Virendra Saxena | सालों से आपने इन्हें टीवी और फिल्मों में देखा होगा, इनकी कहानी ज़रूर जानिए | Biography

Virendra Saxena. आप इनके नाम से शायद वाकिफ ना हों। पर आप इनके चेहरे को यकीनन अच्छी तरह से पहचानते होंगे। पिछले कई सालों से ये बड़े और छोटे पर्दे पर अपनी अदाकारी के जौहर दिखाते आ रहे हैं। मथुरा जैसे छोटे से शहर में पैदा होने वाले वीरेंद्र सक्सेना अब मुंबई के हो चुके हैं। लेकिन आज भी अपने शहर मथुरा की यादें उनके ज़ेहन में एकदम ताज़ा हैं।

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Actor Virendra Saxena - Photo: Social Media

Meerut Manthan आज आपको साधारण से चेहरे वाले लेकिन बेहद दमदार एक्टर Virendra Saxena की कहानी बताएगा। Virendra Saxena मथुरा से मुंबई कैसे पहुंचे। और इनका फिल्मी करियर कैसा रहा। ये सारी कहानी आज हम और आप जानेंगे।

Virendra Saxena का शुरूआती जीवन

25 नवंबर 1957 को वीरेंद्र सक्सेना का जन्म मथुरा के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता एक छोटी सी सरकारी नौकरी किया करते थे। चार भाई बहनों में वीरेंद्र सबसे छोटे थे। 

परिवार पर वक्त ने कुछ ऐसा सितम किया कि इनके पिता बहुत जल्द ही ये दुनिया छोड़कर चले गए। ऐसे में परिवार की ज़िम्मेदारी वीरेंद्र के बड़े भाई पर आ गई। 

चूंकि वीरेंद्र भी पढ़ने-लिखने में शानदार थे तो उन्होंने भी परिवार की मदद के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया।

बीच में छोड़ दिया एमए

वीरेंद्र बचपन से ही बहूमुखी प्रतिभा के धनी थे। ये अच्छा गाते थे। अच्छी कॉमेडी करते थे। बढ़िया पोस्टर बनाते थे और लोगों को खूब हंसाते भी थे। इन सब प्रतिभाओं का फायदा वीरेंद्र को ये हुआ कि उन्हें मथुरा में लोकप्रियता मिलने लगी। 

मथुरा के लोग वीरेंद्र को जानने पहचानने लगे। वीरेंद्र ने बीएससी पूरी की और फिर पॉलिटिकल साइंस में एमए करने के लिए यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया। हालांकि जल्द ही पॉलिटिकल साइंस से इनका मन ऊब गया और इन्होंने एमए बीच में ही छोड़ दिया।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह सिंह के यहां की नौकरी

फिर एक वक्त ऐसा भी आया जब अपने शहर मथुरा में वीरेंद्र बोर होने लगे। इसी बीच एक मित्र की मदद से इन्हें दिल्ली में राजा महेंद्र प्रताप के यहां उनके असिस्टेंट के तौर पर नौकरी मिल गई। साल 1976 में ये दिल्ली आ गए। 

राजा महेंद्र प्रताप को वीरेंद्र की हैंड राइटिंग बड़ी पसंद आती थी। वो अपनी सभी चिट्ठियां वीरेंद्र सक्सेना से ही लिखाया करते थे। इसी बीच मथुरा के इनके एक दोस्त ने इनसे एक नाटक में छोटा सा एक रोल निभाने की गुज़ारिश की। 

चूंकि मथुरा में अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में वीरेंद्र सक्सेना एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ में हिस्सा लेते रहते थे तो उन्होंने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद आखिरकार उस नाटक का ऑफर स्वीकार कर ही लिया। 

वो रोल तो काफी छोटा था। लेकिन वीरेंद्र सक्सेना ने उस रोल को बड़ी कुशलता के साथ निभाया। उस नाटक का नाम था इन्ना की आवाज़।

Virendra Saxena को मिली एक खास सलाह

राजा महेंद्र प्रताप सिंह के साथ लगभग डेढ़ महीने तक काम करने के बाद वीरेंद्र सक्सेना ने उनकी नौकरी छोड़ दी और अपना सारा ध्यान नाटकों पर लगाना शुरू कर दिया। 

इसी दौरान अनिल चौधरी नाम के इनके दोस्त ने इन्हें उस ज़माने के प्रख्यात नाटककार एमके रैना से मिलवाया। एमके रैना ने वीरेंद्र को अपना थिएटर ग्रुप प्रयोग जॉइन करने का ऑफर दिया। 

वीरेंद्र ने भी उनका ऑफर स्वीकार कर लिया। प्रयोग थिएटर ग्रुप के साथ मिलकर इन्होंने काफी नाटकों में काम किया। इसी दौरान किसी ने इन्हें सलाह दी कि इन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग का कोर्स कर लेना चाहिए। वो सलाह इन्हें पसंद आई।

NSD से पास होने के बाद भी मुंबई नहीं गए Virendra Saxena

इन्होंने एनएसडी में दाखिले का प्रयास किया। लेकिन पहली दफा में इन्हें दाखिला नहीं मिल पाया। उसके बाद साल 1979 में इन्हें एनएसडी में दाखिला मिला। 

तीन साल तक एनएसडी से एक्टिंग की पढ़ाई करने के बाद भी इन्होंने मुंबई जाने का कोई इरादा ज़ाहिर नहीं किया। ये दिल्ली में रहकर ही और कुछ सालों तक थिएटर करते रहे। 

दिल्ली में रहकर ही इन्होंने कुछ फिल्मों और टीवी शोज़ में काम किया था। हालांकि इस सब के बाद भी मुंबई जाने में इन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी।

आखिरकार आना ही पड़ा मुंबई

गोविंद निहलानी के मास्टरपीस शो तमस में इन्होंने जरनैल सिंह का रोल निभाया था। उस रोल ने इन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई।  अखबारों और मैगज़ीनों में इनकी खूब चर्चा हुई थी। इस लोकप्रियता का एक फायदा इन्हें ये हुआ कि मुंबई में भी फिल्म इंडस्ट्री के लोग इन्हें पहचानने लगे थे। 

छह सालों तक दिल्ली में थिएटर करते रहने के बाद एक दिन जब वीरेंद्र सक्सेना को अहसास हुआ कि केवल थिएटर के भरोसे ही ज़िंदगी नहीं गुज़ारी जा सकती तो ये फिल्मों में काम करने के इरादे से मुंबई आ गए। 

लेकिन मुंबई ने भी इनका कड़ा इम्तिहान लिया और दिल्ली में एक्टिंग जगत का एक बड़ा नाम होने के बावजूद वीरेंद्र सक्सेना को मुंबई में शून्य से शुरूआत करनी पड़ी।

महेश भट्ट की दमदार फिल्में

मुंबई आने के बाद वीरेंद्र सक्सेना ने कुछ समय तक थिएटर में ही काम किया। इस दौरान महेश भट्ट से इनकी बढ़िया जान-पहचान हो गई। महेश भट्ट इनके टैलेंट से काफी प्रभावित थे। 

महेश भट्ट की सुपरहिट फिल्म 'आशिकी' में भी ये नज़र आए थे। फिल्म का लोकप्रिय गीत तू मेरी ज़िंदगी है वीरेंद्र सक्सेना पर ही फिल्माया गया था। 

महेश भट्ट के साथ ही इन्होंने 'दिल है कि मानता नहीं' नाम की एक और ज़बरदस्त फिल्म की थी। अपने फिल्मी करियर में इन्होंने 130 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया है।

Virendra Saxena की प्रमुख फिल्में

इनके करियर की प्रमुख फिल्मों की बात करें तो ये नज़र आए सूरज का सातवां घोड़ा, कभी हां कभी ना, दामिनी, आईना, ज़िद्दी, परदेसी बाबू, अर्जुन पंडित, शूल, बिच्छू, साथिया, रूद्राक्ष, बंटी और बबली, सरकार, एक चालीस की लास्ट लोकल, ए वेडनसडे, अता पता लापता, शागिर्द, तेरा क्या होगा जॉनी, संकट सिटी, लखनऊ सेंट्रल, सुपर थर्टी, बाग़ी थ्री और चेहरे जैसी फिल्मों में। 

वीरेंद्र सक्सेना ने कुछ हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है। ये हैं व्हाइट रेनबॉ, वैनिटी फेयर, कॉटन मैरी और इन कस्टडी।

टीवी पर भी खूब किया काम

बात अगर टीवी की करें तो वीरेंद्र सक्सेना ने कई लोकप्रिय टीवी शोज़ में भी काम किया था। इनमें सबसे प्रमुख नाम हैं अजनबी, जस्सी जैसी कोई नहीं, किस देश में है मेरा दिल, महायज्ञ, भंवर, अफसर बिटिया, कितनी मोहब्बत है, यात्रा, ब्योमकेश बख्शी, भारत एक खोज, वागले की दुनिया, फिर वही तलाश और भाग्य लक्ष्मी। 

वीरेंद्र कहते हैं कि उन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जी है। अगर उन्हें कोई डायरेक्टर या प्रोड्यूसर पसंद नहीं आया तो फिर चाहे वो फिल्म या सीरियल कितने भी बड़े क्यों ना रहे हों, उन्होंने उनमें काम नहीं किया। 

बकौल वीरेंद्र, वो छोटा और कम पैसों का काम करना अधिक पसंद करेंगे। बजाय इसके कि किसी ऐसे इंसान के साथ काम करें जो कि उन्हें पसंद ना हो। 

बात अगर वीरेंद्र सक्सेना की निजी ज़िंदगी के बारे में करें तो इनकी निजी ज़िंदगी के बारे में ज़्यादा जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि इनकी पत्नी समथा सक्सेना हैं और वो खुद भी एक अभिनेत्री हैं।

Virendra Saxena को सैल्यूट

वीरेंद्र सक्सेना अब 64 साल के हो चुके हैं। वो अब भी फिल्मों में एक्टिव हैं। हर साल वो किसी ना किसी फिल्म में नज़र आते ही रहते हैं। Meerut Manthan वीरेंद्र सक्सेना की अच्छी सेहत के लिए ईश्वर से कामना करता है। 

साथ ही Meerut Manthan ये उम्मीद भी करता है कि वीरेंद्र सक्सेना और कई सालों तक अपने हुनर से हम सभी का मनोरंजन करते रहें। फिल्म इंडस्ट्री में शानदार योगदान के लिए किस्सा टीवी वीरेंद्र सक्सेना को सैल्यूट करता है। जय हिंद।

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