनिंग भी ली।
बचपन में ही गया था फिल्मों से आकर्षण
जिस जगह नलिनी का घर था वहां पास में ही इम्पीरियल, ड्रीमलैंड और स्वास्तिक नाम के सिनेमाहॉल मौजूद थे और कई दफा नलिनी को इन सिनेमा हॉल्स में फिल्में देखने का मौका भी मिला था।
फिल्मों के प्रति उनमें एक गज़ब का आकर्षण था। हालांकि तब तक उन्होंने दूर-दूर तक ये नहीं सोचा था कि आगे चलकर वो फिल्मों का एक बड़ा नाम बनेंगी और ना ही उनमें ऐसा सोचने की हिम्मत भी थी।
उन्हें पता था कि उनके पिता फिल्मों में काम करने के कितने ज़्यादा खिलाफ थे। उस दौर की दिग्गज अभिनेत्री शोभना समर्थ नलिनी की सगी बुआ की लड़की थी। लेकिन नलिनी के पिता अपनी सगी भांजी शोभना समर्थ को भी बेहद नापसंद करते थे।
मगर किस्मत का लिखा कोई भला कैसे मिटा सकता है। नलिनी का जन्म ही फिल्मों में काम करने के लिए हुआ था। फिर उनके पिता फिल्मों के कितने भी खिलाफ थे, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। नलिनी की किस्मत आखिरकार उन्हें फिल्मों की तरफ ले ही गई।
चिमनलाल देसाई की पड़ी Nalini Jaywant पर नज़र
उस वक्त नलिनी महज़ 14 साल की थी जब अपनी बुआ की लड़की शोभना समर्थ की बड़ी बेटी नूतन की जन्मदिन पार्टी में शरीक हुई थी। यही वो जगह थी जहां नलिनी पर चिमनलाल देसाई की नज़रें पड़ी थी।
चिमनलाल देसाई उस दौर के बहुत बड़े फिल्म प्रोड्यूसर थे और अपने वक्त के बड़े फिल्म प्रोडक्शन हाउसेज़ जैसे सागर मूवीटोन, अमर पिक्चर्स और नेशनल फिल्म स्टूडियो के बैनर तले उन्होंने जजमेंट ऑफ अल्लाह, मनमोहन, ग्रामोफोन सिंगर, वतन, निर्दोष, औरत, ग्वालन, आंख मिचौली, आदाब अर्ज़ और रोटी जैसी फिल्में बनाई थी। चिमनलाल उस वक्त अपनी अगली फिल्म राधिका की तैयारियों में जुटे थे।
Nalini Jaywant के पिता को मनाना भारी पड़ा था चिमनलाल को
चिमनलाल ने जब नलिनी को देखा तो उन्होंने फैसला कर लिया कि इस लड़की को अपनी फिल्म राधिका में लीड एक्ट्रेस के तौर पर लेंगे। चिमनलाल ने जब नलिनी को फिल्मों में लेने की बात उनके पिता को बताई तो उन्होंने साफ इन्कार कर दिया।
लेकिन चिमनलाल ने हार नहीं मानी। उन्होंने नलिनी के पिता को खूब समझाया कि अब वक्त बदल चुका है और उनकी बेटी से कोई भी गलत काम नहीं कराया जा रहा है। चिमनलाल के सामने आखिरकार नलिनी के पिता को झुकना पड़ा।
इस तरह साल 1941 में रिलीज़ हुई चिमनलाल की फिल्म राधिका से नलिनी जयवंत का फिल्मी करियर शुरू हो गया। इस फिल्म के डायरेक्टर थे चिमनलाल के बेटे वीरेंद्र देसाई।
फिल्म में नलिनी के हीरो थे हरीश जो आगे चलकर एक्टिंग छोड़ फिल्म डायरेक्टर बन गए और अपना नाम हरीश से बदलकर तारा हरीश कर लिया। तारा हरीश ने बर्मा रोड, नकली नवाब, काली टोपी लाल रुमाल और दो उस्ताद जैसी फिल्में बनाई थी।
Nalini Jaywant एक बढ़िया गायिका भी थी
पहली फिल्म राधिका में नलिनी ने केवल एक्टिंग ही नहीं की थी। इस फिल्म में उन्होंने कुछ गाने भी गाए थे। इनमें से तीन गाने सोलो थे और चार गाने डुएट्स थे जिनमें उन्होंने हरीश, नूरजहां और मारुतिराव के साथ अपनी आवाज़ दी थी।
अपनी दूसरी फिल्म बहन में नलिनी ने 4 गीत गाए थे। आंख मिचौली में सात और निर्दोष में छह व आदाब अर्ज़ है में नलिनी ने 4 गीतों को अपनी आवाज़ दी थी। इन सभी फिल्मों में नलिनी ने एक्टिंग भी की थी।
वीरेंद्र देसाई से शुरू हुआ नलिनी का अफेयर
इन फिल्मों में काम करने के दौरान ही नलिनी का अफेयर चिमनलाल देसाई के बेटे वीरेंद्र देसाई से शुरू हो गया। जबकी वीरेंद्र देसाई पहले से शादीशुदा थे और एक बच्चे के पिता भी थे।
इन सब बातों के बावजूद साल 1945 में नलिनी ने वीरेंद्र देसाई से शादी कर ली। ये जानते हुए भी कि वीरेंद्र देसाई ना केवल शादीशुदा हैं और एक बच्चे के पिता हैं, बल्कि उम्र में भी उनसे काफी बड़े थे।
इस शादी का नतीजा ये हुआ कि नलिनी के माता-पिता तो उनसे खफा हुए ही, चिमनलाल देसाई ने भी अपने बेटे वीरेंद्र को अपने घर और अपनी जायदाद से बेदखल कर दिया।
फिल्मिस्तान स्टूडियो में करनी पड़ी नौकरी
दूसरी तरफ नलिनी को भी नेशनल स्टूडियो और अमर पिक्चर्स छोड़ना पड़ा। वीरेंद्र देसाई और नलिनी ने आखिरकार फिल्मिस्तान स्टूडियो में दो हज़ार रुपए महीना तनख्वाह की नौकरी कर ली और वहीं पास में मलाड में एक बंगला किराए पर लेकर रहने लगे।
मगर फिल्मिस्तान स्टूडियो ने लंबे वक्त तक ना तो वीरेंद्र देसाई और ना ही नलिनी जयवंत को किसी फिल्म में काम करने का मौका दिया। हालांकि स्टूडियो के मालिक शशधर मुखर्जी इन दोनों को दो हज़ार रुपए तनख्वाह ज़रूर हर महीने देते रहे।
जब शशधर मुखर्जी हुए Nalini Jaywant से नाराज़
जानकार कहते हैं कि नलिनी ने फिल्मिस्तान स्टूडियो के सामने ये शर्त रख दी थी कि वो केवल उस फिल्म में ही काम करेंगी जिसे उनके पति वीरेंद्र देसाई डायरेक्ट करेंगे। इसी वजह से शशधर मुखर्जी नलिनी से नाराज़ हो गए थे।
लंबे वक्त तक जब नलिनी फिल्मों में नज़र नहीं आई तो दर्शक उन्हें भूलने लगे। नतीजा ये हुआ कि नलिनी और वीरेंद्र के बीच विवाद होने लगे। भले ही ऊपर से ये दोनों बेहद खुश नज़र आते थे। लेकिन हकीकत में अंदर ही अंदर दोनों ही बहुत कुंठित और परेशान थे।
पति से लिया तलाक तो चल निकला करियर
तीन साल बाद यानि साल 1948 में नलिनी और वीरेंद्र की शादी टूट गई। इन तीन सालों में नलिनी ने केवल एक ही फिल्म की थी जिसका नाम था फिर भी अपना है और ये फिल्म भी काफी लंबे वक्त में बनकर तैयार हुई थी।
लेकिन जब नलिनी ने वीरेंद्र देसाई से तलाक ले लिया तो उनका करियर अचानक फिर से रफ्तार में आ गया। इसी साल, यानि साल 1948 में नलिनी की दो फिल्में रिलीज़ हुई।
एक थी दिलीप कुमार के साथ जिसका नाम था अनोखा प्यार। दूसरी थी त्रिलोक कपूर के साथ जिसका नाम था गुंजन। दोनों ही फिल्मों में नलिनी का काम खूब पसंद किया गया।
स्टार बन गई Nalini Jaywant
अगले साल यानि 1949 में नलिनी नज़र आई चकोरी व आंखें नाम की फिल्मों में। साल 1950 में ये दिखी हिंदुस्तान हमारा और मुकद्दर जैसी फिल्मों में। एक्टिंग के अलावा नलिनी ने इन फिल्मों में भी गाने गाए थे।
हालांकि इन फिल्मों ने कोई खास कमाल नहीं किया था। लेकिन साल 1950 में फिल्मिस्तान बैनर की फिल्म समाधि ने नलिनी को एक बड़ा स्टार बना दिया।
इसी साल नलिनी की एक और फिल्म आई जिसका नाम था संग्राम जो कि बॉम्बे टॉकीज़ बैनर तले बनी थी। ये फिल्म भी सफल रही थी और इत्तेफाक से इन दोनों ही फिल्मों में नलिनी के हीरो दादा मुनि यानि अशोक कुमार थे। दोनों ही फिल्मों में संगीत दिया था सी रामचन्द्र ने।
विदेश में शूटिंग करने वाली पहली भारतीय हिरोइन थी नलिनी
1950 से लेकर 1960 के सालों के बीच नलिनी अपने करियर के पीक पर रहीं। इस दौरान उन्होंने ढेर सारी फिल्मों में काम किया। देखा जाए तो नलिनी ने अपने करियर में लगभग सौ फिल्मों में काम किया था।
इनमें से ज़्यादातर फिल्में इसी दशक में बनी थी। साल 1954 में रिलीज़ हुई नलिनी की फिल्म नाज़ पहली हिंदी फिल्म थी जिसकी शूटिंग विदेश में हुई थी। इस फिल्म की शूटिंग काहिरा और लंदन में हुई थी।
आखिरकार कम होने लगा Nalini Jaywant का जलवा
साल 1955 में रिलीज़ हुई फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म में नलिनी के साथ सुनील दत्त नज़र आए थे और वो फिल्म उनकी डेब्यू फिल्म थी। इससे पहले सुनील दत्त रेडियो सिलोन में बतौर अनाउंसर काम कर रहे थे।
साल 1955 में आई फिल्म चिंगारी में सालों बाद नलिनी ने एक गीत गाया था। लेकिन पचास के दशक के आखिरी सालों में नलिनी का जलवा कम होने लगा था। साठ के दशक में नलिनी ने केवल 5 फिल्मों में ही काम किया था।
ये फिल्में थी अमर रहे प्यार, सेनापति, गर्ल्स हॉस्टल, ज़िंदगी और हम व बॉम्बे रेसकोर्स। इनकी फिल्म अमर रहे प्यार फ्लॉप हो गई थी। इस फिल्म के प्रोड्यूसर उस दौर के एक कैरेक्टर आर्टिस्ट राधाकिशन मेहरा थे।
राधाकिशन मेहरा के जिगरी दोस्त थे अभिनेता प्रभुदयाल जिन्होंने इस फिल्म का डायरेक्शन किया था। प्रभुदयाल कुछ फिल्मों में एक्टिंग कर चुके थे और एक-दो फिल्मों के असिस्टेंट डायरेक्टर भी रह चुके थे।
राधाकिशन मेहरा ने इस फिल्म को बनाने में अपनी पाई पाई लगा दी थी। लेकिन जब ये फिल्म फ्लॉप हो गई तो राधाकिशन इतना ज़बरदस्त नुकसान बर्दाश्त ना कर सके और उन्होंने अपनी बिल्डिंग की छत से कूदकर जान दे दी।
ये थे नलिनी के दूसरे पति
नलिनी ने दूसरी शादी की थी अभिनेता प्रभुदयाल से। फिल्म मुनीमजी की शूटिंग के दौरान इन दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ी और दोनों एक-दूजे को चाहने लगे।
फिल्म अमर रहे प्यार की शूटिंग के दौरान इन दोनों ने शादी कर ली। फिल्म बॉम्बे रेसकोर्स के बाद नलिनी ने खुद को फिल्मों से दूर कर लिया और गृहस्थी संभालने लगी।
जबकी उनके पति प्रभुदयाल फिल्मों में एक्टिंग और असिस्टेंट डायरेक्शन करते रहे। लगभग 18 साल बाद नलिनी जयवंत एक बार फिर से एक फिल्म में नज़र आई।
ये फिल्म थी साल 1983 में रिलीज़ हुई अमिताभ बच्चन की फिल्म नास्तिक। इस फिल्म में नलिनी अमिताभ की मां के रोल में दिखी थी।
ये कमाल का इत्तेफाक है
यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि साल 1954 में आई नास्तिक नाम की फिल्म में भी नलिनी ने काम किया था। उस फिल्म में नलिनी लीड एक्ट्रेस थी जबकी इस फिल्म में नलिनी ने मां का किरदार निभाया था। अमिताभ बच्चन वाली नास्तिक के बाद नलिनी ने खुद को हमेशा के लिए एक्टिंग से दूर कर लिया।
नलिनी ने कहा था कि वो फिल्म मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी। मुझे मेरी भूमिका जैसी सुनाई गई थी वैसा फिल्म में कुछ भी नहीं था। मैं इस तरह से काम नहीं कर सकती। इसिलिए मैंने खुद को फिल्मों से पूरी तरह दूर रखना ही बेहतर समझा।
इन अभिनेताओं संग की सबसे अधिक फिल्में
साल 1946 में रिलीज़ हुई नलिनी की फिल्म फिर भी अपना है को साल 1951 में नाम बदलकर दोबारा रिलीज़ किया गया था। उस वक्त फिल्म का नाम रखा गया था भाई का प्यार।
अभिनेता अशोक और अभिनेता अजीत के साथ नलिनी की जोड़ी बड़ी पसंद की गई। इन दोनों ही अभिनेताओं के साथ नलिनी ने 10-10 फिल्मो में काम किया था। नलिनी की फिल्म नंद किशोर और निर्दोष को मराठी भाषा में भी डब किया गया था।
इन अवॉर्ड्स से सम्मानित हुई थी नलिनी जयवंत
वहीं इन्होंने वारसदार नाम की एक गुजराती फिल्म में भी काम किया था जो कि साल 1948 में रिलीज़ हुई थी। चूंकि छोटी उम्र से ही नलिनी ने संगीत की शिक्षा भी ली थी तो अपने पूरे करियर में नलिनी ने कुल 39 गाने भी गाए थे।
बात अगर नलिनी को मिले अवॉर्ड्स के बारे में करें तो साल 1959 में उन्हें फिल्म काला पानी के लिए फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया था। जबकी साल 2005 में दादासाहेब फाल्के एकेडमी ने नलिनी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया था।
और दुनिया से चली गई Nalini Jaywant
फिल्मों से दूर होने के बाद नलिनी अपने पति प्रभुदयाल के साथ चेंबुर स्थित एक आलीशान बंगले में रहने लगी थी। लेकिन जब साल 2001 में प्रभुदयाल की मौत हो गई तो नलिनी ने खुद को एकदम अकेला कर लिया।
वो किसी से मिलती-जुलती नहीं थी। उनके घर पर उनकी देखभाल के लिए हमेशा 3-4 नौकर रहते थे। वहीं, उनके बंगले के पास ही उनके भाई के बेटे यानि उनके भतीजे का भी घर था जहां वो अपने परिवार के साथ रहता था।
वही नलिनी का ध्यान भी रखता था। 20 दिसंबर 2010 को 84 साल की उम्र में नलिनी जयवंत की मौत हो गई।
मीडिया ने नलिनी की मौत पर खूब नाटक किया
नलिनी का अंतिम संस्कार उनके भतीजे ने किया। अंतिम संस्कार के बाद के भी सभी अनुष्ठान उनके भतीजे ने ही किए। लेकिन उसने ये सभी काम नलिनी के घर से ना करके अपने घर से किए थे।
इसलिए जब नलिनी की मौत की खबर फैली तो मीडिया को उनके बंगले पर ताला जड़ा मिला। इसके बाद तो मीडिया ने झूठ का ऐसा नंगा नाच शुरू किया जिसे देखकर कोई भी सदमे में आ जाए।
मीडिया, और खासतौर पर इलैक्ट्रॉनिक मीडिया ने नलिनी जयवंत की मौत को बिना सच्चाई जाने रहस्यमयी मौत करार दे दिया।
निलनी जयवंत को नम
अपनी खूबसूरती के दम पर नलिनी ने फिल्म इंडस्ट्री पर एक छोटे से अरसे के लिए राज किया था। नलिनी ने एक से बढ़कर फिल्मों में काम किया। Meerut Manthan Nalini Jaywant को नमन करता है। और Film Industry में उनके योगदान के लिए उन्हें सैल्यूट करता है। जय हिंद।
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