Priya Rajvansh | Heer Ranjha Movie की Beautiful Actress जिसका बेरहमी से Murder कर दिया गया | Biography
Priya Rajvansh Biography. 27 मार्च सन 2000. मुंबई के जुहू इलाके में मौजूद एक बंगले में पुलिस पहुंचती है। पुलिस को खबर मिली है कि बाथरूम में फिसलकर गिरने से एक औरत की मौत हो गई है।
पुलिस इसे एक एक्सिडेंटल डैथ कहकर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है। पुलिस भी लगभग मान चुकी होती है कि इस बाथरूम में फिसलकर गिरने से ही इस की मौत हुई है।
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Priya Rajvansh Biography - Photo: Social Media |
मगर जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आती है तो खुलासा होता है कि इस औरत की मौत फिसलकर नहीं हुई थी। बल्कि इसे कत्ल किया गया था। पहले इस औरत के सिर पर किसी भारी चीज़ से एक तेज़ प्रहार किया गया।
और फिर गला घोंटकर इसे जान से मार डाला गया। जिस औरत की हत्या हुई थी वो कोई मामूली औरत नहीं थी। वो थी हकीकत, हंसते ज़ख्म और हीर रांझा जैसी सुपरहिट फिल्मों की हिरोइन Priya Rajvansh.
Priya Rajvansh की हत्या क्यों हुई? वो कौन लोग थे जिन्होंने Priya Rajvansh को इतनी बेरहमी से कत्ल कर डाला? ये सारी कहानी आज Meerut Manthan की इस पेशकश में बयां की जाएगी।
Priya Rajvansh का शुरुआती जीवन
31 दिसंबर 1936 को पंजाब के झेलम में तैनात फोरेस्ट ऑफिसर सुंदर सिंह के घर एक बेटी का जन्म हुआ। नाम रखा गया वीरा सुंदर सिंह। वीरा के जन्म के कुछ वक्त बाद सुंदर सिंह का तबादला शिमला में हो गया। लिहाज़ा वो अपने परिवार को लेकर शिमला आ गए।
वीरा और उनके दोनों भाईयों, कमलजीत व पदमजीत का बचपन शिमला में ही गुज़रा। शिमला से ही वीरा की स्कूलिंग हुई। और शिमला से ही वीरा ने कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी की। कॉलेज के दिनों से ही वीरा को नाटकों में काम करने का शौक लग गया था। और वो अंग्रेजी नाटकों में खूब हिस्सा लेती थी।
उमा आनंद से वीरा सुंदर सिंह की पहली मुलाकात
एक दफा एक नाटक के चलते ही वीरा को चंडीगढ़ जाना पड़ा था। वो नाटक देखने देवानंद की भाभी यानि चेतन आनंद की पत्नी उमा आनंद भी आई थी। उमा आनंद खुद भी किसी ज़माने में एक्ट्रेस थी।
चेतन आनंद की पहली फिल्म नीचा नगर में उमा आनंद ने माया का कैरेक्टर प्ले किया था। एक्टिंग के अलावा उमा आनंद कहानी लेखन भी करती थी।
देवानंद की फिल्म टैक्सी ड्राइवर की कहानी उमा आनंद ने अपने देवर विजय आनंद के साथ मिलकर लिखी थी। चंडीगढ़ में हुए उस नाटक में उमा आनंद को वीरा की एक्टिंग बहुत पसंद आई थी।
नाटक खत्म होने के बाद उमा आनंद ने वीरा को अपने पति चेतन आनंद का कार्ड दिया, और उनसे मुंबई आकर चेतन साहब से मिलने को कहा। उस वक्त उमा आनंद को कहां पता था कि यही लड़की एक दिन उनके पति की महबूबा भी बनेगी।
लंदन में बनाया दिया रिकॉर्ड
खैर, उमा आनंद के बुलावे पर वीरा चेतन आनंद से मिलने मुंबई जाती उससे पहले ही उनके पिता सुंदर सिंह का तबादला लंदन में हो गया। इसलिए उस वक्त वीरा चेतन आनंद से ना मिल सकी। वो अपने परिवार के साथ लंदन चली गई।
लंदन जाकर वीरा ने रॉयल एकेडेमी ऑफ ड्रैमैटिक आर्ट्स यानि राडा में दाखिला ले लिया। राडा से एक्टिंग का कोर्स कंप्लीट करने वाली वीरा पहली एशियाई महिला बन गई। लंदन में भी वीरा ने थिएटर करना जारी रखा। वो अंग्रेजी नाटकों में खूब एक्टिंग करती थी।
फिर यूं हुई Chetan Anand से मुलाकात
लंदन में ही एक लोकल फोटोग्राफर ने वीरा की कुछ तस्वीरें खींची और एक मैगज़ीन में पब्लिश करा दी। उन तस्वीरों के ज़रिए ही वीरा पर नज़र पड़ी ठाकुर रनबीर सिंह की। ठाकुर रनबीर सिंह भारतीय मूल के एक ब्रिटिश फिल्म मेकर थे।
और ये वही ठाकुर रनबीर सिंह थे जो बॉलीवुड फिल्मों के नामी विलेन गोपाल बेदी उर्फ रंजीत को भी फिल्म इंडस्ट्री में लाए थे। ठाकुर रनबीर सिंह ने वीरा को द लॉन्ग ड्यूअल नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में कास्ट कर लिया।
हालांकि वो फिल्म कभी पूरी नहीं हो पाई। फिर ठाकुर रनबीर सिंह की सलाह पर ही वीरा ने अपनी वही तस्वीरें भारत में चेतन आनंद के पास भेज दी जो उन दिनों हीर रांझा फिल्म के लिए एक नए चेहरे की तलाश कर रहे थे।
वीरा की तस्वीरें देखते ही चेतन आनंद ने तय कर लिया कि यही लड़की उनकी फिल्म में हीर बनेगी। चेतन आनंद ने वीरा को संदेश भिजवाया कि तुरंत बॉम्बे आ जाओ। वीरा भी फौरन लंदन से बॉम्बे आ गई।
Chetan Anand संग Priya Rajvansh का Live-in Relationship
वीरा से मिलकर चेतन आनंद बहुत खुश हुए। इत्तेफाक से उस वक्त तक हीर रांझा की शूटिंग वो टाल चुके थे। और हकीकत की मेकिंग की तैयारियों में जुट गए थे। उन्होंने वीरा को हकीकत फिल्म में कास्ट कर लिया और उनका नाम वीरा से बदकर प्रिया राजवंश कर दिया।
हकीकत फिल्म की शूटिंग के दौरान ही चेतन आनंद और उनकी पत्नी उमा आनंद के रिश्ते बिगड़ गए। दो बेटों, केतन और विवेक के होने बावजूद चेतन आनंद और उमा आनंद अलग हो गए। हालांकि उनका तलाक कभी नहीं हुआ था।
उमा आनंद से अलग होने के बाद चेतन आनंद ने वीरा, जो अब प्रिया राजवंश बन चुकी थी, उनके साथ हीर-रांझा की शूटिंग शुरू कर दी। और हीर रांझा की शूटिंग के दौरान ही चेतन आनंद और प्रिया राजवंश एक-दूसरे के करीब आ गए।
यूं तो इन दोनों की उम्र में सोलह साल का फर्क था। लेकिन इस फर्क की इन्होंने ज़रा भी परवाह नहीं की। बिना शादी किए ही चेतन आनंद और प्रिया राजवंश साथ रहने लगे। यानि लिव-इन रिलेशन में आ गए।
प्रिया राजवंश का छोटा लेकिन शानदार करियर
साल 1970 में हीर रांझा जब रिलीज़ हुई तो इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त प्रदर्शन किया। ये फिल्म उस साल की ब्लॉकबस्टर फिल्म बन गई। प्रिया राजवंश के पास फिल्म इंडस्ट्री से ढेरों फिल्मों के ऑफर्स आने लगे।
बिमल रॉय और राज कपूर जैसे नामी फिल्मकारों ने प्रिया को अपनी फिल्म में कास्ट करने की ख्वाहिश जताई। लेकिन चेतन आनंद नहीं चाहते थे कि प्रिया किसी और डायरेक्टर के साथ काम करें। सो, प्रिया ने भी कभी किसी और फिल्म में काम नहीं किया।
हीर रांझा के बाद प्रिया ने चेतन आनंद की हिंदुस्तान की कसम, हंसते ज़ख्म, साहेब बहादुर, कुदरत और हाथों की लकीरों में काम किया। चेतन आनंद ने प्रिया को मुंबई में अलग से एक फ्लैट खरीदकर दिया था।
हालांकि प्रिया का अधिकतर वक्त जुहू में मौजूद चेतन आनंद के बंगले पर ही गुज़रता था। वो बंगले का पूरा ध्यान रखती थी। बंगले पर शाम के वक्त अक्सर जमने वाली महफिलों का ख्याल भी प्रिया ही रखती थी।
प्रिया और चेतन आनंद को देखने वाले यही कहते थे कि दोनों ऐसे रहते हैं मानो पति-पत्नी हों। जबकी चेतन आनंद ने कभी भी प्रिया राजवंश से शादी नहीं की थी।
प्रिया राजवंश की अचानक मौत और मीडिया का नाटक
प्रिया राजवंश ज़िंदगी शानदार चल रही थी कि अचानक छह जुलाई 1997 को 76 साल की उम्र में चेतन आनंद की मृत्यु हो गई। और इसी के साथ प्रिया राजवंश की ज़िंदगी का सुकून भी हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गया।
वो एकदम अकेली हो गई। यूं तो उनका खुद का भी एक फ्रेंड सर्किल था। लेकिन चेतन आनंद की कमी कभी पूरी ना हो सकी। प्रिया हर वक्त मन ही मन उदास रहने लगी थी।
और फिर 27 मार्च सन 2000 को खबर आई कि प्रिया राजवंश की मौत हो गई है। कहा गया कि प्रिया राजवंश चेतन आनंद के बंगले के बाथरूम में फिसलकर गिर गई, जिससे उनके सिर में गहरी चोट लगी और उनकी जान चली गई।
कुछ अखबारों ने तो ये भी कहा कि प्रिया राजवंश ने खुदकुशी की है। जबकी कईयों ने दावा किया कि हार्ट अटैक की वजह से प्रिया राजवंश की मृत्यु हुई है।
कुछ ने तो यहां तक अंदेशा जताया कि प्रिया राजवंश ने बहुत ज़्यादा शराब पी रखी थी, इसलिए वो खुद को संभाल नहीं पाई और बाथरुम में फिसलकर गिरने से अपनी जान गंवा दी।
बहरहाल, पुलिस ने भी अपनी शुरुआती रिपोर्ट में यही लिखा कि बाथरूम में फिसलकर गिरने से प्रिया राजवंश की मौत हो गई।
नौकरानी ने कर दी बेरहमी से हत्या
पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मगर जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पुलिस दंग रह गई। प्रिया राजवंश किसी हादसे का शिकार होकर नहीं मरी थी। उनकी हत्या की गई थी।
जिस वक्त प्रिया की लाश मिली थी उस वक्त उनके गले पर कुछ निशान भी थे। लेकिन तब माना गया था कि ये निशान प्रिया राजवंश की जूलरी की वजह से आए होंगे। मगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रिया का गला ज़ोर से दबाया गया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने प्रिया की नौकरानी माला चौधरी को हिरासत में ले लिया। माला से पूछताछ के दौरान पुलिस ने कुछ ऐसे तीखे सवाल किए कि वो टूट गई।
उसने मान लिया कि उसी ने अशोक चिन्नास्वामी के साथ मिलकर पहले प्रिया के सिर पर ज़ोर से वार किया। और फिर अपने दुपट्टे से उसका गला घोंट दिया। माला ने ये भी बताया कि प्रिया जान बचाने के लिए बहुत छटपटाई थी।
लेकिन उन दो की ताकत के सामने लगभग बूढ़ी हो चुकी प्रिया राजवंश कुछ ना कर सकी। और बड़ी बेदर्दी से प्रिया राजवंश की सांसों ने उनका साथ छोड़ दिया।
ऐसे बेनकाब हुई नौकरानी की साज़िश
प्रिया को मारने के बाद उनकी नौकरानी माला चौधरी ने घटना को कुछ ऐसा रंग देने की कोशिश की, कि सबको लगे कि प्रिया की मृत्यु बाथरूम में फिसलने की वजह से हुई है।
माला ने सोचा था कि अगर प्रिया की मौत को लूटपाट की घटना दिखाया जाएगा तो मामला पुलिसिया जांच तक पहुंचेगा। लेकिन अगर बाथरूम में फिसलने की बात सामने रखी जाएगी तो शायद पुलिस की नौबत भी ना आए।
मगर महारानी सम्युक्ता कुमारी की वजह से पुलिस तक प्रिया राजवंश की मौत की बात पहुंच ही गई। दरअसल, जिस दिन प्रिया राजवंश की हत्या हुई थी उस दिन उन्हें महारानी सम्युक्ता के घर जाना था।
महारानी सम्युक्ता का बंगला चेतन आनंद के बंगले के पास ही था। और चेतन आनंद की मौत के बाद से प्रिया का अधिकतर वक्त उस बंगले में ही गुज़रता था। यानि प्रिया राजवंश महारानी सम्युक्ता की पड़ोसी थी और अच्छी दोस्त भी थी। महारानी सम्युक्ता जानती थी कि प्रिया राजंवश वक्त की बहुत पाबंद हैं।
इसलिए उस दिन जब प्रिया राजवंश तय वक्त पर उनके घर नहीं आई तो उन्होंने अपने चौकीदार को प्रिया राजवंश से मिलकर उनके आने में हो रही देरी का पता लगाकर आने को कहा।
चौकीदार जब प्रिया के घर पहुंचा तो नौकरानी माला चौधरी ने उससे कहा कि वो तैयार हो रही हैं। थोड़ी देर में पहुंच जाएंगी। मगर काफी वक्त बाद भी जब प्रिया महारानी सम्युक्ता के घर पहुंची ही नहीं तो उन्होंने एक बार फिर से अपने चौकीदार को प्रिया राजवंश से मिलने भेजा।
उस वक्त माला चौधरी ने चौकीदार को बताया कि प्रिया बेहोश हो गई है। चौकीदार ने जल्दी से ये खबर महारानी सम्युक्ता को दी। ये बात सुनते ही महारानी सम्युक्ता और उनके परिवार के कुछ लोग प्रिया राजवंश को देखने दौड़ पड़े।
महारानी सम्युक्ता ने जाते ही प्रिया के हाथ-पैर रगड़ने शुरू कर दिए। लेकिन उस वक्त तक प्रिया के प्राण पखेरू हो चुके थे। तब महारानी सम्युक्ता ने ही पुलिस को इस हादसे की खबर दी। जिससे माला चौधरी की पूरी योजना धरी की धरी रह गई।
नौकरानी के खौफनाक खुलासे
शुरुआती पूछताछ में माला ने पुलिस को बताया था कि प्रिया ने उसे दूध लेने भेजा था। वो लौटकर आई तो उसने देखा कि प्रिया बाथरूम में बेहोश पड़ी है।
उस वक्त पुलिस ने जब बंगले की तलाशी ली थी तो तीन लाख रुपए नकद और प्रिया की काफी ज्वैलरी घर में सलामत मिली थी। यानि तब पुलिस भी मान चुकी थी कि माला चौधरी ने किसी गलत इरादे से प्रिया के साथ कोई घटना नहीं की है।
मगर जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पुलिस की जांच माला से ही शुरु हुई। शुरूआती बहानेबाज़ी के बाद माला का हौंसला टूटा और उसने प्रिया की हत्या की बात कबूल कर ली।
माला ने पुलिस को बताया कि उसने चेतन आनंद के बेटों केतन आनंद और विवेक आनंद के कहने पर अशोक चिन्नास्वामी, जो कि केतन आनंद का नौकरा था, उसके साथ मिलकर प्रिया की हत्या कर दी।
केतन आनंद ने इस काम के बदले माला चौधरी को मोटी रकम इनाम के तौर पर देने को कहा था। और चार हज़ार रुपए पेशगी भी दे दी थी। इतना ही नहीं, माला चौधरी, जो अपने तीन बच्चों के साथ उसी बंगले में रहती थी, उसने पुलिस को ये भी बताया कि चेतन आनंद के बेटे केतन आनंद से उसके अवैध संबंध भी थे।
हत्यारों को मिली उम्रकैद
माला के इकबालिया बयान के बूते पुलिस ने चेतन आनंद के दोनों बेटों केतन आनंद और विवेक आनंद व हत्या में शामिल उनके नौकर अशोक चिन्नास्वामी को गिरफ्तार कर लिया।
चारों को अदालत में पेश किया गया। उधर चार अप्रैल सन 2000 को प्रिया राजवंश की डेड बॉडी उनके भाई कंवर सिंह उर्फ कमलजीत सिंह को सौंप दी गई।
और उसी शाम प्रिया राजवंश का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। फिर लगभग दो सालों तक इस मामले की सुनवाई अदालत में चली।
प्रिया का मुकदमा लड़ रही वकील ने जज से डिमांड की थी कि इन चारों को सज़ा-ए-मौत दी जानी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने चारों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई।
और चूंकि केतन आनंद और विवेक आनंद दोनों ही उस वक्त ज़मानत पर बाहर थे तो पुलिस ने सज़ा का ऐलान होते ही दोनों को फिर से गिरफ्तार कर लिया।
जिस वक्त इस केस का फैसला सुनाया जा रहा था उस वक्त प्रिया के भाई कमलजीत सिंह और पदमजीत सिंह भी लंदन और अमेरिका से भारत आए थे। और अदालत के फैसले पर दोनों ने खुशी भी ज़ाहिर की थी।
वहीदा रहमान और प्रिया राजवंश का रिश्ता
यहां आपको ये भी बता दें कि प्रिया राजवंश के भाई कमलजीत सिंह भी एक्टर रह चुके थे। उन्होंने लगभग 13 फिल्मों में काम किया था जिनमें सबसे प्रमुख थी सन ऑफ इंडिया और शगुन।
शगुन फिल्म में कमलजीत की हीरोइन थी उस दौर की बहुत बड़ी और नामी अदाकारा वहीदा रहमान। शगुन फिल्म की शूटिंग के दौरान कमलजीत और वहीदा रहमान एक-दूजे से मुहब्बत करने लगे थे।
और आखिरकार दोनों ने शादी भी कर ली थी। यानि वहीदा रहमान प्रिया राजवंश की सगी भाभी हैं। हालांकि ननद प्रिया राजवंश से वहीदा रहमान के ताल्लुक अच्छे थे कि बुरे, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
जिस साल प्रिया राजवंश की मौत हुई थी उसी साल यानि सन 2000 की नवंबर में उनके बड़े भाई और वहीदा रहमान के पति व पूर्व अभिनेता कमलजीत की भी मौत हो गई थी।
इसलिए कराई गई थी Priya Rajvansh की हत्या
खैर, आप लोगों के ज़ेहन में सवाल उठ रहा होगा कि चेतन आनंद के बेटों केतन आनंद और विवेक आनंद ने प्रिया राजवंश की हत्या क्यों कराई थी। तो इसका जवाब चेतन आनंद का वही बंगला है जिसमें प्रिया राजवंश की हत्या की गई थी।
दरअसल, चेतन आनंद मरने से पहले इस बंगले को तीन हिस्सों में बांटकर गए थे। दो हिस्से अपने दोनों बेटों केतन और विवेक के नाम। और एक हिस्सा अपनी प्रेमिका प्रिया राजवंश के नाम।
चूंकि प्रिया राजवंश ने कभी किसी और प्रोड्यूसर की फिल्म में काम नहीं किया था। तो वो फाइनेंशियली पूरी तरह से चेतन आनंद पर निर्भर थी। चेतन आनंद की मौत के बाद प्रिया को अपने भविष्य की बहुत फिक्र होने लगी थी।
उनके पास इतनी सेविंग्स नहीं थी कि वो अपना जीवन बिना किसी फिक्र के गुज़ार सकें। इसलिए वो चेतन आनंद के बंगले का अपना हिस्सा बेचकर लंदन शिफ्ट होने का प्लान बना रही थी।
कहा जाता है कि प्रिया राजवंश ने अपना हिस्सा बेचने की बात एक प्रॉपर्टी डीलर से कर भी रखी थी। लेकिन चूंकि उस वक्त बंगले की सही कीमत नहीं मिल रही थी तो वो एक मुफीद ग्राहक के इंतज़ार में थी।
मगर केतन आनंद और विवेक आनंद किसी भी सूरत में प्रिया राजवंश को उस बंगले में हिस्सा देने को तैयार नहीं थे। इसिलिए जब उन्हें पता चला कि प्रिया राजवंश अपना हिस्सा बेचने की तैयारी कर रही है। तो उन्होंने प्रिया राजवंश को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया।
और फिर नौकरों की मदद से उनकी हत्या करा दी। हालांकि वो पकड़े गए और उन्हें सज़ा भी हुई। लेकिन सज़ा होने के बाद भी दोनों जेल से बाहर हैं।
दरअसल, जब हत्यारों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई तो उन्होंने इस सज़ा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर दी। और लगभग चार महीने बाद यानि नवंबर 2002 को हाईकोर्ट ने पचार हज़ास रुपए के मुचलके पर केतन आनंद और विवेक आनंद को बेल दे दी।
हालांकि उनके देश छोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इस मामले की सुनवाई अभी तक पूरी नहीं हुई है। और केतन आनंद व विवेक आनंद दोनों जेल से बाहर हैं।
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