Lucky Ali | 90s के Popular Singer लकी अली की कामयाबी और तीन शादियों की पूरी कहानी जानिए | Biography
Lucky Ali. नब्बे के दशक में बड़े हुए लोगों के लिए ये नाम अंजाना नहीं है। लकी अली के सॉन्ग्स सुनकर देश में जाने कितनी प्रेम कहानियों ने जन्म लिया होगा।
लकी के गीतों से मन में उभरने वाले रुमानी अंदाज़ को हर उस शख्स ने महसूस किया होगा जिसने 90s के दौर में अपनी जवानी या जवानी की शुरुआत को जिया होगा।
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Lucky Ali - Photo: Social Media |
Meerut Manthan आज अपने व्यूवर्स के लेकर आया है Lucky Ali की कहानी। एक ज़माने में लोगों को मुहब्बत के अहसास से रूबरू कराने वाले Lucky Ali क्यों तीन शादियां करने के बावजूद खुद हमेशा अकेलेपन के शिकार करे? Meerut Manthan के इस एपिसोड में यही जानने-समझने की कोशिश हम और आप करेंगे।
Lucky Ali का शुरूआती जीवन
19 सितंबर सन 1958 को लकी अली का जन्म बॉम्बे यानि मुंबई में हुआ था। इनके पिता थे हिंदी सिनेमा के महानतम कॉमेडियन महमूद साहब। महमूद साहब ने इनका नाम मकसूद महमूद अली रखा था।
चूंकि इनके पिता हिंदी सिनेमा जगत का एक बहुत बड़ा नाम थे तो फिल्म इंडस्ट्री को करीब से देखने समझने का मौका इन्हें बचपन में ही मिल गया था।
इनकी मां का नाम था महालेखा जो हिंदी सिनेमा की ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी की छोटी बहन थी। मां ही इन्हें प्यार से लकी कहकर पुकारा करती थी।
पिता से कभी नहीं ज़्यादा नहीं बनी
महमूद साहब की 8 औलादों में दूसरे नंबर पर थे लकी। बचपन से ही लकी एक अलग ही दुनिया में खोए रहते थे। फिल्म इंडस्ट्री के लोगों से उनका मिलना-जुलना होता रहता था।
लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के साथ उनको वैसा जुड़ाव महसूस नहीं होता था जैसा कि उनके पिता और महान कॉमेडियन महमूद साहब का हुआ करता था।शायद इसी वजह के चलते पिता महमूद के साथ लकी अली के रिश्ते कभी भी बहुत ज़्यादा अच्छे नहीं रहे।
लकी अली की बुआ यानि महमूद साहब की बहन मीनू मुमताज़ भी अपने दौर की दिग्गज डांसर और एक्टर रही तो इनके दादा मुमताज़ अली भी हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर के जाने-माने अभिनेता थे।
ऐसे हुई थी Lucky Ali की पढ़ाई
लकी अली की पढ़ाई लिखाई के बारे में बात करें तो इन्होंने कई स्कूलों में पढ़ाई की थी। ये मानेकजी कूपर किंडरगार्टन में रहे। बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में भी पढ़े। लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में भी कुछ वक्त इन्होंने बिताया।
बैंगलौर के बिशप कॉटन बॉयज़ स्कूल में इन्होंने दाखिला लिया और मसूरी के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल में भी इन्होंने पढ़ाई की थी।जितने भी स्कूलों में लकी ने पढ़ाई की वो ज़्यादातर बोर्डिंग स्कूल ही रहे।
चूंकि महमूद साहब फिल्मों में इतने ज़्यादा बिज़ी थे कि उन्हें अपने परिवार के लिए समय निकालने में बहुत मुश्किलें आती थी। यही वजह है कि महमूद साहब ने अपने सभी बच्चों को बोर्डिंग स्कूल्स में पढ़ाया था।
कहा तो ये भी जाता है कि एक दफा जब लकी अली से मिलने महमूद साहब मसूरी पहुंचे तो लकी महमूद साहब को पहचान ही नहीं पाए कि ये उनके पिता हैं। उन्हें लगा कि ये तो फिल्मों में कॉमेडी करने वाला एक्टर है जो शायद उनके स्कूल में घूमने के लिए आया होगा।
चाइल्ड आर्टिस्ट की हैसियत से भी किया था काम
महमूद साहब चाहते थे कि उनके बच्चे भी उनकी तरह एक्टिंग में अपना करियर बनाएं। खासतौर पर लकी को महमूद साहब फिल्म इंडस्ट्री में अपनी तरह एक बड़ा नाम बनते देखता चाहते थे।
यही वजह है कि वो अक्सर लकी को अपने साथ फिल्म के सेट पर ले जाते थे और कोशिश करते थे कि लकी फिल्मी माहौल में अच्छी तरह से रम जाए।
कुंवारा बाप, छोटे नवाब, ये है ज़िंदगी, एक बाप छह बेटे और जिनी और जॉनी, अपनी इन कुछ फिल्मों में महमूद साहब ने चाइल्ड आर्टिस्ट की हैसियत से लकी से काम कराया। पर जैसे-जैसे लकी अली बड़े होने लगे, फिल्मों को लेकर उनकी चॉइस भी बदलने लगी।
पैरलल सिनेमा की तरफ आकर्षित हुए Lucky Ali
पिता से अलग लकी पैरलल फिल्मों की तरफ अट्रैक्ट होने लगे। इसीलिए लकी अली श्याम बेनेगल साहब के साथ जुड़ गए। लकी उनके असिस्टेंट डायरेक्टर बन गए। श्याम बेनेगल के साथ रहते हुए लकी ने इक्का-दुक्का फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार भी निभाए।
इनमें सबसे प्रमुख है त्रिकाल जिसमें लकी एक नौजवान पुर्तगाली डॉक्टर बने थे। श्याम बेनेगल के ही सीरियल भारत एक खोज में लकी अली एक सन्यासी के किरदार में नज़र आए थे।
महमूद साहब के नाखुश होने की वजह
बताया ये भी जाता है कि लकी अली और उनके पिता महमूद के बीच में रिश्ते बहुत बेहतर ना होने की एक वजह उनका मैरुआना स्मोक करना था। हालांकि हमें नहीं पता कि लकी अली सच में मैरुआना स्मोक करते थे या नहीं।
लेकिन कुछ लोग दावा करते हैं कि लकी अली मैरुआना इस्तेमाल करते थे और इस वजह से महमूद साहब उनसे बहुत नाखुश रहते थे।
ऑयल फैक्ट्री में भी Lucky Ali ने किया काम
पिता से बढ़ती तल्खियों के कारण ही लकी अली मुंबई छोड़कर पुड्डुचेरी चले गए और वहां एक ऑयल फैक्ट्री में नौकरी करने लगे।
पर चूंकि संगीत लकी के दिल के काफी करीब था तो काम में उनका मन कम ही लगता था और ज़्यादातर वक्त वो अपना गिटार लेकर सिंगिंग करते रहते थे। पुड्डुचेरी में ही लकी को एक दिन अहसास हुआ कि उन्हें म्यूज़िक में कुछ करना चाहिए।
बैंगलौर में लिखी पहली एल्बम
अचानक एक दिन लकी ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया और पहुंच गए बैंगलौर। बैंगलौर में इनके पिता का एक फार्म हाउस था। लकी उस फार्म हाउस में रहने लगे और वहां खेती करने के साथ-साथ वे म्यूज़िक पर भी काम करने लगे। यहीं पर रहते हुए ही लकी अली ने अपनी पहली एल्बम लिखी थी जिसका नाम था सुनो।
पहली एल्बम की मुश्किलें
लकी ने अपनी पहली एल्बम लिख तो ली लेकिन इसे तैयार करके रिलीज़ करने में उन्हें चार साल का लंबा वक्त लग गया। एक दिन लकी अपनी एल्बम लेकर अमिताभ के पास गए।
इस उम्मीद में कि शायद अमिताभ अपने प्रोडक्शन हाउस एबीसीएल से उनकी एल्बम को रिलीज़ करने में उनकी मदद करेंगे। चूंकि अमिताभ जब फिल्म इंडस्ट्री में बिल्कुल नए थे तो लकी के पिता महमूद ने अमिताभ की बहुत मदद की थी।
उन्हें अपने घर में रखा था और उन्हें काम भी दिलाया था। इसलिए लकी को लगता था कि अमिताभ उन्हें इन्कार कभी नहीं करेंगे। मगर हुआ इसके ठीक उलट।
अमिताभ ने लकी की एल्बम प्रोड्यूस की ही नहीं। कई दिनों तक अमिताभ के पास लकी के गाने पड़े रहे। लेकिन अमिताभ ने लकी के गानों में कोई दिलचस्पी नहीं ली।
ऐसे रिलीज़ हुई Lucky Ali की पहली एल्बम
आखिरकार एक दिन लकी अपनी एल्बम लेकर बीएमजी क्रिसेंडो नाम की एक म्यूज़िक कंपनी पहुंच गए। ये म्यूज़िक कंपनी उस दौर की एक बड़ी प्राइवेट म्यूज़िक कंपनी थी और हॉलीवुड में इस कंपनी का बड़ा नाम था।
उस कंपनी ने लकी की एल्बम को रिलीज़ करने की हामी तो भर दी। पर साथ ही साथ उस कंपनी ने लकी के सामने ये शर्त भी रख दी कि इस एल्बम के पहले सॉन्ग का म्यूज़िक वीडियो लकी को खुद ही शूट करना पड़ेगा।
अगर ये म्यूज़िक वीडियो बढ़िया शूट हो गया तो फिर कंपनी लकी की एल्बम के बाकी सॉन्ग के वीडियो प्रोडक्शन में उनकी मदद करेगी।
और आ गया लकी का सुपरहिट गाना
लकी ने जैसे-तैसे पैसों का जुगाड़ किया और अपने दोस्त महेश मथाई को साथ लेकर ईजिप्ट की राजधानी काईरो पहुंच गए। महेश मथाई ने ही लकी के उस सॉन्ग का वीडियो प्रोडक्शन संभाला।
जैसे-तैसे लकी और उनके दोस्त ने वो गाना शूट किया और फिर जब वो गाना रिलीज़ हुआ तो उस गाने ने म्यूज़िक इंडस्ट्री में धूम मचा दी। वो गाना था ओ सनम, मोहब्बत की कसम।
रातों रात लकी अली 90 के दशक के युवाओं के बीच लोकप्रिय हो गए। अमिताभ बच्चन की कंपनी एबीसीएल आज पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। लेकिन लकी अली का वो गाना अब भी अगर कहीं लोग सुन लें तो उसे गुनगुनाते ज़रूर हैं।
और बढ़ते चले गए Lucky Ali
पहली एल्बम सुनो के लिए लकी को कई अवॉर्ड्स मिले थे। साल 1996 के स्क्रीन अवॉर्ड्स में उन्हें बेस्ट पॉप मेल सिंगर का अवॉर्ड मिला। वहीं चैनल वी ने भी व्यूवर्स चॉइस अवॉर्ड के लिए साल 1997 में लकी को ही चुना।
साठ हफ्तों तक लकी का ये गाना एमटीवी एशिया चार्ट में टॉप टैन में बना रहा। लकी की दूसरी एल्बम थी सिफर।अपने म्यूज़िक और लिरिक्स के लिए इस एल्बम को भी दर्शकों की तरफ से काफी सराहा गया था।
इसके बाद इन्होंने बैक टू बैक तीन एल्बम, अक्स, कभी ऐसा लगता है और गोरी तेरी आंखें कहें रिलीज़ की। ये तीनों एल्बम्स भी सुपरहिट साबित हुई।
लकी का वास्तविक पहला गाना
यहां एक खास बात जो आपको बतानी ज़रूरी है वो ये कि लकी के करियर का सबसे पहला गीत उनकी किसी एल्बम का नहीं, बल्कि उनके पिता द्वारा बनाई गई एक फिल्म दुश्मन दुनिया का एक गीत था जिसका टाइटल था नशा नशा।
हालांकि अपने पिता की ही फिल्म एक बाप छह बेटे में इन्होंने ना केवल चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम किया था। बल्कि इसमें वॉकिंग ऑल अलोन नाम से एक अंग्रेजी गाना भी गाया था। पर वो इनका पहला गाना नहीं माना जाता क्योंकि उस वक्त ये बहुत छोटे थे।
पिता से नाराज़गी की एक और वजह
फिल्म दुश्मन दुनिया का से जुड़ा एक रोचक किस्सा कुछ यूं है कि महमूद साहब ने ये फिल्म अपने बेटे लकी अली के जीवन पर ही बनाई थी। फिल्म के मुख्य किरदार को भी महमूद साहब ने लकी नाम ही दिया था।
इस किरदार को लकी के छोटे भाई मंज़ूर अली निभा रहे थे। फिल्म का मुख्य किरदार लकी नशे का आदी हो जाता है और आखिर में वो नशे की लत में कुछ इस कदर गिरफ्तार होता है कि अपनी मां का ही कत्ल कर देता है।
लकी अली फिल्म की कहानी से बेहद नाखुश थे। वो जानते तो थे कि उनके पिता ये फिल्म उनके जीवन पर ही बना रहे हैं। लेकिन जब उन्होंने फिल्म में मां को मारने वाला सीन देखा तो ये उन्हें ज़रा भी पसंद नहीं आया।
उन्होंने पिता के सामने इसको लेकर विरोध भी जताया। बताया जाता है कि इस घटना के बाद महमूद साहब और लकी अली के बीच मौजूद खाई और ज़्यादा गहरी हो गई थी।
बॉलीवुड से दूरियां बनी रही
लकी अली एक ऐसी शख्सियत हैं जो कभी भी खुद को बॉलीवुड के कंपैटिबल नहीं बना पाए। या कहना चाहिए कि बॉलीवुड कभी भी लकी अली के कंपैटिबल नहीं रहा। लकी अली ने कई फिल्मों में गाने गाए। इनके ढेरों फिल्मी गाने भी सुपरहिट रहे।
सुर, कांटे, कसक और रनवे जैसी फिल्मों में इन्होंने बड़ी ही दमदार और संजीदा एक्टिंग भी की। लेकिन फिर भी बॉलीवुड और लकी अली के बीच दूरियां हमेशा बनी रही।
और ये दूरियां आज भी उतनी ही हैं जितनी इनकी आखिरी एल्बम रास्ता मैन की रिलीज़ होने के बाद थी। लकी की ये एल्बम साल 2009 में रिलीज़ हुई थी।
इस एल्बम के बाद लकी ने एकाध फिल्मों में इक्का-दुक्का गाने ज़रूर गाए। लेकिन उन्होेंने खुद को कभी भी बॉलीवुड की चकाचौंध के पीछे नहीं दौड़ाया। यही वजह है कि लकी अली मीडिया की सुर्खियों से एकदम से और पूरी तरह से गायब हो गए।
पैशन के लिए गाते हैं Lucky Ali
लकी एक ऐसे शख्स हैं जो अपने पैशन की खातिर म्यूज़िक बनाते हैं। उन्होंने कभी भी अपने म्यूज़िक का कमर्शियल बैनेफिट लेने की कोशिश नहीं की। और लकी के इसी अंदाज़ ने उन्हें लोगों का चहीता बना दिया है।
यही वजह है कि जब भी सोशल मीडिया पर कहीं लकी अली कुछ गाते या गुनगुनाते नज़र आ जाते हैं तो इनके वीडियो वायरल हो जाते हैं और ये लोगों के बीच चर्चा का विषय बन जाते हैं।
कुछ महीनों पहले गोवा में किसी जगह पर भी लकी अली गिटार के साथ अपना गाना गा रहे थे और उन्हें देखने के लिए उनके चारों तरफ उनके फैंस ने भीड़ लगाई हुई थी।
Lucky Ali की निजी ज़िंदगी
लकी अली की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो इन्होंने तीन शादियां की हैं। लकी की पहली पत्नी हैं मेगन जो कि न्यूज़ीलैंड की रहने वाली हैं। साल 1996 में मेगन और लकी ने शादी की थी।
लकी के सबसे पहले और सुपरहिट सॉन्ग ओ सनम में जो नकाबपोश महिला नज़र आई थी वो लकी अली की पहली पत्नी मेगन ही थी। लकी बताते हैं कि चूंकि उस वक्त उनके पास मॉडल हायर करने के पैसे नहीं थे तो उन्होंने उस वीडियो के लिए अपनी पत्नी को ही बतौर मॉडल इस्तेमाल कर लिया।
मेगन और लकी की मुलाकात दिल्ली में हुई थी। शुरू में इनके बीच दोस्ती हुई और फिर वो दोस्ती प्यार में बदल गई। लकी और मेगन के दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी।
चूंकि मेगन न्यूज़ीलैंड की रहने वाली थी तो उनका ज़्यादातर वक्त न्यूज़ीलैंड में गुज़रता था। कुछ वक्त के लिए तो लकी भी मेगन के साथ न्यूज़ीलैंड शिफ्ट हो गए थे।
लेकिन बाद में उन्हें मुंबई वापस लौटना पड़ा था। मेगन और लकी के बीच दूरियां काफी ज़्यादा थी और इस कारण लकी काफी अकेलापन महसूस करते थे।
दूसरी पत्नी से मुलाकात
अकेलेपन के उस दौर में लकी को उनकी दूसरी पत्नी यानि अनाहिता मिली। लकी और अनाहिता के बीच इश्क हुआ और दोनों ने शादी कर ली। लकी ने अनाहिता से अपनी पहली शादी और बच्चों के बारे में कुछ नहीं छिपाया।
लकी से शादी करने के बाद अनाहिता पारसी से मुस्लिम बन गई और उन्होंने अपना नाम इनाया रख लिया। लकी अली और अनाहिता के भी दो बच्चे, एक बेटा और एक बेटी हैं।
फिर मिली तीसरी पत्नी
लकी और अनाहिता की ज़िंदगी बढ़िया चल रही थी कि साल 2009 में लकी की ज़िंदगी में प्यार फिर से एक नए रूप में आया। उड़ान एक्स्प्रेस नाम की एक फिल्म के लिए लकी गाने गा रहे थे।
जबकी इसी फिल्म में एक अहम रोल में नज़र आने वाली थी मिस इंग्लैंड रह चुकी केट एलिज़ाबेथ।ये फिल्म तो कभी ना बन सकी लेकिन लकी और केट की जोड़ी ज़रूर इस फिल्म से बन गई।
फिल्म के सिलसिले में अक्सर केट और लकी की मुलाकात होती रहती थी। लकी केट को पसंद करने लगे और केट भी लकी की शख्सियत से खासी प्रभावित हुई।
केट से शादी और फिर तलाक
एक दिन लकी ने अपनी दोनों पत्नियों और बच्चों के बारे में बताकर केट को शादी के लिए प्रपोज़ कर दिया। केट भी लकी से इन्कार ना कर सकी और लकी ने केट के साथ तीसरी शादी कर ली। शादी के बाद लकी और केट बैंगलौर रहने आ गए। लकी और केट को एक बेटा भी पैदा हुआ।
इनकी ज़िंदगी हंसी-खुशी बीत ही रही थी कि साल 2017 में केट ने लकी से ये कहकर तलाक ले लिया कि लकी तीन परिवारों के बीच फंसे हैं और वो किसी को भी पूरा टाइम नहीं दे पाते हैं। लकी से तलाक लेकर केट वापस इंग्लैंड चली गई और वहां उन्होंने एक दूसरे आदमी संग शादी भी कर ली।
अब ऐसे जीते हैं Lucky Ali
लकी अब अपना ज़्यादातर वक्त बैंगलौर स्थित अपने फार्म हाउस में बिताते हैं। मौजूदा दौर के संगीत को लकी अली पसंद नहीं करते इसलिए अब वो खुद को पूरी तरह से म्यूज़िक इंडस्ट्री से दूर कर चुके हैं।
चूंकि लकी को फार्मिंग करना पसंद है तो वो अपने फार्म हाउस में कई तरह की फसलें उगाते हैं और उन्हीं के सहारे अपना जीवन-यापन करते हैं। कभी-कभार अगर कोई उन्हें किसी कॉन्सर्ट के लिए बुला लेता है तो वो उसमें चले जाते हैं।
मेरठ मंथन का लकी अली को सैल्यूट
Meerut Manthan कामना करता है कि लकी अली को हर वो खुशी मिले जिसकी ख्वाहिश उन्होंने अपने लिए की होगी। लकी अली के सुर और उनकी सुरीली आवाज़ को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। जय हिंद।
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