Utpal Dutt | वो कॉमेडियन जो अपने विद्रोही विचारों के कारण जेल में बंद हो गया था | Biography
Utpal Dutt. एक ऐसा कलाकार, जिसकी कॉमेडी ने हर उदास चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। एक ऐसा शानदार इंसान, जिसने अपने आस-पास के लोगों की ज़िंदगी संवारने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। ये वो ज़बरदस्त शख्सियत थे जिन्हें फिल्म इंडस्ट्री के लोग मिस्टर हरफनमौला कहकर पुकारते थे।
Utpal Dutt Biography - Photo: Social Media |
लेखन हो, डायरेक्शन हो या फिर अभिनय हो। हर काम को पूरे परफेक्शन से किया करते थे उत्पल दत्त। अपना काम ये इतने ज़बरदस्त अंदाज़ में करते थे कि कई दफा सरकारें तक इनसे घबरा जाती थी और इनके नाटकों को बैन कर देती थी। इन्हें जेल तक में डाला गया। लेकिन उत्पल दत्त कभी किसी ताकत के सामने नहीं झुके।
Meerut Manthan आज आपको महान Utpal Dutt साहब की ज़िंदगी की कहानी बताएगा। बंगाल में पैदा हुए Utpal Dutt साहब मनोरंजन जगत में कैसे आए और मनोरंजन जगत का इनका सफर कैसा रहा, ये सारी कहानी आज हम और आप जानेंगे।
Utpal Dutt की शुरूआती ज़िंदगी
29 मार्च 1929 को उत्पल दत्त का जन्म बंगाल के बरिसल में हुआ था। बरिसल अब बांग्लादेश का हिस्सा है। इनके पिता का नाम गिरिजाराजन दत्त था।
स्कूली पढ़ाई शिलॉंग के सेंट एडमंड स्कूल से पूरी करने के बाद उत्पल दत्त ने कलकत्ता के सेंट लॉरेंस हाई स्कूल से दसंवी पास की। इसके बाद कलकत्ता यूनिवर्सिटी के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में ऑनर्स किया।
कॉलेज के दिनों में ही उत्पल थिएटर की दुनिया से जुड़ गए थे। ये अंग्रेजी नाटक किया करते थे। साथ ही साथ बंगाली नाट्य कला जात्रा में भी ये काफी एक्टिव थे।
जब शशि कपूर के ससुर की नज़र पड़ी उत्पल दत्त पर
उत्पल दत्त शेक्सपीयर के नाटकों को खूब किया करते थे। ऐसे ही एक दिन उत्पल दत्त शेक्सपियर के किंग रिचर्ड थ्री नाटक में एक परफॉर्मेंस कर रहे थे।
उस नाटक के दौरान ही इन पर नज़र पड़ी उस ज़माने के दिग्गज थिएटर आर्टिस्ट जॉफ्री केंडल और उनकी पत्नी लौरा केंडल की।
उन दोनों को ही उत्पल दत्त का काम बेहद पसंद आया और उन्होंने उत्पल दत्त को अपनी थिएटर कंपनी शेक्सपियराना में दो साल का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया। जॉफ्री केंडल और लौरा कैंडल की बेटी जेनिफर कैंडल से आगे चलकर शशि कपूर ने शादी की थी।
IPTA के संस्थापक सदस्य थे Utpal Dutt
उत्पल दत्त जॉफ्री केंडल की नाटक कंपनी संग जुड़ गए। लेकिन देश आज़ाद होने के बाद जब जॉफ्री केंडल भारत छोड़ वापस इंग्लैंड लौट गए तो उत्पल दत्त ने शेक्सपियराना का नाम बदलकर लिटिल थिएटर ग्रुप रख दिया।
अगले तीन साल तक उत्पल दत्त अपनी इस नाटक कंपनी के ज़रिए दुनियाभर के मशहूर नाटककारों के नाटक परफॉर्म करते रहे।
और आखिरकार अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर उत्पल दत्त ने इंडियन पीपल्स थिएटर असोसिएशन यानि इप्टा की स्थापना की। हालांकि महज़ दो साल के बाद ही किन्हीं वजहों के चलते इन्होंने खुद को इप्टा से दूर कर लिया।
जब जेल गए उत्पल दत्त
40 के दशक तक उत्पल दत्त केवल थिएटर ही करते रहे। साथ ही कोलकाता के साउथ पॉइन्ट स्कूल में अंग्रेजी टीचर की हैसियत से ये नौकरी भी करते रहे।
यहां आपको ये बताना बेहद ज़रूरी है कि उत्पल दत्त मार्क्सवादी विचारधारा से बेहद प्रभावित थे। समाज के दबे-कुचले लोगों के प्रति इनमें बेहद संवेदना थी।
यही वजह है कि एक वक्त पर सामाजिक उत्थान के लिए इन्होंने थिएटर को एक बेहद सशक्त माध्यम बनाया।
उस ज़माने में अपने नाटकों के ज़रिए ये इतने ज्वलंत मुद्दे उठाया करते थे कि सरकारें इनसे घबराने लगती थी और उत्पल दत्त को गिरफ्तार कर जेल में भी डाल दिया गया।
इस तरह आए फिल्मों में
पूरे सात सालों तक ये जेल में रहे। जेल में हुए अपने तजुर्बे के बारे में उत्पल दत्त ने एक दफा कहा था कि उन्हें जेल में बिताए अपने हर एक लम्हे से शुरू में नफरत थी।
लेकिन बाद में जब जेल में इनकी मुलाकात कई सीनियर मार्क्सवादियों से हुई और उनसे इन्होंने बहुत कुछ सीखा तो जेल जाना इन्हें बेहद काम का अनुभव लगा।
जेल से रिहा होने के बाद सन 1950 में उत्पल दत्त ने पहली दफा माइकल मधुसूदन नाम की फिल्म में एक्टिंग की। कुछ सालों तक बंगाली फिल्मों में काम करने के बाद आखिरकार इन्होंने हिंदी फिल्मों में काम करने का फैसला किया और ये मुंबई आ गए।
यहां आने के बाद इन्हें एज़ ए विलेन काम करना पड़ा। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, इन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में खुद को एक ज़बरदस्त कॉमेडियन के तौर पर स्थापित कर लिया।
कॉमेडी से छा गए थे Utpal Dutt
अपनी कॉमिक टाइमिंग, अपने डायलॉग डिलीवरी के अंदाज़ और अपनी एकदम जुदा आवाज़ से इन्होंने अपनी एक ज़बरदस्त पहचान दर्शकों के बीच में स्थापित कर ली।
कोई ये सोच भी नहीं सकता था कि ज़बरदस्त कॉमेडी करने वाला ये शख्स असल ज़िंदगी में एक बेहद संजीदा इंसान है और बहुत ही गंभीर और ज्वलंत मुद्दों पर नाटक लिखता है।
साफ सुथरी कॉमेडी के पैरोकार थे Utpal Dutt
उत्पल दत्त अपने दोस्तों से अक्सर कहा करते थे कि संगीत में तो केवल सात सुर होते हैं। लेकिन भगवान ने मेरे गले में जो वॉकल कोर्ड दी है उसमें ढरे सारे सुर हैं। तभी मैं एक डायलॉग बोलते समय कई तरह की आवाज़ें निकाल पाता हूं।
उत्पल दत्त हमेशा अपने दोस्तों से कहते थे कि एक कॉमेडियन की ये ज़िम्मेदारी होती है कि वो खुद को और अपनी कॉमेडी को हमेशा वल्गैरिटी से बचाकर रखे। खुद अपनी फिल्मों में उत्पल दत्त साहब ने हमेशा इस बात का ध्यान रखा। उन्होंने हमेशा साफ-सुथरी कॉमेडी ही की।
Utpal Dutt की निजी ज़िंदगी
उत्पल दत्त की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो साल 1960 में इन्होंने शोभा सेन के साथ शादी की थी। शोभा सेन कई नाटकों और फिल्मों में इनके साथ काम कर चुकी थी।
उत्पल दत्त और शोभा सेन की एक ही बेटी है। जिनका नाम है बिष्णु प्रिया। बिष्णु प्रिया दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में थिएटर हिस्ट्री की प्रॉफेसर हैं।
इन अवॉर्ड्स से सम्मानित हुए थे उत्पल दत्त
बात अगर उत्पल दत्त को मिले अवॉर्ड्स के बारे में करें तो गोलमाल, नरम-गरम, रंग बिरंगी के लिए इन्हें फिल्मफेयर बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड दिया गया।
आगंतुक के लिए इन्हें बंगाल फिल्म जर्नल असोसिएशन का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड दिया गया था।
भुवन शोम के लिए इन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड दिया गया था। इसके अलावा थिएटर में इनके योगदान के लिए साल 1990 में संगीत नाटक अकेडमी फेलोशिप भी इन्हें दी गई थी।
खाने-पीने के थे बेहद शौकीन
उत्पल दत्त को खाने-पीने का भी बेहद शौक था। वो अक्सर अपने दोस्तों से कहते भी थे कि जब वो तरह-तरह के खाने देखते हैं तो उन्हें लगता है जैसे उनकी ज़िंदगी बहुत ही खूबसूरत है। उत्पल दत्त भारत के हर क्षेत्र का खाना पसंद करते थे।
उन्हें मीठा खाना बेहद पसंद था। साथ ही तीखे और मिर्च से भरे खानों को भी वो खूब चाहते थे। लेकिन बेहिसाब खाने-पीने की उनकी इसी आदत ने आखिरकार उनके साथ दुश्मनी निकाल ली।
मुश्किलों में गुज़रा ज़िंदगी का आखिरी वक्त
ज़िंदगी के आखिरी दिनों में उत्पल दत्त बहुत ज़्यादा बीमार हो गए थे। कई बीमारियों ने उनके शरीर को अपनी चपेट में ले लिया था। खाने-पीने की अनियमित आदतों का सबसे बुरा असर उनकी किडनी पर पड़ा था।
उनकी किडनी खराब होनी शुरू हो गई। एक वक्त ऐसा भी आया जब उत्पल दत्त को डायलिसिस के सहारे खुद को ज़िंदा रखना पड़ रहा था। वक्त जैसे-जैसे गुज़र रहा था। ज़िंदगी भी वैसे-वैसे उत्पल दत्त से दूर जा रही थी।
और अनंत की यात्रा पर निकल पड़े Utpal Dutt
19 अगस्त 1993 को कोलकाता के S.S.K.M हॉस्पिटल से डायलिसिस कराकर उत्पल दत्त घर आए ही थे कि इन्हें एक बहुत तेज़ दिल का दौरा पड़ा और उत्पल दत्त की आत्मा इनके शरीर का साथ छोड़ गई। फिल्म इंडस्ट्री सहित देशभर में उनके चाहने वाले अफसोस में डूब गए।
उत्पल दत्त तो अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनकी फिल्में हमेशा उन्हें इस दुनिया में ज़िंदा रखेंगी। उत्पल दत्त को Meerut Manthan नमन करता है। जय हिंद।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें