Deepak Shirke | Tiranga Movie का Pralaynath Gaindaswami जिससे आज भी खौफ खाते हैं लोग | Biography

Deepak Shirke. भला कौन सा भारतीय सिने प्रेमी होगा जो इन जनाब को नहीं जानता होगा। वैसे तो लोग इन्हें तिरंगा फिल्म के गैंडा स्वामी के रूप में पहचानते हैं। 

लेकिन ये भी एक सच है कि हिंदी बेल्ट के अधिकतर लोगों को इनका असली नाम नहीं मालूम है। हालांकि हिंदी बेल्ट में इनके फैंस की तादाद काफी ज़्यादा है। 

bollywood-actor-deepak-shirke-biography
Bollywood Actor Deepak Shirke Biography - Photo: Social Media

हिंदी सिनेमा के अलावा मराठी सिनेमा में भी इन्होंने कई धाकड़ परफॉर्मेंस दी हैं। ईश्वर से इन्हें रंग-रूप कुछ ऐसा मिला की नब्बे के दशक की एक्शन फिल्मों में विलेन के रोल के लिए इनकी शख्सियत के सामने इनके दौर के बाकियों में ज़्यादातर फीके लगते थे।

Meerut Manthan आज आपको तिरंगा फिल्म के गैंडा स्वामी यानि Deepak Shirke की कहानी आपको बताएगा। एक आम परिवार में पैदा हुए Deepak Shirke कैसे हिंदी और मराठी सिनेमा का इतना बड़ा नाम बने और अब दीपक शिर्के फिल्मों से दूर क्यों हैं? चलिए ये जानने-समझने की कोशिश आज करते हैं।

Deepak Shirke का शुरूआती जीवन

दीपक शिर्के के जन्म को लेकर सोशल मीडिया पर थोड़ा कन्फ्यूज़न है। कुछ वेबसाइट्स पर दावा किया जाता है कि इनका जन्म सन 1935 के आस-पास हुआ था। जबकी कुछ का कहना है कि इनका जन्म 1957 में हुआ था। 

लेकिन Meerut Manthan ने जब इनके जन्म की सही तारीख जानने की कोशिश की तो पता चला कि इनका जन्म 29 अप्रैल सन 1955 को मुंबई में हुआ था। 

कुछ लोग ऐसा दावा करते हैं कि दीपक शिर्के के पिता की मटन की दुकान थी। हालांकि हमें अपनी रिसर्च में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है। 

ऐसे लगा एक्टिंग का शौक

दीपक की पढ़ाई मुंबई के एलफिंस्टन टैक्निकल हाईस्कूल से हुई थी। बचपन में दीपक ख्वाब देखते थे कि बड़े होकर ये एक पुलिस इंस्पेक्टर बनेंगे। 

लेकिन कहते हैं ना, कि अगर कोई चीज़ इंसान के नसीब में लिखी है तो फिर किस्मत अपने आप ऐसी परिस्थितियां बना देती है कि वो चीज़ इंसान को हासिल होकर ही रहती है। 

दीपक के स्कूल के पास ही रंग भवन नाम का एक थिएटर था और उस थिएटर में अक्सर नाटक और नाटकों की रिहर्सल होती रहती थी। 

फ्री टाइम में और छुट्टियों में दीपक अपने कुछ दोस्तों के साथ रंग भवन नाम के उस थिएटर हाउस में नाटकों की रिहर्सल देखने चले जाया करते थे। 

छोटी उम्र से ही कलाकारों को नाटकों की रिहर्सल करते देखकर दीपक भी एक्टिंग की तरफ आकर्षित होने लगे। 

नन्हे दीपक के मन में इस ख्याल ने जगह मजबूत करनी शुरू कर दी कि आगे चलकर वो भी एक्टर ही बनेंगे।

और थिएटर आर्टिस्ट बन गए Deepak Shirke

नन्हे दीपक ने ये तय तो कर लिया कि उन्हें एक्टर बनना है। लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि एक्टर बनने के लिए उन्हें करना क्या पड़ेगा। 

दीपक जैसे-जैसे बड़े होते गए उन्होंने रंग भवन में अक्सर आने-जाने वाले लोगों से जान-पहचान बनानी शुरू कर दी। कुछ लोगों से इनकी बढ़िया दोस्ती भी हो गई। 

दीपक ने अपने उन दोस्तों से एक्टिंग करने के अपने ख्वाब के बारे में बात की। तब उन दोस्तों की मदद से साल 1976 में पहली दफा इन्हें मुंबई मराठी साहित्य संघ मंदिर में आयोजित हुए नाटक राज मुकुट में काम करने का मौका मिला। 

उस नाटक में रोल तो इनका छोटा सा था। लेकिन उस छोटे से रोल में भी ये एक विलेन बने थे और उस रोल को इन्होंने बड़ी खूबसूरती के साथ निभाया था। 

खाली थिएटर में करते थे अभ्यास

अपना वो पहला रोल निभाने के बाद इन्हें अहसास हो गया था कि एक्टिंग करना कोई मामूली काम नहीं है। 

एक्टिंग एक बड़ी मेहनत और जद्दोजहद वाला प्रोफेशन है और जो लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते वो इस पेशे में कभी कामयाब नहीं हो पाते हैं। 

लेकिन इत्तेफाक से दीपक ने एक्टिंग को बहुत ही गंभीरता से लिया था। अक्सर जब थिएटर खाली होता था तो ये अकेले ही स्टेज पर चढ़ जाते थे और अकेले ही रिहर्सल भी किया करते थे। 

पहले नाटक के बाद इन्हें और भी कई नाटकों मे छोटे-छोटे किरदार निभाने के मौके मिलने लगे। 

शुरूआत के कई नाटक तो ऐसे रहे जिनमें इन्हें स्टेज पर दूसरे एक्टर्स के साथ केवल खड़े रहने के लिए बोला गया। 

कोई डायलॉग नहीं मिला। लेकिन दीपक ने अपने सब्र को नहीं खोया। इन्हें यकीन था कि अगर इनकी किस्मत इन्हें यहां तक लाई है तो आगे भी लेकर ज़रूर जाएगी।

फिल्मों में एंट्री

शुरुआत में छोटे-मोटे किरदार निभाने के बाद दीपक को नाटकों में बड़े और डायलॉग्स वाले किरदार भी मिलने लगे। फिर तो अगले कई सालों तक दीपक मराठी थिएटर करते रहे। 

मराठी थिएटर जगत में दीपक का नाम बनने लगा। नाम बना तो काम मिलने लगा और काम मिलने लगा तो मुंबई के बाहर महाराष्ट्र के दूसरे शहरों में नाटक करने का मौका भी मिलने लगा। 

दीपक की मेहनत रंग लाने लगी थी। मराठी फिल्म इंडस्ट्री में भी उनके नाम के चर्चे होने लगे थे। फिर साल 1987 में इन्हें दे दनादन नाम की एक फिल्म में पहली दफा एक्टिंग करने का मौका मिला। 

हालांकि इस फिल्म से पहले इन्होंने धड़ाकेबाज़ नाम की फिल्म साइन कर ली थी। लेकिन शूटिंग में हुई देरी के चलते वो फिल्म साल 1990 में रिलीज़ हुई। 

आगे बढ़ते गए Deepak Shirke

पहली फिल्म के साथ ही दीपक शिर्के ने एक मराठी टीवी शो भी साइन कर लिया जिसका नाम था एक शून्य शून्य। इस टीवी शो ने तो इन्हें पूरे महाराष्ट्र में प्रसिद्ध कर दिया। 

प्रसिद्धी मिली तो हिंदी सिने इंडस्ट्री की नज़रों में भी ये चढ़ने लगे। उन्हीं प्रसिद्धियों का ही असर था कि साल 1990 में रिलीज़ हुई अमिताभ बच्चन की फिल्म अग्निपथ में इन्हें अन्ना शेट्टी का रोल मिल गया। 

दरअसल, एक दिन ये अपने शो एक शून्य की शूटिंग कर रहे थे कि तभी वहां धर्मा प्रोडक्शन्स के संस्थापक यश जौहर आए और वो इनसे मिले। 

यश जौहर ने इन्हें अग्निपथ वाला रोल ऑफर किया और इनसे कहा कि अगर ये इस रोल को करना चाहेंगे तो धर्मा प्रोडक्शन्स के ऑफिस जाकर मुकुल आनंद से ज़रूर मिल लें। 

उस दिन लंच के दौरान टाइम निकालकर ये मुकुल आनंद से मिलने पहुंचे और मुकुल आनंद से मिलकर इन्हें इतना अच्छा लगा कि इन्होंने अग्निपथ फिल्म साइन कर ली। 

बड़ा अनोखा इत्तेफाक

अग्निपथ रिलीज़ हुई तो दीपक शिर्के की ज़बरदस्त एक्टिंग देखकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने इनके लिए अपने दरवाज़े पूरी तरह से खोल दिए। 

अगले साल यानि 1991 में दीपक शिर्के हम फिल्म में एक बार फिर से अमिताभ के साथ नज़र आए। करियर की शुरुआत में ही दीपक शिर्के के साथ एक बड़ा ही अनोखा इत्तेफाक हो गया। 

दरअसल, पहली हिंदी फिल्म अग्निपथ में दीपक शिर्के का किरदार अमिताभ बच्चन के हाथों मारा जाता है। और फिल्म हम में दीपक शिर्के एक शरीफ आदमी बने थे। 

और उस फिल्म में वे अमिताभ बच्चन के पिता के रोल में नज़र आए थे। इत्तेफाक से इस फिल्म में भी दीपक शिर्के का किरदार मारा जाता है। 

लेकिन जहां अग्निपथ में दीपक शिर्के को अमिताभ जान से मार देते हैं तो हम में दीपक शिर्के अमिताभ की बाहों में दम तोड़ देते हैं। 

तिरंगा से छा गए Deepak Shirke

इन दो फिल्मों ने दीपक शिर्के को हिंदी सिनेमा के दर्शकों के बीच में पहचान तो दिला दी। लेकिन दीपक शिर्के के टैलेंट का लोहा लोगों ने तब मानना शुरू किया जब साल 1993 में रिलीज़ हुई फिल्म तिरंगा में ये प्रलयनाथ गैंडास्वामी के रोल में दिखे। 

तिरंगा में इनकी खूंखार हंसी ने कईयों को खौफज़दा कर दिया। आगे चलकर दीपक शिर्के ने एक से बढ़कर एक फिल्में की। 

यूं तो ज़्यादातर फिल्मों में इन्होंने एक खूंखार गुंडे और गैंगस्टर के रोल ही निभाए हैं। लेकिन 2007 में आई फिल्म बॉम्बे टू गोवा में इन्होंने बड़ी ज़बरदस्त कॉमेडी की थी। अपने पूरे करियर में इन्होंने सौ से भी ज़्यादा हिंदी फिल्मों में काम किया। 

लगभग हर बड़े एक्टर के साथ इन्होंने सिल्वर स्क्रीन शेयर की। लेकिन दीपक को हमेशा इस बात का अफसोस रहा कि दिलीप कुमार और देवानंद साहब के साथ काम करने का मौका इन्हें कभी नहीं मिला। 

ऐसी है निजी ज़िंदगी

दीपक शिर्के की निजी ज़िंदगी के बारे में बहुत ज़्यादा जानकारियां उपलब्ध नहीं हैं। हमे ंकेवल इतना ही पता चल पाया कि इनकी पत्नी का नाम गार्गी शिर्के है और उनसे इन्हें दो बच्चे हैं। 

चूंकि इनकी पत्नी और इनके बच्चे हमेशा लाइमलाइट से दूर रहते हैं तो उनकी कोई तस्वीर भी हमें नहीं मिल पाई है। दीपक शिर्के से जुड़ा एक रोचक किस्सा कुछ यूं है कि एक दफा इन्हें शो करने पूना जाना था। 

लेकिन किन्हीं वजहों से उन दिनों मुंबई में ट्रांसपोर्ट की हड़ताल चल रही थी। ना तो कोई बस चल रही थी और ना ही कोई टैक्सी या प्राइवेट गाड़ी चल रही थी। 

ऐसे में दीपक और उनके क्रू के लोगों ने एक एंबुलेंस हायर की और उस एंबुलेंस के ज़रिए ये पूना पहुंचे और इन्होंने वहां अपना शो किया। 

सदा सेहतमंद रहें Deepak Shirke

पिछले लगभग पांच साल से दीपक शिर्के किसी फिल्म में नज़र नहीं आए हैं। इनकी आखिरी रिलीज़्ड फिल्म है 2016 में आई वैंटीलेटर। 

इसके बाद से ही दीपक शिर्के किसी फिल्म या शो में नहीं दिखे और ना ही उन्होंने कोई नया प्रोजेक्ट साइन किया है। 

ऐसे में Meerut Manthan ईश्वर से प्रार्थना करता है कि दीपक शिर्के को जल्द से जल्द फिर से कोई ज़बरदस्त रोल मिले ताकि एक बार फिर से वो अपने फैंस के चेहरों पर अपनी दमदार एक्टिंग से मुस्कान ला सकें।

Meerut Manthan ये कामना भी करता है कि दीपक शिर्के हमेशा सेहतमंद रहें। फिल्म इंडस्ट्री में विलेन तो एक से बढ़कर एक हुए हैं। 

लेकिन दीपक शिर्के जैसा विलेन ना तो पहले कभी कोई था और ना ही आगे कभी कोई होगा। फिल्म इंडस्ट्री को दिए अहम योगदान के लिए Meerut Manthan की तरफ से दीपक शिर्के को बिग सैल्यूट। जय हिंद।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Anup Jalota | Bhajan Samrat से जुड़े आठ बड़े ही रोचक और Lesser Known Facts

Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia | पूरब और पश्चिम फिल्म की मेकिंग से जुड़ी 15 अनसुनी व रोचक कहानियां

Shiva Rindani | 90s की Bollywood Movies में गुंडा बनने वाले इस Actor को कितना जानते हैं आप? | Biography