Actor Ved Thapar Biography | Raja Aur Rancho Fame वेद थापर अब कहां हैं और क्या करते हैं?

Actor Ved Thapar Biography. नब्बे के दशक का दूरदर्शन अपने आप में बड़ा अनोखा था। उस दौर में टेलिविज़न पर तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट्स किए जा रहे थे। 

तमाम प्राइवेट टीवी चैनल्स के साथ-साथ दूरदर्शन पर भी विभिन्न विषयों वाले टीवी शोज़ प्रसारित हो रहे थे। उन्हीं में से एक था राजा और रेंचो। जिसमें लीड रोल में थे एक प्राइवेट डिटेक्टिव और उसका साथी बंदर। 

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Actor Ved Thaparin Raja Aur Rancho - Photo: Social Media

Meerut Manthan आज आपको राजा और रेंचो के राजा यानि एक्टर वेद थापर की कहानी बताएगा। वेद थापर एक्टिंग जगत में कैसे आए और एक्टिंग के अलावा वो और किन चीज़ों के लिए मशहूर हैं, ये सारी बातें आज इस Article के ज़रिए हम और आप जानेंगे। Actor Ved Thapar Biography.

वेद थापर का शुरूआती जीवन

10 मार्च 1970 को वेद थापर का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े शहर मेरठ में हुआ था। इनके पिता राम प्रकाश थापर एक स्वतंत्रता सेनानी थे और शास्त्रीय संगीत में पारंगत थे। 

 देश को मिली आज़ादी के बाद जब बंटवारा हुआ तो इनके पिता को भी पेशावर में मौजूद अपना घर-बार छोड़ना पड़ा और भारत की शरण लेनी पड़ी। 

पेशावर छोड़ने के बाद इनके पिता उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में आकर बस गए थे। वेद थापर की पैदाइश मेरठ में ही हुई थी। इनकी पढ़ाई-लिखाई भी मेरठ से ही हुई। 

बचपन से रहे हैं देशभक्त

छोटी उम्र से ही अपने पिता से क्रांतिकारियों के किस्से सुन-सुनकर बड़े हुए वेद थापर देशभक्ति से हमेशा ओत-प्रोत रहे। 

चूंकि कला से इनके परिवार का गहरा लगाव रहा है तो इनके घरवालों ने अपना एक पारिवारिक थिएटर ग्रुप बना लिया था। महज़ ढाई साल की उम्र में वेद ने पहली दफा स्टेज पर चढ़कर एक कविता गाई थी। 

जब ये छोटे ही थे तो एक दफा स्कूल की तरफ से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित हुए एक कार्यक्रम में भगत सिंह का रूप धरकर मेरठ से दिल्ली तक की यात्रा इन्होंने जीप द्वारा की थी। 

तब दिल्ली में इनकी मुलाकात शहीद भगत सिंह की सगी मौसी से हुई थी। उन्होंने नन्हे वेद थापर को भगत सिंह के अवतार में देखकर कहा था कि तू तो सचमुच भगत सिंह लगता है। 

इप्टा के भी मेंबर थे

उस दिन से ही वेद थापर शहीद भगत सिंह की शख्सियत से बहुत अधिक प्रभावित रहते हैं। भगत सिंह की शख्सियत का प्रभाव वेद थापर पर कुछ इस तरह हुआ था कि मेरठ में रहने के दौरान जब ये थिएटर किया करते थे तो भगत सिंह के जीवन के किस्सों पर ये ज़रूर कोई ना कोई प्रस्तुति देते रहते थे। 

अपने शहर मेरठ में ये इप्टा से जुड़े थे और रंगमंच में बराबर हिस्सा लेते रहते थे। थिएटर करने के दौरान वेद थापर को कई बड़े और नामी थिएटरिस्ट्स के साथ काम करने का मौका मिला था। 

और फिर मुंबई में एक ऐसा इवेंट आयोजित हुआ जिसने वेद थापर को थिएटर की दुनिया से फिल्मी दुनिया में लाने का काम कर दिया।

IMPPA का बुलावा

वेद थापर जब मेरठ में इप्टा संग थिएटर कर रहे थे तो साथ ही साथ इन्होंने अपनी खुद की भी एक थिएटर कंपनी शुरू की थी। अपनी थिएटर कंपनी में वो बच्चों के साथ महापुरुषों के जीवन की झलकियां स्टेज पर परफॉर्म करते रहते थे। 

इसी बीच इंडियन मोशन पिक्चर्स असोसिएशन यानि इम्पा ने एक टैलेंट हंट का आयोजन मुंबई में किया। वेद थापर को भी इम्पा का ऑफर लेटर मिला था। 

ये कहानी भी दिलचस्प है

वेद थापर को ये ऑफर लेटर मिलने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, जिस वक्त वेद थापर इप्टा के साथ मेरठ में थिएटर कर रहे थे तो उन्हीं दिनों इनकी पढ़ाई भी चल रही थी। 

इंपा ने जब देशभर में अपने टैलेंट हंट का विज्ञापन दिया तो वेद थापर के एक दोस्त ने इनसे कहा कि इन्हें भी इस टैलेंट हंट में हिस्सा लेना चाहिए।  ये सोचकर कि शायद माता-पिता मुंबई जाने की इजाज़त नहीं देंगे, वेद थापर ने अपने उस दोस्त को मना कर दिया। 

लेकिन फिर भी उस दोस्त ने ज़बरदस्ती वेद थापर का और अपना फॉर्म भी इंपा को भेज दिया। किस्मत का खेल कुछ ऐसा रहा कि जिस दोस्त ने वेद थापर का फॉर्म भेजा था, उसका सिलेक्शन तो इंपा में नहीं हुआ पर वेद थापर का सिलेक्शन हो गया। 

कई फिल्में साइन की लेकिन...

इंपा ने उन दिनों पांच हज़ार लोगों को मुंबई बुलाया था और आखिरी में उनमें से मात्र 33 को चुना था। वेद थापर भी उन 33 में से एक थे। 

वेद थापर के साथ सिलेक्ट होने वाले लोगों में चंकी पांडे और राजेश विवेक जैसे बड़े स्टार्स भी थे। इंपा द्वारा टॉप एक्टर्स में चुने जाने के बाद वेद थापर को कई फिल्मों में काम मिला। 

वेद ने कई फिल्में शूट भी की। लेकिन किन्हीं वजहों से वो फिल्में कभी पूरी नहीं हो पाई। टीवी से भी इन्हें काफी ऑफर्स आए थे। लेकिन वो सभी ऑफर्स भी इन्हें फीके ही लगे। 

इन्होंने फैसला किया कि फिल्मों या टीवी शोज़ में घटिया और कम प्रभावशाली किरदार निभाने से बेहतर है कि ये थिएटर ही करते रहें।

ऐसे बदली किस्मत

वेद थापर थिएटर करने का फैसला तो कर चुके थे। लेकिन थिएटर में शुरूआत करना भी कोई आसान काम नहीं था। एक सही प्लेटफॉर्म कैसे हासिल किया जाए, ये चुनौती अब भी वेद थापर के सामने खड़ी थी। 

एक दिन ये मुंबई फिल्म सिटी में थे। इत्तेफाक से जैकी श्रॉफ की फिल्म पाले खान के सेट पर इनकी मुलाकात प्रख्यात थिएटर आर्टिस्ट दिनेश ठाकुर जी से हुई, जो कि पाले खान में एक अहम रोल निभा रहे थे। 

लंच ब्रेक में वेद थापर ने दिनेश ठाकुर से मुलाकात की और उनसे गुज़ारिश की कि ये उनके साथ थिएटर करना चाहते हैं। शुरू में तो दिनेश ठाकुर ने इनसे कई मुश्किल सवाल किए। 

दिनेश ठाकुर ने इनसे कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम थिएटर को कंधा बनाकर फिल्मों में काम करने का सपना देख रहे हो। वेद थापर ने दिनेश ठाकुर को भरोसा दिलाया कि वो उनकी ही तरह एक प्रोफेशनल थिएटर कलाकार हैं और दिल से उनके साथ थिएटर करना चाहते हैं। 

दिनेश ठाकुर ने जताया भरोसा

इत्तेफाक से उसी दौरान दिनेश ठाकुर अपने नए नाटक तुगलक की तैयारी कर रहे थे। दिनेश ठाकुर ने अपने नाटक तुगलक में इन्हें नायब सुबेदार का एक बेहद अहम किरदार दिया। 

वेद थापर ने तुगलक नाटक में नायब सुबेदार का वो किरदार इतनी खूबसूरती से निभाया कि हर कोई इनका अभिनय देखकर इनका मुरीद होता चला गया। 

तुगलक नाम का इनका वो शो बेहद लोकप्रिय हुआ। इसके बाद इन्होंने दिनेश ठाकुर जी के साथ ढेरों नाटकों में काम किया और देश-विदेश में अपनी परफॉर्मेंस का जलवा बिखेरा। 

थिएटर की दुनिया में ये एक मशहूर नाम बन गए। और थिएटर करते हुए ही एक दिन इन्हें दिलीप कुमार और राज कुमार जैसे दिग्गज अभिनेताओं की सुपरहिट फिल्म सौदागर के लिए चुन लिया गया।

जब जानी राज कुमार बने वेद थापर

मुंबई में रहने के दौरान जब वेद थापर थिएटर की दुनिया में मशहूर होने लगे तो इन पर फिल्म जगत के लोगों की नज़रें भी जाने लगी। एक दिन पृथ्वी थिएटर में मन्नु भंडारी के लिखे महाभोज नाम के नाटक में ये परफॉर्म कर रहे थे। 

इत्तेफाक से उस नाटक को देखने उस ज़माने की बड़ी अभिनेत्री दीप्ति नवल भी आई थी। दीप्ति नवल को वेद थापर की एक्टिंग बढ़िया लगी। 

इत्तेफाक से ही उन दिनों सौदागर फिल्म में राज कुमार साहब के जवानी के रोल के लिए किसी ऐसे कलाकार की तलाश की जा रही थी जो दिखने में एकदम युवा हो और जिसकी शख्सियत और बोलने का अंदाज़ राज कुमार साहब से मिलता हो। दीप्ति नवल वेद थापर को अपने साथ राज कुमार और दिलीप कुमार के पास ले गई। 

वे दोनों महान कलाकार भी वेद थापर की शख्सियत से काफी प्रभावित हुए और वेद थापर को सौदागर फिल्म में राज कुमार साहब के जवानी वाले किरदार के लिए साइन कर लिया गया। यानि सौदागर फिल्म में आपने जिस नौजवान राजेश्वर सिंह को देखा था वो वास्तव में वेद थापर थे। 

राजा और रैंचो से हुए मशहूर

सौदागर फिल्म के बाद इनका नाम हुआ और दूरदर्शन के कुछ बढ़िया और बढ़े शोज़ में भी इन्हें काम मिल गया। उस ज़माने में दूरदर्शन के दोपहर के स्लॉट में आने वाले लगातार 3 टीवी शोज़ में वेद थापर नज़र आते थे।

वेद थापर के राजा और रेंचो शो को भला कौन भुला सकता है। नब्बे के दशक में दूरदर्शन के सबसे लोकप्रिय शोज़ में से एक हुआ करता था राजा और रेंचो। राजा और रेंचो के अलावा भी वेद थापर ने कई बड़ी फिल्मों और टीवी शोज़ में काम किया है।

समाज सेवा भी करते हैं वेद थापर

वेद थापर केवल एक एक्टर ही नहीं हैं। बल्कि ये एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।  समाज के निचले तबके की मदद का जज़्बा इनमें हमेशा से ही रहा है। 

मुंबई की झुग्गी झोपड़ियों के लोगों में, और खासतौर पर बच्चों में इन्होंने देशभक्ति की भावना जगाए रखने के लिए काफी काम किया। 

लेकिन जो सबसे शानदार काम वेद थापर करते हैं वो ये कि झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को ये नशे की लत के बुरे प्रभावों के प्रति जागरूक करते हैं। 

"हम आवाज़" भी चलाते हैं वेद

इन्होंने अपनी खुद की एक एनजीओ शुरू की जिसका नाम है हम आवाज़। अपनी इस संस्था के ज़रिए ये समाज के गरीब तबके के सोशल अपलिफ्टमेंट के लिए बहुत काम करते हैं। 

ये लोगों को प्लास्टिक के दुष्प्रभावओं के प्रति भी सचेत करते रहते हैं। साल 2001 में जब गुजरात में भूकंप ने विनाशलीला की थी तब वेद थापर अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर गुजरात के लोगों की मदद के लिए निकल पड़े थे। 

खुद को कहते हैं वेद भगत सिंह

देशप्रेम की भावना कभी क्षीण ना हो इसके लिए वेद थापर खुद को वेद भगत सिंह कहना पसंद करते हैं। साथ ही साथ, चूंकि ये समाज सेवा को अपना धर्म मानते हैं तो ये अपने आप को वेद कबीरा भी कहते हैं। 

वेद थापर एक प्रशिक्षित नाड़ी चिकित्सक भी हैं। मुंबई में इनका अपना क्लीनिक है जहां ये आयुर्वेद मैडिसिन की प्रैक्टिस करते हैं। अपने क्लीनिक पर आने वाले गरीब लोगों से ये कभी कोई फीस नहीं लेते। 

साथ ही साथ गरीबों को ये अपनी तरफ से दवाई भी मुफ्त में ही देते हैं। यानि कहा जा सकता है कि डॉक्टर वेद भगत सिंह उर्फ वेद थापर एक अच्छे एक्टर ही नहीं, बल्कि एक शानदार शख्सियत वाले इंसान भी हैं। 

अभिनय क्षेत्र ही नहीं, समाज को दिए गए योगदान के लिए मेरठ मंथन वेद थापर को सैल्यूट करता है। जय हिंद।

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