Bappi Lahiri Biography | कैसे भारत के डिस्को किंग बने थे बप्पी लाहिड़ी? बप्पी दा की ज़िंदगी की पूरी कहानी पढ़िए

Bappi Lahiri Biography.  चला गया वो कितने ही दिल तोड़ कर। जिसने अपने संगीत से जाने कितने दिलों को मिलाया था। डिस्को म्यूज़िक को भारत में एक ट्रेंड बनाने वाले बप्पी दा अब नहीं रहे। इंडियन डिस्को म्यूज़िक को इंटरनेशनल लेवल पर पहली दफा किसी ने रैकगनाइज़ कराया था तो वो अलोकेश लाहिड़ी उर्फ बप्पी लाहिड़ी ही थे। 

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Bappi Lahiri, Dev Anand & Kishore Kumar - Photo: Social Media

50 साल लंबे अपने फिल्मी करियर में बप्पी लाहिड़ी ने सौलह सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में 9 हज़ार से भी ज़्यादा गाने कंपोज़ किए थे। इनमें हिंदी और बंगाली के अलावा और भी कई भारतीय भाषाओं के गाने शुमार होते हैं।

Meerut Manthan Bappi Lahiri को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके Fans को उनके जीवन की कहानी सुनाएगा। Bappi Lahiri ने कैसे भारतीय संगीत जगत में अपनी जगह बनाई और फिर कैसे वो इंडियन म्यूज़िक इंडस्ट्री को एक अलग ही आयाम पर ले गए। ये सारी कहानी आज हम और आप जानेंगे।

बप्पी लाहिड़ी की शुरूआती ज़िंदगी

27 नवंबर 1952. पश्चिम बंगाल का न्यू जलपाईगुड़ी। अपरेश लाहिड़ी की पत्नी बांसुरी लाहिड़ी ने एक बेटे को जन्म दिया। नाम रखा अलोकेश। 

चूंकि अपरेश लाहिड़ी और बांसुरी लाहिड़ी दोनों ही क्लासिकल सिंगर थे और मशहूर सिंगर थे तो आंखें खोलते ही एक संगीतमय माहौल ने अलोकेश का स्वागत किया। माता-पिता प्यार से अपने बेटे को बप्पी कहते थे।

चूंकि बप्पी के माता-पिता दोनों ही संगीत जगत का बड़ा नाम थे और उस ज़माने में कलकत्ता में म्यूज़िक इंडस्ट्री में इनके माता-पिता की बड़ी हैसियत थी तो स्टार्स से मिलने का मौका इन्हें कम उम्र से ही हासिल होने लगा था। 

महानतम स्वर्गीय लता मंगेशकर जी के परिवार से इनके माता-पिता के बड़े ही मधुर संबंध थे। बप्पी जब संगीत इंडस्ट्री में आए तो वो खुद भी लता मंगेशकर जी को अपनी सरस्वती मां कहते थे।

छोटी उम्र से शुरू की संगीत शिक्षा

बप्पी दा जब 4 साल के हुए थे तो पहली दफा इन्होंने तबला बजाना शुरू किया था। हालांकि तबला बजाने की इनकी ट्रेनिंग इसके एक साल पहले से ही शुरू हो चुकी थी। 

गुरू पंडित समता प्रसाद जी से इन्होंने तबला वादन की शिक्षा लेनी शुरू की थी। बप्पी दा की उम्र महज़ 11 साल थी जब इन्होंने एक ऐसी धुन बनाई जो इनके पिता को बहुत पसंद आई थी। उस धुन पर इनके पिता ने एक गाना रिकॉर्ड किया।

बप्पी दा की पहली फिल्म

इस तरह छोटी सी उम्र में ही ये तय हो गया था कि आगे चलकर ये संगीत की दुनिया का एक बड़ा नाम बनेंगे। और हुआ भी ठीक ऐसा ही। संगीत में बप्पी दा इतने ज़्यादा व्यस्त थे कि ये स्कूली पढ़ाई ज़्यादा नहीं कर सके। 

महज़ 11वीं क्लास तक पढ़ाई करने के बाद इन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया। साल 1969 में जब बप्पी दा की उम्र महज़ 17 साल थी तब बंगाली फिल्म दादू से इनके करियर का आगाज़ हो गया। 

पहली दफा इसी फिल्म में इन्होंने संगीत दिया था। और फिर इसी के बाद इन्होंने बॉम्बे जाने की तैयारी करना शुरू कर दी।

कलकत्ता से आ गए मुंबई

बप्पी दा के पिता ने मुंबई जाकर कुछ फिल्मों में संगीत ज़रूर दिया था। लेकिन उन्हें मुंबई रास नहीं आई थी। इसलिए वो मुंबई छोड़कर कोलकाता वापस आ गए थे। 

जबकी बप्पी दा को बॉम्बे यानि मुंबई हमेशा से ही अपनी तरफ आकर्षित करती रही। पहली फिल्म के बाद उन्होंने अपने माता-पिता से साफ कह दिया था कि वो आगे चलकर कलकत्ता में नहीं बल्कि बॉम्बे में रहकर संगीत बनाएंगे। 

चूंकि बप्पी दा अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे तो उन्होंने इनकी बात मान ली। साल 1970 में बप्पी दा कलकत्ता से बॉम्बे आ गए।

बप्पी दा की पहली हिंदी फिल्म

ये वो दौर था जब बॉम्बे में एसडी बर्मन, ओपी नैयर और शंकर-जयकिशन जैसे पुराने दिग्गज और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, कल्याणजी-आनंदजी और आरडी बर्मन जैसे नए खिलाड़ी पहले से ही म्यूज़िक इंडस्ट्री पर छाए हुए थे। 

इतने बड़े लोगों के बीच खुद को स्थापित करना कोई आसान काम नहीं था। यही वजह है कि बॉम्बे आने के बाद कुछ दिनों के लिए बप्पी दा को भी कड़े हालातों का सामना करना पड़ा था। 

मगर फिर साल 1971 में इन्हें काजोल के पिता शोमू मुखर्जी की फिल्म नन्हा शिकारी में इनका पहला हिंदी ब्रेक मिला। 

चूंकि मुखर्जी फैमिली से इनके पिता की अच्छी जान-पहचान थी तो शोमू मुखर्जी इनके हुनर को पहचानते थे और इसिलिए उन्होंने अपनी फिल्म में इन्हें ब्रेक दिया था। ये फिल्म साल 1973 में रिलीज़ हुई थी।

करियर की हुई सधी शुरूआत

किस्मत ने साथ दिया और बीआर इशारा ने भी इन्हें अपनी फिल्म चरित्र का म्यूज़िक बनाने की ज़िम्मेदारी दी। चरित्र परवीन बॉबी की पहली फिल्म थी। चरित्र के बाद इन्होंने बाज़ार बंद करो नाम की फिल्म का म्यूज़िक बनाया था। 

ये सभी वो फिल्में रही जो बॉक्स ऑफिस पर तो नहीं चली। लेकिन इन फिल्मों का संगीत लोगों को ज़रूर पसंद आया था। यानि बप्पी दा के काम को पसंद किया जा रहा था। बप्पी दा के संगीत करियर की एक बेहद सधी हुई शुरूआत हो चुकी थी। 

लेकिन अभी तक बप्पी दा वो सिक्सर नहीं लगा पाए थे जो इन्हें एकदम से म्यूज़िक इंडस्ट्री के टॉप प्लेयर्स में शुमार करा दे। वो सिक्सर मारने का मौका इन्हें मिला नासिर हुसैन और ताहिर हुसैन की एक फिल्म से।

जब बप्पी दा पर ताहिर हुसैन की नज़र पड़ी

बप्पी दा का बनाया एक गीत ताहिर हुसैन ने कहीं सुन लिया। उन्हें उस गीत की कंपोज़िशन बड़ी पसंद आई। उस ज़माने में ताहिर हुसैन की लगभग हर फिल्म का म्यूज़िक पंचम दा ही तैयार करते थे। 

लेकिन अपनी अपकमिंग फिल्म मदहोश का बैकग्राउंड म्यूज़िक ताहिर हुसैन इस नए लड़के से कंपोज़ कराने का विचार करने लगे। उस फिल्म के सॉन्ग्स के म्यूज़िक के लिए ताहिर हुसैन पहले ही पंचम दा को साइन कर चुके थे।

बप्पी दा के पिता को थोड़ा संकोच था

जब उनके भाई नासिर हुसैन ने भी ताहिर के इस विचार से अपनी सहमति जताई तो एक दिन ताहिर हुसैन बप्पी दा को ढूंढते-ढूंढते उनके घर जा पहुंचे। दरवाज़े पर पहुंचकर बप्पी दा की मां से ताहिर हुसैन बोले कि मुझे बप्पी से मिलना है। 

इसके बाद बप्पी दा से मिलकर ताहिर हुसैन ने उन्हें मदहोश का बैकग्राउंड म्यूज़िक तैयार करने का ऑफर दिया। लेकिन चुंकी बप्पी दा के पिता का बर्मन परिवार से बड़ा गहरा नाता था तो उन्हें लगा कि अगर बप्पी दा मदहोश फिल्म से जुड़ेंगे तो बर्मन परिवार को गलतफहमियां हो सकती है। 

इसलिए पहले उन्होंने आरडी बर्मन से इस बारे में बात की और फिर बप्पी दा ने ताहिर हुसैन की फिल्म मदहोश का बैकग्राउंड म्यूज़िक तैयार किया।

इस फिल्म के बाद कामयाबी मिलती चली गई

बप्पी दा का काम ताहिर हुसैन साहब को इतना पसंद आया कि अपनी अगली फिल्म ज़ख्मी के म्यूज़िक के लिए उन्होंने बप्पी दा को ही साइन कर लिया, और सही मायनों में ताहिर हुसैन की इसी फिल्म से बप्पी दा ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया। 

ज़ख्मी के सभी गीत सुपरहिट साबित हुए। आखिरकार बप्पी दा ने वो सिक्सर लगा ही दिया जिसके लिए वो सही बॉल का इंतज़ार कर रह थे। इसके बाद तो बप्पी दा ने बैक टू बैक कई सिक्सर्स लगाए। 

चलते चलते और आप की खातिर फिल्मों में इनका म्यूज़िक फिर से हिट साबित हुआ और बप्पी दा की गाड़ी चल निकली। फिल्म शराबी के गीत चार यार में तो बप्पी दा ने अमिताभ बच्चन से भी गाना गवा दिया।

ऐसे बने थे डिस्को किंग

बप्पी दा इंडियन म्यूज़िक में इतने पारंगत थे तो फिर वो डिस्को की तरफ कैसे मुड़े और डिस्को में उन्हें इतनी सफलता कैसे हासिल हुई, ये कहानी भी अपने आप में बड़ी अनोखी है। 

दरअसल, एक दिन बप्पी दा के पास डायरेक्टर रविकांत नागैच आए और बोले, बप्पी दा, मैं मिथुन नाम के लड़के के साथ एक फिल्म बनाने जा रहा हूं। मैं चाहता हूं कि आप उसमें म्यूज़िक दें और कुछ ऐसा म्यूज़िक दें जो कि एकदम नया लगे। ऐसा म्यूज़िक जिस पर मिथुन डांस करे। 

इत्तेफाक से बप्पी दा कुछ ही दिन पहले अमेरिका के शिकागो शहर से लौटे थे और शिकागो में ही इन्होंने एक नाइट क्लब में पहली दफा डिस्को म्यूज़िक सुना था। इनके दिमाग में डिस्को म्यूज़िक को लेकर काफी कुछ चल रहा था।

मिथुन संग सफलता की गारंटी

रवि नगैच मिथुन को लेकर जो फिल्म बना रहे थे उसका नाम था सुरक्षा। इस फिल्म में पहली दफा बप्पी दा ने डिस्को सॉन्ग प्रज़ेंट किया। सॉन्ग के बोल थे मौसम है गाने का। ये गाना सुपरहिट साबित हुआ। मिथुन की लोकप्रियता में इस गीत की सफलता के बाद बहुत तेज़ी से इज़ाफा हुआ। 

बप्पी दा का ये नए स्टाइल का म्यूज़िक भी हर किसी को पसंद आया। इसके बाद तो बप्पी दा और मिथुन की जोड़ी ने कई फिल्मों में डिस्को से धमाल मचाया। बप्पी दा की धुन और मिथुन के डांस का कॉम्बिनेशन सक्सेस की गारंटी बन गए।

ये गाना हुआ इंटरेशनल हिट

1982 में रिलीज़ हुई फिल्म डिस्को डांसर भला किस सिने प्रेमी ने नहीं देखी होगी। यूं तो इस फिल्म के सारे सॉन्ग सुपरहिट थे। लेकिन इस फिल्म का सॉन्ग जिमी जिमी आजा आजा भारत का पहला डिस्को सॉन्ग था जिसने इंटरनेशनल लेवल पर सुर्खियां बटोरी थी। 

ये गीत इतना पॉप्युलर हुआ था कि माइकल जैक्सन जैसा महानतम पॉप सिंगर भी इस गीत को सुनने के बाद बप्पी दा का फैन हो गया था। माइकल जैक्सन और बप्पी दा की मुलाकात का किस्सा भी काफी रोचक रहा है।

बप्पी दा की चैन से प्रभावित हुए थे माइकल जैक्सन

दरअसल, सन 1996 में Michael Jackson पहली दफा भारत आए थे। यहां वो स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे के मेहमान थे और उनके घर भी आए थे। बाला साहेब ने ही उस दिन बप्पी दा को भी बतौर मेहमान इनवाइट किया था। 

माइकल जैक्सन की नज़र जैसे ही बप्पी दा पर पड़ी तो वो उनके गले में मौजूद भगवान गणेश वाली सोने की चेन से बेहद प्रभावित हुए। माइकल जैक्सन को वो चेन बहुत खूबसूरत लगी थी।

माइकल को भी पसंद था जिमी जिमी आजा आजा

यूं तो बप्पी दा के गले में और भी कई चेन मौजूद थी। लेकिन भगवान गणेश की उस चेन के प्रति माइकल जैक्सन में गज़ब का आकर्षण नज़र आ रहा था। माइकल बप्पी दा के पास गए और बोले, कितनी खूबसूरत चेन है। तुम्हारा नाम क्या है। 

बप्पी दा ने जब अपना नाम बताया तो Bala Saheb Thackeray ने Michael Jackson को बताया कि Bappi Lahiri भारत के एक बहुत बड़े म्यूज़िक कंपोज़र हैं। 

ये सुनकर माइकल जैक्सन बहुत खुश हुए। बप्पी दा ने माइकल को बताया कि डिस्को डांसर का म्यूज़िक उन्होंने ही कंपोज़ किया था। माइकल ने तुरंत जिमी जिमी गाने का ज़िक्र किया।

माइकल जैक्सन को नहीं दी अपनी चेन

एक इंटरव्यू में बप्पी दा ने बताया था कि जब माइकल जैक्सन उनकी भगवान गणेश वाली चेन को बेहद प्यार से निहार रहे थे तो एक बार को उनका दिल किया कि क्यों ना ये चेन अभी माइकल को गिफ्ट कर दी जाए। 

पर फिर बप्पी दा ये सोचकर रुक गए कि माइकल जैक्सन दुनिया की हर महंगी चीज़ खरीद सकता है। और उनकी चेन में मौजूद भगवान गणेश तो उनकी रक्षा करते हैं। 

तो वो भला इस चेन को माइकल जैक्सन या किसी और को कैसे दे सकते हैं। इसके बाद बप्पी दा ने वो चेन माइकल को गिफ्ट करने का इरादा छोड़ दिया।

माइकल को दी थी श्रद्धांजलि

बप्पी दा आजीवन माइकल जैक्सन के फैन रहे। उन्हें माइकल जैक्सन का म्यूज़िक बहुत ही पसंद था। साल 2009 में जब माइकल जैक्सन की मौत हुई तो बप्पी दा भी बेहद दुखी हुए थे। उन्होंने माइकल जैक्सन को समर्पित करते हुए एक गाना बनाया था जिसका टाइटल था Don't Say Good Bye.

ऐसी थी बप्पी दा की निजी ज़िंदगी

बप्पी दा की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो चित्राणी लाहिड़ी से इन्होंने शादी की थी। इनकी पर्सनल लाइफ एकदम शांत, शानदार और बिना किसी कंट्रोवर्सी वाली रही। चित्राणी और बप्पी दा के दो बच्चे हैं। 

बेटा बप्पा लाहिरी जो कि इनकी ही तरह एक म्यूज़िक डायरेक्टर है। और बेटी रीमा लाहिरी जो कि एक गायिका हैं। इनके नाति-पोते भी अब काफी बड़े हो चुके थे। महान गायक किशोर कुमार रिश्ते में बप्पी दा के मामा लगते थे।

अपने लुक को कराया था पेटेंट

आपने देखा होगा कि बप्पी दा सोना बहुत पहनते थे। दरअसल, बप्पी दा का मानना था कि सोना उनके लिए शुभ है। वो अपने यार दोस्तों से मज़ाक में कहा भी करते थे कि अगर किसी ने मुझे किडनैप कर लिया तो तीस चालीस लाख रुपए तो मेरे शरीर पर मौजूद सोने से ही मिल जाएगा। 

बप्पी दा का ये गोल्ड वाला लुक उन्हें एकदम अलग कर देता था। बप्पी दा को अपने लुक से इतना प्यार था कि उन्होंने अपने लुक को पेटेंट करा लिया था। मतलब उनका लुक लेकर कोई भी कभी भी किसी पब्लिक प्लेस पर कॉपी नहीं कर सकता था।

राजनीति में भी आज़माई थी किस्मत

बप्पी दा ने ढेरों फिल्मों में म्यूज़िक तो दिया ही था। लेकिन अपने मामा किशोर कुमार की फिल्म बढ़ती का नाम दाढ़ी में इन्होंने एक्टिंग भी की थी। उस फिल्म में इनके किरदार का नाम भोंपू था। मनोरंजन जगत के अलावा बप्पी दा ने राजनीति में भी अपने कदम जमाने की कोशिश की थी। 

बीजेपी के टिकट पर इन्होंने पश्चिम बंगाल की श्रेरामपुर लोकसभा सीट से 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि इन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद इन्होंने एक्टिव राजनीति से खुद को दूर कर लिया था।

अलविदा बप्पी दा

बप्पी दा पिछले 1 महीने से बीमार थे। उनसे बोला भी नहीं जा रहा था। उनकी तबियत में ज़रा सुधार हुआ तो घरवाले उन्हें घर ले आए। लेकिन सच ये था कि बप्पी दा की तबीयत सुधरी नहीं थी। 

15 फरवरी 2022 वो मनहूस तारीख साबित हुई जब बप्पी लाहिड़ी नाम का इंडियन डिस्को पटल का सबसे चमचमाता सितारा हमेशा हमेशा के लिए अस्त हो गया। 

लेकिन अपने संगीत की करिश्माई रोशनी से बप्पी दा हमेशा संगीत के दीवानों की दुनिया को रोशन करते रहेंगे। Meerut Manthan बप्पी लाहिड़ी को नमन करता है। जय हिंद।

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